The Lallantop

डॉनल्ड ट्रंप की जीत की पूरी कहानी!

2016 में ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन को हराया. 4 साल राष्ट्रपति रहे. 2020 में रिपब्लिकन पार्टी ने एक बार फिर उनपर ही दांव खेला. लेकिन इस बार उन्हें जो बाइडन से हार का सामना करना पड़ा. अब 4 साल बाद फिर ट्रम्प की वापसी होने वाली है. वो दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं.

post-main-image
2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप की तस्वीर (फ़ोटो-सोशल)

जीवन और राजनीति का बाज़ीगर वही है जो खुद पर फेंके गए पत्थरों से मकान बना ले. 5 नंवबर 2024 की तारीख दुनिया के इतिहास में इसी रूप में याद की जाएगी. जब हार के बाद, हार के विलाप और बग़ावत के बाद 78 साल के इस आदमी ने दोबारा चुनाव लड़ा, चतुराई से चुनाव लड़ा और एक बार फिर डेमोक्रैटिक पार्टी को पटक दिया. डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे, ये तय हो गया है. ताज़ा जानकारी के अनुसार कुल 538 इलेक्टोरल वोट में उन्हें 277 इलेक्टोरल वोट मिल चुके हैं. बहुमत से 7 ज़्यादा. उनकी प्रतिद्वंदी कमला हैरिस अब तक 224 वोट पाने में ही कामयाब हो पाई हैं. इस रिज़ल्ट के आने के बाद डॉनल्ड ट्रंप अपने समर्थकों के बीच आए. कहा, अमेरिका ने इतिहास रच दिया है.

इस बार का अमेरिकी चुनाव किसी थ्रिलिंग अमेरिकी फिल्म से कम नहीं रहा. 13 जुलाई 2024 को ट्रंप पर गोली चलना, 21 जुलाई को बाइडन का बीच रेस से हटना, फिर कमला को डेमोक्रैटिक पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाना, भद्दी टिप्पणियां, और न जाने क्या-क्या इस चुनाव का हिस्सा बना. लेकिन अब हर तरफ ट्रंप की जीत के चर्चे हैं.  लेकिन डॉनल्ड ट्रंप की इस जीत की पूरी कहानी क्या है? और, ट्रंप की वापसी से दुनिया कैसे बदलेगी? और, ट्रंप की जीत के बाद अमेरिका में अब आगे क्या होने वाला है? आइए एक-एक कर सब समझते हैं.  

चुनाव का रिकैप

अमेरिका में चुनाव की प्रक्रिया साल भर पहले से शुरू हो जाती है. सबसे पहले पार्टी के उम्मीदवारों को अपनी उम्मीदवारी पक्की करनी होती है. पिछले साल दिसंबर से ये प्रक्रिया शुरू हो गई. ट्रम्प के सामने 2 बड़े नाम थे. साउथ कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली और फ्लोरिडा के मौजूदा गवर्नर रॉन डेसेंटिस. लेकिन प्राइमरी इलेक्शन में ट्रम्प ने इन्हें पीछे छोड़ दिया. इस साल की शुरुआत में ही लगभग साफ़ हो गया था कि रिपब्लिकन पार्टी से डॉनल्ड ट्रंप ही उम्मीदवार होंगे.

वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी ने शुरू से ही जो बाइडन को आगे रखा. प्राइमरी में उनकी जीत तो हुई लेकिन उनकी बढ़ती उम्र पर सवाल भी उठे. उस वक्त पार्टी के अंदर ही कुछ लोगों ने दबी ज़ुबान में विरोध भी जताया लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ. 

जून-जुलाई 2024

 इस महीने 27 तारीख को पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट आयोजित की गई. CNN पर. इसमें ट्रम्प ने बाइडन को बुरी तरह हरा दिया. इसके बाद बाइडन पर उम्मीदवारी छोड़ने के लिए दबाव बनाया गया. 21 जुलाई को बाइडन ने कहा मैं रेस से हट रहा हूं. उन्होंने कमला हैरिस के नाम को आगे बढ़ाया. कुछ दिनों में हिलेरी क्लिंटन, बराक ओबामा जैसे नेताओं ने भी उनको समर्थन दे दिया.

एक छोटा सा फ्लैशबैक लेते हैं. 15 जुलाई को रिपब्लिकन पार्टी का नेशनल कन्वेंशन होना तय था. यहां ट्रम्प को आधिकारिक रूप से उम्मीदवार घोषित किया जाना था. इसके महज़ 2 दिन पहले ऐसी घटना हुई जिसने चुनाव की दिशा और दशा बदल दी. क्या हुआ इस दिन? डॉनल्ड ट्रंप की हत्या का प्रयास हुआ. उनपर गोली चली. वो पेंसिल्वेनिया के बटलर शहर में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे. गोली उनके कान को छूकर निकली और एक बड़ी अनहोनी टल गई. 2 दिन बाद ट्रम्प पार्टी के नेशनल कन्वेंशन में पहुंचे. उनकी कान पर पट्टी लगी हुई थी. यहां उनका हीरो की तरह स्वागत किया गया. यहां उनकी उम्मीदवारी पक्की हुई. JD वेंस को उनका रनिंग मेट बनाया गया. यानी वाइस प्रेसिडेंट पद का उम्मीदवार.

अगस्त-सितम्बर 2024  

फिर 19 से 22 अगस्त तक डेमोक्रेटिक पार्टी का नेशनल कन्वेंशन चला. इसमें कमला की उम्मीदवारी पक्की हो गई. टिम वाल्ज़ को रनिंग मेट बनाया गया. माने अगर कमला जीतती तो टिम उपराष्ट्रपति बनते. अब कमला और ट्रम्प आधिकारिक रूप से आमने सामने थे. गोली वाले कांड से ट्रम्प के लिए हमदर्दी बढ़ गई थी. वहीं कमला की नई-नई उम्मीदवारी कोई ख़ास काम नहीं कर रही थी. चुनावी सर्वे में भी ट्रम्प आगे निकल गए.

Kamala Harris
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस (फ़ोटो-AFP)

फिर आई 10 सितंबर की तारीख. ABC न्यूज़ के स्टूडियो में कमला और ट्रम्प आमने सामने थे. मौका था दूसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट का. कमला के लिए ये पहली डिबेट थी. लोगों ने कहा ट्रम्प उन्हें आसानी से हरा देंगे. लेकिन कमला ने ट्रम्प को कड़ी टक्कर दी. अबोर्शन और महिलाओं के मुद्दे पर ट्रम्प को घेरा. इस डिबेट से कमला ने चुनाव में वापसी की. सितंबर से लेकर वोटिंग वाले दिन तक लगभग सभी चुनावी सर्वेस में कमला, ट्रम्प को मजबूत चुनौती देते नज़र आईं.

इन सबके बीच एक अहम घटना ये भी थी कि कमला की उम्मीदवारी से एक बार फिर डेमोक्रैटिक पार्टी का खजाना भरने लगा था. चुनावी फंड के रूप में.

5 नवंबर 2024

अमेरिका की जनता ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले. ज़्यादातर स्टेट में वोटिंग सुबह 6 बजे से शुरू हुई और शाम 6 बजे तक चली. अब तक गिनती जारी है. ताज़ा अपडेट के मुताबिक वो 277 इलेक्टोरल वोट हासिल कर चुके हैं. यानि उनकी जीत हो चुकी है. बस आधिकारिक घोषणा ही बाकी है.

कैसे जीते ट्रम्प?

ट्रम्प ने सातों स्विंग स्टेट में उम्दा प्रदर्शन किया है. आइए एकदम ब्रीफ़ में सातों स्विंग स्टेट का चुनावी गणित समझ लेते हैं.

नंबर 1. मिशिगन- यहां कुल 15 इलेक्टॉरल वोट हैं. ऐतिहासिक रूप से ये स्टेट डेमोक्रेट्स के साथ रहा है. पर 2016 में डॉनल्ड ट्रंप ने यहां बाज़ी मारी ली थी. भदेस में कहें तो स्टेट लाल ले लाल हो गया था.
हालांकि 2020 में बाइडन ने इसका रंग बदलकर ब्लू कर डाला. अब फिर ये स्टेट ट्रम्प की तरफ जाता दिख रहा है. शो रिकॉर्ड करते समय तक 95 फीसदी वोट की गिनती हो चुकी है. इसमें ट्रम्प आगे दिख रहे हैं. यहां लगभग ढाई लाख मुसलमान रहते हैं. अब तक मुसलामानों का बड़ा वोट डेमोक्रेट्स को जाता था. लेकिन गाज़ा वॉर के चलते मुसलमान, बाइडन की नीतियों से नाराज़ थे. इसलिए ट्रम्प ने इस बार इस स्टेट में काफी फोकस किया. यहां तक कि अपनी आखिरी चुनावी सभा यहीं संबोधित की.

नंबर 2. पेंसिलवेनिया- यहां कुल इलेक्टोरल वोट 19 हैं. ट्रम्प इस स्टेट को जीत चुके हैं. ऐतिहासिक रूप से, ये स्टेट भी डेमोक्रेट्स का रहा है. पर ट्रम्प ने साल 2016 में यहां मामूली अंतर से जीत हासिल की थी. 2020 में बाइडन ने इसे फिर जीता. अब फिर एक बार ये ट्रम्प के खाते में आ गया है. कमला को पेंसिलवेनिया से बहुत उम्मीदें थीं. उन्होंने यहां कई सभाएं कीं. आखिरी चुनावी भाषण भी यहीं दिया था.

Candidates of US Elections
2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दोनों उम्मीदवार (फ़ोटो-AFP)

नंबर 3. विस्कॉन्सन- कुल 10 इलेक्टोरल वोट हैं यहां. 2016 में ट्रम्प और 2020 में बाइडन ने यहां जीत हासिल की थी. अब एक बार फिर ये स्टेट ट्रम्प के खाते में आ गया है.

नंबर 4. एरिज़ोना- यहां कुल 11 इलेक्टोरल वोट हैं. ऐतिहासिक रूप से ये रिपब्लिकन राज्य रहा है. पर 2020 में बाइडन ने यहां बाज़ी मार ली थी. फिलहाल यहां ट्रम्प आगे चल रहे हैं.

नंबर 5. जॉर्जिया- यहां कुल 16 इलेक्टोरल वोट हैं. 2016 में ट्रम्प और 2020 में बाइडन ने यहां जीत हासिल की थी. अब यहां भी ट्रम्प की वापसी हुई है. यहां की 33 फीसदी आबादी ब्लैक अमेरिकन्स की है.
नंबर 6. नॉर्थ कैरोलाइना- यहां कुल 16 इलेक्टोरल वोट हैं. रिपब्लिकन की तरफ झुकाव है. 2016 और 2020 में ट्रम्प ने यहां जीत हासिल की थी. 2024 में भी ट्रम्प यहां से जीत गए हैं.  

नंबर 7. नेवाडा- यहां कुल 6 इलेक्टोरल वोट हैं. अमूमन यहां के लोग डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट देते हैं. बाइडन ने 2020 में बहुत ही मामूली अंतर से ये राज्य जीता था. अब ट्रम्प ने यहां बढ़त बनाई हुई है.

ट्रम्प की जीत में किन मुद्दों ने काम किया? 

नंबर 1. अर्थव्यवस्था- जानकार कहते हैं कि इस चुनाव में अर्थव्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. बाइडन ने जब राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली तब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही थी. कई देशों की तरह अमेरिका में भी कुछ हफ़्तों का लॉकडाउन लगाया गया था. इससे अमेरिका के लोकल बिज़नेस पर असर हुआ. महंगाई बढ़ी. उनके दौर में औसत महंगाई की दर 5 फीसद से ज़्यादा रही है.    

नंबर 2. गर्भपात- जून 2022 में अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया था. ये फैसला तो सुप्रीम कोर्ट ने दिया था लेकिन इसके आरोप ट्रम्प पर लगे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जिन जजों ने ये फैसला सुनाया था, उनकी नियुक्ति ट्रंप के कार्यकाल में ही हुई थी. जब गर्भपात का अधिकार खत्म करने का फैसला आया तो ट्रम्प ने इस फैसले का स्वागत भी किया. इस कारण ट्रम्प की आलोचना भी हुई. फिर ट्रम्प ने कहा कि राज्यों के पास अधिकार है. वो अपने हिसाब से कानून बना सकते हैं. इसे डेमोक्रेट्स ने चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की. कमला ने इसके नाम पर वोट मांगे. प्रेसीडेंशियल डिबेट में ट्रम्प को घेरने की भी कोशिश की. कई राज्यों में ये मुद्दा सबसे ऊपर रहा.

नंबर 3. इमिग्रेशन- ट्रम्प ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की. लगभग हर चुनावी सभा में इसका ज़िक्र किया. कहा कि अमेरिका में बाहरी लोग गैर-कानूनी तरीके से आते हैं. देश के संसाधनों को खर्च करते हैं. इसलिए देश में बेरोज़गारी बढ़ रही है. उन्होंने चुनावी सभा में कई भ्रामक दावे भी किए. एक बार तो कहा कि बाहर से आए लोग पालतू कुत्ते बिल्लियों को खा रहे हैं. इस तरह के दावों का स्वतंत्र मीडिया ने फैक्ट चेक भी किया.

नंबर 4. स्टेट ऑफ़ डेमोक्रेसी- अमेरिका की एक बड़ी आबादी ने लॉ एंड आर्डर पर सवाल उठाए. कईयों ने कहा कि देश में लोकतंत्र नहीं है. हम इसी मुद्दे पर वोट देंगे. डेमोक्रेट्स ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की. हालांकि कामयाब नहीं हो पाए.

नंबर 5. विदेशों में जंग- गाज़ा और यूक्रेन में चल रही जंग भी चुनावी मुद्दा बना. अमेरिका यूक्रेन और इज़रायल को लड़ने के लिए हथियार और पैसा सप्लाई कर रहा है. अमेरिका का एक धड़ा इसके ख़िलाफ़ था. अमेरिका की कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ में गाज़ा में चल रही जंग को खत्म करने के लिए प्रोटेस्ट भी हुए.

ट्रंप की जीत के मायने 

ट्रम्प की ये जीत ऐतिहासिक बताई जा रही है. इस चुनाव में उन्होंने अपने करियर के सबसे ज़्यादा वोट हासिल किए हैं. 2016 में उनका वोट परसेंटेज लगभग 46% था. वहीं 2020 में उनको लगभग 47 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन इस चुनाव में अब तक उन्होंने लगभग 51% से ज़्यादा वोट हासिल कर लिए हैं. ये पिछले चुनावों की तुलना में लगभग 5 फीसद का जंप है. इसका दुनिया पर क्या असर पड़ेगा? पॉइंट्स में समझिए.

- डॉनल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि उनकी वापसी हुई तो विदेश में चलने वाली जंग खत्म कर देंगे. इस समय दुनिया में 2 बड़ी जंग चल रही है. गाज़ा में इज़रायल की जंग. और रूस-यूक्रेन की जंग. दोनों में प्रत्यक्ष रूप से अमेरिका जुड़ा हुआ है. अमेरिका, इज़रायल और यूक्रेन को लगातार पैसा और हथियार मुहैया करा रहा है. ट्रम्प ने इशारतन ये बात कही है कि हम यूक्रेन में पैसा वेस्ट कर रहे हैं.

- जानकार कहते हैं कि ट्रम्प के आने से अमेरिका का इज़रायल के प्रति समर्थन बढ़ सकता है. ट्रम्प हमेशा से इज़रायल के बड़े समर्थक रहे हैं. 2018 में उन्होंने जेरुसलम को इज़रायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी. इसकी पूरी दुनिया में आलोचना हुई थी.

- इसके अलावा ट्रंप कह चुके हैं कि अगर वो राष्ट्रपति बने तो नेटो की फंडिंग कम करने पर विचार कर सकते हैं. उनका कहना है कि अमेरिका नेटो में हद से ज़्यादा खर्चा कर रहा है. और बाकी सदस्य देश उनके मुकाबले में बहुत कम पैसा लगाते हैं.

- एक चुनावी सभा में ट्रम्प ये भी बोले कि अगर अमेरिका के पास कायदे का राष्ट्रपति होता तो. चीन, रूस और नॉर्थ कोरिया जैसे देश हमारे दुश्मन नहीं होते.

ट्रम्प की जीत पर दुनिया ने क्या कहा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा, ट्रम्प को ऐतिहासिक जीत पर बधाई. भारत-अमेरिका की साझेदारी को और मज़बूती देने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं.

- इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने लिखा, ये एक बड़ी जीत है. वाइट हाउस में आपकी ऐतिहासिक वापसी अमेरिका के लिए एक नए दौर का आगाज़ है.

- यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेन्स्की ने कहा, आशा करता हूं कि ट्रम्प के आने के बाद अमेरिका और यूक्रेन की साझेदारी मज़बूत होगी. और यूक्रेन में शांति का कोई रास्ता निकल सकेगा.

पाकिस्तान के पीएम शाहबाज़ शरीफ़ ने लिखा, मैं पाकिस्तान-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं.

चीन और ब्रिटेन ने भी कहा हम ट्रम्प के साथ मिलकर काम करेंगे और दोनों देश के रिश्ते मज़बूत करेंगे. फ़्रांस के राष्ट्रपति इम्मैनुएल मैक्रों ने भी बधाई दी. लिखा, जैसे हमने सालों साथ काम किया, वैसे ही आगे भी करने को तैयार हूं.
 

ये तो हुई बात दुनिया से आए रिएक्शन की. हमने जानकार से ये भी पूछा कि कौन से राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की वापसी से खुश होंगे? पीएम मोदी, ट्रम्प की वापसी से खुश होंगे. उनकी ट्रम्प से दोस्ती है. इस साल के चुनाव में भी उन्होंने पीएम मोदी को दोस्त कहकर संबोधित किया था. जानकार कहते हैं कि व्लादिमीर ज़ेलेंस्की शायद इससे खुश न हों. क्योंकि ट्रम्प इशारतन यूक्रेन की मदद कम करने की बात कह चुके हैं. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनई तो नाखुश ही होंगे. वो अमेरिका को बड़ा शैतान कहते हैं. और ट्रम्प से उनकी दुश्मनी की एक ख़ास वजह भी है. वो ये कि ट्रम्प के कार्यकाल में ही कुद्स फ़ोर्स के मुखिया कासिम सुलेमानी की हत्या हुई थी. इसकी प्लानिंग अमेरिका ने की थी. जानकार कहते हैं जिनपिंग का मामला डाइसी लगता है. ट्रम्प ने कहा था कि अगर अमेरिका के पास स्मार्ट राष्ट्रपति होता तो चीन, अमेरिका का दुश्मन नहीं होता. 

जीत के बाद ट्रंप का भाषण 

दुनिया की बात हो गई अब ट्रम्प की बात करते हैं. क्या बोले वो जीत के बाद?

मैं देश के हर नागरिक के लिए, आपके परिवार के लिए और आपके भविष्य के लिए लड़ूंगा. मैं अपनी हर सांस के साथ आपके लिए लड़ता रहूंगा. मैं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा जब तक हम अपने बच्चों को मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध अमेरिका नहीं दे देते. ये वास्तव में अमेरिका का स्वर्णिम युग होगा. ये हमारी शानदार जीत है जिसकी बदौलत हम अमेरिका को महान बनाएंगे.

ट्रम्प जब भाषण दे रहे थे तब उनके साथ उनके रनिंग मेट जेडी वैन्स मंच पर मौजूद थे. साथ ही उनका परिवार भी. अपने भाषण में उन्होंने सबका धन्यवाद किया. लेकिन दो-तीन नाम ऐसे थे जिनका जिक्र करना ज़रूरी है. सबसे पहले ट्रंप कैम्पेन के दो अहम मेम्बर्स- सूजी विल्स और क्रिस लैसिविटा. ट्रम्प ने दोनों मेंबर्स को डाइस के पास बुलाया. बताते चलें विल्स डोनाल्ड ट्रम्प की सीनियर पोलिटिकल एडवाइज़र हैं, जबकि क्रिस कैम्पेन मैनेजर. और आखिर में एलन मस्क. धन्यवाद देने के साथ ट्रंप ने अपनी विनिंग स्पीच में मस्क के लिए 4-5 मिनट डेडिकेट कर डाले.

ट्रम्प की कहानी क्या है?

पूरा नाम डॉनल्ड जॉन ट्रंप. पैदाइश 14 जून 1946 की. शहर न्यूयॉर्क. ट्रम्प के 4 भाई बहन हैं. ट्रम्प जब ढाई साल के थे, तो उनकी मां बीमार रहने लगी थीं. इस वजह से ट्रम्प की परवरिश पर उनके पिता का काफी असर पड़ा. ट्रम्प ने 7वीं क्लास तक की पढ़ाई न्यूयॉर्क शहर में की. स्कूल के दिनों से ही ट्रम्प का रवैया आक्रामक रहा है. वो स्कूल में अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों को बुली किया करते थे. इसे लेकर अक्सर ट्रम्प के पिता के पास उनकी शिकायतें आती थीं. इसलिए 8वीं के बाद उनके पिता ने उन्हें न्यूयॉर्क मिलिट्री अकादमी में डलवा दिया. स्कूलिंग के बाद उन्होंने पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर ले लिया था. यहां उन्होंने रियल स्टेट की पढ़ाई की. इसके बाद ट्रम्प ने 1968 में इकोनॉमिक साइंस में डिग्री ली.

अप्रैल 1977 में उन्होंने चेकोस्लोवाकिया की एक मॉडल इवाना से शादी कर ली. कुछ साल तो सब सही चला लेकिन बाद में दोनों के बीच तल्खियां बढ़ने लगीं. एक समय ऐसा आया कि इवाना ने ट्रम्प पर रेप के आरोप लगाए. अंततः दिसंबर 1990 में दोनों का तलाक हो गया. ट्रम्प रियल स्टेट बिज़नेस में थे. उन्होंने हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में भी काम किया. पैसा बनाया लेकिन एक समय के बाद उनका इंटरेस्ट इससे हटने लगा. ट्रम्प के पिता डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े थे. इसलिए उनका रुझान राजनीति की तरफ बढ़ा.

ट्रम्प अपने बिज़नेस की वजह से वैसे ही फेमस थे. उन्होंने 1987 में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की सदस्यता ली. ब्रिटेनिका की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प 1980 के दशक से ही राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने को लेकर बयानबाजी करते रहते थे. हालांकि ट्रम्प के इन बयानों को तब पब्लिसिटी स्टंट के तौर पर देखा जाता था.

2000 में ट्रम्प ने रिफॉर्म पार्टी में अपना रजिस्ट्रेशन करा दिया. खुद को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया, लेकिन चार महीने बाद नाम वापस ले लिया. ट्रम्प ने बाद में फिर से रिपब्लिकन पार्टी जॉइन की. 2012 में ट्रम्प को एक बार फिर राष्ट्रपति उम्मीदवार के प्रबल दावेदारों में से एक माना जा रहा था. लेकिन वो प्राइमरी में हार गए. और आगे नहीं बढ़ पाए. लेकिन अब तक उनकी पार्टी में पैठ बढ़ चुकी थी.
फिर आया साल 2016. उन्होंने फिर अपनी किस्मत आजमाई. मई 2016 ट्रम्प के आखिरी दो प्रतिद्वंद्वी टेड क्रूज और जॉन कैसिच रेस से बाहर गए जिसके बाद ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार बन गए.

2016 में उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को हराया. 4 साल राष्ट्रपति रहे. 2020 में रिपब्लिकन पार्टी ने एक बार फिर उनपर ही दांव खेला. लेकिन इस बार उन्हें जो बाइडन से हार का सामना करना पड़ा. अब 4 साल बाद फिर ट्रम्प की वापसी होने वाली है. वो दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं.
 

वीडियो: दुनियादारी: अमेरिकी चुनाव में वोटिंग से पहले ट्रंप और कमला क्या बोले?