The Lallantop

इस देश में अनिवार्य होने वाली है आर्मी सर्विस, फायदे-नुकसान मालूम हैं?

और किन-किन देशों में अनिवार्य है सैन्य सेवा? भारत में कब-कब चर्चा हुई थी?

post-main-image
सेना की सांकेतिक तस्वीर - रॉयटर्स

बात 2022 की है. ख़बर आई कि साउथ कोरिया का पॉप म्यूजिक बैंड BTS सेना जॉइन कर रहा है. दुनिया-भर में फैले बैंड के फॉलोवर्स को अचंभा हुआ. लोग BTS को उसके संगीत से पसंद करते हैं. ऐसे में उनका सेना जॉइन करना लोगों को पचा नहीं. लेकिन BTS के सदस्यों के पास कोई और विकल्प नहीं था, क्योंकि दक्षिण कोरिया में सैन्य सेवा का अनिवार्य क़ानूनी प्रावधान (Compulsory Military Service) है. अब ऐसी ही ख़बर जर्मनी से आ रही है, कि वो (Germany) भी अनिवार्य सैन्य सेवा के विकल्प पर विचार कर रहे हैं. 

दरअसल, जर्मनी के रक्षा मंत्री के एक बयान ने इस ख़बर को हवा दे दी है. देश के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस अनिवार्य सर्विस का पूरा समर्थन करते हैं. अमेरिका की यात्रा के दौरान उन्होंने कह दिया, 

अब समय बदल चुका है. 2011 में जर्मनी ने अनिवार्य सैन्य सेवा छोड़ दिया था. ये निर्णय ग़लत था. मुझे विश्वास है कि जर्मनी को एक तरह की सैन्य भर्ती की आवश्यकता है.

जर्मनी अनिवार्य सैन्य सेवा अधिनियम, 1956. इसके लागू होने के बाद से ही देश में अनिवार्य सैन्य सेवा का प्रावधान था. लेकिन 2011 में इसे खत्म कर दिया गया. अब इसे फिर से लागू करने पर विचार किया जा रहा है. 

EL PAIS अख़बार के अनुसार जर्मनी की स्थायी सेना में अभी 1,80,000 सैनिक हैं. जबकि जरूरत करीब 2,03,000 स्थायी सैनिकों की है. ऐसे में जर्मनी के नेता एकमत हैं कि सेना की संख्या बढ़ाई जाए. तीन मॉडल्स पर चर्चा हो रही है:

  • पहला विकल्प - 18 साल की उम्र होने पर सभी युवाओं के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य कर दी जाए.
  • दूसरे प्रस्ताव - सभी 18 वर्षीय पुरुषों के लिए अनिवार्य भर्ती फॉर्म निकाले जाएं और परीक्षण हो. इसे भरने के लिए पर्याप्त संख्या में उपयुक्त उम्मीदवारों को सूचीबद्ध किया जाए. वहीं महिलाओं के पास विकल्प चुनने का विकल्प होगा.
  • तीसरे विकल्प - अनिवार्य सेवा न हो. इसके बजाय सभी स्कूल छोड़ने वालों को एक नामांकन फॉर्म भेजा जाएगा, जिसे वे स्वेच्छा से पूरा करना चुन सकते हैं.
और किन-किन देशों में है ऐसा प्रावधान?

अनिवार्य सैन्य सेवा के लिए अंग्रेजी में शब्द है, कंसक्रिप्शन (Conscription). अर्थ होता है कि एक निश्चित उम्र सीमा के लोगों का अपने देश की सेना में अनिवार्यतः सेवा करना होगा. ठीक वैसे ही, जैसे कोई स्थायी सैनिक करता है. इसका उद्देश्य है कि नागरिकों को युद्ध की परिस्थिति के लिए तैयार किया जाए.

ये भी पढ़ें - भारत में तो नहीं, जानिए दुनिया के किन देशों में समलैंगिक शादी लीगल है

मौजूदा वक़्त में 20 से ज़्यादा देशों में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू है. लेकिन देश की परिस्थिति के अनुसार उसका प्रारूप हर देश में अलग-अलग है. मिसाल के लिए:

रूस - रूस में 18 साल के ऊपर के सभी पुरुषों को एक साल सेवा या सेना जैसी ट्रेनिंग करना अनिवार्य है. हाल ही में यहां कि संसद ने अनिवार्य सेवा की अधिकतम उम्र 27 से बढ़ाकर 30 कर दी है.

इजराइल - 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को 24 महीने, और पुरुषों को 32 महीने की अनिवार्य सैन्य सेवा करनी होती है.

सिंगापुर - 18 से ज्यादा उम्प के पुरुषों को दो साल तक National Service करनी पड़ती है. उसके बाद 50 साल की आयु तक हर साल 40 दिन की सेवा का प्रावधान है. 

साउथ कोरिया - 18 से 35 पुरुषों को डेढ़ साल की अनिवार्य सैन्य सेवा का प्रावधान है. महिलाओं के लिए यह वैकल्पिक है.

इन चारों के अलावा स्वीडन, इरीट्रिया, स्विट्जरलैंड, क्यूबा, ईरान, ब्राजील, बरमूडा, सायप्रस, ताइवान, अल्जीरिया, अंगोला, उक्रेन, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), वियतनाम , आर्मेनिया, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, बेलारूस, ग्रीस, सीरिया, थाईलैंड में भी अनिवार्य सैन्य सेवा जैसे प्रावधान हैं.

भारत में कोई प्रावधान है?

भारत की संसद में कुछ प्राइवेट मेंबर बिल लाए गए. साल 2011 में अधीर रंजन चौधरी, 2012 में अविनाश राय खन्ना, 2013 में भोला सिंह और 2019 में जगदम्बिका पाल. सभी ने अनिवार्य सैन्य सेवा को क़ानूनी रूप दने का प्रस्ताव दिया था, मगर सब असफल रहे.

ये भी पढ़ें - क्या आर्मी के अफसरों की वर्दी एक तरह की होने वाली है?

25 जुलाई, 2014 को लोकसभा में इससे जुड़ा एक प्रश्न भी पूछा गया था. इसके जवाब में रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने अनिवार्य सैन्य सेवा को गैर-जरूरी बताया था. उनके अनुसार, भारत सरकार इन वजहों से सभी युवाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य करने के पक्ष में नहीं है :

  • भारत एक लोकतांत्रिक देश है. संविधान में अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण का प्रावधान नहीं. हमारे यहां लोग अपना पेशा चुनने के लिए स्वतंत्र हैं. अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध होगी.
  • देश के सभी युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देने से पूरे देश का ‘सैन्यीकरण’ हो सकता है. हमारी सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों में इसकी जरूरत नहीं है. कहीं ऐसा न हो कि सेना के कौशल में प्रशिक्षित कुछ बेरोजगार युवा गलत लोगों की संगति में  शामिल हो जाएं.
  • भारत में सशस्त्र बलों के पास बड़ी संख्या में स्वयंसेवक हैं. पर्याप्त संख्या में स्वयंसेवकों की भर्ती करने में कोई समस्या नहीं है. इसीलिए देश के सभी युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देने की जरूरत नहीं.
  • देश के सभी युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए पूरे देश में बहुत बड़ी संख्या में प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना करनी होगी. रख-रखाव में भी भारी खर्च होगा. ये भारत जैसे विकासशील देश के सीमित संसाधनों का दुरूपयोग होगा.

इन्हीं कारणों से भारत अनिवार्य सैन्य सेवा के विचार से अभी दूर है. जो देश इसके पक्ष में हैं, वो इसे एक ऐसी शक्ति के तौर पर देखते हैं, जो उनके देश को एकता के सूत्र में बांधता  है. इनके तर्क से ऐसा करने से अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों एक साथ आते हैं. 

फिर जब देश युद्ध का सामना कर रहा हो या अतिरिक्त सैनिकों की ज़रूरत हो, तो सभी नागरिकों को उतरना पड़ेगा. चाहे वो कोई मशहूर हस्ती हों या अमीर कारोबारी. एक बड़ी और सक्रिय रिज़र्व सेना तैयार होने के साथ एक बराबरी का भी भाव उपजता है. 

 ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे नवनीत ने लिखी है. 

वीडियो: तारीख: मगध का इतिहास, बिंबिसार की मौत कैसे हुई?