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ED ने संजय सिंह का फोन जब्त किया, कोर्ट ने पूछा 'फोन जब्त करने का कारण बताइए'

CBI और ED को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा अपनी काबिलियत का सही इस्तेमाल करें?

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संजय सिंह और मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाले में ED ने गिरफ्तार किया है.

4 अक्टूबर की शाम जब संजय सिंह अरेस्ट हुए, तो राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आईं. और फिर सामने आई ED की चार्जशीट जिसमें कहा गया था कि संजय सिंह ने ही दिनेश अरोड़ा नाम के व्यापारी की मुलाकात मनीष सिसोदिया से कराई थी. ये सब हमने आपको कल ही बताया था.

लेकिन अब कुछ और आरोप सामने आए हैं. आरोप ये कि संजय सिंह बस मुलाकात करवाने तक ही नहीं सीमित थे, उन्होंने पैसे का भी लेन-देन किया. जी. ED ने आरोप लगाए हैं कि इस केस के सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा ने संजय सिंह को "करोड़ों" रुपए दिए थे. हालांकि अभी तक इस "करोड़ों" में कितने करोड़ हैं, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आ सकी है. इसके अलावा ed ने ये भी आरोप लगाए हैं कि संजय सिंह दिल्ली वो विवादित शराब पॉलिसी भी बनाने में शामिल रहे, जिसमें भ्रष्टाचार हुआ.  

बहरहाल, अरेस्ट के बाद संजय सिंह को राउस एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया. अंदर कोर्ट में ED की ओर से अपीयर हुए वकील एनके मत्ता. मत्ता ने कहा है कि दिनेश अरोड़ा ने संजय सिंह को दो मौकों पर 2 करोड़ रुपये दिए. कल सर्च किया गया, और जांच के लिए संजय सिंह का फोन सीज कर लिया गया. केस को सुन रहे थे स्पेशल जज एमके नागपाल. उन्होंने तुरंत ED से पूछा,  

"फोन से क्या मिलेगा? या और भी डिजिटल डाटा है? फोन से क्या पता करना है? फोन की कॉल डीटेल तो आप वैसे भी निकाल सकते हैं."  

आगे बढ़ने से पहले संक्षेप में ये समझ लेते हैं कि शराब पॉलिसी है क्या, जिसके चक्कर में ये इतना बड़ा बवाल हो रहा है.

17 नवंबर 2021. ये वो दिन था, जब दिल्ली में नई शराब नीति को लागू किया गया. इस पॉलिसी की सबसे खास बात ये कि दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के काम से खुद को अलग कर लिया. और तय हो गया कि दिल्ली में शराब बस प्राइवेट वेंडर ही बेचेंगे. इसके पीछे सोच थी कि शराब की खरीदारी को और ज्यादा आकर्षक बनाकर ज्यादा से ज्यादा राजस्व आएगा.

लागू करने के लिए क्या किया गया?

- दिल्ली सरकार ने शराब की लगभग 600 सरकारी दुकानों को बंद कर दिया 
- 850 शराब की दुकानों को शराब बेचने का रिटेल लाइसेंस दिया 
- 266 शराब के ठेकों को प्राइवेट कर दिया गया 
- होटल, क्लब, रेस्तरां और बार को रात 3 बजे तक खोलने की इजाजत मिली 
- कुछ लाइसेंस धारकों को 24 घंटे तक शराब बेचने की अनुमति मिली 
- कुछ क्लबों और रेस्तरां को शर्तों के साथ बालकनी और छत पर शराब बेचने की अनुमति मिली 
- बैंक्वेट हॉल, फार्म हाउस, मोटेल, वेडिंग/पार्टी/इवेंट वेन्यू के लिए एक नया लाइसेंस- एल-38 पेश किया गया, जिसमें सालाना फीस पर परिसर में आयोजित सभी पार्टियों में भारतीय और विदेशी शराब सर्व करने की अनुमति दी गई.

जब ये नियम प्रकाश में आए तो शराब की दुकानों पर ऑफर निकाले जाने लगे. कई शराब के ब्रैंड्स पर एमआरपी में छूट दी, कई ब्रैंड्स में एक यूनिट के साथ एक या उससे अधिक यूनिट फ्री दिए जाने लगे. मसलन एक बोतल पर एक या दो बोतल मुफ़्त. शराब के दुकानदार ऐसी स्कीम चलाने लगे तो दुकानों पर भीड़ दिखने लगी.

एकबानगी ये सबकुछ देखने में ग्राहक और दुकानदार दोनों के लिए फायदे का सौदा लगता रहा. फिर आरोप लगने शुरू हुए. कैसे आरोप? दिल्ली सरकार ने शराब की दुकानों को 32 जोन में बांट दिया था और केवल 16 कंपनियों को ही शराब के डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार दिया था. सरकार पर आरोप लगे कि इससे काम्पिटिशन खत्म होने की संभावना बढ़ गई थी. इसके अलावा ये भी खबर आई कि बड़ी कंपनियों ने अपनी दुकानों पर तगड़ा डिकाउंट देना शुरू किया, छोटे व्यापारियों को नुकसान शुरू हुआ, लिहाज वो अपना लाइसेंस सरेंडर करने लगे.

फिर मामले में जांच तब शुरू हुई जब दिल्ली के मुख्य सचिव ने जुलाई 2022 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट भेजी. कहा कि इस शराब पॉलिसी में अनियमितता है. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि इस नीति की आड़ में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया है.

एलजी ने रिपोर्ट मिलते ही CBI जांच की सिफारिश की. CBI ने जुलाई के ही महीने में केस दर्ज किया. फिर अगले महीने यानी अगस्त 2022 में ED ने मनी लॉन्डरिंग का केस दर्ज कर लिया. दोनों एजेंसियों ने जांच शुरू की और पूछताछ हुई. इसके बाद तमाम मनीष सिसोदिया से लगायत अब तक जो गिरफ्तारियाँ हुई हैं, वो सामने ही हैं.

लेकिन बात अब बस मनीष सिसोदिया या संजय सिंह तक ही महदूद नहीं है. ED ने 5 अक्टूबर को साफ कर दिया है कि वो इस केस में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाने वाली है. ये कैसे हुआ? ये जानने के लिए एक दिन पहले चलते हैं.

4 अक्टूबर. जब संजय सिंह के यहां छापा पड़ा हुआ था, उस समय सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका की सुनवाई कर रहे थे. मनीष सिसोदिया के वकील थे अभिषेक मनुसिंघवी और ED और CBI की तरफ से कोर्ट में थे असिस्टेंट सोलिसिटर जनरल SV राजू. ध्यान रहे कि बार-बार दोनों जांच एजेंसियों का कहना रहा है कि शराब नीति में घोटाले की वजह से आम आदमी पार्टी को फायदा पहुंचा, पैसे मिले, चुनावी फंड का इंतजाम हुआ. 4 अक्टूबर को जब कोर्ट में सिसोदिया की जमानत अर्जी सुनी गई तो दोनों एजेंसियों ने फिर से वही बात दुहराई.  

इस पर कोर्ट ने कहा  - 

"जहां तक मनी लॉन्डरिंग एक्ट यानी PMLA की बात है तो आप बार-बार कह रहे हैं कि पैसा एक राजनीतिक पार्टी को गया. लेकिन वो राजनीतिक पार्टी अभी तक आरोपी नहीं बनाई गई है. आप क्या कहेंगे इस पर? मनीष सिसोदिया को लाभ नहीं पहुंचा, लेकिन आप को लाभ पहुंचा."

4 अक्टूबर की बहस यहीं आकर सिमट गई. सुनवाई के लिए अगली डेट मुकर्रर हुई 5 अक्टूबर की. फिर जब कैलेंडर में 5 अक्टूबर की तारीख लगी, तो एक खबर उड़ने लगी - ED और CBI इस केस में AAP को भी पार्टी बनाने पर विचार कर रही हैं.

इस नए डेवलपमेंट पर आम आदमी पार्टी की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आईं. पार्टी की नेता आतिशी ने कहा कि 15  महीने से चल रही जांच के बाद भी ED के पास मनीश सिसोदिया और संजय सिंह के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं हैं, इसीलिए अब वो आम आदमी पार्टी को इस केस में फंसाना चाहते हैं.

इधर अदालत जब 5 अक्टूबर को बैठी तो सिसोदिया के वकील अभिषेक मनुसिंघवी ने कोर्ट से कहा कि ये AAP को आरोपी बनाने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि आपने कल सवाल उठाए थे. इसके बाद कोर्ट ने अपने बयान पर भी सफाई दी. कहा कि उनका मकसद किसी को केस में फंसाना नहीं था, कोर्ट बस एक कानूनी सवाल उठाना चाह रही थी.

इस दिन भी कोर्ट ने ED को आड़े हाथों लिया. दरअसल इसकेस में ED और CBI शुरुआत से कह रहे हैं कि शराब पॉलिसी को ऐसे डिजाइन किया गया था कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचे. व्हाट्सएप पर मनीष सिसोदिया और आरोपियों की बात भी हुई थी.

कोर्ट ने सवाल किया  - इन मैसेज को सबूत माना जा सकता है या नहीं, इसमें संदेह है. 
फिर दोनों एजेंसियों ने ये भी कहा कि सिसोदिया लोगों से सिग्नल ऐप से भी बात कर रहे थे, चूंकि सिग्नल ज्यादा सिक्योर है, इसलिए उसका डेटा अभी तक नहीं सामने आ सका है. 
कुछ देर की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों एजेंसियों से कहा – 

"क्या आपने आरोपियों को आपस में बात करते हुए देखा था? क्या आपके सबूतों को कोर्ट में माना जाएगा? क्या ये बात सरकारी गवाह ने नहीं कही है? ये आपका एक निष्कर्ष है लेकिन इसके सपोर्ट में कोई सबूत तो होना चाहिए? आपके इस निष्कर्ष पर सवाल-जवाब होंगे तो आपका केस दो मिनट में औंधे मुंह गिर जाएगा."

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट दोनों एजेंसियों से साफ कह रहा था कि वो सबूत पेश करें. और जो चीज दोनों एजेंसियां कोर्ट के सामने रख रही हैं, कोर्ट को संदेह है कि वो सबूत हैं भी या नहीं. कोर्ट ने और क्या कहा? प्वाइंट में जानिए -

"सबूत कहां है? दिनेश अरोड़ा को भी पैसा मिला है. दिनेश अरोड़ा के स्टेटमेंट को छोड़ दें तो कोई और सबूत है?"

"मनीष सिसोदिया इन सबमें शामिल नहीं हैं. इसमें विजय नायर (AAP के संचार प्रमुख और व्यापारी) हैं, लेकिन मनीष सिसोदिया शामिल नहीं हैं. आप मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में कैसे लेकर आएंगे? उन तक तो पैसा पहुंच ही नहीं रहा है."

"बतौर जांच एजेंसी आपको एक चेन स्थापित करना होगा. चेन ये कि पैसा शराब वाली लॉबी से मनीष सिसोदिया तक पहुंचा. हम आपकी बात मानते हैं कि चूंकि सबकुछ छुपाकर किया गया, इसलिए चेन स्थापित करना कठिन है. लेकिन इसी जगह पर आपकी काबिलियत का सही इस्तेमाल होता है"

फिर कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख मुकर्रर की. 12 अक्टूबर. अब शराब घोटाले में पार्टी के दो नेता जेल में हैं. इस पूरे मसले पर राजनीति भी जमकर हो रही है. सभी पार्टियों की ओर से प्रतिक्रियाएं आई हैं. और आई हैं संजय सिंह के परिवार से भी. लेकिन भाजपा को भी राजनीतिक खाद पानी मिला है. भाजपा के दिल्ली के सभी सांसद और विधायक आज राजघाट पहुंचे. अरविन्द केजरीवाल से दिल्ली की जनता को मुक्ति मिले, इसलिए प्रार्थना सभा आयोजित की गई.

ये बात कहीं से छुपी हुई नहीं है कि हमारे देश में पहले बदले की राजनीति नहीं हुई है. ED - CBI जैसी एजेंसियों के काम पर पार्टियों ने ही नहीं, न्यायपालिकाओं ने भी सवाल उठाए हैं. उनकी कार्यशैली और उनके छापे को हमेशा सवालों के घेरे में रखा गया है. लेकिन उतनी ही सच ये भी बात है कि देश में घोटाले भी हुए हैं.ऐसे में सच्चाई की तसदीक जरूरी है. उसका सामने आना जरूरी है.