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G20 के देश : ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटिश क्राउन के अधीन रहना क्यों चुना था?

ऑस्ट्रेलिया के ब्रिटिश उपनिवेश बनने की कहानी, वोट न डालने पर सजा का प्रावधान, सब कुछ जान लीजिए.

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ऑस्ट्रेलिया के खूबसूरत शहर सिडनी की एक तस्वीर और दाएं देश के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज (फोटोसोर्स- Reuters और आजतक)

G20 Leaders Summit 09 और 10 सितंबर को नई दिल्ली (New Delhi) में आयोजित होने वाली है. उससे पहले हम आपको G20 परिवार के सदस्यों (G20 Countries) से आपका परिचय करा देते हैं. आज कहानी दुनिया के उस इकलौते देश की जो एक पूरे महाद्वीप पर बसा है. आज कहानी ऑस्ट्रेलिया (Australia) की.

कहानी बताएं, उससे पहले नक़्शा जान लीजिए.

नक्शेबाजी

ऑस्ट्रेलिया, दुनिया का छठा सबसे बड़ा देश है. क्षेत्रफल के हिसाब से. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का अकेला देश है जो एक पूरे महाद्वीप पर फैला है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप सभी महाद्वीपों में सबसे छोटा है. ऑस्ट्रेलिया की दुनिया में छठी सबसे लंबी तटरेखा है. 25 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा. और ऑस्ट्रेलिया इस समुद्री सीमा को पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, न्यूज़ीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन आईलैंड्स और फ्रांस के न्यू कैलेडोनिया के साथ साझा करता है. ऑस्ट्रेलिया की कोई जमीनी सीमा नहीं है.

आबादी 2 करोड़ 50 लाख से कुछ ज्यादा है. 
ऑस्ट्रेलिया, भारत से 4 घंटे और 30 मिनट आगे है. जब भारत में सुबह के 8 बजते हैं तब ऑस्ट्रेलिया में दोपहर के 12 बजकर 30 मिनट का वक़्त होता है.
ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा है. यहीं से मुल्क की सरकार चलती है. नई दिल्ली से कैनबरा की दूरी लगभग 10 हजार 347 किलोमीटर है.

मैप सोर्स- गूगल
हिस्ट्री का क़िस्सा 

ऐसा माना जाता है कि ऑस्ट्रेलिया की मुख्य जमीन पर पहली बार लगभग 40,000 से 60,000 साल पहले दक्षिण-पूर्वी एशियाई इलाकों से पहुंचे. और साल 1606 में डच नाविक विलेम जैन्सज़ून यहां पहुंचे. वो ऑस्ट्रेलिया पहुंचने वाले पहले यूरोपीय व्यक्ति थे. इसके बाद यूरोपीय खोजकर्ता लगातार यहां आते रहे. सन् 1770 में लेफ्टिनेंट जेम्स कुक ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर ब्रिटेन का दावा दिखाया. वे बॉटनी बे (अब सिडनी में) में ब्रिटिश उपनिवेश बनाने के डिटेल्स के साथ लंदन वापस लौटे. उपनिवेश बनाने के लिए ब्रिटिश जहाजों का पहला बेड़ा जनवरी 1788 में सिडनी पहुंचा. ब्रिटेन ने पूरे महाद्वीप में और भी कई उपनिवेश स्थापित किए. उन्नीसवीं सदी के दौरान ऑस्ट्रेलिया के अंदरूनी इलाकों में यूरोपीय खोजकर्ताओं को भेजा गया. इस दौरान नई बीमारियों और ब्रिटिश उपनिवेशवादियों के साथ हुए संघर्ष ने ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को बहुत कमज़ोर बना दिया. इस दौरान ब्रिटेन के कैदियों को सजा काटने के लिए ऑस्ट्रेलिया भेजा जाता था. साल 1868 के बाद ये प्रक्रिया बंद हुई. अब तक ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटेन के 6 उपनिवेश बन चुके थे. साल 1901 में जनमत संग्रह हुआ जिसके जरिए सभी उपनिवेश एकजुट किए गए और ऑस्ट्रेलिया अस्तित्व में आया. ऑस्ट्रेलिया ने दोनों वर्ल्ड वॉर में ब्रिटिश साम्राज्य और बाद में ब्रिटिश कॉमनवेल्थ के हिस्से के बतौर लड़ाई लड़ी.
ऑस्ट्रेलिया अभी भी ब्रिटिश कॉमनवेल्थ का हिस्सा है. हेड ऑफ़ द स्टेट की शक्ति ब्रिटिश क्राउन में निहित है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया को स्वशासन का अधिकार 1930 के दशक में ही मिल गया था. लेकिन उन्होंने ब्रिटिश क्राउन के अधीन रहना चुना. क्राउन ने अपना एक एजेंट नियुक्त किया. इसे गवर्नर-जनरल का नाम दिया गया. इस पद पर बैठने वाला व्यक्ति ब्रिटिश क्राउन का प्रवक्ता होता है. यानी, वो क्राउन की इच्छा और प्रधानमंत्री की सलाह से ही कोई फ़ैसला लेता है.

पैसे वाली बात

करेंसी का नाम है, ऑस्ट्रेलियन डॉलर.
इंटरनैशनल मॉनिटरी फ़ंड (IMF) के मुताबिक, जीडीपी 1.71 ट्रिलियन डॉलर है. भारतीय रुपये में लगभग 140 लाख करोड़ रुपये. 
प्रति व्यक्ति आय लगभग 54 लाख रुपये है. भारत से लगभग 27 गुना ज़्यादा.

लेन-देन

ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत, ऑस्ट्रेलिया का छठा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर था. और साल 2022 में दोनों देशों के बीच लगभग 04 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ.

भारत ने लगभग 1 लाख 12 हज़ार करोड़ रुपये का निर्यात किया.
क्या निर्यात किया गया?
खनिज तेल, दवाइयां, तेल, मोती, कीमती पत्थर, धातुएं, बिजली के उपकरण, मशीनरी, न्यूक्लियर रिएक्टर, लोहा, स्टील आदि.

इसी अवधि में ऑस्ट्रेलिया ने 02 लाख 88 हज़ार करोड़ का सामान भारत को बेचा.
क्या-क्या?
खनिज तेल, खाद्य तेल, खाद, कॉटन, इनॉर्गेनिक केमिकल, कीमती धातुओं के यौगिक, ऊन, जिंक आदि.

सामरिक रिश्ते

ऑस्ट्रेलिया से डिप्लोमेटिक रिलेशंस की शुरुआत 1943 में हुई.
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया उन तीन देशों में से एक है जिनके साथ भारत शीर्ष नेताओं के स्तर पर सालाना मीटिंग होती है.
ऑस्ट्रेलिया और भारत के प्रधानमंत्री G20 के अलावा QWAD और ईस्ट एशिया समिट में भी मिलते हैं. 
साल 1989 से ऑस्ट्रेलिया और भारत के मंत्रियों की जॉइंट कमीशन मीटिंग्स चल रही हैं. मार्च 2023 में ऐसी 18वीं मीटिंग हुई. इन मीटिंग्स में शिक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों पर बात होती है.
दिसंबर 2022 से ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इकॉनमिक कोऑपरेशन एंड ट्रेड एग्रीमेंट (ECTA) प्रभावी है. इससे दोनों देशों के बीच वित्तीय और व्यापारिक रिश्ते बेहतर हुए हैं.
साल 2021 में म्यूच्यूअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट हुआ. दोनों देशों के बीच नियमित रूप से सेनाभ्यास, कूटनीतिक वार्ता और ट्रेनिंग पर सहमति बनी. 
अगस्त 2023 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत, जापान और अमेरिका के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है. इसे ऑस्ट्रेलिया ने होस्ट किया था. 
मई 2022 में PM मोदी QWAD की मीटिंग में अपने समकक्ष से मिले थे. और इस साल भी मई में मोदी ऑस्ट्रेलिया गए थे. वहीं इसके पहले मार्च में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री भारत आए थे.

PM मोदी और ऑस्ट्रेलियाई PM एंथनी (फोटो सोर्स- Reuters)
पॉलिटिकल सिस्टम

ऑस्ट्रेलिया अभी भी ब्रिटिश कॉमनवेल्थ का हिस्सा है, इसलिए देश का मुखिया, UK का किंग या क्वीन होता है. क्वीन एलिजाबेथ II की मौत के बाद उनके बेटे किंग चार्ल्स III, ऑस्ट्रेलिया के राज्य प्रमुख हैं. एक गवर्नर जनरल की नियुक्ति, UK से ही होती है. लेकिन सरकार का संचालन ऑस्ट्रेलिया की संसद से होता है.  क्वीन एलिजाबेथ II की मौत के बाद ऑस्ट्रेलिया में ये बहस भी चलती है कि उसे ब्रिटिश कॉमनवेल्थ से बाहर आ जाना चाहिए और स्वयं में एक लोकतंत्र बनना चाहिए. 
ऑस्ट्रेलिया की संसद में दो सदन हैं. ऊपरी सदन को सेनेट कहा जाता है. इसमें 76 सदस्य होते हैं. सेनेट सदस्य 06 स्टेट और 02 टेरेटरिज़ का प्रतिनिधित्व करते हैं. निचले सदन को हाउस ऑफ़ रिप्रजेंटेटिव्स के नाम से जाना जाता है. निचले सदन में 151 सदस्य हैं. इस सदन के सदस्य इलेक्टोरल डिविजन्स के प्रतिनिधि होते हैं. हर इलेक्टोर डिविजन में लगभग बराबर वोटर्स होते हैं. प्रधानमंत्री निचले सदन के बहुमत से ही चुना जाता है. बहुमत के लिए कम-से-कम 76 सीटों की दरकार होती है.

आम स्थिति में हर तीन साल पर संसदीय चुनाव कराया जाता है. आम स्थिति का मतलब कि बीच में संसद भंग ना हुई हो या कोई और संकट ना आया हो. चुनाव में निचले सदन की सभी 151 सीटों और ऊपरी सदन की आधी सीटों के लिए वोटिंग होगी. ऐसा क्यों? क्योंकि सेनेट सदस्यों का कार्यकाल 06 बरस का होता है. ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि 03 बरस बाद आधे सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाता है. जनता दोनों सदनों के सदस्यों को चुनने के लिए वोट डालती है.

प्रधानमंत्री बनाने की पूरी ज़िम्मेदारी निचले सदन की होती है.
ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री निचले सदन में बहुमत दल के नेता होते हैं. वो सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री होते हैं. प्रधानमंत्री सरकार और कैबिनेट के मुखिया की भूमिका भी निभाते हैं. उनकी एक भूमिका गवर्नर-जनरल को सलाह देने की भी है. गवर्नर-जनरल प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं. प्रधानमंत्री का कार्यकाल 03 बरस का होता है. यही अवधि निचले सदन की भी है. अगर बहुमत दल ने समय से पहले बहुमत गंवा दिया तो पीएम को पहले भी पद से हटाया जा सकता है.

सरकार की कमान

ऑस्ट्रेलिया की सरकार की कमान, एंथनी अल्बनीज के हाथ में है. वो ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं. ऑस्ट्रेलिया की लेबर पार्टी के नेता एंथनी अल्बानीज़ ने अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को हराया. वो लिबरल पार्टी की तरफ से उम्मीदवार थे. इस चुनाव में छह प्रत्याशी पीएम पद की रेस में थे लेकिन मुख्य मुकाबला मॉरिसन और अल्बनीज के बीच ही था. मॉरिसन 2019 के चुनाव में भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाए थे और छोटी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.

पहली बार 1996 में संसद पहुंचे थे. वो 11 सालों तक विपक्ष में रहे. फिर केविन रुड के कार्यकाल में कुछ महीनों तक डिप्टी पीएम की भूमिका भी निभाई. एंथनी अल्बानीज़ ने इकॉनमिक्स की पढ़ाई की है. वो स्कूली दिनों से ही लेबर पार्टी से जुड़ गए थे.

फ़ैक्ट्स-
- एंथनी अल्बनीज ने 1991 में भारत का दौरा किया, तब वे छात्र राजनीति में सक्रिय थे. और साल 2018 में भी अल्बनीज भारत आए थे. तब वे ऑस्ट्रेलिया के संसदीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने आर्थिक, रणनीतिक संबंधों को और बेहतर करने की प्रतिबद्धता जताई थी. 
- PM मोदी और एंथनी अच्छे दोस्त बताए जाते हैं.
- ऑस्ट्रेलिया ने बीते महीने ही साफ़ कर दिया था कि PM एंथनी अल्बनीज, G20 समिट में हिस्सा लेने भारत आएंगे.

फुटनोट्स

ऑस्ट्रेलिया से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:
-ऑस्ट्रेलिया इकलौता देश है जो अपने आप में एक महाद्वीप भी है. 
-पैसिफ़िक में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए ऑस्ट्रेलिया पश्चिमी देशों का सबसे अहम पार्टनर है. 
-ऑस्ट्रेलिया ने यूके और अमेरिका के साथ ऑकस डील की है. जिसके तहत उसे परमाणु ऊर्जा से संचालित होने वाली पनडुब्बियां मिलेंगी.
-ऑस्ट्रेलिया उन चुनिंदा देशों में से है, जहां वोट डालना अनिवार्य है. वोटिंग रजिस्टर में नाम दर्ज़ नहीं कराने या वोट ना डालने पर जुर्माना लगाया जाता है.

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