रविवार, 26 मई को ख़बर आई कि चक्रवाती तूफ़ान ‘रेमल’ (Cyclone Remal) पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों पर पहुंच गया. अभी तक इस तूफ़ान की ज़द में 40 ज़िंदगियां आ चुकी हैं. तूफ़ान के चलते हो रही भारी बारिश और आंधी-तूफ़ान ने पूर्वोत्तर के कई राज्यों को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है. सबसे बुरी स्थिति मिज़ोरम (Mizoram) की है. मंगलवार, 28 मई को ख़बर आई थी कि यहां एक पत्थर की खदान ढह जाने से 18 लोगों की मौत हो गई. मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने मृतकों के लिए 15 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है. बाक़ी राज्यों की भी स्थिति ख़राब है. अधिकारियों ने पुष्टि की है कि तूफ़ान के चलते असम में चार लोगों की मौत हो गई और 18 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. सैकड़ों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि घरों बर्बाद हो चुके हैं और बिजली व्यवस्था ठप्प हो चुकी है. मगर इन बुरी ख़बरों के बीच इस तूफ़ान से संबंधित कुछ सवाल हैं:
बंगाल और पूर्वोत्तर में मचाई तबाही, तूफान रेमल के बारे में सबकुछ जान लीजिए
तूफ़ान और तूफ़ान की वजह से हो रही बारिश के बीच इस तूफ़ान से संबंधित कुछ सवाल हैं: ये तूफ़ान आया कैसे? नाम का मतलब क्या? और, कैसे पड़ा? ये तूफ़ान कितना और नुक़सान पहुंचा सकता है? सरकार की तैयारी क्या है?

- ये तूफ़ान आया कैसे?
- नाम का मतलब क्या? और, कैसे पड़ा?
- ये तूफ़ान कितना और नुक़सान पहुंचा सकता है?
- सरकार की कितनी तैयारी थी? अभी क्या कार्रवाई की जा रही है?
शुरुआत में अनुमान लगाया गया था कि रेमल की हवाएं 135 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से बहेंगी. इस अनुमान से इसे ‘भयंकर’ की श्रेणी में रखा जा रहा था, मगर ज़मीन तक पहुंचने से पहले हवाएं कुछ कमज़ोर पड़ गईं. जब 26 मई की शाम को ये तूफ़ान पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों के बीच पहुंचा, तब हवा की गति 110 से 120 किमी/घंटा के पास थी. पश्चिम बंगाल में हवा की अधिकतम गति 91 किलोमीटर प्रति घंटे रिकॉर्ड की गई है. बावजूद इसके, रेमल ने इनफ़्रास्ट्रक्चर और संपत्ति को भारी नुक़सान पहुंचाया. ख़ासकर तटीय क्षेत्रों में.
ये तूफ़ान आया कैसे?इसके लिए पहले समझते हैं, तूफ़ान आता कैसे है? वैसे ही सूरज की गर्मी की वजह से पानी की सतह गर्म होती ही है, हवा भी गर्म हो जाती है. हवा गर्म होकर फैलती है और ऊपर उठती है, तो इससे कम प्रेशर वाले क्षेत्र (low-pressure areas) बनते हैं. हवा हाई-प्रेशर से लो-प्रेशर की ओर बढ़ती है, और शुष्क हवा पर चढ़ जाती है नमी (water vapour). धरती घूमती है और घूमने से ऊपर उठती हवा नाचने लगती है. इस घूमने से चक्कर का एक पैटर्न बनता है, जिसके साथ अक्सर तेज़ तूफान और बारिश भी चले ही आते हैं.
ग़ौरतलब बात: धरती के उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में ये अंदर की तरफ़, घड़ी की विपरीत दिशा में (anti-clockwise) चक्कर काटते हैं. वहीं, दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) में घड़ी की दिशा में चक्कर काटते हैं.
रेमल इस सीज़न का पहला तूफ़ान है. बंगाल की खाड़ी से उठा है. साल के इस समय वहां पानी की सतह बहुत गर्म हो जाती है, जो इस तरह के तूफ़ान के लिए माकूल माहौल है.
क्या जलवायु परिवर्तन से भी कोई संबंध है? एक तरफ़ पूरा उत्तर-भारत है, जो हीट-वेव, लू और हड्डी गला देने वाली गर्मी में झुलस रहा है, 'नौतपा' का विज्ञान खोज रहा है. गर्मी नियमित तौर पर गर्म होने के रिकॉर्ड बना रही है, तोड़ रही है. दूसरी तरफ़ पूर्वी भारत के राज्य हैं, जहां बारिश का कहर बरस रहा है. तो सवाल लाज़मी है. मगर इसका जवाब सीधा नहीं है.
चक्रवात का बनना और आना बहुत जटिल है. इससे उनकी प्रवृति को समझना मुश्किल है. पिछले कुछ सालों में तूफ़ान कम हुए हैं और NASA सेंटर फ़ॉर क्लाइमेट सिमुलेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, भविष्य में और कम ही होंगे. हालांकि, फरवरी 2024 में छपी NASA की एक रिपोर्ट में लिखा था कि बढ़ते तापमान के चलते बंगाल की खाड़ी में ज़्यादा तीव्र चक्रवात आने की आशंका है, जो भारत, बांग्लादेश और म्यांमार को प्रभावित करेंगे.
‘रेमल’ नाम कैसे पड़ा?भारतीय मौसम विभाग (IMD) के पास हिंद महासागर क्षेत्र में आने वाले चक्रवातों के नामकरण के लिए एक ख़ास प्रोटोकॉल है. इस मानक परंपरा के मुताबिक़, IMD - जो क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (RSMCs) का हिस्सा है - बारह देशों के परामर्श के बाद ही किसी चक्रवात का नाम रखता है.
‘रेमल’ नाम दिया है, ओमान ने. ये एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘रेत’.
चक्रवात का नामकरण करते समय कुछ चीज़ों का ध्यान रखना होता है. इसमें किसी तरह का राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक या लैंगिक एजेंडा न हो, किसी के लिए अपमानजनक न हो, अधिकतम आठ अक्षरों का हो, उच्चारण में आसान हो, मगर अद्वितीय होना चाहिए.
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कितना नुक़सान होने की आशंका है?स्थानीय मीडिया रपटों के मुताबिक़, अभी तक 15,000 से ज़्यादा घरों को नुक़सान पहुंचा है. कुछेक संस्थाओं ने इस नंबर को 25,000 से ज़्यादा बताया है. कोलकाता समेत राज्य के अन्य इलाक़ों में पानी भर गया है, कई पेड़ गिर गए हैं. इससे सड़कों पर आवा-जाही धीमी हो गई है, रुक गई है. राजधानी के अलावा राज्य के दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना ज़िले भी सीधे तौर पर तूफ़ान की ज़द में हैं.
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के एक अफ़सर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मिलाकर कुल 394 फ़्लाइट्स को रोका गया था, जिन्हें अब धीरे-धीरे वापस उड़ाया जा रहा है.
आशंका है कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों और बांग्लादेश के कुछ हिस्से प्रभावित होंगे. IMD ने भारी बारिश और बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी है. लोगों को घर के अंदर रहने और असुरक्षित बिल्डिंगों से बचने की सलाह दी है.
सरकार की तैयारी कैसी?चूंकि इस तूफ़ान के बारे में सरकार और मौसम विभाग पहले से ही चौकन्ना थे, सो प्रभावित क्षेत्रों को तैयार कर दिया गया था. रेड अलर्ट जारी कर दिया गया था और एक लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित कैम्प्स में ट्रांसफ़र कर दिया गया था.
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प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी चक्रवात रेमल के लिए हुई तैयारियों की समीक्षा की थी. राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति राहत प्रयासों के समन्वय के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के साथ संपर्क में थी.
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