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सर्किल रेट और मार्केट रेट के बीच मिलने वाली छूट पर एक्सपर्ट क्यों कह रहे- कोई फ़ायदा नहीं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की 'रियल स्टेट' से जुड़ी एक महत्वपूर्ण राहत का पूरा सच.

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राइट में निर्मला सीतारमण, आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज के बारे में बताती हुईं. लेफ्ट में एक अपार्टमेंट की सांकेतिक तस्वीर. (PTI)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 12 नवंबर, गुरुवार को ‘आत्मनिर्भर भारत’ राहत पैकेज का 3.0 वर्जन लेकर आईं. बाक़ी सारी बातों के अलावा रियल स्टेट को लेकर भी कई राहतें दी गईं. उम्मीद की जा रही है कि ये राहतें सुस्त पड़े रियल स्टेट सेक्टर में नई जान फूंक देंगी. प्रॉपर्टी रेट्स से जुड़ी एक घोषणा बिल्डर्स, डेवलपर्स और ख़रीदारों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद बताई जा रही है.
घोषणा ये है-
सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू के अंतर में छूट को बढ़ाकर 10% से 20% फीसदी कर दिया गया है.
अब अगर आप मकान या प्लॉट ख़रीदने की सोच रहे हैं, या फिर रियल स्टेट सेक्टर से जुड़े हैं, तो आपके लिए इस ख़बर को, इसके मायने और इसका आप पर असर जानना ज़रूरी है. इसलिए चलिए ‘सर्कल रेट’, ‘एग्रीमेंट वैल्यू’ और ‘आत्मनिर्भर भारत 3.0 में मिली रियल स्टेट सेक्टर को राहत’ के पूरे कॉन्सेप्ट को समझते हैं.
# सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू
लल्लन ने लल्ली से एक 2 BHK फ़्लैट ख़रीदा. और लल्ली को दिए इसके लिए 60 लाख रुपए. ये 60 लाख रुपए हुई प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू.
अब प्रॉपर्टी लल्लन की हो गई है, इसका लल्लन के पास क्या सबूत? इसके लिए लल्लन को करवाना होगा इस प्रॉपर्टी को अपने नाम पर रजिस्टर. और सरकार को देनी होगी रजिस्ट्री और स्टाम्प ड्यूटी. और ये दोनों चीज़ें डिपेंड करती हैं इस बात पर कि प्रॉपर्टी कितने की है. जैसे दिल्ली में स्टाम्प ड्यूटी, प्रॉपर्टी की 6 प्रतिशत है और रजिस्ट्री 1 प्रतिशत. मतलब लल्लन, लल्ली को 60 लाख रुपए तो देगा ही, साथ ही 3.60 लाख देगा सरकार को, स्टाम्प ड्यूटी के तौर पर. और देगा 60,000 रुपये रजिस्ट्री के तौर पर.
अब लल्लन एक तिकड़म लगाता है. वो लल्ली से कहता है कि मैं तुम्हें तो पूरे 60 लाख रुपए दूंगा, पर सरकार को काग़ज़ातों में दिखाते हैं कि मैंने ये प्रॉपर्टी तुमसे 20 लाख में ख़रीदी है. लल्ली को भी क्या ही दिक्कत. बल्कि उसे भी ये फ़ायदा कि अब उसे सिर्फ़ 20 लाख पर ‘लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स’ देना पड़ेगा, जो पहले 60 लाख पर देना पड़ता. तो लल्ली भी तैयार.
यूं लल्लन अब सरकार को सिर्फ़ 1.20 लाख स्टाम्प ड्यूटी के तौर पर और 20,000 रजिस्ट्री के तौर पर देगा. तो, लल्लन ने भी सरकार से 40 लाख रुपए की टैक्स चोरी की और लल्ली ने भी. कुल 80 लाख रुपए पर टैक्स चोरी.
ऐसी किसी भी तिकड़म से बचने के लिए सरकार के पास एक ‘काउंटर-तिकड़म’ है. उसी का नाम है- सर्किल रेट. मतलब-
सर्किल रेट वो रेट है, जिस रेट से कम पर आप प्रॉपर्टी को बेच या ख़रीद नहीं सकते.
तस्वीर नॉएडा की है. यहां पर कितने की फ़्लैट या तो तैयार नहीं हुए या बिके नहीं. उम्मीद है कि अब इनके निर्माण और बिक्री में तेज़ी आएगी. (PTI) तस्वीर नोएडा की है. यहां पर कितने ही फ़्लैट या तो तैयार नहीं हुए या बिके नहीं. उम्मीद है कि अब इनके निर्माण और बिक्री में तेज़ी आएगी. (PTI)


वैसे हमने स्टेटमेंट को थोड़ा क्रिस्प करने के लिए कह दिया कि सर्किल रेट से कम रेट पर प्रॉपर्टी नहीं बेची जा सकती. पर इसका मतलब दरअसल ये है-
आप बेशक सर्किल रेट से कम रेट पर अपनी प्रॉपर्टी ख़रीदें-बेचें. इसमें कुछ भी इल्लीगल नहीं. लेकिन सरकार को दिया जाने वाले टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री, सर्किल रेट के हिसाब से ही तय होगी.
# अगर प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू (मार्केट वैल्यू), सर्किल रेट से ज़्यादा है
लेकिन अगर प्रॉपर्टी की ख़रीद-फ़रोख़्त सर्किल रेट से अधिक दामों पर हो रही हो तो? तो फिर आपको एग्रीमेंट वैल्यू के हिसाब से ही टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री देनी होगी.
या और आसान शब्दों में कहें, तो-
‘एग्रीमेंट वैल्यू’ और ‘सर्किल रेट’ में से जो भी अमाउंट ज़्यादा होगा, सरकार को टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री उस अमाउंट पर दी जाएगी.
जैसे-
# जहां पर लल्लन ने प्रॉपर्टी ख़रीदी है, अगर वहां का सर्किल रेट 50 लाख है, तो लल्लन को 60 लाख रुपये के हिसाब से ही स्टाम्प ड्यूटी और लल्ली को 60 लाख रुपए के हिसाब से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ेगा. क्योंकि बड़ा अमाउंट 60 लाख है.
# जहां पर लल्लन ने प्रॉपर्टी ख़रीदी है, अगर वहां का सर्किल रेट 70 लाख है, तो लल्लन को 70 लाख रुपये के हिसाब से ही स्टाम्प ड्यूटी और लल्ली को 70 लाख रुपए के हिसाब से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ेगा. क्योंकि बड़ा अमाउंट 70 लाख है.
# सर्किल रेट कितना होता है
हमें ये तो पता चल गया कि सरकार सर्किल रेट इसलिए फ़िक्स करती है, क्योंकि उसे कम से कम उतने अमाउंट पर तो टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी मिले ही. लेकिन इससे ये भी पता चलता है कि किसी प्रॉपर्टी के सर्किल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू के बीच जितना कम अंतर होगा, उतना टैक्स की चोरी बचेगी. उतना चीज़ें और पारदर्शी होंगी. उतना ज़्यादा लेन-देन वाइट में होगा.
और इसलिए ही, न केवल समय के साथ-साथ, बल्कि जगह के साथ-साथ भी सर्किल रेट बदलते रहते हैं. राज्य, ज़िले या शहर के हिसाब से ही नहीं, छोटे-छोटे इलाक़ों के हिसाब से. इसलिए ही तो इन्हें सर्किल रेट कहते हैं. अन्यथा भी आप सुनते हैं न कि ‘हमारी फ़ैमिली सर्किल…’, ‘हमारे सर्किल में…’, मतलब छोटी-छोटी कम्यूनिटीज़.
मरीन ड्राइव की तस्वीर. यहां के सर्किल रेट, जूहु के सर्किल रेट से अलग होंगे. (PTI) मरीन ड्राइव की तस्वीर. यहां के सर्किल रेट, जुहू के सर्किल रेट से अलग होंगे. (PTI)


तो मुंबई के मरीन ड्राइव के सर्किल रेट, मुंबई के ही जुहू के सर्किल रेट से अलग होंगे. किसी हाई राइज़ प्रॉपर्टी के सर्किल रेट किसी तीन मंज़िला इमारत के सर्किल रेट से अलग होंगे. सरकार बार-बार रेट बदलती रहती है. ताकि सर्किल रेट जितना ज़्यादा हो सके, उस इलाक़े के मार्केट रेट या प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू के आस-पास रहें.
# 12 नवंबर को ‘आत्मनिर्भर भारत- 3.0’ पैकेज में कहे गए का मतलब
अब हम जान चुके हैं कि अगर कोई अपनी प्रॉपर्टी सर्किल रेट से कम रेट पर बेचता है, तो भी उसे सर्किल रेट पर ही कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. और कोई अगर प्रॉपर्टी सर्किल से कम रेट पर ख़रीदता है, तो भी उसे सर्किल रेट पर ही स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री फ़ीस देनी होगी.
लेकिन सरकार ने अब ये छूट दी है कि अगर आप सर्किल रेट से 20% कम रेट पर प्रॉपर्टी ख़रीदते या बेचते हैं, तो आपको सर्किल रेट पर नहीं, एग्रीमेंट वैल्यू पर स्टाम्प ड्यूटी, कैपिटल गेन टैक्स वग़ैरह देना होगा. पहले ये छूट 10% तक ही थी.
पहले इस बात को कुछ उदाहरणों से समझते हैं फिर इसकी टर्म्स एंड कंडीशन जानेंगे:
# उदाहारण 1:
किसी इलाक़े में एक प्रॉपर्टी का सर्किल रेट कैलकुलेट करने पर वो एक करोड़ पाया जाता है. और उस प्रॉपर्टी को 70 लाख पर बेचा जा रहा है. तो,
अगर कोई छूट नहीं होती, तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 1 करोड़ के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा.
अगर पहले की तरह 10% छूट होती, तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 90 लाख के आधार पर कैलकुलेट किया जाता.
और चूंकि अब 20% छूट है, तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 80 लाख के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा.
# उदाहारण 2:
किसी इलाक़े में एक प्रॉपर्टी का सर्किल रेट कैलकुलेट करने पर वो एक करोड़ पाया जाता है. और उसे 85 लाख पर बेचा जा रहा है. तो-
अगर कोई छूट नहीं होती, तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 1 करोड़ के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा.
अगर पहले की तरह 10% छूट होती तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 90 लाख के आधार पर कैलकुलेट किया जाता.
और चूंकि अब 20% छूट है, तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 85 लाख के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा. (क्योंकि पूरा 20% डिस्काउंट देने के बाद बेशक सर्किल रेट 80 लाख हो जाता है, लेकिन ये प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू से कम है.)
12 नवंबर की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान वित्त मंत्री की घोषणाओं को हिंदी में बताते हुए राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर. (PTI) 12 नवंबर की प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान वित्त मंत्री की घोषणाओं को हिंदी में बताते हुए राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर. (PTI)


# उदाहारण 3:
किसी इलाक़े में एक प्रॉपर्टी का सर्किल रेट कैलकुलेट करने पर वो एक करोड़ पाया जाता है. और उसे 95 लाख पर बेचा जा रहा है. तो-
अगर कोई छूट नहीं होती तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 1 करोड़ के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा.
अगर पहले की तरह 10% छूट होती, तो टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 95 लाख के आधार पर कैलकुलेट किया जाता. (क्योंकि 10% डिस्काउंट देने के बाद बेशक सर्किल रेट 90 लाख हो जाता है, लेकिन ये प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू से कम है.)
और बेशक अब 20% छूट है, तो भी टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी, सब कुछ 95 लाख के आधार पर कैलकुलेट किया जाएगा. जैसा 10% छूट पर किया गया. कारण वही, सर्किल रेट का प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू से कम होना.
# उदाहारण 4:
किसी इलाक़े में एक प्रॉपर्टी का सर्किल रेट कैलकुलेट करने पर वो एक करोड़ पाया जाता है. और उसे 1 करोड़ 5 लाख पर बेचा जा रहा है. तो-
किसी भी छूट से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा. क्योंकि प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू, प्रॉपर्टी के सर्किल रेट से ज़्यादा है. यूं कैपिटल गेन टैक्स से लेकर स्टाम्प ड्यूटी तक, सब कुछ 1 करोड़ 5 लाख पर ही कैलकुलेट किया जाएगा.
# क्या हैं टर्म्स एंड कंडीशन-
# ये छूट 12 नवंबर, 2020 से 30 जून, 2021 तक लागू रहेगी. मतलब 30 जून, 2021 के बाद फिर से सिर्फ़ 10% की छूट रह जाएगी, जैसे 12 नवंबर से पहले थी.
# ये छूट 2 करोड़ रुपये तक की प्रॉपर्टी के लिए होगी.
# होम डेवलपर और ख़रीदार, दोनों फायदा ले सकेंगे. (मतलब बेचने वाला टैक्स में छूट ले सकेगा, तो ख़रीदने वाला स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री पर.)
# केवल नई प्रॉपर्टी के लिए छूट मिलेगी. मतलब सेकंड हेंड प्रॉपर्टी के लिए नहीं होगी.
# सुनने में तो अच्छी लग रही ये छूट, पर कैच क्या है
12 तारीख़ को इस ‘आत्मनिर्भर भारत- 3.0’ पैकेज में दी गई इस छूट के मायने ये हुए कि अगर प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू, सर्किल रेट से ज़्यादा हुई, तो इस छूट का डील पर, ख़रीदार पर या विक्रेता पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा.
और दिक्कत ये है कि
ऐसा असंभव है कि प्रॉपर्टी की एग्रीमेंट वैल्यू, सर्किल रेट से कम हो. और वो भी 20% तक. वरना 10% छूट तो पहले ही थी. जैसे मनी टुडे की एक ख़बर के अनुसार
, जब वर्ली का सर्किल रेट 32,293 रुपये प्रति स्क्वायर फ़ीट था, तब वहां मार्केट रेट लगभग दोगुना, यानी 60-62 हज़ार चल रहा था.
दरअसल सर्किल रेट रिवाइज़ नहीं होते और इस वजह से मार्केट रेट या एग्रीमेंट वैल्यू से ‘कंधे से कंधा’ मिलाकर नहीं चल पाते. इसलिए ही तो सर्किल रेट और मार्केट रेट में इतना अंतर रह जाता है कि लल्लन जैसे तिकड़मबाज किसी डील के दौरान सरकार का काफ़ी पैसा चुरा लेते हैं. सर्किल रेट के ऊपर का सारा पैसा ब्लैक में देकर.
इसलिए न केवल टैक्स की चोरी रोकने के लिए, बल्कि 12 नवंबर जैसे किसी भी रिफ़ॉर्म को कारगर बनाने के लिए ये आवश्यक है कि सर्किल रेट जितना हो सके, मार्केट रेट के नज़दीक रहें. और यहां पर तो डिस्काउंट देकर सर्किल रेट को मार्केट रेट से और दूर कर दिया गया है.
मतलब जो पहले टैक्स की चोरी कर रहा था अब सर्किल रेट की 20% वैल्यू की टैक्स की चोरी और कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट की वकील विजयालक्ष्मी इस बात की पुष्टि करते हुए बताती हैं-
सोचिए. कोई क्यों अपनी प्रॉपर्टी सर्किल रेट पर या उससे कम रेट पर बेचेगा? मजबूरी हो, तो भी नहीं. क्योंकि ये सर्किल रेट इतने कम होते हैं कि इनके नीचे जाना लगभग असंभव है. और इतने कम रेट पर प्रॉपर्टी बेचने पर कई सवाल भी खड़े हो जाते हैं. इन सवालों को पूछने में सरकार ही सबसे आगे रहती है.
‘तो फिर इस नयी छूट का कोई फ़ायदा नहीं?’ इसके जवाब में विजया बताती हैं-
हमें और आपको नहीं. लेकिन ज़रा उन बड़े-बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट, इंवेस्टर्स के बारे में सोचें, जिन्हें औने-पौने दामों में सरकारी ज़मीन मिल जाती है. प्रॉपर्टी पर तो डिस्काउंट मिला ही, अब उन्हें टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी पर भी डिस्काउंट मिलेगा. हां मगर, जैसा टर्म्स हैं, इन लोगों को ‘ऑल्मोस्ट दान में’ मिलने वाली प्रॉपर्टी की क़ीमत भी 2 करोड़ से कम होनी चाहिए.
यूं जितना हमें समझ में आया, ये छूट कुछ ऑनलाइन ऐप के धोखेबाज़ कूपन्स की तरह है-
70% ऑफ़. अप टू 5 रुपीज़. मिनमम पर्चेज़ ऑफ़ 5000 इज़ रिक्वायर्ड.