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धरती के अंदर हुआ है बड़ा बदलाव, क्या इसी वजह से तो इतने भूकंप नहीं आ रहे?

एक रिसर्च आई है.

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सांकेतिक फोटो. (इंडिया टुडे)

भूकंप (Earthquake) के झटके तो सबने महसूस किए ही होंगे. और हाल ही में सुनने में आया कि धरती के एक हिस्से ने घूमना ही बंद कर दिया! आशंका जताई गई कि कहीं इसी वजह से तो इतने भूकंप नहीं आ रहे हैं? आखिर चल क्या रहा है? अब क्या होगा? और अगर धरती ने घूमना ही बंद कर दिया तो? हालांकि, धरती इतनी आसानी से घूमना बंद नहीं करेगी. दरअसल, एक रिसर्च आई जिसमें बताया गया कि धरती की एक सतह ने घूमना बंद कर दिया. पूरा मामला थोड़ा विस्तार से समझते हैं.

रिसर्च में क्या है?

धरती की तीन सतह होती हैं-

-क्रस्ट

-मैंटल 

-कोर

कोर के दो हिस्से होते हैं. बाहरी कोर और भीतरी कोर. हम फोकस करते हैं भीतरी कोर पर.

भीतरी कोर की खोज 1936 में सिस्मिक वेव्स के कारण हुई थी. सिस्मिक वेव्स, वही तरंगें हैं जिनके कारण भूकंप आता है. इसको इस तरह से समझते हैं. मान लीजिए कुछ पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े हैं जो आपकी मुट्ठी में इस तरह से बंद हैं कि हिलने की जगह बिल्कुल भी नहीं है. अब आप अपनी मुट्ठी को और ज़ोर से बंद करने की कोशिश करेंगे तो कुछ पत्थर के टुकड़े ज़ोर पड़ने के कारण आगे-पीछे हिलने लगेंगे. धरती के भीतर भी कुछ ऐसा ही होता है. इसी हरकत से कुछ तरंगें उत्पन्न होती हैं. इन्हीं को कहते हैं सिस्मिक वेव्स. 

इन्हीं तरंगों का पीछा करते हुए इंसान धरती के सबसे अन्दर वाले हिस्से तक पहुंचा पाया था. यह हिस्सा ठोस आयरन से बना है, जो चारों तरफ से तरल आयरन के गोले से घिरा हुआ है. ऐसे समझिए कि तरल पदार्थ से बना एक बड़ा सा गोला है जिसके अन्दर कोई ठोस वस्तु देखी जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि इसके घूमने की गति बाकी हिस्सों से तेज़ होती है. लेकिन हाल ही में पीकिंग यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स यांग और सोंग की 1995 से 2021 के बीच आए भूकंप की रिसर्च में ये सामने आया है कि इनर कोर 2009 में घूमना बंद हो गया था और इसके बाद जब वो फिर से घूमना शुरू हुआ तो इसकी दिशा बदल चुकी थी.

इससे पहले 1996 में भी पीकिंग यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने सिस्मिक वेव्स में कुछ बदलाव नोटिस किए थे. कुछ शोधकर्ताओं ने इसे एक व्यवस्थित परिवर्तन माना था, जो इनर कोर के सिकुड़ने या फैलने के कारण होता है. इससे पहले सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी पता लगाया था कि 1969 से 1971 के बीच इनर कोर के घूमने की गति कुछ धीमी हो गई थी. 1971 के बाद ही इनर कोर फिर से अपनी तेज़ गति में घूमने लगा था.

शोधकर्ताओं का मानना है कि inner core की गति का सीधा कनेक्शन धरती के बाकी हिस्सों, क्रस्ट और मैंटल से भी है. ये हिस्से धरती की गति को तो प्रभावित करते ही हैं, इसके साथ ही दिन और रात के समय पर भी इनका असर पड़ सकता है.

बदलाव पता कैसे चला?

इस बदलाव की  जानकारी मिली उन्हीं सिस्मिक वेव्स से, जिनकी वजह से भूकंप आता है. यांग और सोंग ने इन्हीं सिस्मिक वेव्स का अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि धरती के इनर कोर तक पहुंचने के बाद तरंगें अपना पैटर्न बदल रही हैं. इसका मतलब है कि भीतरी कोर धरती की ऊपरी सतह के साथ नहीं घूम रहा है. इससे साफ़ होता है कि भीतरी कोर में बदलाव हो रहे हैं.

हालांकि, सभी शोधकर्ता इससे सहमत नहीं है. उनका मानना है कि यह एक व्यवस्थित बदलाव है जो समय के अनुसार होता रहता है. पीकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का भी ये कहना है कि इसका धरती पर रहने वाले लोगों पर कुछ बड़ा असर होगा या नहीं, ऐसा कुछ कह पाना अभी मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अभी इंतजार करना पड़ेगा.

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