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लिफ्ट में जाना मतलब जान का सौदा? ये नियम पता हों तो सलामत रहेगी जिंदगी

Greater Noida में एक बिल्डिंग की लिफ्ट गिरने से 4 लोगों की मौत हो गई. इससे पहले महाराष्ट्र के ठाणे में एक बिल्डिंग की लिफ्ट गिरने से 7 मजदूरों की मौत हुई थी.

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टर नोएडा में आम्रपाली ग्रुप की निर्माणाधीन इमारत में लिफ्ट हादसा हुआ है (प्रतीकात्मक फोटो सोर्स - आजतक)

ग्रेटर नोएडा में शुक्रवार को बड़ा हादसा (Greater Noida Lift Accident) हो गया. यहां निर्माणाधीन बिल्डिंग की लिफ्ट गिरने से चार लोगों की मौत हो गई. आजतक की खबर के मुताबिक, लिफ्ट में 9 लोग सवार थे. 5 लोग घायल हुए हैं. निर्माणाधीन बिल्डिंग आम्रपाली ग्रुप की है, इसे NBCC (National Building Construction Corporation) ने टेकओवर कर लिया था. हादसे के बाद प्रशासन ने बिल्डिंग को सील करने की तैयारी शुरू कर दी है. बड़ी तादाद में पुलिस मौके पर पहुंच गई है. इससे पहले महाराष्ट्र के ठाणे में 11 सितंबर को ऐसी ही एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में लिफ्ट गिर गई थी. उस हादसे 7 मजदूरों की मौत हो गई थी. 

ये लिफ्ट गिरने से जुड़े उन हादसों की बात नहीं है जो निर्माणाधीन इमारतों में हुए, गूगल पर एक क्लिक करिए घरेलू लिफ्ट से लेकर व्यावसायिक इमारतों तक, लिफ्ट दुर्घटना की तमाम खबरें आपको मिल जाएंगी.

बीते दिनों, नोएडा के सेक्टर 137 में पारस टिएरा सोसायटी में 70 साल की एक बुजुर्ग महिला की लिफ्ट में फंसने से मौत हो गई. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि लिफ्ट का मेंटेनेंस का कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म हो गया था. इसी साल अगस्त के महीने में पुणे में 10 साल से कम उम्र के दो बच्चे लिफ्ट में थे. लिफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हो गई, हालांकि बच्चे खुशकिस्मत थे. हादसे में उनकी जान बच गई.

तकनीकी खराबी, रखरखाव या लिफ्ट बनाते समय तय किए गए मानकों के पालन की कमी, कई वजहें हैं, जो अक्सर लिफ्ट का इस्तेमाल करने वालों पर भारी पड़ती हैं. अगस्त 2023 में आई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 76 फीसद लोग लिफ्ट के मेंटेनेंस के लिए अनिवार्य मानक चाहते हैं. ऑनलाइन कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स की इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन सालों में लिफ्ट का इस्तेमाल करने वाले हर 6 लोगों में से एक के परिवार का कम से कम एक सदस्य कभी ना कभी लिफ्ट में फंस गया.

ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) 14665 पार्ट 2 के सेक्शन 1 और 2, और देश के नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC) 2016 के तहत किसी इमारत में लिफ्ट लगाने से लेकर उसके संचालन तक के लिए कुछ नियम और गाइडलाइंस तय की गई हैं. लिफ्ट लगाने को लेकर भारतीय मानक ब्यूरो के इन नियमों का पालन करना जरूरी है. क्या हैं ये नियम, संक्षेप में जानते हैं.

लिफ्ट लाइसेंस के नियम

-पैसेंजर लिफ्ट लगाने की मंजूरी लेने के लिए लिफ्ट इंस्पेक्टर को एक एप्लीकेशन देनी होती है. लिफ्ट लगाने से पहले कॉम्प्लेक्स/बिल्डिंग या किसी भी तरह के रियल स्टेट प्रोजेक्ट के मालिक को दो अलग-अलग तरह के लाइसेंस के लिए राज्य सरकार को एप्लीकेशन देनी होती है. पहला लाइसेंस लिफ्ट लगाने के लिए और दूसरा उसके इस्तेमाल के लिए. घरेलू लिफ्ट लगाने के लिए कम से कम 20 से 25 वर्ग फुट जगह होनी चाहिए. और 8 वर्ग फुट के गड्ढे वाली जगह की भी जरूरत होती है.

-ल‍िफ्ट लगाने के ल‍िए लाइसेंस लेने की जरूरत अभी स‍िर्फ 10 राज्‍यों में है. ये राज्य हैं- महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली. इन राज्यों में भी अपने लिफ्ट अधिनियम होते हैं. इन अधिनियमों में ल‍िफ्ट लगाने की प्रक्र‍िया, लागत और समयसीमा बताई गई है. लाइसेंस कैसे मिलेगा इसके लिए भी गाइडलाइंस बताई गई हैं.

-दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो दिल्ली लिफ्ट नियम, 1942 के तहत एक अधिकारी इमारतों का निरीक्षण कर सकता है. ये देखने के ल‍िए न‍ियमों का पालन हो रहा है या नहीं. लाइसेंस और NOC यही अधिकारी जारी करता है.

-जिन राज्यों में अभी लिफ्ट एक्ट नहीं है, वहां भी IS के नियमों के तहत लिफ्ट लगाई जा सकती है. साथ ही इन राज्यों की इमारतों में एस्केलेटर के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है.

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लिफ्ट कैसी हो? इसके लिए भी नियम हैं.

-13 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाली इमारत में लिफ्ट होनी चाहिए. ल‍िफ्ट ग्राउंड फ्लोर से ज्यादा से ज्यादा छह लोगों का वजन सहने की क्षमता वाली होनी चाहिए.

- अगर कोई बिल्डिंग 15 मीटर से ज्यादा ऊंची है तो उसमे 8 पैसेंजर वाली फायर लिफ्ट होनी चाहिए. फायर लिफ्ट से यहां मतलब है ऐसी लिफ्ट जिसमें आग लगने की स्थिति में बचाव के इंतजामात किए गए हों. साथ ही फायर प्रिवेंशन एक्ट और राज्य के अपने नियमों के तहत सुरक्षा के प्रावधान भी लागू होंगे. इमारत में फायर अलार्म बज गया है तो लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करने के प्रावधान हैं.

-15 मीटर से ज्यादा ऊंची इमारतों में लगी लिफ्ट के दरवाजे ऑटोमेटिक होने चाहिए. और लिफ्ट के ऊपर जाने की स्पीड इतनी पर्याप्त होनी चाहिए कि 60 सेकंड के वक़्त में लिफ्ट बिल्डिंग के टॉप फ्लोर तक पहुंच जाए.

- NBC 2016 के मुताबिक, 30 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली इमारतों में स्ट्रेचर लिफ्ट की जरूरत होती है. स्ट्रेचर लिफ्ट माने ऐसी लिफ्ट जो एक ही बार में मनचाहे फ्लोर तक ले जाती हो, हर फ्लोर पर रुकते हुए न जाती हो. हालांकि नियमों में ये भी कहा गया है कि हर राज्य में ऐसी लिफ्ट्स की जरूरतें अलग-अलग हैं, इसलिए ख़ास मामलों में तकनीकी एक्सपर्ट से सलाह करने की सिफारिश की जाती है.

-IS 14665 के पार्ट 4 के आर्टिकल 3 के सेक्शन 5.8 के मुताबिक, लिफ्ट के अंदर ग्लास का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि ये भी कहा गया है कि ये ग्लास स्प्लिंटर-प्रूफ होने चाहिए. और किसी दुर्घटना की स्थिति में ग्लास टूटता भी है तो इससे लिफ्ट में सवार लोगों को चोट नहीं लगनी चाहिए.  

-घरेलू लिफ्ट के लिए IS 14665 के अलावा IS 15259 के तहत नियम तय किए गए हैं. अगर लिफ्ट में मशीन रूम नहीं है तो IS 15785 के तहत नियम तय किए गए हैं. IS 15259 के तहत एक घरेलू लिफ्ट की वजन सहने की क्षमता 204 किलो (तीन यात्री) से कम और 272 किलो (चार यात्री) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. साथ ही घरेलू लिफ्ट की स्पीड 0.2 मीटर प्रति सेकंड से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. घरों में दो लोगों के वजन से कम वजन सह सकने की क्षमता वाली लिफ्ट लगाने की अनुमति नहीं है.

-किसी भी इमारत में लिफ्ट की संख्या को लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं है.

हादसों का जिम्मेदार कौन?

घर हो या हाईराइज बिल्डिंग, लिफ्ट एक महंगा उपकरण है. किसी भी और प्रोडक्ट की तरह ही इसकी क्वालिटी और सिक्योरिटी के लिए कानूनी तौर पर निर्माता कंपनी की पहली जिम्मेदारी होती है. इसका डिज़ाइन, कॉम्पोनेंट्स और इनस्टॉलेशन कंपनी के ही ज़िम्मे होता है. हालांकि लिफ्ट दुर्घटना का शिकार होती है तो रखरखाव का जिम्मा लेने वाली पार्टी या बिल्डर भी क़ानून के दायरे में आता है.

हमने जिस सर्वे रिपोर्ट की बात शुरुआत में की थी, उसमें भारत के 329 जिलों में रहने वाले 13 हजार से ज्यादा लोगों से बात करके नतीजे तय किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक, केवल 46 फीसद लोगों का कहना था कि उनकी लिफ्ट का, लिफ्ट बनाने वाली कंपनी या बिल्डर के साथ मेंटेनेंस का सालाना कॉन्ट्रैक्ट है. 42 फीसद लोगों का कहना था कि लिफ्ट का मेंटेनेंस कोई थर्ड पार्टी का ठेकदार कर रहा है. 7 फीसद लोगों का कहना था कि लिफ्ट का मेंटेनेंस सोसायटी स्टाफ या दूसरे कर्मचारियों द्वारा किया जाता है. जबकि 5 फीसद लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि लिफ्ट का मेंटेनेंस कोई नहीं करता. जरूरत पड़ने पर लोग बुलाए जाते हैं.

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