तड़-तड़-तड़ की आवाज़. अफ़रातफ़री. सीक्रेट सर्विस की घेराबंदी. उस घेरे से एक हाथ और एक चेहरा बाहर निकलता है. कनपटी पर लाल रंग की रेखाएं तैरती दिखतीं है. तभी वो मुट्ठी भींचकर कहता है - Fight. वो तस्वीर क़ैमरों के साथ-साथ इतिहास के पन्ने पर भी चस्पा हो जाती है. उस व्यक्ति को दुनिया डोनल्ड जॉन ट्रंप के नाम से जानती है. अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति. और, अगले राष्ट्रपति चुनाव में जीत के सबसे प्रबल दावेदार.
ट्रंप पर हमले से अमेरिका में क्या बदल जाएगा?
जैसे ही ट्रंप ने भाषण देना शुरू किया, हमलावर सतर्क हो गया. थोड़ी ही देर बाद गोलियों की आवाज़ सुनाई देने लगी. ट्रंप ने पहले अपना दायां कान पकड़ा. फिर नीचे झुके और मंच पर लेट गए. तब तक सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स एक्टिव हो चुके थे.


13 जुलाई की शाम ट्रंप पेन्सिलवेनिया के बटलर में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. पेन्सिलवेनिया, न्यूयॉर्क का पड़ोसी राज्य है. अमरीका के पूरब में बसा है. पेन्सिलवेनिया को स्विंग स्टेट माना जाता है. ऐसा स्टेट जो कभी डेमोक्रेटिक तो कभी रिपब्लिकन पार्टी को जिताता रहता है. जैसे, 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को जीत मिली. 2020 में ये स्टेट जो बाइडन के खाते में गया था. स्विंग स्टेट्स पर नेताओं का ध्यान सबसे ज़्यादा रहता है. ट्रंप का भी है. फिर भी उनको रैली तक पहुंचने में घंटे भर की देरी हो गई. इसके बावजूद भीड़ अपनी जगह से नहीं हिली थी. और, ना ही हिला था वो हमलावर, जिसके सिर पर जान लेने का भूत सवार था. जैसे ही ट्रंप ने भाषण देना शुरू किया, हमलावर सतर्क हो गया. थोड़ी ही देर बाद गोलियों की आवाज़ सुनाई देने लगी. ट्रंप ने पहले अपना दायां कान पकड़ा. फिर नीचे झुके और मंच पर लेट गए. तब तक सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स एक्टिव हो चुके थे. उन्होंने तुरंत संदिग्ध शूटर को मार गिराया. कुछ एजेंट्स ट्रंप को घेरे में लेकर बाहर ले गए. फिर उनको अस्पताल ले जाया गया. कुछ समय बाद उनको छुट्टी दे दी गई.
होने को तो कहानी यहीं पर खत्म हो सकती थी. मगर ये इतना आसान नहीं था. हत्या की कोशिश उस शख़्स की हुई थी, जो चार बरस पहले अमरीका का राष्ट्रपति था. और, चार महीने बाद फिर से राष्ट्रपति बन सकता है. इसलिए, अमरीका के साथ-साथ पूरी दुनिया में हड़कंप मचा. अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन को छुट्टी कैंसिल कर वाइट हाउस लौटना पड़ा. उन्होंने ट्रंप से फ़ोन पर बात की. फिर देश के नाम संबोधन दिया. बोले, माहौल गर्म हो गया है. हमें ठंड रखने की ज़रूरत है. राष्ट्रपति बाइडन शांति की अपील कर रहे हैं. मगर असली सवाल तो ये है कि क्या कोई उनकी सुनेगा?
तो, समझते हैं-
- ट्रंप पर जानलेवा हमले के बाद क्या पता चला?
- सीक्रेट सर्विस की स्क्रूटनी की बात क्यों चल रही है?
- और, अमरीका की राजनीति में क्या-क्या बदल सकता है?
एक नज़र टाइमलाइन पर.
तारीख़, 13 जुलाई 2024. शाम के 06 बजकर 02 मिनट पर डोनल्ड ट्रंप माइक पकड़ते हैं. तब भारत में रात के तीन बज रहे थे. उनके भाषण की शुरुआत अवैध शरणार्थियों के मुद्दे से होती है. वो दावा करते हैं कि उनके समय में अवैध बॉर्डर क्रॉसिंग्स कम थीं. बाइडन के कार्यकाल में संख्या बढ़ रही है. वो कहते हैं, हमारे देश का क्या हाल कर दिया…
वो अपनी लाइन पूरी कर पाते, उनको झटका सा लगा. कोई चीज़ उनके दाएं कान को छूते हुए तेज़ी से निकली. ट्रंप ने अपना कान पकड़ा और नीचे झुक गए. सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ने तुरंत उनको अपने घेरे में ले लिया. एक एजेंट ने कंफ़र्म करने के लिए पूछा, क्या सब ठीक है? दूसरी तरफ़ से जवाब आया, शूटर इज डाइन.
इसके बाद ट्रंप मुट्ठी भींचते हैं. भीड़ चिल्लाती है, यूएसए. फिर ट्रंप को पास के अस्पताल में भर्ती किया जाता है. 06 बजकर 42 मिनट - सीक्रेट सर्विस बयान जारी करती है. कहती है, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप सेफ़ हैं.
-08 बजकर 13 मिनट - जो बाइडन हमले की निंदा करते हैं. कहते हैं, अमरीका में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है.
-08 बजकर 42 मिनट - हमले के बाद ट्रंप का पहला रिएक्शन आया. ट्रूथ सोशल पर लिखा, सीक्रेट सर्विस और पुलिस को शुक्रिया. हमले में जिसकी मौत हुई, उसके लिए संवेदनाएं. जो घायल हुए, उनकी सलामती की प्रार्थना करता हूं. ये आश्चर्यजनक है कि हमारे देश में ऐसी चीज़ हो सकती है.
-रात के 12 बजे - ट्रंप का प्लेन न्यू जर्सी के नेवार्क लिबर्टी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर लैंड होता है. हमले के बाद ट्रंप का पहला वीडियो बाहर आता है. उसमें वो सामान्य दिखते हैं.
- हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई. मृत शख़्स का नाम था, कोरी कॉम्परटोर. उम्र, 50 बरस. वो बटलर में फ़ायर डिपार्टमेंट के चीफ़ रह चुके थे. उन्होंने अपने परिवार को बचाने के लिए अपना शरीर आगे कर दिया था. इसके अलावा, दो और लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. उनका इलाज चल रहा है.
- हमले की जांच की ज़िम्मेदारी फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (FBI) को मिली. 14 जुलाई को उन्होंने शुरुआती जांच के नतीजे सामने रखे. पता चला, संदिग्ध हमलावर का नाम थॉमस मैथ्यू क्रुक्स था. उम्र, 20 साल. वो एक नर्सिंग सेंटर के किचन में काम करता था. उसका घर हमले वाली जगह से लगभग 70 किलोमीटर दूर है.
-क्रुक्स 2022 में हाईस्कूल से पास हुआ. लोकल अख़बारों में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वो पढ़ाई में अच्छा था. उसको मैथ और साइंस में अच्छे मार्क्स के लिए इनाम मिला था. हालांकि, उसके क्लासमेट्स का कहना है कि उसको स्कूल में बुली किया जाता था. इसलिए, वो सबसे अलग-थलग रहता था.
-वोटर रेकॉर्ड्स के मुताबिक़, क्रुक्स ने रिपब्लिकन पार्टी की सदस्यता ले रखी थी. डॉनल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से ही हैं. क्रुक्स ने डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े एक संगठन को भी डोनेशन दिया था.
-2023 में उसने एक लोकल शूटिंग क्लब जॉइन किया. वहां वो लंबी दूरी का निशाना लगाने का अभ्यास करता था. 13 जुलाई की शाम उसने लगभग 150 मीटर की दूरी से गोली चलाई थी. न्यूज़ एजेंसी AP की रिपोर्ट के मुताबिक़, जिस हथियार का इस्तेमाल हमले में किया गया, वो क्रुक्स के पिता ने खरीदा था. FBI को उसकी गाड़ी में कुछ संदिग्ध चीज़ें भी मिलीं. जिसके बाद बम डिफ़्यूजल टीम को बुलाया गया.
हमले का मकसद क्या था?इसको लेकर कोई जानकारी बाहर नहीं आई है. FBI ने सावर्जनिक तौर पर कहा है कि मोटिव के बारे में कुछ पता नहीं चला है. क्रुक्स के पिता का कहना है कि उनका बेटा ये देखने की कोशिश कर रहा था कि चल क्या रहा है. इसी बीच उसको गोली मार दी गई. उन्होंने इसके अलावा कुछ और बोलने से इनकार कर दिया है. ये तो हुई हमले की पूरी कहानी. अब समझते हैं कि अमरीका में क्या चल रहा है?
सबसे ज़्यादा बहस सीक्रेट सर्विस पर हो रही है. अमरीका में पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवार की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उन्हीं के पास होती है. डॉनल्ड ट्रंप की सिक्योरिटी भी वही संभाल रही थी.
- स्थापना जुलाई 1865 में हुई थी. वित्त मंत्रालय के अधीन. इनका काम फ़ेक करेंसी, फ़ेक स्टाम्प और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले फ़्रॉड्स को रोकना था.
- फिर आया 1894 का साल. सीक्रेट सर्विस कुछ जुआरियों को ट्रेस कर रही थी. उसी दौरान उनको तत्कालीन राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड की हत्या की साज़िश का पता चला. तब एजेंसी ने राष्ट्रपति को सुरक्षा दी.
- सितंबर 1901 में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैक्किन्ले को गोली मार दी गई. वो तीसरे अमरीकी राष्ट्रपति थे, जिनकी पद पर रहते हुए हत्या हुई. उनसे पहले 1881 में जेम्स गारफ़ील्ड और 1865 में अब्राहम लिंकन को मारा गया था.
- मैक्किन्ले की हत्या के बाद संसद ने सीक्रेट सर्विस से मदद मांगी. आख़िरकार, 1902 से अमरीका के राष्ट्रपति और वाइट हाउस की सुरक्षा का ज़िम्मा उन्होंने संभाल लिया. आर्थिक अपराधों की जांच की ज़िम्मेदारी उनके पास बनी रही.
सीक्रेट सर्विस में लगभग 32 सौ स्पेशल एजेंट्स हैं. 13 सौ से अधिक वर्दीधारी गार्ड्स वाइट हाउस, ट्रेजरी बिल्डिंग और विदेशी दूतावासों की सुरक्षा करते हैं. दो हज़ार से अधिक लोग टेक्निकल काम संभालते हैं.
सीक्रेट सर्विस किनको सुरक्षा देती है?- अमरीका के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और उनकी ग़ैर-मौजूदगी में संबंधित पद पर बैठने वाले लोगों और उनके परिवार वालों को.
- पूर्व राष्ट्रपति और उनके पार्टनर को. अगर पार्टनर दूसरी शादी कर ले तो सुरक्षा हटा ली जाती है.
- पूर्व राष्ट्रपति के बच्चों को. 15 बरस की उम्र तक.
- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के संभावित दावेदारों और उनके पार्टनर्स को.
- अमेरिका के दौरे पर जाने वाले विदेशी नेताओं को.
- होमलैंड सिक्योरिटी की तरफ़ से तय कार्यक्रमों को.
- वैसे लोगों को जिन्हें सुरक्षा देने का आदेश राष्ट्रपति की तरफ़ से आए.
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सिक्योरिटी के लिए एजेंट्स तय होते हैं. वे दोनों सुरक्षा लेने से मना भी नहीं कर सकते. बाकी लोग चाहें तो ना कह सकते हैं. पूर्व राष्ट्रपतियों को सुरक्षा देने के लिए 1958 में फ़ॉर्मर प्रेसिडेंट्स एक्ट पास किया गया था. 1965 से उन्हें आजीवन सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा मिलने लगी. 1994 में बिल क्लिंटन ने आजीवन वाला नियम हटाकर लिमिट तय कर दी. पद छोड़ने के 10 बरस बाद तक. 2012 में बराक ओबामा ने लाइफ़टाइम प्रोटेक्शन वाला नियम फिर से बहाल कर दिया.
ट्रंप का मामला गंभीर क्यों ?ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति तो हैं ही. साथ ही साथ, वो 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के संभावित उम्मीदवार भी हैं. प्री-इलेक्शन पोल्स में उनको बढ़त दिख रही है. ऐसे में उनकी सुरक्षा काफ़ी ज़रूरी हो जाती है. ट्रंप पर हमले के बाद सीक्रेट सर्विस पर कई आरोप लगे. कहा गया, जानबूझकर ट्रंप की सुरक्षा में ढील दी गई. कम संख्या में एजेंट्स को मौके पर तैनात किया गया. सीक्रेट सर्विस ने इन आरोपों का खंडन किया है. हालांकि, संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रेप्रजेंटेटिव्स ने सीक्रेट सर्विस की मुखिया किम्बरली सीटल को समन भेजा है. 22 जुलाई को सदन की एक कमिटी उनसे पूछताछ करेगी. इसके अलावा, राष्ट्रपति बाइडन ने एजेंसी की स्वतंत्र समीक्षा कराने का वादा भी किया है.
हमले का अमरीका की राजनीति पर असरअमरीका में 05 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव है. वहां दो पार्टियों के बीच टक्कर चलती है. डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन. डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन अभी राष्ट्रपति हैं. वो इस बार के चुनाव में भी दावेदारी पेश कर रहे हैं. मगर उम्र और ख़राब फ़िटनेस ने उनके लिए मुश्किलें पैदा की हैं. 27 जून की प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद उनकी उम्मीदवारी पर सवाल उठ रहे हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर उनको हटाने की मांग चल रही है. पार्टी के कई सांसदों ने उनसे नाम वापस लेने की अपील की है. बाइडन ने इससे इनकार किया है.
डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रतिद्वंदी है - रिपब्लिकन पार्टी. उसके संभावित उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप हैं. 15 जुलाई से विस्कॉन्सिन में रिपब्लिकन पार्टी का नेशनल कन्वेंशन शुरू हो रहा है. इसी में उनके नाम पर औपचारिक मुहर लगेगी. हमले में घायल होने के बावजूद वो इसमें शामिल हो रहे हैं. उनका भाषण 18 जुलाई को है. अभी तक ट्रंप ने बाइडन की फ़िटनेस को सबसे बड़ा मुद्दा बना रखा था. हमले के बाद वो सुरक्षा में नाकामी का मसला ज़ोर-शोर से उठाएंगे. उनके पास ये कहने का मौका है कि, अगर सरकार एक पूर्व राष्ट्रपति को सिक्योरिटी नहीं दे सकती, फिर आम लोगों का क्या होगा? ट्रंप के क़रीबी लोगों ने ये सवाल पूछना शुरू भी कर दिया है.
अमरीका में राजनीतिक हिंसा का इतिहासअमरीका में अब तक चार राष्ट्रपतियों की पद पर रहते हुए हत्या हो चुकी है. 1865 में अब्राहम लिंकन. 1881 में जेम्स गारफ़ील्ड. 1901 में विलियम मैक्किन्ली और 1963 में जॉन एफ़ केनेडी. केनेडी की हत्या के बाद राष्ट्रपति को खुली गाड़ी में घूमने पर रोक लगा दी गई. इसके अलावा, कई राष्ट्रपतियों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं. सबसे ख़तरनाक अटैक मार्च 1981 में रोनाल्ड रीगन पर हुआ था. गोली ने रीगन के फेफड़े को चीर दिया था. उनको 12 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा था. इस दौरान कुछ समय के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री अलेक्जेंडर हेग ने कार्यवाहक राष्ट्रपति की ज़िम्मेदारी संभाली थी. क्योंकि तब के उपराष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यु. बुश और निचले सदन के स्पीकर वॉशिंगटन में नहीं थे. पिछले 43 बरसों में किसी मौजूदा या पूर्व राष्ट्रपति पर ऐसा हमला नहीं हुआ. मगर 13 जुलाई की घटना ने फिर से इतिहास बदल दिया है.
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