बात शुरू करते हैं एक ऐसे यूट्यूबर की जिसने इस साल जितनी शोहरत पाई उतने विवाद भी उसके खाते में दर्ज हुए. एल्विश यादव. जिन्होंने बिग बॉस ओटीटी 2 में वाइल्ड कार्ड एंट्री ली और विजेता भी बने. दर्शक जानते ही होंगे कि इसके बाद एल्विश के नाम के साथ 'सिस्टम' शब्द भी जुड़ सा गया था. एल्विश भाई को कोई कुछ बोल सकता है क्या - टाइप मीम चलने लगे. गाने बनाए तो वो भी वायरल हुए. मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और सांसदों के साथ इस एल्विश ने फ़ोटो खिंचाई. अब यही एल्विश यादव पुलिस के सिस्टम में फंस गए हैं. क्योंकि नोएडा पुलिस ने एल्विश के खिलाफ FIR दर्ज की है. किस केस में? रेव पार्टियों में सांप के जहर के कथित इस्तेमाल के मामले में. FIR में एल्विश समेत 5 अन्य लोगों के नाम भी दर्ज हैं. एल्विश पर तस्करी से लेकर गैर कानूनी तरीके से रेव पार्टी आयोजित कराने का आरोप है. आरोप ये भी कि इन पार्टियों में एल्विश विदेशी लड़कियों और नशे के सामान की सप्लाई करता है.
रेव पार्टी, सांपों की तस्करी और सांप के जहर से नशा, एल्विश यादव पर क्या-क्या आरोप लगे हैं?
एल्विश यादव ने खुद पर लगे सभी आरोपों को झूठा बताया है.
सबसे पहले बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और सामने कैसे आया? दरअसल नोएडा की पुलिस ने सेक्टर 49 इलाके में रेड मारी और 5 लोगों को गिरफ्तार किया. पुलिस को वहां से क्या मिला वो भी जान लीजिए. 9 तरह के सांप जिसमें 5 कोबरा सांप भी थे. और साथ ही 20 मिलीलीटर स्नेक वेनम यानी सांप का जहर. जब पुलिस ने गिरफ्तार लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि वो लोग सांप के जहर का इस्तेमाल रेव पार्टी में करते हैं. पूछताछ में सख्ती की गई तो इन लोगों ने अपने सरगना के तौर पर एल्विश यादव का भी नाम ले लिया. इसके बाद एल्विश समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. इन पर वन्य जीव संरक्षण अधियनियम 1972 की धारा 9, 39, 48ए, 49, 50 और 51 के तहत केस दर्ज हुआ है. जो धाराएं लगाई गईं हैं वो गैर जमानती हैं. पांच आरोपियों की पहचान राहुल, टीटूनाथ, जयकरन, नारायण और रविनाथ के तौर पर हुई है.
अब आपको वो कहानी बताते हैं जिसकी बिनाह पर नोएडा पुलिस ने ये रेड मारी. मुखबिर कौन? सूचना किसने दी? मुराद किसकी टाइप सवालों के जवाब. ये मामला पुलिस तक पहुंचाने के पीछे एक संस्था का हाथ है- नाम है PFA (People for Animals). ये पशुप्रेमी ऑर्गनाइजेशन बीजेपी सांसद मेनका गांधी चलाती हैं. इस संस्था में काम करने वाले गौरव गुप्ता ने सेक्टर 49 थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी. इस शिकायत में ही एल्विश यादव का नाम लिया गया था. कहा गया था कि वो अपने गिरोह के साथियों के साथ नोएडा और NCR के फार्म हाउसों में जिंदा सांपों के साथ वीडियो शूट कराता है. साथ ही गैर कानूनी रूप से रेव पार्टियां कराता है. आरोप ये भी है कि इन पार्टियों में विदेशी युवतियां बुलाई जाती थीं और पार्टी में सांप के जहर और नशीली चीजों का सेवन किया जाता है.
इन इनपुट्स के आधार पर एक मुखबिर ने एल्विश यादव से संपर्क किया. एल्विश से मुखबिर ने कहा कि नोएडा में रेव पार्टी करवानी है. ये भी डिमांड रखी कि इस पार्टी में सांप चाहिए, और कोबरा का जहर भी चाहिए. जानकारी आई कि एल्विश ने पार्टी के लिए सहमति दे दी. FIR में लिखा है कि एल्विश ने राहुल नाम के एक एजेंट का नंबर दिया और कहा कि, 'मेरा नाम लेकर बात कर लो'. इसके बाद मुखबिर ने एजेंट राहुल का नंबर यह नंबर मेनका गांधी के ऑर्गेनाइजेशन तक पहुंचा दिया.
रेड के बाद पुलिस ने बाकी लोगों को तो अरेस्ट कर लिया, लेकिन एल्विश अभी तक पहुंच से बाहर है.
अब यहां तक आप पूरा केस समझ गए होंगे. अब बात करेंगे इस मामले को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोपों के राउंड की. हमने आपको शुरुआत में बताया था कि मेनका गांधी के NGO की टिप पर पुलिस ने रेड मारी थी. अब मेनका गांधी ने एल्विश को इस पूरे प्रकरण का सरगना बताया है. मेनका गांधी के आरोपों पर एल्विश यादव खुलकर सामने आए हैं आज दोपहर करीब 2 बजे एल्विश ने ट्विटर (x) पर मेनका गांधी को जवाब देते हुए लिखा-
'ऐसे लोगों को ऐसे पदों पर बैठा देखकर हैरान हूं. जिस हिसाब से इल्ज़ाम लगाया है मैडम ने उस हिसाब की माफी भी तैयार रखें'
इस पोस्ट के अलावा एल्विश ने वीडियो जारी कर खुद पर लग रहे इल्ज़ामों को सिरे से खारिज किया है.
एल्विश का कहना है कि अगर उनके खिलाफ 1 परसेंट आरोप भी साबित हुए तो वो जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं. जानकारों का कहना है कि अगर एल्विश के खिलाफ अगर पुख्ता सबूत हुए तो उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है. नोएडा के डीसीपी राम बदन सिंह का कहना है कि पुलिस अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. शिकायतकर्ता ने जो सबूत दिए हैं पुलिस अभी उसे वेरिफाई कर रही है.
इसके बाद सोशल मीडिया पर भी बवाल हो रहा है, एल्विश यादव का साथ देने वालों का एक जत्था है तो उसके विरोधियों का भी. साथ देने वाले मेनका गांधी और उनके संगठन को टारगेट कर रहे हैं और विरोधी कर रहे हैं कड़ी सजा की मांग. और हम कर रहे हैं न्याय की मांग. कानून सम्मत कार्रवाई हो, दोषी और निर्दोष सभी को उसके हिस्से का न्याय डिलिवर किया जाए. लेकिन न्याय की गुहार अभी नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मौजूद विश्वविद्यालय से भी उठ रही है. जिसके कैंपस में एक लड़की का यौन शोषण किया गया. और पूरा मामला जानने के पहले लगभग 15 सेकंड की इस फोन कॉल का ब्यौरा जानिए.
जब हमने उस स्टूडेंट को फोन किया, तो उसकी कांपती हुई आवाज हुई.
'हैलो"
उस आवाज में बहुत चुप्पी थी. बहुत ज्यादा उदासी थी. इधर से हमारे साथी सिद्धांत मोहन ने अपना परिचय दिया. उस लड़की ने आवाज सुनकर कुछ देर कुछ नहीं कहा. फिर कहा - "बात नहीं कर पाऊँगी"
फोन कट गया.
ये स्टूडेंट IIT BHU की थी. ये देश का एक और IIT है, जिसका कैम्पस बनारस में मौजूद Banaras Hindu Universtiy के कुछ सौ एकड़ में फैले कैंपस के अंदर है. यहाँ सैकड़ों बच्चे बीटेक-एमटेक की पढ़ाई करते हैं. बहुत सारे स्टूडेंट रीसर्च करते हैं. देश-दुनिया में पढ़ने-पढ़ाने जाते हैं. और कैंपस भी शानदार है. दूर-दूर तक फैले हुए खेत हैं. पेड़ पौधे और हरियाली है.
लेकिन इस सुरम्य-सुखद कैंपस में पढ़ने वाली एक स्टूडेंट बोलने से बच क्यों रही है? क्योंकि वो स्टूडेंट बर्बरता का शिकार हुई. उसका यौन उत्पीड़न हुआ. इसी कैंपस के भीतर. अंधेरा था जब तीन लोगों ने जबरदस्ती उसे किस किया. उसके कपड़े उतार दिए. उसका वीडियो बनाया. लगभग 15 मिनट तक उसे निर्वस्त्र खड़ा रखा. इस पर जब खबरें आईं तो पूरा BHU उबाल पर आ गया. BHU का वो पुराना घाव सामने आ गया - कैंपस के अंदर छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं.
इस बहस पर बाद में आएंगे. हम पहले घटना को विस्तार से समझते हैं. अगले चंद मिनटों में हम इस घटना की डीटेल आपको देने वाले हैं. ये डीटेल हमें इस स्टूडेंट द्वारा लिखाई गई FIR के जरिए बता रहे हैं. ये डीटेल भयानक है, लेकिन ये इस घटना का अब तक का सच है.
"मैं 2 नवंबर की रात लगभग डेढ़ बजे अपने हॉस्टल न्यू गर्ल्स IIT BHU से वॉक के लिए निकली. जैसे ही मैं गांधी स्मृति छात्रावास चौराहे के पास पहुंची, वहीं पर मेरा दोस्त मुझे मिला. हम दोनों साथ में जा रहे थे कि रास्ते में कर्मन बाबा मंदिर से करीब 300-400 मीटर के बीच एक बाइक पीछे से आई. जिस पर तीन लोग बैठे हुए थे. उन लोगों ने अपनी बाइक खड़ी कर दी. मुझे और मेरे दोस्त को अलग कर दिया. मेरा मुंह दबा दिया, फिर एक कोने में लेकर गए. उन्होंने पहले मुझे किस किया. फिर मेरे पूरे कपड़े उतार दिए. मेरा वीडियो बनाया. मेरी फ़ोटो भी उतारी. मैंने जब भी बचाओ-बचाओ के लिए चिल्लाया, तो मुझे मारने की धमकी दी. जबरदस्ती मेरा फोन नंबर ले लिया. 10-15 मिनट तक मुझे बंधक बनाए रखा. उसके बाद उन्होंने मुझे छोड़ दिया. वहाँ से मैं अपने हॉस्टल के लिय भागी. पीछे से मुझे बाइक की आवाज सुनाई दी. मुझे सामने प्रोफेसर का निवास दिखा. मैं उसके अंदर घुस गई. वहाँ 20 मिनट तक रुकी रही. उसके बाद मैंने प्रोफेसर से संपर्क किया. तो मुझे सिक्युरिटी गार्ड तक ले जाया गया"
ये था पीड़िता का बयान. हो सकता है इसको पढ़कर आपमें से कई लोगों के अंदर गैर-वाजिब और मूर्खतापूर्ण सवाल उठ रहे होंगे -
1 - लड़की रात को डेढ़ बजे क्यों निकली?
2 - लड़की रात को लड़के के साथ क्या कर रही थी?
3 - लड़का क्या कर रहा था? उसने लड़की को क्यों नहीं बचाया?
लेकिन इन सवालों पर सलाहियत या स्कूलिंग चालू करेंगे तो बहुत वक्त बर्बाद होगा. ऐसे में आपको पूरा केस समझना पड़ेगा. तब शायद जवाब आपको खुद मिल जाएं.
घटना घटने के कुछ ही देर बाद कैंपस में हल्ला मचा. स्टूडेंट ने उसका यौन शोषण करने वाले लोगों के बारे में कुछ बातें बता दी थीं - तीनों रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 से आए थे. एक थोड़ा मोटा था. एक थोड़ा पतला. तीनों मीडियम हाइट के. तीनों हमलावरों की कैंपस में खोज शुरू हुई. कहीं से कोई सुराग नहीं मिल रहा था. तीनों फरार थे. इधर तमाम प्रयासों के बाद वाराणसी के लंका थाने में FIR लिखवाई गई.
लेकिन छात्र इससे खुश नहीं थे. उन्होंने BHU के अंदर अपने साथी के लिए प्रोटेस्ट शुरू किया. उन्होंने कहा कि कैंपस में बाहरी लोग घुस आते हैं, जिसके बाद वो कई सारी घटनाओं को अंजाम देते हैं. वो तीनों आरोपियों के अरेस्ट की मांग करने लगे. कैंपस की सुरक्षा बढ़ाने की मांग उठाने लगे. सैकड़ों छात्रों ने कैंपस की रास्तों को बंद कर दिया था. 2 नवंबर की सुबह शुरू हुआ ये प्रोटेस्ट आधी रात तक चलता रहा.
छात्रों को मनाने तीन किस्म के प्रशासनिक अमले सामने आए -
1 - BHU का प्रशासन
2 - IIT BHU का प्रशासन
3 - वाराणसी नगर और पुलिस प्रशासन
पुलिस ने स्टूडेंट्स को आश्वासन दिया कि वो जल्द ही आरोपियों को पकड़ लेंगे. BHU और IIT दोनों के प्रशासन ने भी छात्रों को ये उम्मीद दी कि वो सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएंगे. उन्होंने छात्रों की एक और मांग मान ली कि रात में आईआईटी में एंट्री-एग्जिट के लिए एक ही प्वाइंट बनाया जाए. और cctv कैमरे लगाए जाएंगे. मॉनीटरिंग और सुरक्षा गार्डों की गश्ती बढाई जाएगी.
लेकिन छात्र एक और मांग लेकर बैठे थे, जो थोड़ी जटिल थी. छात्र कह रहे थे कि BHU के अंदर एक बाउंड्री खींची जाए. एक दीवार. जो आईआईटी और bhu के कैंपस को एक दूसरे से अलग करे. छात्रों का तर्क था कि BHU में बहुत सारे संकाय और संस्थान हैं. वहाँ बहुत सारे लोग आते-जाते हैं. जिनका आईआईटी से कोई लेनादेना नहीं होता है. ऐसे में एक कैपस के अंदर बाउंड्री खींच दी जाएगी तो आईआईटी वाला हिस्सा ज्यादा सेफ हो जाएगा. वो ये भी कहने लगे कि BHU में मौजूद पिछले गेट, जिसे हैदराबाद गेट भी कहते हैं, उसे आईआईटी का गेट बनाया जाए.
ये मांग क्यों जटिल थी? हमने ये सवाल कुछ छात्रों और पूर्व छात्रों से पूछा. उन्होंने बताया कि BHU के लोगों के लिए पूरा कैंपस एक अभिन्न ईकाई है. वो इसे महामना की बगिया मानते हैं. महामना से यहाँ आशय मदन मोहन मालवीय से है, जो BHU के संस्थापक थे. उन्होंने ही कई लोगों की मदद से bhu की स्थापना की थी. इसलिए BHU के गेट से लेकर आधिकारिक वेबसाइट, कागज, प्रमाण हर जगह उनकी तस्वीर लगाई जाती है. तो महामना की बगिया वाले कान्सेप्ट का आधार है कि मालवीय जी ने कैंपस को एक यूनिट के तौर पर स्थापित किया था. इसलिए उसमें विभाजन करना एक जटिल प्रक्रिया है. इसके लिए BHU और IIT BHU के बीच आम सहमति होनी चाहिए. साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की मंजूरी भी.
BHU और IIT BHU की सहमति तो थी. शिक्षा मंत्रालय की सहमति चाहिए थी. देर रात तक इस सहमति का इंतजार किया गया. ओके आ गया तो IIT BHU के रजिस्ट्रार ने छात्रों को सूचित किया. कहा -
"सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट और IIT BHU के शिक्षकों की एक टीम बाउंड्री के निर्माण के लिए सर्वेक्षण शुरू करेगी."
छात्र बहुत देर तक लिखित आश्वासन का इंतजार करते रहे. फिर लिखित में आश्वासन आ गया, तो ही छात्रों ने धरना खत्म करने का फैसला लिया. लेकिन छात्रों ने फोन पर अपना नाम न छापने की शर्त पर तीन बातें बताईं -
1- जिस स्टूडेंट का यौन शोषण हुआ, उस पर निगरानी की जा रही है. बात करने से रोका जा रहा है.
2- आरोपियों को अब तक अरेस्ट नहीं किया गया.
3- BHU में कई जगहों पर अभी तक सर्विलांस और CCTV से निगरानी नहीं शुरू हुई है (शायद इसीलिए स्टूडेंट ने इसकी मांग उठाई और प्रशासन ने इस मांग को मान लिया)
लेकिन ये BHU की अकेली घटना नहीं है. बीते कुछ सालों में BHU में बहुत सारी घटनाएं होती रही हैं, कुछ सुर्खियां बटोरती हैं, कुछ सुर्खियां नहीं बटोरती हैं. बानगी देखिए -
साल 2015 - BHU के आयुर्वेद विभाग में रिसर्च करने आई एक विदेशी महिला डॉक्टर का आईआईटी के पास कुछ लोगों ने बलात्कार करने की कोशिश की, उसे पीटा.
साल 2016 - हिन्दी विभाग के एक छात्र का कैंपस के अंदर कार में घसीटकर बलात्कार किया गया. उसे गुदाद्वार को सिगरेट से जलाया गया - ये भी खबरें आईं.
साल 2016 - BHU अस्पताल की एक महिला डॉक्टर ने एक रेसीडेंट डॉक्टर पर बलात्कार करने पर पीटने का आरोप लगाया.
साल 2017 - लाइब्रेरी से हॉस्टल लौट रही लड़की के कपड़ों में तीन लड़कों ने हाथ डाल दिया और पूछा, “रेप करवाओगी, या अपने हॉस्टल जाओगी?” पीड़ित लड़की जब यूनिवर्सिटी प्राक्टर के पास शिकायत करने पहुंची तो उससे पूछा गया कि वह हॉस्टल के बाहर कर क्या रही थी?
इस घटना के बाद बहुत बड़ा बवाल हुआ था. छात्राएं गेट पर पहुंच गई थीं. उन्होंने प्रशासन से मांग की थी कि स्ट्रीट लाइट, cctv कैमरे और 24 घंटे तक गार्ड की तैनाती की मांग की. दरअसल BHU में बहुत जगह ब्लाइंड स्पॉट हैं. वहां कैमरे भी नहीं हैं, न ही स्ट्रीट लाईट हैं. बहरहाल, प्रशासन ने इस आंदोलन को लाठीचार्ज, आंसूगैस के गोलों की फायरिंग से खत्म कराया था.
ध्यान रहे कि ये वो कुछ घटनाएं हैं, जिन्होंने सुर्खियां बटोरी थीं. जिनकी एकाधिक खबरें किसी न किसी मौके पर प्रकाशित हुई थीं. कई घटनाएं अब भी सुर्खियों से नदारद हैं.
ज़ाहिर है कि सिस्टम में कहीं न कहीं दिक्कत है. उसे ठीक किया जाना जरूरी है. दुरुस्त करने के वादे नहीं होने चाहिए, काम होना चाहिए. लड़कियां रात में बाहर न निकलें टाइप हिदायत तब ठीक लगती हैं, जब प्रशासन अपनी तैयारी में पक्का हो, और फिर भी स्थितियाँ नियंत्रण में न हों. और ज़ाहिर है कि अगर तैयारियां पक्की होंगी तो हिदायतों और सवालों कीजगह ही नहीं बचेगी. रहे हैं कड़ी सजा की मांग. और हम कर रहे हैं न्याय की मांग. कानून सम्मत कार्रवाई हो, दोषी और निर्दोष सभी को उसके हिस्से का न्याय डिलिवर किया जाए.