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आसान भाषा में: सीएए लागू करने में, चार साल की देरी क्यों हुई?

CAA को लेकर जितना विवाद हुआ, उतना ही रहस्य भी इकठ्ठा हुआ. सरकार क़ानून बना चुकी थी लेकिन इसे लागू नहीं किया गया. पूरे चार साल तक. अब खबर है कि CAA को लेकर सरकार जल्द ही एक बड़ा फैसला लेने वाली है.

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आसान भाषा में सीएए

9 दिसम्बर 2019, देश के गृह मंत्री अमित शाह संसद को संबोधित कर रहे थे. एक नया कानून बनाया गया था, नाम था नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019. इस नाम से आप परिचित होंगे. नहीं होंगे तो इसी कानून के दूसरे नाम CAA से जरूर परिचित होंगे. गृह मंत्री अमित शाह ने इधर संसद में CAA का ऐलान किया, दूसरी तरफ पूरे देश में इसका विरोध शुरू हो गया था. CAA को लेकर जितना विवाद हुआ, उतना ही रहस्य भी इकठ्ठा हुआ. सरकार क़ानून बना चुकी थी लेकिन इसे लागू नहीं किया गया. पूरे चार साल तक. अब खबर है कि CAA को लेकर सरकार जल्द ही एक बड़ा फैसला लेने वाली है. न्यूज एजेंसी PTI ने एक बताया वरिष्ठ अधिकारी कजे हवाले से बताया है कि  

लोकसभा चुनाव से पहले सरकार CAA के नियमों को अधिसूचित यानी नोटिफाइड कर देगी. CAA के नियम तैयार हैं और ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है. पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले लोगों को वो साल बताना होगा जब वो जरूरी दस्तावेजों के बिना भारत आ गए थे. इस प्रक्रिया में आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा.

अधिसूचना, नोटिफिकेशन जैसे बड़े शब्दों से इतर चलिए कुछ बेसिक सवालों पर नज़र डालते हैं.  CAA क़ानून अगर 2019 में पास हो गया था, तो सरकार ने इतनी देर क्यों लगाई?
CAA के बारे में तो काफी बहस हो चुकी है, फिर ये नए नियम क्या है? चलिए आसान भाषा में आपको समझाते हैं CAA  का पूरा तियां पांचा.

पहले एक बयान से शुरू करते हैं. PTI के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है,  
 

"हम जल्द ही CAA के नियम जारी करने जा रहे हैं. नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है." 
 

पिछले सालों में चली बहस से आप CAA के बारे में काफी कुछ जानते होंगे. चलिए एक बार रिवाइज़ कर लेते हैं.     
 

क्या कहता है CAA 2019 क़ानून?

इस कानून के तहत सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगी. इन तीनों देशों में ये समुदाय अल्पसंख्यक हैं. हालांकि, ये फायदा केवल उन्हीं प्रवासियों को मिलेगा जो 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके हैं. लमसम कहें तो इस क़ानून के तहत वे लोग, जो फिलहाल भारत में अवैध प्रवासी हैं. वे भारत केे नागरिक बनने के पात्र हो जाएंगे. हालांकि सिर्फ वही जो हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई हैं. और  बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए हैं.  
ये CAA का मेन पहलू है. हालांकि इसके कुछ और पक्ष भी हैं. मसलन इस क़ानून के पास होने के बाद  बिल में शामिल 6 समुदायों पर अवैध प्रवास को लेकर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी. अवैध प्रवास के लिए भारत में विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत सजा हो सकती है. CAA के लिए योग्य लोगों को अब इन कानूनों में आपराधिक मामले से छूट मिल जाएगी. इस बिल का एक प्रावधान विदेश में रह रहे भारतीय नागरिकों के बारे में भी है.  
इस क़ानून के लागू होने के बाद अगर कोई OCI कार्डधारक भारत सरकार किसी कानून का उल्लंघन करता है तो उसका विदेशी भारतीय नागरिक होने का दर्जा ख़त्म किया जा सकेगा. OCI कार्ड उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता ले रखी है पर मूल रूप से वो भारतीय हैं. ओसीआई एक तरह से भारत में जीवन भर रहने, काम करने और सभी तरह के आर्थिक लेन-देन करने की सुविधा देता है, साथ ही ओसीआई धारक व्यक्ति जब चाहे बिना वीज़ा के भारत आ सकता है. ओसीआई कार्ड जीवन भर के लिए मान्य होता है.

जैसा की हमें पता ही है,  ये कानून दिसंबर 2019 में संसद से पास हुआ था. और इसे बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी. CAA के पास होने के बाद, जैसा आपको याद होगा, काफी विरोध भी हुआ था. 
CAA का विरोध करने वालों का कहना था कि ये कानून धर्मों के बीच भेदभाव करता है. क्योंकि इसमें जिन्हें नागरिकता देने का प्रावधान है उसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. इस मामले में कई लोगों ने इसे संविधान की भावना के खिलाफ बताया. और ये मामला कोर्ट में भी गया. 
CAA के साथ एक कीवर्ड और भी चला था. NRC. फिलहाल NRC को लेकर कोई बड़ी खबर नहीं है. लेकिन फिर भी NRC को भी थोड़ा सा समझ लेते हैं. NRC यानी नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजेन्स. आसान भाषा में कहें तो भारत के नागरिकों का लेखा जोखा ताकि पक्का किया जा सके , कौन नागरिक है, और कौन नहीं.  हालांकि पूरे देश में एनआरसी के लिए अभी तक कोई  मसौदा सामने नहीं आया है. और असम भारत का इकलौता राज्य है जहां एनआरसी हुई है.  
CAA को लेकर भी सबसे ज्यादा विरोध असम में ही देखने को मिला था. असम में इस विरोध की खास वजह थी. दरअसल असम में बाहर से आकर बसने वाले प्रवासियों का लंबा इतिहास रहा.  जिसके कारण लोगों में शिकायत है कि इससे असम की डेमोग्राफी पर असर पड़ा है. इसी के चलते एक समय में असम में प्रवासियों के खिलाफ हमले और हिंसा कि घटनाएं सामने आने लगी थीं. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए साल 1985 में एक समझौता हुआ. इस समझौते को नाम दिया गया असम एकॉर्ड. 
असम एकॉर्ड के तहत सिर्फ उन लोगों को नागरिकता देने की बात हुई थी, जो 25 मार्च 1971 से पहले भारत आए थे.इसलिए जब CAA की बात हुई जो असम में इस बात का विरोध हुआ. क्योंकि CAA के तहत 31 दिसम्बर 2014 आख़िरी कट ऑफ तारीख थी. सरकार ने हालांकि इस मामले में भरोसा जताया था कि किसी के साथ भी अन्याय नहीं होगा.  और CAA का उद्देश्य नागरिकता छीनना नहीं बल्कि देना है.बहरहाल ये थी CAA की पुरानी कहानी. 
 

अब चलिए जानते हैं कि अगर ये क़ानून 2019 में पास हो गया था. तो अब तक लागू क्यों नहीं हुआ. पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन कुछ अनुमान हैं. मसलन 2019 के बाद कोविड का दौर शुरू हुआ. साथ ही इस कानून को लेकर भारी विरोध भी देखने को लगा. सरकार कहती रही कि जल्द ही CAA लागू होगा. लागू होने में अड़चन क्या है?
अड़चन ये है जब भी कोई नया कानून पास होता है, तो उसके बाद सरकार को उसके नियम भी जारी करने होते हैं. मसलन कैसे क्या कब होगा. क्या प्रक्रिया होगी? कहां होगी? लोगों को क्या करना होगा? दस्तावेज़ कौन से जरूरी होंगे?, आदि.  
नियम जारी करने के लिए लिए सरकार के पास 6 महीने का वक्त होता है.  कानून के नियम राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के छह महीने के भीतर तैयार होने चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में इससे जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति लेनी होती है. CAA के मामले में ये काम गृह मंत्रालय का है. और वो  2020 से लेकर अगस्त 2023 तक आठ बार एक्सटेंशन ले चुका है. नियम जारी करने में हो रही देरी के चलते सरकार CAA लागू नहीं कर पा रही थी.    
अब जैसी ख़बरें हैं सरकार जल्द ही ये नियम शायद जारी कर देगी. ऐसा होने की स्थिति में ये नियम क्या होंगे, वो सब भी हम आपको समझाएंगे आसान भाषा में. फिलहाल आज के लिए इतना ही. आपसे जल्द मुलाकात होगी.