The Lallantop

ज़ाकिर नाइक, शैतान जो न खुदा की कैद में है न कानून की

ओसामा बिन लादेन और टेररिज्म का खुलेआम समर्थन करने वाले जाकिर नाइक के चेले थे बांग्लादेश के आतंकी. उसका मुंबई से टीवी चैनल चलता है.

post-main-image
रमज़ान के पाक महीने में अल्लाह शैतान को वैसे तो कैद रखता है. पता नहीं ये वाले कैसे छूट गए. जिन्होंने बांग्लादेश में जाकर इंसानियत को तड़ातड़ गोलियां मारीं. बेरहमी से कत्ल कर दिया खुदा के बनाए इंसानों को. जो शैतान यहां कैद से छूटकर आ गए थे उनके पीछे बड़े शैतानों की खोपड़ी है. दो आतंकी पिछले कुछ वक्त से तीन एक्सट्रीमिस्ट्स को फॉलो कर रहे थे. जिनमें से एक वो है जिसके बारे में जानना बहुत जरूरी है. क्योंकि वो हमारे आपके बीच का है. उसके वीडियोज यूट्यूब पर हैं. कोई भी देख सकता है. यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया ने उसको बैन कर रखा है. भड़काऊ स्पीच देने के लिए. लेकिन इंडिया में नहीं. बल्कि उसका पीस टीवी के नाम से टीवी चैनल चलता है. मुंबई से. जिसका पीस यानि शांति से कुछ लेना देना नहीं है. उसमें इस्लाम की थ्योरी को अपने हिसाब से काट पीट, जोड़ गांठ करते हुए पूरी दुनिया में पहुंचाता है. बांग्लादेश में इसके फॉलोवर्स इंडिया से ज्यादा हैं. हम बात कर रहे हैं जाकिर नाइक की. खुद को मेडिकल लाइन का डॉक्टर बताने वाले जाकिर नाइक इंसान में शैतान जगाने वाली थेरेपी करता है. ये फैक्ट अब सामने आया है. तो देखते हैं इसके कुछ वीडियोज और बांचते हैं इसकी कुंडली. शुरू करने से पहले इसकी खास आदतें बता दें. इससे अगर कुल्ला करके थूकने का तरीका भी कोई पूछे तो ये कुरान या हदीस से कोई पारा या सूरा कोट करते हुए बताता है. नहीं, किताब से लिखा उद्धृत करके अपनी बात में वजन लाना बुरा नहीं है. तो फिर बुरा क्या है? ये- 1. उन्हीं किताबों में हजारों बार 'रहम' लिखा है. लेकिन इस इस्लाम के जानकार की स्पीचों में कभी एक बार भी रहम का जिक्र नहीं आता. बस लिखे हुए को मेनुपुलेट करके जहरीला एंगल देना इसका स्वभाव है. ये बुरा है. 2. जिंदगी से किताब नहीं बनी, किताब से जिंदगी चलानी है इनको. वो भी हजारों साल पुरानी किताबों से. हजारों साल पहले जब वो लिखी गईं होंगी. तब न विज्ञान इतना आगे था. न इतने इन्वेंशन हुए थे. तब की जिंदगी के हिसाब लिखी किताब पर आज की जिंदगी को जबरदस्ती चलाना कट्टरता है. इन नियमों से अलग काम करने पर मध्ययुगीन समाज के नियम से सजा देने की भी वकालत करता है. ये कॉमन सेंस से एकदम दूर है. या सिर्फ दूर होने का दिखावा करता है. खुद मौज मारता हुआ बाकी मुसलमानों को बहकाता है. और बांग्लादेश के उन 20- 22 साल के लड़कों की तरह ठिकाने लगा देता है. ये बुरा है. 3. इसाइयों के बाद दुनिया में मुसलमान सबसे ज्यादा हैं. उनमें से सबने नहीं तो आधे तिहाए ने ये किताबें जरूर पढ़ी होंगी. उन पढ़ने वालों का किसी वैश्विक मंच पर आकर इन टुटपुंजियों की आधी अधूरी जहरीली जानकारी को काटकर सही लॉजिक न पेश करना बुरा है. पहले एक वीडियो देख लो. जिसमें डॉक्टर साहब लव और सेक्स पर बात कर रहे हैं. कि इस्लाम में लव और सेक्स कैसे होना चाहिए. अब एक मजहब का नाम जोड़ दिया तो मामला भावनाओं से जुड़ गया. जो आहत हो सकती हैं. प्रेम, नफरत, गुस्सा, सेक्स सब ह्यूमन नेचर के हिसाब से चलती हैं. किसी धर्म या मजहब के हिसाब से नहीं. ऐसा नहीं हो सकता कि प्यार में पड़ा हुआ हिंदू अलग तरीके से व्यवहार करे मुसलमान अलग तरह से. लेकिन डॉक्टर साहब इसको भी अलग करके रहेंगे. माने प्यार शरीयत के हिसाब से होगा. https://www.youtube.com/watch?v=69p7mLKIbwA अब दूसरा वीडियो देखो. इसमें डॉक्टर कम लव चार्जर बता रहे हैं कि युवा प्यार में क्यों और कैसे पड़ जाते हैं. कितने ही सूफी संत, कबीर, मीरा, रसखान से लेकर डॉक्टर्स और साइंटिस्ट्स ने प्रेम की गाथा गाई. बताया कि इसमें कितनी एनर्जी है. लैला मजनू का प्यार खुदा तक पहुंच गया तो देखा कि क्या हुआ था. कोड़े मजनू को पड़ते थे निशान लैला के. सारी गजल कव्वाली मोहब्बत में गिरफ्तार है. यूं समझो कि दुनिया टिकी ही प्यार पर है. अगर ये न होता तो इंसान कब का आपस में लड़कर कट मर जाता. उसके प्यार के बारे में ये लव मीटर डॉक्टर देखो कैसे फनी जोकर की तरह बतिया रहा है. उसको हिजाब से शुरू करके चेहरों और शक्लों के रंग तक गिरा लाया. https://www.youtube.com/watch?v=nOMTqmI7gJQ अब ये वाला वीडियो भी देख लो तो बचा खुचा ताला भी खुल जाएगा. इसमें ये डॉक्टर पहले तो बताता है दो बार, कि मैं मेडिकल डॉक्टर हूं. फिर बताता है कि कोई औरत पूरी लाइफ वर्जिन नहीं रह सकती. फिर वो क्या करेगी? प्रॉस्टीट्यूशन करेगी. इससे घटिया सोच कुछ हो नहीं सकती. अरे भोंदू बकस. वर्जिन न रहने के बाद सिर्फ प्रॉस्टीट्यूशन का ही रास्ता नहीं बचता. और तुम्हारे हिसाब से मर्द क्या जिंदगी भर वर्जिन रह सकता है? क्या तुम रह पाए? https://www.youtube.com/watch?v=D7XALfuh6iE इत्ता मनोरंजन काफी है इस आदमी को जानने के लिए. अब ये सुनो कि ये खुद इस्लाम और इंसानियत के लिए खतरा कैसे है. इसने ऐसे ही किसी शो में ओसामा बिन लादेन के बारे में विचार रखे थे.
"अगर ओसामा इस्लाम के दुश्मनों से लड़ रहा है, तो मैं उसके साथ हूं. अगर वो अमेरिका को डरा रहा है, जो कि सबसे बड़ा टेररिस्ट है. तो मैं ओसामा के साथ हूं."
2010 में इस्लाम और आतंकवाद के बारे में जाकिर बोला था:
"मैं मुसलमानों से कहना चाहता हूं कि हर मुसलमान को आतंकी होना चाहिए. आतंकी का मतलब क्या है? माने जो लोगों में आतंक फैलाए. इस हिसाब से हर मुसलमान को एंटी सोशल आदमी के लिए आतंकवादी होना चाहिए. मुझे पता है कि आतंकी किस संबंध में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन मुसलमान को कभी मासूम को नहीं डराना चाहिए."
लेकिन जिल्लेइलाही. ये कौन सा समाज है जिसके खिलाफ जाने पर आप गोली मार देंगे ये तो बताया ही नहीं. ये समाज कौन बनाएगा. इस समाज में सिर्फ शरीयत पर चलने वाले मुसलमान ही रहेंगे या बाकी मुसलमान भी. गैर मजहब के लोग तो खैर रह ही नहीं सकते. तो इसका मतलब कि आप सिर्फ शरई मुसलमानों को इस दुनिया में रहने दोगे बाकी सबको ठिस ठिस ठिस. AK47 के हवाले. क्यों.. यही इरादा है न डॉक्टर साहब. अगर नहीं है तो तुमसे प्रेरणा लेने वाले छोकरे मासूमों की जान कैसे लेने लगे. उस 19 साल की तारिषी का क्या गुनाह था? और आयतें न याद कर पाना कौन सा गुनाह है? बौड़म बाबा. तुमने पूरी आयतें रट लीं तो क्या बने? एक शैतान. जो अब तक न कानून की कैद में है न खुदा की.
तारिषी के लिए मरने वाला फराज सच्चा मुसलमान था या आतंकी? बेगमों की लड़ाई और बांग्लादेश के कसाई