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G20 Summit का मेहमान साउथ कोरिया: जहां जान बचाने भारत लड़ाई में उतरा था

सैमसंग, एलजी, हुंडई वाले साउथ कोरिया में तख़्तापलट का लंबा इतिहास रहा है. इस मुल्क में यूएस आर्मी अभी भी क्यों तैनात है? और, भारत-साउथ कोरिया संबंधों की पूरी कहानी क्या है?

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कोरियन वॉर की कुछ तस्वीरें, साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक-योल G20 समिट में शामिल होने आ रहे हैं. (फोटो सोर्स- विकिमीडिया और आजतक)

G20 Leaders Summit 09 और 10 सितंबर को नई दिल्ली (New Delhi) में आयोजित होने वाली है. उससे पहले हम आपको G20 परिवार के सदस्यों (G20 Countries) से आपका परिचय करा देते हैं. आज कहानी सैमसंग (Samsung) और स्क़्विड गेम (Squid Game) वाले साउथ कोरिया (South Korea) की. सबसे पहले नज़र ठीहे पर.

नक़्शेबाजी

साउथ कोरिया एशिया महाद्वीप के पूरब में बसा है. चीन की पूर्वोत्तर सीमा से एक पट्टी लगती है. ये दक्षिण की तरफ़ जाकर येलो सी और ईस्ट चाइना सी में मिलती है और पेनिनसुला यानी प्रायद्वीप का निर्माण करती है. पेनिनसुला ऐसे ज़मीनी इलाके को कहते हैं, जिसका तीन हिस्सा पानी से घिरा हो. हम जिसकी बात कर रहे हैं, वो कोरियन पेनिनसुला के नाम से जाना जाता है. 1948 तक ये पूरा एक साम्राज्य का हिस्सा था. बंटा तो ऊपर वाला हिस्सा हो गया नॉर्थ कोरिया और नीचे वाला कहलाया साउथ कोरिया. साउथ कोरिया की ज़मीनी सीमा सिर्फ़ नॉर्थ कोरिया से लगती है. जो उसका जन्मजात दुश्मन भी है. समंदर पार करके सबसे नजदीक में जापान और चीन हैं. और 2 हजार 413 किलोमीटर की समुद्री तटरेखा है.

फोटो सोर्स- गूगल

आबादी 05 करोड़ 20 लाख के करीब है.
दक्षिण कोरिया का समय भारत से साढ़े तीन घंटा आगे है. जह अपने यहां 12 बजते हैं तो वहां साढ़े तीन बजते हैं.
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल है. यही सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर भी है. यहीं से मुल्क की सरकार चलती है. नई दिल्ली से सियोल की दूरी लगभग 46 सौ किलोमीटर है.

हिस्ट्री का क़िस्सा

पुरातत्वविद दावा करते हैं, कोरियाई लोगों के पुरखे मंगोलिया और साइबेरिया से आए थे. पहले साम्राज्य का नाम ओल्ड सोशुन था. उनका शासन चीन तक फैला हुआ था. 108 ईसापूर्व में चीन ने उन्हें हरा दिया. साम्राज्य तीन टुकड़ों में बंट गया. 

936 ईसवी में एक प्रतापी कुलीन हुए, वोन्ग कॉन. उन्होंने कोरिया को एकीकृत किया. कोरयो साम्राज्य की नींव रखी. 1392 में इसका पतन हो गया. फिर यी फ़ैमिली ने चोसोन किंगडम बनाया.

1894 में कोरिया में विद्रोह हुआ. विद्रोह की वजह से कोरियन एम्पायर खोखला हो चुका था. विदेशी ताक़तों को लगा, ये इलाका हमारा हो सकता है. चीन और जापान ने सेना भेजी. फिर रूस भी आया. उनके बीच लड़ाई चली. 1910 में जापान जीत गया. कोरिया उसके अधीन चला गया.

जापान का कब्ज़ा दूसरे विश्वयुद्ध तक रहा. अगस्त 1945 में परमाणु बम हमले के बाद उसने सरेंडर कर दिया. कोरिया से निकल गया. लेकिन विजेता देश बने रहे. अमेरिका वाले साउथ वाले हिस्से में थे. सोवियत संघ नॉर्थ में था. दोनों तरफ़ के निर्णायक लोग पूरे कोरिया पर अपना दावा पेश कर रहे थे. यूएन में भी मामला नहीं सुलझा. फिर 1948 में यूएन की निगरानी में साउथ में चुनाव कराए गए. नॉर्थ ने इसका बायकॉट किया. नतीजा मानने से मना कर दिया.

15 अगस्त 1948 को साउथ वालों ने रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया की नींव रखी. ये आगे चलकर साउथ कोरिया कहलाया.
09 सितंबर 1948 को नॉर्थ में डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया की स्थापना की गई. इसे हम नॉर्थ कोरिया के नाम से जानते हैं.

1950 में नॉर्थ कोरिया ने साउथ पर कब्ज़े के इरादे से हमला किया. कोरियन वॉर शुरू हुआ. 25 लाख से अधिक लोग मारे गए. 1953 में संघर्षविराम हो गया. मगर कभी औपचारिक तौर पर युद्ध खत्म नहीं हुआ. नॉर्थ और साउथ कोरिया बंटे रहे. युद्ध दोबारा शुरू होने की आशंका बनी रहती है. इसी वजह से अमेरिका ने साउथ कोरिया में सैनिकों की तैनाती बरकरार रखी है.

साउथ कोरिया को दूसरे मामलों में भी अमेरिका का सपोर्ट मिला. उसकी बदौलत तरक्की हुई. हालांकि, 1988 तक का दौर तख़्तापलट और विद्रोह से गुंथा रहा. 1988 में पहली बार निष्पक्ष चुनाव हुए. उसके बाद हालात सामान्य हुए.

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पैसे वाली बात

करेंसी का नाम है, साउथ कोरियन वॉन.
इंटरनैशनल मॉनिटरी फ़ंड (IMF) के मुताबिक, जीडीपी 1.72 ट्रिलियन डॉलर है. भारतीय रुपये में लगभग 140 लाख करोड़ रुपये. 
प्रति व्यक्ति आय लगभग 25 लाख रुपये है. भारत से दस गुना ज़्यादा.

लेन-देन-
कोरियन इंटरनैशनल ट्रेड एसोसिएशन (KITA) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में दोनों देशों के बीच लगभग 02 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ.

भारत ने लगभग 70 हज़ार करोड़ रुपये का निर्यात किया.
क्या निर्यात किया गया?
खनिज तेल, डिस्टिलेट्स, अनाज, लोहा, स्टील आदि.

इसी अवधि में साउथ कोरिया ने 01 लाख 30 हज़ार करोड़ का सामान भारत को बेचा. माने दक्षिण कोरिया के साथ बिज़नेस में हम व्यापार घाटा उठा रहे हैं, ट्रेड डेफिसिट है. 

भारत ने दक्षिण कोरिया से क्या आयात किया? 
ऑटोमोबाइल पार्ट्स, टेलीकॉम इक़्विपमेंट्स, पेट्रोलियम रिफ़ाइंड प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी आदि.

सामरिक रिश्ते

जब कोरियन वॉर चल रहा था, तो उसमें भारत ने भी हिस्सा लिया था. भारत द्वारा भेजी गई कस्टोडियन फोर्सेज़ ऑफ इंडिया ने लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया. इनका काम था युद्ध की विभीषिका के बीच 23 हज़ार युद्धबंदियों की सुरक्षा करना. और ये सुनिश्चित करना, कि वो अपने खेमे में सुरक्षित लौटें. सेना ने 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस को कोरिया भेजा, ताकि ज़ख्मियों का इलाज हो सके. इस टुकड़ी में वो मेडिकल कोर के वो जवान और अफसर होते हैं, जो पैराट्रूपर भी होते हैं.  

युद्ध रुकने के बाद भारत की फौज लौट आई. और क्रमशः दोनों नए देशों से राजनयिक संबंध भी स्थापित हुए. दक्षिण कोरिया से फ़ुलटाइम डिप्लोमेटिक रिलेशंस की शुरुआत 1973 में हुई. 

तब से रिश्ते बेहतर ही हुए हैं. साउथ कोरिया ने भारत में बड़ा निवेश किया है. एलजी, सैमसंग और हुंडई जैसी कंपनियों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स लगाए हैं. कई भारतीय कंपनियों ने भी साउथ कोरिया में निवेश किया है.

2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम स्टेट विजिट पर साउथ कोरिया गए थे. उसी दौरान कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CEPA) पर दस्तखत हुए.

2010 के गणतंत्र दिवस समारोह में साउथ कोरिया के तत्कालीन प्रेसिडेंट ली म्यूंग-बाक को चीफ़ गेस्ट बनाया गया. इस दौरे पर दोनों देशों के रिश्ते और मज़बूत हुए.

2012 में भारत ने साउथ कोरिया से आठ युद्धपोत खरीदने की योजना बनाई थी. हालांकि, बात बन नहीं सकी. वैसे भारत और साउथ कोरिया मिलिटरी इक्विपमेंट्स और हथियारों की तकनीक भी साझा करते हैं. दोनों देश साथ में युद्धाभ्यास भी कर चुके हैं.

मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो बार साउथ कोरिया का दौरा किया है. पहली बार 2015 में और दूसरी बार 2019 में.

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पॉलिटिकल सिस्टम

सेमी-प्रेसिडेंशियल सिस्टम है.
राष्ट्रपति भी हैं और प्रधानमंत्री भी. लेकिन असली पावर राष्ट्रपति के पास है.
राष्ट्रपति हेड ऑफ़ द स्टेट होते हैं.
कार्यपालिका की कमान उनके पास है.
सशस्त्र सेना के कमांडर भी राष्ट्रपति हैं.
वो युद्ध और शांति की घोषणा भी कर सकते हैं.

राष्ट्रपति का चुनाव डायरेक्ट वोटिंग के जरिए होता है. यानी, जनता सीधे राष्ट्रपति चुनती है.

विधायिका की शक्ति संसद के पास है. संसद में एक सदन है. संसद का नाम कोरियन नेशनल असेंबली (KNA) है.

न्यायपालिक स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ी संस्था है. उसने कई मौकों पर पूर्व राष्ट्रपतियों को जेल भेजा है.

सरकार की कमान

राष्ट्रपति योन सोक-योल हैं. मई 2022 में राष्ट्रपति बने थे. मून जे-इन की जगह ली. योन की पार्टी का नाम पीपुल पावर है. ये 2020 में बनी थी. कई दूसरी पार्टियों का मर्जर करके. इन्हें दक्षिणपंथी विचारधारा का माना जाता है. योन सोक-योल उनके प्रतिनिधि हैं.

क्या कहानी है उनकी?

योन दक्षिण कोरिया के 13वें राष्ट्रपति हैं. पेशे से वकील हैं. 2019 से 2021 तक प्रॉसीक्यूटर जनरल के तौर पर काम किया. वकालत की पढ़ाई सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी से की. योल ने बार के एग्जाम का पहला पेपर पास कर लिया था. लेकिन दूसरे में फेल हो गए. वो 9 साल तक इसमें पास नहीं हो पाए. वजह, उन्होंने एक आर्मी जनरल के ख़िलाफ़ मॉक ट्रायल आयोजित किया था. आखि़रकार, 1991 में पास हो सके. तब तक साउथ कोरिया में मिलिटरी रूल खत्म हो चुका था. साउथ कोरिया में मिलिटरी सर्विस अनिवार्य है. मगर अनिसोमेट्रोपिया के चलते उन्हें छूट मिली. ये आंख की बीमारी है. 

साउथ कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे और ली म्यूंग-बाक को दोषी ठहराने में योन की महत्वपूर्ण अहम भूमिका रही. प्रॉसीक्यूटर जनरल रहते हुए उनका तत्कालीन राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे के साथ ज़बरदस्त टकराव हुआ था. पार्क पर भ्रष्टाचार के आरोप थे. बाद में ये आरोप सिद्ध भी हुए. इसने योन की लोकप्रियता बढ़ा दी. जिसका फायदा उन्हें 2022 के चुनाव में हुआ.

योन G20 समिट के लिए भारत आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वो अंतरराष्ट्रीय समुदाय से नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियारों से उपजे खतरे, उसकी धमकियों और निरस्त्रीकरण पर मिलकर काम करने की अपील करेंगे.

फ़ैक्ट्स

- साउथ कोरिया 03 हज़ार से अधिक छोटे-छोटे द्वीपों से मिलकर बना है. लगभग 500 ऐसे द्वीप हैं, जहां इंसानों की बसाहट नहीं है.

- मशहूर म्यूजिक बैंड BTS साउथ कोरिया का ही है.

- गंगनम स्टाइल गाना याद है! गंगनम असल में राजधानी सियोल में एक ज़िले का नाम है.

- एक ऐतिहासिक कथा चलती है कि 48 ईस्वी में अयोध्या से एक राजकुमारी ने कोरिया के राजा से शादी की थी.

- रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी एक कविता में कोरिया को लैम्प ऑफ़ द ईस्ट का नाम दिया था.

फुटनोट्स

- साउथ कोरिया की रक्षा और विदेश नीति में अमेरिका का दखल आज तक बरकरार है. सरकार इस निर्भरता को कम करना चाहती है.
- साउथ कोरिया की विदेश नीति की प्राथमिकता नॉर्थ कोरिया से चल रहे टकराव को खत्म करना है. 2018 में इसकी पहल भी हुई थी. तब नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन और साउथ कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति मून जे-इन ने मीटिंग भी की थी. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी.
- नॉर्थ कोरिया के अलावा साउथ कोरिया का चीन और जापान से भी झगड़ा चलता है.  अमेरिका, चीन और जापान का कॉमन फ़्रेंड है. उसने तकरार कम करने की कोशिश की है. हालांकि, मनमुटाव मिटा नहीं है.

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