भारत के 'प्यारे' पड़ोसी देश चीन में एक एयर शो आयोजित हो रहा है. Zhuhai airshow नाम का ये एयर शो चीन के दक्षिण में स्थित Zhuhai शहर में हो रहा है. अलग-अलग देशों में हर साल ऐसे शो वहां की सेनाओं द्वारा आयोजित किए जाते हैं. मकसद होता है अपने नए हथियारों का प्रदर्शन करना. भारत में भी एयरफोर्स द्वारा ऐसे शो आयोजित किये जाते हैं. पर हाल में ऐसा हुआ है चीन में.
चीन ने बना लिए F-35 जैसे दो-दो फाइटर जेट, भारत का स्टेल्थ विमान अभी डिज़ाइन में ही अटका है
AMCA यानी भारत के स्वदेशी Stealth Fighter Jet की पहली उड़ान 2028 तक होने का अनुमान है. दूसरी तरफ China ने J-35 Fighter Jet बनाकर स्टेल्थ तकनीक (Stealth Technology Explained) में America के F-35 और F-22 की बराबरी कर ली है.
चीन ने नए हथियारों और उन्नत जहाजों के अलावा एक अलग किस्म के मानव रहित जहाज का प्रदर्शन किया है. कौन से ड्रोन और जहाज दिखाए हैं चीन ने , आगे बताएंगे. पर पहले इनकी खासियत जान लेते हैं. क्योंकि ये हैं तो रेगुलर फाइटर जेट्स पर ये रडार की पकड़ में नहीं आते. इनमें एक अलग तरह की तकनीक का इस्तेमाल होता है जिसे स्टेल्थ टेक्नोलॉजी कहते हैं. तो जानते क्या है ये तकनीक जिसकी वजह से उन्नत से उन्नत रडार के लिए किसी जहाज को डिटेक्ट करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
स्टेल्थआपने अगर बैटमैन सीरीज़ की मूवीज़ देखी हैं तो आपको एक सीन याद दिलाते हैं. इसमें बैटमैन हॉन्ग-कॉन्ग जाकर लाओ नामक एक मुजरिम को पकड़ कर लाता है. अब चूंकि लाओ को जहाज से लाना था इसलिए ब्रूस वेन यानी बैटमैन ने ऐसे पायलट्स को हायर किया जो रडार से बचकर प्लेन उड़ाने में माहिर थे. अगर बैटमैन के पास ऐसे जहाज होते जो स्टेल्थ तकनीक से लैस होते तो पायलट हायर करने का खर्च बच जाता. पर वो ब्रूस वेन था इसलिए उसे पैसे की कमी नहीं थी. किसी देश को अगर किसी दुश्मन देश में चुपके से घुसना हो, जासूसी करनी हो तो उसे चाहिए ऐसी तकनीक जिससे कितना भी उड़ो, कोई देख न पाए. और यही आवश्यकता जननी बनी स्टेल्थ तकनीक के आविष्कार की.
किसी जहाज को डिटेक्ट करने के लिए रडार का इस्तेमाल किया जाता है. रडार एक सिम्पल कान्सेप्ट पर काम करता है. इस कान्सेप्ट को इंसानों से काफ़ी पहले चमगादड़ इस्तेमाल कर रहे हैं. रडार दरअसल लगातार हवा में या पानी में तरंगें छोड़ता है. अगर ये तरंगें किसी चीज से टकराती हैं तो रडार अपने ऑपरेटर को बताता है कि ये आगे क्या है? उसका आकार क्या है? वो चीज कितनी बड़ी है? और किस तरह की चीज है? पर स्टेल्थ तकनीक इस रडार के साथ कर देती है एक प्रैंक. अगर आपने गौर से देखा होगा तो अधिकतर जहाज गोलाकार टाइप के शेप में दिखते हैं जबकि स्टेल्थ जहाजों में सतह एकदम फ्लैट होती है. साथ ही इसके कोने भी काफ़ी तीखे या शार्प होते हैं. इन कोनों और सतह की वजह से ये जहाज आसानी से रडार की तरंगों को दूसरी दिशा में भेज देते हैं. इसके अलावा स्टेल्थ तकनीक से लैस जहाज रडार की तरंगों को सोख लेते हैं. इन जहाजों पर एक ऐसा मैटेरियल इस्तेमाल किया जाता है जो रडार की तरंगों को सोखने की क्षमता रखता है. सोखने के बाद ये जहाज गर्मी के रूप में उन तरंगों को वापस निकाल देते हैं.
रूस की देन60 के दशक की बात है. फिज़िक्स के एक सोवियत विद्वान Pyotr Ufimtsev ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों मसलन रडार की तरंगों को डाइवर्ट करने वाले एक मॉडल पर काम शुरु किया. Pyotr दरअसल ये अध्ययन कर रहे थे कि 2D और 3D सतह पर अगर ये तरंगें पड़ें तो ये किस तरह से फैलती हैं. उनका काम तत्कालीन USSR में पब्लिश भी हुआ पर कभी उनके रिसर्च पर कोई प्रैक्टिकल काम नहीं किया गया. पर कुछ समय बाद इस पेपर पर नज़र पड़ी डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर Lockheed की. Lockheed ने उनकी पूरी रिसर्च को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया. और Pyotr की रिसर्च को आज मॉडर्न स्टेल्थ तकनीक का जनक माना जाता है. Lockheed ने Pyotr Ufimtsev के काम का भरपूर इस्तेमाल किया क्यूंकि ये तो तय था कि एक स्पेशल शेप देने से विमान को रडार पर लोकेट करना मुश्किल हो जाता है. और इस तरह अस्तित्व में आई स्टेल्थ टेक्नोलॉजी जो समय के साथ और भी उन्नत होती गई.
चीन का स्टेल्थZhuhai Airshow में चीन ने एक के बाद एक उन्नत विमानों का प्रदर्शन किया है. चीन ने J35-A नाम के एक स्टेल्थ फाइटर को प्रदर्शित किया है. ये एक 5वें जेनरेशन का फाइटर है जिसे चीन ने हाल ही में बनाया है. J35 के चीनी वायुसेना में शामिल होते ही चीन दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन जाएगा. जो एक समय पर दो 5th जेनरेशन फाइटर प्लेन्स को एक साथ ऑपरेट करेगा. अभी तक सिर्फ अमेरिका के नाम ये कीर्तिमान है. अमेरिका वर्तमान में F-22A और F35 लाइटनिंग का इस्तेमाल कर रहा है.
J35 के अलावा चीन ने जो सबसे बड़ा तीर अपने तरकश से निकाला है, वो है CH7 ड्रोन. ये ड्रोन भी स्टेल्थ तकनीक से लैस है. इस ड्रोन की मदद से चीन अपने दुश्मन के एयरस्पेस में बिना डिटेक्ट हुए आसानी से घुसकर जासूसी, सर्विलांस और यहां तक की हमले भी कर सकता है. हालांकि इस ड्रोन के बारे में ज़्यादा जानकारी सामने नहीं आई है. एयर शो में बस इसका एक मॉडल प्रदर्शित किया गया है. पर इंटरनेट पर लीक कुछ तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती हैं कि चीन का ये ड्रोन कुछ जगहों पर ऑपरेशनल है. हालांकि इन तस्वीरों की पुष्टि नहीं हुई है पर दावे हैं कि ये चीन का ही ड्रोन CH 7 है.
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भारत का स्टेल्थभारत का पड़ोसी स्टेल्थ तकनीक विकसित कर चुका है. पर भारत में अब भी ये तकनीक डेवलपिंग स्टेज में है. भारत में बन रहे स्टेल्थ फाइटर जेट को नाम Advance Medium Combat Aircraft (AMCA) नाम दिया गया है. ये एक सिंगल सीटर, दो इंजन वाला जहाज़ है. इस प्रोजेक्ट की फर्स्ट फ्लाइट 2028 तक होने की उम्मीद है. बात करें ड्रोन की तो भारत ने हाल ही में अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन की डील की है. भारत के पास खुद के ड्रोन भी हैं. पर स्टेल्थ तकनीक के मामले में भारत को अब भी कई सीढ़ीयां चढ़ना बाकी है. चीन लगातार तकनीक के मामले में आगे बढ़ता जा रहा है.
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