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बड़े ब्रांड्स के महंगे प्रोडक्ट आपकी ईगो हर्ट करते हैं तो 'Chivas Regal Effect' को जानना बनता है

दुनिया-जहान के हर ब्रांड की यही स्ट्रेटजी है. मार्केटिंग फंडा है कि अपने प्रोडक्ट को इतना महंगा कर दो कि ग्राहक का ईगो हर्ट (Chivas Regal Effect) हो जाए. ऐसा लगे कि जाओ तुम्हारे बस का नहीं हमारा प्रोडक्ट खरीदना. मगर इस कमाल धमाल स्ट्रेटजी के पितामह तो कोई और हैं. पितामह इसलिए क्योंकि बात सेकंड वर्ल्ड वार के जमाने की है.

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Chivas Regal Effect और बहुबड़े ब्रांड का मार्केटिंग फंडा

Louis Vuitton के बैग, GUCCI के परफ्यूम, Bugatti और Lamborghini जैसी गाड़ियां, iPhone के लेटेस्ट मॉडल, Rolex की घड़ियों में क्या समानता हो सकती है? जबाव बेहद आसान है कि इनकी आसमान छूती कीमत. ये तो सिर्फ उदाहरण हैं, क्योंकि दुनिया-जहान के हर ब्रांड की यही स्ट्रेटजी है. मार्केटिंग फंडा है कि अपने प्रोडक्ट को इतना महंगा कर दो कि ग्राहक का ईगो हर्ट हो जाए. ऐसा लगे कि जाओ तुम्हारे बस का नहीं हमारा प्रोडक्ट खरीदना, या अगर ये प्रोडक्ट तुम्हारे पास है तभी तो असली रईस हो. अच्छी स्ट्रेटजी है. सानु की. मगर क्या वाकई में ये इन कंपनियों की असली स्ट्रेटजी है?

नहीं जनाब. ये सारी कंपनियां तो बच्चे हैं. इस कमाल धमाल स्ट्रेटजी के पितामह तो कोई और हैं. पितामह इसलिए क्योंकि बात सेकंड वर्ल्ड वॉर के जमाने की है. इनकी बिक्री कम हो गई थी उस जमाने में. फिर इन्होंने लगाया अलग किस्म का दिमाग और सेल हो गई ट्रिपल. स्ट्रेटजी का प्रभाव इतना तगड़ा कि नाम ही इसी कंपनी के नाम पर पड़ गया.

Chivas Regal Effect

आप एकदम सही पकड़े. व्हिस्की बनाने वाली Chivas Regal. इसी कंपनी का मार्केटिंग फंडा अपनाकर कई ब्रांड बड़े से बहुब्बड़े हो गए हैं. कहानी बताएंगे, मगर पहले चेतावनी.

शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. हम अपनी स्टोरी में किसी भी शराब ब्रांड का कोई प्रचार नहीं कर रहे.

18वीं सदी का शुरुआती दौर और स्कॉटलेंड का Aberdeen शहर. James और John Chivas नाम के दो भाइयों ने अपनी परचून की दुकानदारी बंद की और शराब के कारोबार में उतरे. मकसद स्मूद व्हिस्की की डिमांड पूरी करना. यही से स्टार्टिंग हुई स्कॉटिश ब्रांड Chivas की. जो आपको लगे कि हमने इसके आगे मशहूर और रीगल क्यों नहीं जोड़ा तो तब था ही नहीं. हम कैसे जोड़ दें.

Chivas Regal Effect
Chivas Regal

Chivas भाइयों का धंधा चल रहा था, मगर हल्लु-हल्लु. कंपनी को एक बड़ी पहचान साल 1843 में मिली जब Queen Victoria के लिए Scotch सप्लाई का ऑर्डर मिला. ऑर्डर के साथ जो स्टाम्प लगा होता था उसे regal stamp कहते थे, इसलिए नाम हो गया Chivas Regal. 

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स्कॉच नाम आया तो जान लीजिए कि Scotch या Whisky एक ही बात है, लेकिन जो व्हिस्की स्कॉटलेंड में बनती है उसको आम भाषा में Scotch कहते हैं. Chivas में रीगल तो जुड़ गया, मगर धंधे में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई. खैर रीगल नाम मिला था तो Chivas regal को साल 1909 में दुनिया भर में लॉन्च किया गया.

लेकिन सब्र का घूंट लीजिए, क्योंकि मशहूर होना तो अभी भी बाकी था. बोतल लुढ़कते-लुढ़कते साल 1940 में पहुंच गई लेकिन यहां तक आते-आते भी उसका ढक्कन नहीं खुला. बोले तो दूसरे विश्व युद्द (World War II) का दौर और कंपनी की सेल खत्म होने के कगार पर. कंपनी बंद होने के दरवाजे पर.

तब कंपनी ने खेला एक जुआ. जुआ ही कहेंगे, क्योंकि कंपनी ने अपनी Whisky के दाम सीधे दोगुने कर दिए. कमाल हो गया, कंपनी की सेल तिगुनी हो गई.

दुनिया जहान ने इसको नाम दिया “Chivas Regal Effect”  

कंपनी ने कीमतें दोगुनी कर दीं और शौकीनों को लगा कि प्रोडक्ट बेहतर है. आगे क्या हुआ वो इतिहास है. आज Chivas Regal कितना बड़ा ब्रांड है वो बताने की जरूरत नहीं.

“Chivas Regal Effect” मतलब महंगा है तो बेहतर है. आज बड़े ब्रांड ऐसे ही करते हैं. हालांकि कोई मानता नहीं. वैसे इसके पीछे एक तर्क और दिया जाता है कि साल 1949 में Seagram ने Chivas Regal को खरीदा और फिर अपने नेटवर्क से सेल्स को बढ़ाया. मगर “Chivas Regal effect” आजकल हर जगह दिखता है. 

एकदम प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम् जैसे.

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