यूक्रेन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के तेवर पर फ्रांस के एक बड़े नेता ने हमला बोला है. फ्रांस के सेंटर-लेफ्ट नेता राफेल ग्लक्समैन ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि वह स्वतंत्रता, लोकतंत्र और समानता के मूल्यों की परवाह नहीं करता है. यूक्रेन के समर्थक माने जाने वाले ग्लक्समैन अमेरिका से इस कदर नाराज हो गए कि उन्होंने 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' को फ्रांस को वापस लौटाने की मांग कर दी.
जिस 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' पर अमेरिका वालों को घमंड है, उसका फ्रेंच कनेक्शन जानते हैं आप!
अमेरिका की स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने के मौके पर फ्रांस ने उसे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी गिफ्ट के रूप में दी थी. देखते-देखते यह प्रतिमा अमेरिका की पहचान बन गई.

उन्होंने दलील दी कि अमेरिका इस प्रतिमा के मूल संदेशों को कायम रख पाने में समर्थ नहीं है. बीते रविवार को एक कार्यक्रम में ग्लक्समैन ने कहा कि अमेरिकियों से ये कहना चाहूंगा कि वे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को फ्रांस को लौटा दें क्योंकि वे लोग इसे तुच्छ समझते हैं.
ग्लक्समैन ने कहा,
जिन अमेरिकियों ने 'अत्याचारियों' का साथ देने का फैसला किया है और जिन्होंने वैज्ञानिक स्वतंत्रता की मांग करने पर अपने शोधकर्ताओं को नौकरी से निकाल दिया, हम उनसे ये कहने जा रहे हैं कि हमें 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' वापस दे दो. हमने इसे आपको एक उपहार के रूप में दिया है, लेकिन जाहिर है कि आप इसे तुच्छ समझते हैं और इसलिए वो यहाँ अपने घर (फ्रांस में) ठीक रहेगा.
दरअसल, अमेरिका की स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने के मौके पर फ्रांस ने उसे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी गिफ्ट के रूप में दी थी. देखते-देखते यह प्रतिमा अमेरिका की पहचान बन गई.
Statue of Liberty का इतिहासबात साल 1865 की है. फ्रांस में एडौर्ड डी लाबोले नाम के एक गुलामी विरोधी कार्यकर्ता ने प्रस्ताव दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए स्वतंत्रता की भावना का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रतिमा बनाई जाए. यह शानदार और भव्य प्रतिमा संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता की शताब्दी पर भेंट किया जाएगा और उसकी फ्रांस के साथ दोस्ती को भी एक तरह से सम्मान देने का काम करेगा. फ्रांसीसी मूर्तिकार ऑगस्टे बार्थोल्डी (Frédéric Auguste Bartholdi) ने डी लाबोले के इस विचार को सपोर्ट किया और साल 1870 में 'Liberty Enlightening the World' नाम की एक प्रतिमा को डिजाइन करना शुरू कर दिया. आज यह प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' के नाम से जानी जाती है. प्रतिमा का यह नाम एक रोमन देवी 'लिबर्टस' के नाम पर रखा गया है, जो रोमन पौराणिक कथाओं में स्वतंत्रता का प्रतीक हैं.
इस प्रतिमा के लिए बार्थोल्डी अमेरिका भी पहुंचे और उस जगह का चुनाव किया, जहां इस विशालकाय प्रतिमा को स्थापित किया जाना था. इसके लिए उन्होंने बेडलो द्वीप को चुना, जो आकार में तो छोटा था, लेकिन यह न्यूयॉर्क हार्बर में प्रवेश करने वाले हर जहाज को दिखाई देता था. बार्थोल्डी इस द्वीप को अमेरिका का 'प्रवेश द्वार' मानते थे. साल 1876 में फ्रांसीसी कारीगरों और शिल्पकारों ने बार्थोल्डी के निर्देशन में फ्रांस में 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' का निर्माण काम शुरू किया.
मशाल को पकड़े हुए हाथ का निर्माण 1876 में पूरा हुआ और इसे फिलाडेल्फिया में शताब्दी प्रदर्शनी (Centennial Exposition) में दिखाया गया. मूर्ति के सिर और कंधों का निर्माण 1878 में पूरा हुआ और पेरिस यूनिवर्सल प्रदर्शनी में इसे प्रदर्शित किया गया. पूरी प्रतिमा 1881 और 1884 के बीच पेरिस में पूरी हुई. अब बारी थी मूर्ति के आधार को तैयार करने की. साल 1884 में ही अमेरिका में इस पर काम शुरू हुआ.
पेरिस में 4 जुलाई 1884 को जब अमेरिकी मंत्री लेवी पी मॉर्टन को यह प्रतिमा भेंट की गई तब इसके पुर्जों को अलग कर दिया गया और फ्रांसीसी नौसेना के ‘जहाज इसरे’ पर सवार कर इसे अमेरिका भेजा गया. प्रतिमा 17 जून 1885 को न्यूयॉर्क हार्बर पहुंची और वहां उसका बहुत धूमधाम से स्वागत किया गया. हालांकि, अमेरिका में मूर्ति का आधार तैयार नहीं था, इसलिए इसके पुर्जों को आपस में जुड़कर प्रतिमा बनने के लिए एक और साल का इंतजार करना पड़ा. साल 1886 में प्रतिमा का पेडेस्ट्रल (Pedestral) बनकर तैयार हो गया. इसके बाद प्रतिमा को फिर से असेंबल किया गया.
प्रतिमा के हिस्सों को भाप से चलने वाली क्रेन और डेरिक से ऊपर उठाकर उनकी जगह पर फिट किया गया था. इतनी कवायद के बाद 28 अक्टूबर 1886 का वह दिन आया जब 'लिबर्टी एनलाइटनिंग द वर्ल्ड' की प्रतिमा का आधिकारिक रूप से अनावरण होना था. उस दिन बेडलो द्वीप का मौसम कोहरे से नहाया था. ऐसे मौसम में भी लाखों की संख्या में न्यूयॉर्क के लोग 'स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी' का स्वागत करने के लिए मौके पर मौजूद थे.
प्रतिमा के बारे में
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की कुल ऊंचाई 305 फीट (93 मीटर) है, जिसमें आधार भी शामिल है. यह प्रतिमा पूरी तरह तांबे (copper) से बनी हुई है और समय के साथ ऑक्सीकरण के कारण इसका रंग हरा हो गया है. स्टैच्यू के दाहिने हाथ में मशाल है, जो स्वतंत्रता के प्रकाश का प्रतीक है और सिर पर सात किरणों वाला मुकुट है, जो सात महाद्वीपों और सात महासागरों का प्रतिनिधित्व करता है. प्रतिमा के पैरों के पास टूटी हुई जंजीरें हैं, जो उत्पीड़न और दासता से मुक्ति का प्रतीक हैं.
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (Statue of Liberty) के बाएं हाथ में एक किताब है, जिस पर "JULY IV MDCCLXXVI" (4 जुलाई 1776) लिखा है, जो अमेरिकी स्वतंत्रता की तारीख दर्शाता है. 28 अक्टूबर 1886 को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने इस प्रतिमा को जनता के लिए खोला था. स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी न केवल अमेरिका की स्वतंत्रता का प्रतीक है, बल्कि यह दुनिया भर से आने वाले प्रवासियों (Immigrants) के लिए आशा और नए अवसरों का प्रतीक भी रहा है.
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