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कौन हैं ISRO चीफ एस सोमनाथ, जिनकी निगरानी में भारत ने इतिहास रच दिया है?

Chandrayaan 3 की ऐतिहासिक सफलता के पीछे जिनका हाथ है, उस महान शख्सियत के बारे में भी जान लीजिए

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इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा था लैंडर, रफ लैंडिंग के लिए भी तैयार है (फोटो सोर्स- आजतक)

Chandrayaan 3 मिशन के Vikram Lander के चांद पर उतरने के साथ ही भारत ने नया इतिहास रच दिया है. Chandrayaan 3 मिशन की सफलता के पीछे ISRO में इसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवल और उनकी टीम की कड़ी मेहनत है. जबकि पूरा ऑपरेशन इसरो चीफ एस सोमनाथ की निगरानी में पूरा हुआ है. एस सोमनाथ को स्पेस इंजीनियरिंग से जुड़े कई मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है. वे 57 साल की उम्र में ISRO चीफ बने हैं. उनका यहां तक का सफ़र रोचक रहा है. आइए विस्तार से जानते हैं.

हिंदी के टीचर पिता ने साइंस पढ़ाई 

एस सोमनाथ को बीते साल जनवरी में इसरो चीफ के पद पर नियुक्त किया गया. इसरो का मुखिया बनने से पहले एस सोमनाथ, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक थे. उनके पहले ISRO चीफ के पद की जिम्मेदारी के. सिवन संभाल रहे थे. जुलाई 1963 में केरल के अलापुझा जिले में जन्मे सोमनाथ का पूरा नाम श्रीधर परिकर सोमनाथ है. शुरुआती पढ़ाई स्थानीय शिक्षण संस्थानों से हुई. उसके बाद सोमनाथ ने केरल के कोल्लम स्थित TKM कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया. और यहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान, सोमनाथ टॉपर्स में आते थे. इसके बाद उन्होंने बंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस (IISc) से पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया. वो यहां गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं.

Indian Space Research Organisation (ISRO) Chairman S Somanath with others holds miniature model of rocket LVM3-M2.(Representative Image/ ANI)
एस सोमनाथ का जन्म केरल के अलापुझा जिले में हुआ है  

विज्ञान और अंतरिक्ष को लेकर सोमनाथ को बचपन से ही बड़ी रुचि थी. उन्होंने संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में बताया था,

"जब मैं स्कूल में था तो दूसरों की तरह मैं भी स्पेस को लेकर बहुत फेसिनेटिंग था, सूरज, चांद और तारों को लेकर. मेरे पिता हिंदी के टीचर थे, लेकिन साइंस में उनकी बहुत रुचि थी. वह साइंस की किताबें लाते थे. खासकर एस्ट्रोनॉमी की और कुछ अंग्रेजी की किताबें. क्योंकि उस समय मेरी स्कूल की पढ़ाई मलयालमय में चल रही थी. मैंने उस समय वो किताबें पढ़ीं. स्कूल का समय बहुत मजेदार था."

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इसी इंटरव्यू में एस सोमनाथ बताते हैं,

"जब मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए गया, तब मैंने वास्तव में अपने अंदर स्पेस को लेकर रुचि विकसित की. कोई स्पेशलाइजेशन नहीं था. मैं मैकेनिकल इंजीनियर था, जब मैंने ग्रेजुएशन किया. लेकिन कोर्स के दौरान मेरी रुचि Propulsion (Aerospace Engineering) में बढ़ी. मैंने अपने प्रोफेसर से पूछा आप कोर्स में Propulsion शामिल क्यों नहीं करते. उन्होंने कहा कि मैं स्टडी करूंगा और फिर तुम्हें पढ़ाऊंगा. तो ऐसे पहली बार मेरे कॉलेज में Propulsion की पढ़ाई शुरू हुई."

Discussions are on for further Moon-landing missions, says ISRO Chairman S  Somanath
एस सोमनाथ ने करियर की शुरुआत PSLV से की थी

साल 1985 में एस सोमनाथ, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से जुड़ गए.

वो बताते हैं,

"जब हम लोगों का स्पेस प्रोग्राम के लिए चयन हुआ, उस समय PSLV (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) प्रोग्राम शुरू हो रहा था. उस समय इंजीनियर्स की भर्ती चल रही थी. मैंने और मेरे कुछ साथियों ने अप्लाई किया. उस समय मैं फाइनल ईयर में था. चयन भी फाइनल ईयर वालों का ही हो रहा था. पिछले सेमेस्टर के मार्क्स के आधार पर. इसमें 5 लोगों का चयन हुआ. मैं भी उनमें से एक था. मेरी रुचि ने मुझे यहां तक पहुंचा दिया था."

करियर की शुरुआत PSLV से

सोमनाथ ने करियर की शुरुआत PSLV से की थी. उनके शब्दों में PSLV प्रोग्राम भारत के स्पेस प्रोग्राम में गेम चेंजर साबित हुआ. डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जो बाद में देश के राष्ट्रपति बने, वो इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे. PSLV को डेवलप करने में सोमनाथ का खास योगदान रहा है.

ISRO Chairman S Somanath hopes Gaganyaan will be successful by 2023 end |  Bangalore News - The Indian Express
ISRO के लगभग सभी मिशनों में एस सोमनाथ की अहम भूमिका रही है.

उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था,

"हमारा लक्ष्य 1000 किलोग्राम के सेटेलाइट को 1000 किलोमीटर तक भेजना था और PSLV ने ये हासिल किया. कुछ लोग कहते हैं कि हमने दूसरों के डिजाइन को कॉपी किया. लेकिन मैं कहूंगा कि ये सच है कि हमने कई देशों के डिजाइन का अध्ययन किया. लेकिन हमने खुद का डिजाइन बनाया."

कई सब्जेक्ट के एक्सपर्ट

वैज्ञानिक एस सोमनाथ एक नहीं, बल्कि कई विषयों के एक्सपर्ट हैं. वो लॉन्च व्हीकल डिजाइनिंग जानते हैं, उन्होंने लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनेमिक्स, मैकेनिज्‍म डिजाइन और पायरोटेक्निक में विशेषज्ञता हासिल की है. वो देश के सबसे शक्तिशाली स्पेस रॉकेट GSLV एमके-3 लॉन्चर को डेवलप करने वाले वैज्ञानिकों की टीम की अगुवाई कर चुके हैं. 2010 से 2014 तक सोमनाथ GSLV एमके-3 प्रोजेक्ट के निदेशक थे. इस स्पेस क्राफ्ट से सैटलाइट लॉन्च की जाती है. GSLV (जियो सिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल) के तीन और PSLV के 11 सफल मिशनों में उनका अहम योगदान रहा है.

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एस सोमनाथ GSLV एमके-3 लॉन्चर को डेवलप करने वाले वैज्ञानिकों की टीम की अगुवाई कर चुके हैं

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Chandrayaan-2 के लिए क्या बड़ा काम किया था? 

साल 2014 के बाद सोमनाथ, ISRO के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के चीफ़ बनाए गए. LPSC, सैटलाइट को स्पेस में ले जाने वाले स्पेसक्राफ्ट के लिए लिक्विड फ्यूल का प्रोपल्शन सिस्टम देता है. इस प्रणाली का इस्तेमाल करके कई सफल सेटेलाइट सिस्टम पूरे किए गए हैं. 22 जनवरी 2018 से लेकर अब तक विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर का पद संभाल रहे थे. इससे पहले Chandrayaan-2 के लैंडर के इंजन को भी सोमनाथ ने ही डेवेलप किया था. ISRO के लगभग सभी मिशनों में सोमनाथ की अहम भूमिका रही है. इसीलिए 57 साल की उम्र में उन्हें ISRO का चीफ बना दिया गया.

सोमनाथ को एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) ने उनकी उपलब्धियों के लिए गोल्ड मेडल दिया है. उन्हें GSLV मार्क-III के लिए साल 2014 में परफॉर्मेंस एक्सिलेंस अवॉर्ड भी मिला है. सोमनाथ इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के फेलो रहे हैं. वे इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) से भी जुड़े रहे हैं. 


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