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ब्रिटेन चुनाव: कीर स्टार्मर के 'शोर' के बीच नाइजल फराज ने लिखी ऋषि सुनक की हार की 'असली' कहानी

UK Elections: ब्रिटेन के आम चुनावों में Labour Party को भारी जीत मिली है, वहीं Rishi Sunak के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी की ऐतिहासिक हार हुई है. इस बीच चर्चा रिफॉर्म यूके पार्टी के Nigel Farage की हो रही है. विश्लेषकों का कहना है कि नाइजल फराज ने कंजर्वेटिव पार्टी को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचाया है.

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Nigel Farage ने कहा कि ब्रिटिश संसद अब आम लोगों की पहुंच से दूर नहीं है. (फाइल फोटो)

ब्रिटेन में आम चुनाव 2024 (UK Elections 2024) के परिणाम आ चुके हैं. इस बीच कुछ शब्द चर्चा का विषय बने हुए हैं. मसलन, लेबर पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी, कीर स्टार्मर (Keir Starmer) और ऋषि सुनक. जहां कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने 14 साल बाद ब्रिटेन की सत्ता में वापसी की है, वहीं ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की लीडरशिप वाली कंजर्वेटिव पार्टी की ऐतिहासिक हार हुई है. इन सबके बीच ब्रिटेन के एक और नेता और उनकी पार्टी की भी चर्चा है. नेता का नाम है- नाइजल फराज और उनकी पार्टी है रिफॉर्म यूके.

आगे बढ़ने से पहले ब्रिटिश चुनाव का स्कोरकार्ड बता देते हैं. अभी तक 650 सीटों में से 647 सीटों के रिजल्ट आ चुके हैं. लेबर पार्टी ने 412 सीटें हासिल की हैं. पिछले चुनाव के मुकाबले 214 सीटों की बढ़त. वहीं कंजर्वेटिव पार्टी 120 सीटों पर सिमट गई है. पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी को 251 सीटों का भारी-भरकम नुकसान हुआ है. तीसरे नंबर पर है ब्रिटेन की लिबरल डेमोक्रेट पार्टी. पार्टी को 71 सीटें मिली हैं. पिछले चुनाव के मुकाबले 63 ज्यादा. रिफॉर्म पार्टी को 4 सीटें मिली हैं.

अब आप सोच रहे होंगे कि 650 में से 4 सीटें जीतना कौन सी बड़ी बात है? इसे लेकर इतना शोर क्यों मचाया जा रहा है? तो अब जरा इस चुनाव के मत प्रतिशत पर नजर डालिए-

लेबर पार्टी का मत प्रतिशत- 33.9 (पिछले चुनाव के मुकाबले 1.7 प्रतिशत ज्यादा)

कंजर्वेटिव पार्टी का मत प्रतिशत- 23.7 (पिछले चुनाव के मुकाबले 19.9 प्रतिशत का नुकसान)

लिबरल डेमोक्रेट पार्टी का मत प्रतिश- 12.2 (पिछले चुनाव के मुकाबले 0.7 फीसदी का फायदा)

इन तीन प्रमुख पार्टियों के बीच रिफॉर्म यूके ने 14.3 प्रतिशत मत हासिल किए हैं. मत प्रतिशत के हिसाब से रिफॉर्म यूके ब्रिटेन की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. इसे पहले ब्रेग्जिट पार्टी के नाम से जाना जाता था. साल 2021 में पार्टी का नाम बदला और ये बनी रिफॉर्म यूके पार्टी. इससे पहले, 2019 के चुनाव में ब्रेग्जिट पार्टी ने 2 प्रतिशत मत हासिल किए थे. इस लिहाज से देखें तो इस चुनाव में रिफॉर्म यूके पार्टी को 12 प्रतिशत से ज्यादा का फायदा हुआ है.

कंजर्वेटिव पार्टी के प्रति असंतोष

इन आंकड़ों को देखकर कुछ चीजें साफ-साफ कही जा सकती हैं. मसलन, लेबर पार्टी पिछले चुनाव के मुकाबले 1.7 प्रतिशत ज्यादा वोट हासिल करने के बाद भी अतिरिक्त 214 सीटें जीतने में कामयाब रही. इधर, कंजर्वेटिव पार्टी को सीटों और मत प्रतिशत के मामले में भारी नुकसान हुआ है. कंजर्वेटिव पार्टी का मत प्रतिशत कभी भी इतना कम नहीं रहा. विश्लेषकों का कहना है कि ब्रिटेन के यह चुनाव कंजर्वेटिव पार्टी की सत्ता से आजिज आ चुके लोगों की अभिव्यक्ति रहा. लोगों ने तय कर लिया था कि उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी को हराना ही हराना है. यही वजह है कि जो लेबर पार्टी 2017 के चुनाव में जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में लगभग 40 प्रतिशत वोट लाने के बाद भी विपक्ष में बैठी थी, उसने इस बार लगभग 34 प्रतिशत वोट के साथ भारी जीत हासिल की है.

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अपने साथियों का साथ मौजूद नाइजल फराज. (फोटो: AP)

कंजर्वेटिव पार्टी को इस चुनाव में 20 प्रतिशत वोट का नुकसान हुआ है. पिछले कई चुनावों में पार्टी के लिए शिद्दत से वोट करने वाले लोगों ने इस बार उसका दामन छोड़ दिया, ऐसा कहा जा रहा है. इसकी वजहें अनेक हैं. लगातार हुए विवादों से लेकर कंजर्वेटिव सरकार की नीतियां. जनता अंसतुष्ट थी. पार्टी को वोट करने वालों ने इस बार दूसरे विकल्पों को चुना. इनका एक बड़ा हिस्सा गया रिफॉर्म यूके पार्टी के पास. रिफॉर्म यूके पार्टी ने भले ही 4 सीटें जीतीं, लेकिन इस पूरे चुनाव में उसने कंजर्वेटिव पार्टी को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचाया.

पॉलिटिको की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 100 से ज्यादा ऐसी सीटें रहीं जहां रिफॉर्म यूके पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे. विश्लेषकों का कहना है कि ये चुनाव परिणाम बताते हैं कि आने वालों सालों में रिफॉर्म यूके पार्टी एक बड़ी राजनीतिक ताकत के तौर पर उभर सकती है. क्लैक्टन सीट से चुनाव जीतने के बात पार्टी के नेता नाइजल फराज ने कहा,

"ब्रिटिश संसद अब आम लोगों की पहुंच से दूर नहीं है. अगले कुछ सालों में मेरी योजना एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा करने की है. मुझे आशा है कि साल 2029 में यह आंदोलन एक कड़ी चुनौती पेश करेगा."

चुनाव प्रचार के दौरान नाइजल फराज लगातार कंजर्वेटिव पार्टी पर निशाना साधते रहे. चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने कहा कि वो संसद में कंजर्वेटिव पार्टी के साथ खड़े नजर नहीं आएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी अब लेबर पार्टी की खबर लेगी.

फराज का ‘राजनीतिक विद्रोह’

यूके रिफॉर्म पार्टी को एक धुर-दक्षिणपंथी पार्टी कहा जाता है. पार्टी इमिग्रेशन के खिलाफ है. साथ ही साथ टैक्स से लेकर जलवायु से जुड़े मुद्दों पर भी पार्टी के मत वैसे ही हैं, जैसे दुनिया जहान की दूसरी धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों के. इनके बारे में हम आगे विस्तार से बताएंगे.

नाइजल फराज कभी कंजर्वेटिव पार्टी में थे. बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. वो हमेशा से ही ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की वकालत करते रहे. यूके इंडिपेंडेंस पार्टी के मुखिया रहे. कई बार चुनाव लड़ा. हालांकि, पिछले 7 प्रयासों में सफलता नहीं मिली. ब्रेग्जिट की जोर-शोर से वकालत की और अब ब्रिटेन की संसद में पहुंच गए.

इस चुनाव प्रचार के दौरान और उससे पहले यूके रिफॉर्म पार्टी ने साफ कर दिया था कि वो कंजर्वेटिव पार्टियों की नीतियों का पूरी मजबूती से विरोध करेगी. अपने इस एजेंडे को पार्टी ने 'राजनीतिक विद्रोह' की संज्ञा दी थी. पार्टी को अपना पहला सांसद इस साल मार्च में मिला था, जब कंजर्वेटिव पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ली एंडरसन पाला बदलकर रिफॉर्म यूके पार्टी में आ गए थे. हालांकि, पार्टी ने चुनाव लड़ने की तैयारी बहुत पहले ही कर ली थी.

नाइजल फराज ने रिचर्ड टाइस के साथ मिलकर नवंबर 2020 में एक आर्टिकल लिखा था. इसमें लिखा गया था कि 'लॉकडाउन काम नहीं करते, कोरोना महामारी से निपटने के लिए बहुत ही संकेंद्रित कदम उठाने होंगे.' इसी आर्टिकल में लिखा गया कि ब्रिटेन के सिस्टम में बहुत बड़े बदलावों की जरूरत है. इसके बाद पार्टी ने लंडन असेंबली, स्कॉटिश पार्लामेंट, और दूसरे कई चुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े किए. हालांकि, पार्टी को वांछित सफलता नहीं मिली. पार्टी इन चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई.

निराश नहीं हुई पार्टी

इन परिणामों से पार्टी निराश नहीं हुई. स्थानीय चुनाव लड़ती रही. साल 2021 के दौरान पार्टी को 3 प्रतिशत के आसपास वोट मिलते रहे. वहीं साल 2022 में जैसे-जैसे कंजर्वेटिव सरकार के प्रति लोगों की निराशा बढ़ी, वैसे-वैसे रिफॉर्म यूके रिफॉर्म पार्टी का मत प्रतिशत भी बढ़ा. साल 2022 के आखिर-आखिर में यह मत प्रतिशत 6 के आसपास हो गया. 2023 में यह मत प्रतिशत बढ़कर 10 हो गया और अब इस बार के चुनाव में 14 प्रतिशत से कुछ ज्यादा.

इस पूरी समयावधि में पार्टी अपने मुद्दों पर अडिग रही. कॉर्पोरेट टैक्स और इनहरिटेंस टैक्स में कटौती के वादे किए. इमिग्रेशन पर बहुत ही कड़ा रुख अपनाया. लोगों से कहा कि कंजर्वेटिव सरकार इमिग्रेशन को खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में आई थी, और अब वो वादाखिलाफी कर रही है. कई विश्लेषकों का कहना है कि अगर कंजर्वेटिव पार्टी के वोटर्स रिफॉर्म यूके पार्टी की तरफ गए हैं, तो इसके लिए इमिग्रेशन का मुद्दा सबसे ज्यादा जिम्मेदार है.

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रिफॉर्म यूके पार्टी ने ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों का पुरजोर विरोध किया. (फोटो: AP)

यूके रिफॉर्म पार्टी ने लोगों से कहा कि वो देश को यूरोपियन कनवेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स (ECHR) संधि से बाहर निकालेगी. देश की 'सीमाओं की रक्षा' करेगी और इमिग्रेशन पर रोक लगाएगी. पार्टी ने अवैध प्रवासियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा घोषित कर दिया. इसके साथ ही पार्टी ने कहा कि देश में इमिग्रेशन टैक्स की शुरुआत की जाए. जिसके तहत प्रवासियों को नौकरी देने के एवज में नियोक्ताओं के लिए नेशनल इन्श्योरेंस की दरें बढ़ाई जाएं.

पार्टी की तरफ से ये भी कहा गया कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के चलते देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. ऐसे में अगर पार्टी सत्ता में आती है तो वो ब्रिटिश सरकार के उन लक्ष्यों को पूरी तरह से समाप्त कर देगी, जिनमें कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने की बात कही गई है.

विश्लेषकों के मुताबिक, इन सब मुद्दों पर पार्टी का समर्थन आधार बढ़ा. और जब पिछले साल ऋषि सुनक ने अपनी सरकार में गृह मंत्री रहीं सुएला ब्रेवरमेन को उनके पद से हटाया, तब पार्टी को और ज्यादा समर्थन मिला. सुएला ब्रेवरमेन इमिग्रेशन पर लगातार कड़ा रुख अपना रही थीं और उन्होंने देश में फिलिस्तीन के समर्थन में हुई रैलियों को 'घृणा फैलाने वाली रैलियां' कहा था.

इसी दौरान ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविन कैमरन ऋषि सुनक सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर लौटे. यूके रिफॉर्म पार्टी ने कैमरन की वापसी का पुरजोर विरोध किया. कहा कि कैमरन ब्रेग्जिट के विरोध में थे. पार्टी के इस कदम ने उसे और लोकप्रिय बनाया. यहां तक कि कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर का एक धड़ा पार्टी का समर्थन करने लगा. परिणाम ये हुआ कि इस बार के चुनाव में रिफॉर्म यूके पार्टी को अच्छा खासा समर्थन मिला.

चौंकाने वाला नहीं है परिणाम

ब्रिटेन के चुनाव में यूके रिफॉर्म पार्टी का ये उभार हालांकि कई मायनों में चौंकाने वाला नहीं है. वजह ये कि हाल फिलहाल में यूरोप में दो बड़े चुनाव हुए हैं. पहला, यूरोपीय संसद का चुनाव और दूसरा फ्रांस के आम चुनाव का पहला चरण. इन दोनों चुनावों में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों ने अच्छी-खासी बढ़त हासिल की. फ्रांस में तो मरीन ले पेन की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. दूसरे चरण के चुनाव में इस पार्टी को रोकने के लिए मध्यमार्गी और वामपंथी पार्टियों ने गठजोड़ बनाया है. वहीं, इससे हाल फिलहाल के सालों में दूसरे यूरोपीय देशों में हुए चुनावों में भी धुर-दक्षिणपंथी ने अपना प्रभाव छोड़ा है. कई देशों में इन पार्टियों की सरकारें हैं तो कई में ये सरकार का हिस्सा हैं.

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रिफॉर्म यूके पार्टी ने भी अपने लिए लक्ष्य तय किए हैं. इस चुनावी प्रदर्शन के बाद पार्टी के डेपुटी-लीडर डेविड बुल ने स्काई न्यूज से कहा कि ये तो एक बड़े आंदोलन की शुरुआत है, अगर हम चार साल में इतना कुछ हासिल कर सकते हैं, तो सोचिए अगले 5 साल में हम क्या करेंगे.

खैर, जो भी हो. नाइजल फराज अब अपने तीन साथियों के साथ वेस्टमिंस्टर में नजर आएंगे. उनकी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ेंगी. इस दौरान लेबर और कंजर्वेटिव, दोनों पार्टियां की चिंता ये भी रहेगी कि आखिर नाइजल फराज और उनकी रिफॉर्म यूके पार्टी को कैसे रोका जाए.

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