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सतह पर आ रहे हैं समुद्र की गहराइयों में रहने वाले 'शैतान', सच में कोई तबाही आने वाली है?

Deep Sea Creatures Migration: पिछले महीने मेक्सिको के एक समुद्री तट पर एंगलरफिश को देखा गया. इस दुर्लभ दृश्य ने लोगों को हैरत में और वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया.

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Deep Sea Creatures Migration पर जलवायु परिवर्तन के असर को लेकर डिबेट हो रही है. (कॉमन फ्लेटफॉर्म)

बीते महीने एक हैरतअंगेज घटना घटी. समुद्र की गहराइयों में रहने वाली एक मछली स्पेन के एक तट के पास दिखाई दी. इसको एंगलरफिश कहा जाता (Angler Fish Deep Sea) है. दूसरा नाम है- सी डेविल. यानी समुद्री शैतान. ये मछली अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरों में पाई जाती है. समुद्र की सतह से 500 से 4500 मीटर की गहराई (Deep Sea Creatures) पर घुप्प अंधेरे में रहती है.

स्पेन के टेनेरिफ तट पर जो एंगलरशिप देखी गई, वो मादा थी. काले रंग की दमकती हुई इस मछली के दांत लंबे और नुकीले होते हैं. सिर के ऊपर एक लचीला सा 'एंटीना' होता है. ये शिकार को इसकी तरफ आकर्षित करता है. समुद्र के भीतर डर का पर्याय मानी जाती है ये मछली. बड़े ही शातिर तरीके से शिकार करती है और समुद्र के इकोसिस्टम में अहम रोल निभाती है.

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Anglerfish को समुद्र के भीतर डर का पर्याय माना जाता है. (सोशल मीडिया स्क्रीनशॉट)

पिछले महीने मेक्सिको में भी कुछ ऐसा ही हुआ. यहां 9 फरवरी के दिन एक तट पर ओरफिश को उथले पानी में देखा गया. बीच पर पहुंचे एक शख्स रॉबर्ट हायेस ने एक्यूवेदर को बताया,

वो मछली हमारी ही दिशा में आ रही थी. बार-बार अपना सिर उठा रही थी.

हायेस ने और लोगों के साथ मिलकर मछली को वापस से समुद्र में ढकेलने की कोशिश की, लेकिन मछली बार-बार वापस आती रही.

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले साल कम से कम तीन बार ओरफिश को समुद्र की सतहों पर देखा गया. वहीं पिछले महीने मेक्सिको के अलग-अलग तटों पर भी ये नजर आई. एक-दो जगह पर इन्हें मृत भी पाया गया. 9 फरवरी वाले दिन के घटनाक्रम का एक वीडियो X पर पोस्ट किया गया. फियरबक नाम के यूजर ने वीडियो डालते हुए लिखा,

एक डीप सी क्रीचर को मेक्सिको के एक तट पर देखा गया. दुर्लभ ही है कि जब इनका वास्ता इंसानों से पड़ता हो. कहावतें हैं कि इस मछली का दिखना तबाही की निशानी है.

अब ये तबाही की निशानी कैसे है? जापानी मान्यताओं के मुताबिक, ओरफिश को समुद्री देवता रूजिन का दूत माना जाता है. समुद्र की सतह पर इनके दिखने का मतलब है कि धरती के भीतर कोई विनाशकारी गतिविधि होने वाली है. मसलन, भूकंप आ सकता है और फिर सुनामी भी. सोशल मीडिया पर यह भी कहा गया कि फूकुशिमा परमाणु त्रासदी से पहले भी ओरफिश देखी गई थी.

ये तो बात हो गई मान्यताओं की. लेकिन विज्ञान का कहना कुछ अलग है. इस बारे में आगे बात करेंगे. लेकिन उससे पहले समुद्र के भीतर रहने वाले उन जीवों के बारे में जानेंगे, जो पिछले कुछ सालों में सतह पर दिखाई दिए हैं. एंगलरफिश के बारे में हम आपको बता चुके हैं. अब थोड़ा ओरफिश के बारे में जान लेते हैं.

इसे 'सी सरपेंट' कहा जाता है. यानी समुद्री सांप. साल 2013 में एक 5.4 मीटर लंबी ओरफिश को कैलिफोर्निया के तट पर देखा गया था. ऐसा ही कुछ 2017 में फिलीफीन्स में हुआ, जहां एक मछली पकड़े वाले ने अपने जाल में दो ओरफिश फंसाईं. ओरफिश समुद्र में हजार फीट तक की गहराई में रहती है. जापानी मान्यताओं के चलते इसे 'डूम्सडे फिश' भी कहा जाता है.

डीप सी जेलीफिश

ये दुनिया की दुर्लभतम जेलीफिश है. समुद्र में 1000 से 4000 मीटर की गहराई में पाई जाती है. साल 2022 में कैलिफोर्निया के एक तट पर नजर आई थी. देखा गया कि इसके हाथ बहुत लंबे थे. 10 मीटर तक फैल सकते थे. इनका आकार रिबन जैसा था. तस्वीरें देखने के बाद वैज्ञानिक हैरत में पड़ गए थे.

फ्रिल्ड शार्क

इसका सिर नुकीले आकार का होता है. फ्रिल्ड शार्क को 'लिविंग फॉसिल' कहा जाता है. यानी ऐसा जीवाश्म, जो जीवित है. साल 2007 में जापान के एक मछली पकड़ने वाले शख्स ने फ्रिल्ड शार्क को समुद्र की सतह पर देखा था. इसका दिखाई देना एक दुर्लभ घटना थी.

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समुद्र की गहराइयों में रहने वाले जीव ध्रुवों की तरफ माइग्रेट कर रहे हैं. (कॉमन प्लेटफॉर्म)
गॉबलिन शार्क

देखने में यह प्राचीन सी मछली लगती है. समुद्र के भीतर 1000 मीटर की गहराई में पाई जाती है. अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के एक तट पर साल 2014 में देखी गई थी. इसका आकार, नुकीले दांत और डर से भर देने वाला जबड़ा इसे एक ऐसी मछली बनाते हैं, जिसे एक बार देखने के बाद भूला नहीं जा सकता.

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Goblin Shark को एक बार देखने के बाद भूला नहीं जा सकता. (कॉमन प्लेटफॉर्म)
क्या है वजह?

हमने आपको ऊपर बताया था कि समुद्र के भीतर रहने वाले इन जीवों के सतह पर दिखने को लेकर कई बातें हो रही हैं. कहा जा रहा है कि कोई बड़ी त्रासदी होने वाली है. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्रों के बहाव पैटर्न में हो रहे बदलाव, सतह के नीचे बदल रहे वातावरण और शायद इन जीवों के बीमार हो जाने की वजह से वो ऊपर आ रहे हैं. वैज्ञानिक एक बड़ी समस्या की तरफ भी इशारा कर रहे हैं. जो जलवायु परिवर्तन है.

क्लाइमेट चेंज हमारे समय की एक प्रमुख समस्या है. जलवायु परिवर्तन की वजह से जो गर्मी बढ़ रही है, उसका 90 फीसदी हिस्सा समुद्र सोख लेते हैं. इसके चलते समुद्रों का तापमान बढ़ रहा है. तापमान बढ़ने की वजह से समुद्री पानी में मौजूद पोषक तत्वों पर भी असर पड़ रहा है. पानी में मौजूद ऑक्सीजन में भी असंतुलन आ रहा है. गहराई में ऑक्सीजन की सप्लाई घट रही है.

समुद्री पानी में पोषक तत्वों का संतुलन 'मरीन स्नो' से बनता है. पाइथोप्लैंकटन सेल्स और बैक्टीरिया 'पॉर्टिकुलेट ऑर्गैनिक कॉर्बन फ्लक्स' (POC) के तौर पर इन जीवों के पास पहुंचते हैं. लेकिन अब ये मात्रा घट रही है. साथ में तापमान भी बढ़ रहा है. ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि ऑक्सीजन, खाने और बेहतर रिहाइश की तलाश में ये डीप सी क्रीचर ऊपर आ रहे हैं.

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वैज्ञानिकों का कहना है कि इन समुद्री जीवों को ठंडे वातावरण की तलाश है. दोनों तरह के जीवों को. जो सतह के पास रहते हैं और जो ‘सी डेविल’ की तरह गहराई में. ऐसे में ये जीव ध्रुवों की तरफ जा रहे हैं. क्योंकि ध्रुवों पर बर्फ है. लेकिन गहराई में रहने वाले जीवों के प्रवास की दर सतह पर रहने वाले जीवों के प्रवास की दर से चार गुना अधिक है. मतलब, अगर सतह के पास रहने वाला कोई एक समुद्री जीव ध्रुवों की तरफ जा रहा है, तो गहराई में रहने वाले चार जीव ऐसा कर रहे हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इस सदी के आखिर-आखिर में ये दर बढ़कर 11 गुना तक हो जाएगी.

वीडियो: तारीख: समुद्र की इतनी गहराई में जब पहली बार पहुंचा इंसान, अंदर क्या मिला?