09 और 10 सितंबर को नई दिल्ली (New Delhi) में G20 Leaders Summit आयोजित होने वाली है. उससे पहले हम G20 परिवार के सदस्यों (G20 Countries) से आपका परिचय करा देते हैं. आज चीन (China) की कहानी पढ़िए.
G20 के देश: एक सदी तक अपमान झेला, फिर महाशक्ति बन अमेरिका को टक्कर देने वाले चीन की कहानी
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने G20 Leaders Summit में हिस्सा लेने से मना कर दिया है. उनकी जगह पर कौन हिस्सा लेंगे?
नक़्शेबाज़ी
चीन, भारत के उत्तर में है. इसके पूरब में समंदर है. बाकी तरफ़ ज़मीन है.
1963 में पाकिस्तान ने POK का कुछ हिस्सा चीन को सौंप दिया था. इस तरह पाकिस्तान भी चीन का एक पड़ोसी हुआ और कुल पड़ोसियों की संख्या हुई 14. लेकिन भारत इसे अवैध कब्ज़ा मानता है. हमारे हिसाब से चीन के 13 ही पड़ोसी हैं - भारत, नेपाल, भूटान, म्यांमार, वियतनाम, लाओस, नॉर्थ कोरिया, रूस, मंगोलिया, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान.
आबादी लगभग 143 करोड़ है. यूनाइटेड नेशंस ने अप्रैल 2023 में दावा किया कि चीन आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका वन चाइल्ड पॉलिसी की रही है. हालांकि, ये चीन के लिए मुसीबत बन गई है.
चीन क्षेत्रफल के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है. रूस और कनाडा के बाद.
राजधानी बीजिंग है. नई दिल्ली से हवाई मार्ग से दूरी लगभग 3,800 किलोमीटर है.
चीन का ज्ञात इतिहास कम से कम 09 हज़ार साल पुराना है. ये दुनिया की चार सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है. बाकी तीन हैं- मेसोपोटामिया, मिस्र और सिंधु घाटी.
1911 से पहले तक चीन में राजशाही थी. फिर सन यात सेन ने चिंग वंश के आख़िरी राजा को गद्दी से उतार दिया. गणतंत्र की नींव रखी.
10 बरस बाद मॉस्को से व्लादिमीर लेनिन के कुछ एजेंट चीन आए. अपने साथ कम्युनिज़्म लाए. चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की स्थापना की. पहली बैठक में बुलाए लोगों में एक टीचर भी था. जो आगे चलकर चीन का भविष्य बदलने वाला था. उसका नाम था, माओ ज़ेदोंग. जिस वक़्त CCP बनी, तब चीन में सिविल वॉर चल रहा था. सन यात सेन की कुओमिनतांग (KMT) को शासन चलाने का मौका नहीं मिल रहा था. तब उन्होंने CCP से हाथ मिलाया. 1925 में सन यात सेन की मौत हो गई. कमान च्यांग काई शेक के पास आई. उनको कम्युनिस्टों से नफ़रत थी. उनके बीच झगड़ा चला. अक्टूबर 1949 में KMT हार गई. उनका नेता था, च्यांग काई शेक. वो सारा साजो-सामान लेकर ताइवान चले गए. चीन, ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है.
इधर माओ ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) की नींव रखी. CCP ही सरकार बन गई. माओ सुप्रीम लीडर बने. 1976 में मौत तक सर्वेसर्वा बने रहे. कुर्सी बचाने के लिए कई सनकी फ़ैसले किए. तीन को याद रखा जाता है. हंड्रेड फ़्लावर्स मूवमेंट, ग्रेट लीप फ़ॉवर्ड और कल्चरल रेवोल्युशन. माओ ने कहा कि बीती एक सदी से चीन को विदेशी शासकों (जापान और पश्चिम) ने दबाए रखा. इसीलिए वो पिछड़ता रहा. माओ ने इस दौर को द सेंचुरी ऑफ ह्यूमिलिएशन नाम दिया. और कहा, इस दौर में हुए किसी संधि या समझौते को चीन नहीं मानेगा, क्योंकि ये सब एकतरफा थे. माओ ने इसी कथित ह्यूमिलिएशन को दूर करने का बीड़ा उठाया था.
माओ के बाद आए डेंग जियाओपिंग 1978 से 1989 तक सुप्रीम लीडर रहे. उन्होंने चीन को बाकी दुनिया के लिए खोला. उन्हें आधुनिक चीन के इतिहास का दूसरा सबसे निर्णायक नेता माना जाता है.
जहां तक शी जिनपिंग की बात है, वो 2012 से सुप्रीम लीडर हैं. आजीवन बने रहने का इंतज़ाम कर लिया है. जानकार कहते हैं अगर ऐसा ही चला तो वो माओ और जियाओपिंग को पीछे छोड़ देंगे.
पैसे वाली बातकरेंसी का नाम युआन है.
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है.
इंटरनैशनल मॉनिटरी फ़ंड (IMF) की वेबसाइट पर छपी जानकारी के मुताबिक, चीन की जीडीपी 19.37 बिलियन डॉलर है. भारतीय रुपयों में 1 हज़ार 607 लाख करोड़.
प्रति व्यक्ति आय लगभग 11 लाख 35 हज़ार रुपये है. भारत से पांच गुना ज्यादा.
लेन-देनभारत-चीन के बीच कितना व्यापार होता है?
मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स के मुताबिक, 2021-22 में लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ.
भारत ने 02 लाख करोड़ का सामान चीन को बेचा.
जबकि 08 लाख करोड़ का सामान चीन से खरीदा.
यानी, आयात, निर्यात से 06 लाख करोड़ रुपये ज़्यादा रहा. इसको अंग्रेज़ी में ट्रेड डेफ़िसिट या व्यापार घाटा बोलते हैं.
भारत क्या मंगाता है?
- इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक के सामान, ऑर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक आइटम आदि.
चीन क्या खरीदता है?
- मिनरल ऑयल, लौह अयस्क, रिफ़ाइंड कॉपर, मछली, नमक आदि.
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सामरिक रिश्ते
भारत ने हमेशा से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) को मान्यता दी है.
अप्रैल 1950 में डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित हुए.
1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चीन के दौरे पर गए. माओ से मिले. माओ कभी भारत नहीं आए. हालांकि, उनके प्रीमियर चाऊ एन लाई ने कई दफा भारत का दौरा किया.
1962 में चीन ने भारत पर हमला किया. भारत को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए.
1993 में नरसिम्हा राव चीन गए. उस दौरे पर लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर समझौता हुआ. मगर चीन उस पर कायम नहीं रहा है.
भारत ब्रिक्स, SCO और G20 जैसे संगठनों में चीन के साथ बना हुआ है.
मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई 2015 में पहली बार चीन के दौरे पर गए थे. अब तक 05 बार जा चुके हैं. जून 2018 के बाद से नहीं गए हैं. शी जिनपिंग आख़िरी बार अक्टूबर 2019 में आए थे. दोनों नेताओं की आख़िरी मुलाक़ात जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स समिट के दौरान हुई थी.
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पोलिटिकल सिस्टमचीन वन-पार्टी स्टेट है. कम्युनिस्ट पार्टी ही सरकार चलाती है.
जनरल-सेक्रेटरी पार्टी के सबसे बड़े अधिकारी होते हैं. उनका चुनाव नेशनल कांग्रेस की बैठक में किया जाता है. ये बैठक पांच बरस में एक बार होती है. नेशनल कांग्रेस आख़िरी दफा अक्टूबर 2022 में बैठी थी.
ये तो हुई पार्टी की बात. सरकार की कमान राष्ट्रपति के पास होती है. राष्ट्रपति सरकार के साथ-साथ स्टेट के भी मुखिया होते हैं. अधिकतर मौकों पर CCP के जनरल-सेक्रेटरी ही राष्ट्रपति होते हैं, जैसे अभी शी जिनपिंग हैं.
चीन में राष्ट्रपति का चुनाव नेशनल पीपल्स कांग्रेस (NPC) करती है. NPC चीन की संसद है. इसके सदस्यों का चुनाव 05 बरस के लिए होता है. इसकी बैठक हर साल होती है. ये नेशनल कांग्रेस से अलग है. NPC की आख़िरी बैठक मार्च 2023 में हुई थी.
सरकार की कमानशी जिनपिंग अक्टूबर 2012 में जनरल-सेक्रेटरी बन गए थे. मार्च 2013 में उन्हें राष्ट्रपति बना दिया गया. तब से वो कुर्सी पर बने हुए हैं. अक्टूबर 2022 में उन्हें जनरल-सेक्रेटरी और मार्च 2023 में राष्ट्रपति का तीसरा टर्म मिला था. आमतौर पर CCP में 68 बरस की उम्रसीमा है. जिनपिंग तीसरा टर्म लेते टाइम 68 की सीमा पार कर चुके थे. उम्र थी 69 बरस.
चीन में राष्ट्रपति के पद पर दो टर्म का नियम था. माने एक व्यक्ति दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रह सकता है. शी जिनपिंग ने इस सीमा को हटा दिया. माने वो चाहें, तो आजीवन राष्ट्रपति बने रह सकते हैं.
जिनपिंग की कहानी क्या है?पिता माओ की सेना में थे. सांस्कृतिक क्रांति के दौरान नौजवान जिनपिंग को एक सुदूर गांव में मज़दूरी के लिए भेज दिया गया. माओ की मौत के बाद जिनपिंग वापस लौटे. साथ में उनका जीवन भी ट्रैक पर आया. पार्टी में पनपे. फुजियान और शंघाई में गवर्नर के तौर पर काम किया. 2000 के दशक में जिनपिंग CCP के पोलितब्यूरो में जगह बनाने में कामयाब हुए. 2012 में पार्टी के जनरल-सेक्रेटरी बन गए. उसके बाद से उनकी स्थिति मज़बूत ही हुई है. इसके बावजूद उन्होंने आज तक एक भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस नहीं की है, सिर्फ अपने फ़ैसले सुनाए हैं.
पार्टी की मीटिंग्स में दिए गए भाषण महीनों बाद पब्लिक डोमेन में आते हैं. वो भी एडिटेड फ़ॉर्म में. उनके परिवार के बारे में शायद ही कभी मीडिया में बात होती है. जिनपिंग के बारे में जितनी जानकारी उपलब्ध है, उनमें से अधिकतर सरकारी मीडिया ने रिलीज की हैं. इनमें उनका बखान किया जाता है.
शी जिनपिंग ने भारत में आयोजित G20 लीडर्स समिट में आने से मना कर दिया है. उनकी जगह प्रीमियर ली चियांग हिस्सा लेंगे.
फै़क्ट्स- चीन आबादी और जीडीपी के मामले में दुनिया का दूसरा और एरिया में तीसरा सबसे बड़ा देश है.
- ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना 20 हज़ार किलोमीटर से भी अधिक लंबी है.
- काग़ज, प्रिंटिंग प्रेस, बारूद और कम्पस का आविष्कार चीन में हुआ.
- चाय की खोज भी चीन में ही हुई थी.
- कोरोना महामारी की शुरुआत चीन के वुहान से हुई थी.
फ़ुटनोट्स- चीन दुनिया की राजनीति को दो ध्रुवों में बांटने की फ़िराक़ में है. जहां एक तरफ़ अमेरिका होगा, दूसरी तरफ़ चीन.
- मार्च 2023 में ईरान और सऊदी अरब के बीच दोस्ती करा चीन ने ग्लोबल पोलिटिक्स में अपनी जगह मज़बूत की है.
- ग्लोबल साउथ का लीडर बनने के लिए चीन सबसे मज़बूत दावेदार बनकर उभरा है.
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