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'दीवाने तो दीवाने हैं' की सिंगर श्वेता शेट्टी अब कहां हैं?

अपनी दमदार आवाज़ से दिल टोटे-टोटे करने वाली सिंगर हैं श्वेता.

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सोने की ड्रेस में सजी श्वेता शेट्टी. गाने के लिरिक्स:

खिड़की पर आऊं न.. बाहर न जाऊं.. कैसे मैं सारा दिन घर में बिताऊं??? नजरें मिलाऊं तो मैं कैसे मिलाऊं??? दीवाने... दीवाने तो दीवाने हैं..

1997 में आई ये एल्बम और इससे मशहूर हुईं भारत की कुछ चुनिंदा पॉप सिंगर्स में से एक सिंगर श्वेता शेट्टी. 'बिच्छू' फिल्म का 'टोटे टोटे हो गया दिल' और 'ज़मीन' फिल्म का 'दिल्ली की सर्दी' भी श्वेता ने गाया है. 1997 में श्वेता ने जर्मनी के क्लेमेन्स ब्रैंडट से शादी की और फिर हैम्बर्ग में सेटल हो गईं.

https://www.youtube.com/watch?v=oiq_KkEshSg

श्वेता जर्मनी में अपना योग स्कूल चलाती हैं. इसका नाम है श्वेतासना. ये 2015 में वापस भारत आई थीं. अब भी जर्मनी में रह रही हैं लेकिन किसी न किसी प्रोजेक्ट के लिए भारत आती रहती हैं. अपने योग स्कूल की एक ब्रांच वो मुंबई में भी खोलना चाहती हैं. श्वेता मुंबई की ही रहने वाली हैं. हालांकि शादी के बाद जर्मनी की सिटिज़नशिप ले चुकी हैं. साल 2016 में उन्होंने एक प्ले किया. अपने कॉलेज के दिनों में भी श्वेता थिएटर किया करती थीं.

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लगभग 24 साल बाद वो विलियम शेक्सपियर के मर्चेंट ऑफ वेनिस प्ले से इंसपायर्ड एक राजस्थानी प्ले से वापस मंच पर लौटीं. इसमें श्वेता का किरदार मर्चेंट ऑफ वेनिस के शायलॉक का था, लेकिन शायलॉक एक पुरुष का किरदार है. और श्वेता को इसे लड़की के रूप में दिखाना था. जिसे तीन चुड़ैलों ने मिल कर बानाया था. संगीत और पोशाक वेस्टर्न थे. किरदार का नाम था भवरी.

श्वेता भगवान शिव को बहुत मानती हैं. उनके मुताबिक उन्हें और उनके पति को भगवान शिव ने ही मिलवाया. वो यूरोप टूर के दौरान क्लेमेन्स ब्रैंडट से 1996 के 'कान' फंक्शन में मिली थीं. वो वहां उन्हें देखे जा रहे थे. फिर दोनों के बीच बातें शुरू हुईं, अगले आठ घंटे तक दोनों बात करते रहे. फंक्शन से वापस आने के बाद दोनों फोन के थ्रू टच में रहे. इसके चार महीने बाद इनकी सगाई हो गई और छह महीने बाद ही शादी.

शादी के बाद श्वेता का एक बार एक्सिडेंट हो गया था. उस समय श्वेता की केयर के लिए उनके पति ने एक महीने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. श्वेता के मां-बाप को उनके प्रोफेशन से दिक्कत थी. यही वजह थी जिसके चलते उन्होंने श्वेता के करियर के शुरुआती दिनों में ही पैसे भिजवाने बंद कर दिए थे. एक इंटरव्यू में श्वेता ने बताया था कि शादी के बाद पहला साल अच्छा नहीं था. मुश्किलें थीं. वैचारिक भेदभाव थे. फिर वक्त के साथ वो एक दूसरे को समझते चले गए.

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श्वेता ने 14 साल की उम्र में क्लासिकल म्यूज़िक में ट्रेनिंग लेनी शुरू की. कर्नाटिक म्यूज़िक में वो ट्रेन्ड हैं. इनको दुलार में लोग श्वेत कहते हैं. इनका पहला एल्बम 1990 में आया था. इसके बाद 1991 में 'लंबाड़ा' नाम की एक और एल्बम आई. 1992 में वो इंडिपेंडेंट रॉक कॉन्सर्ट में गा रही थीं. जहां उन्हें कुछ टैलंट मैनेजर्स ने स्पॉट किया. इसके बाद वो मैग्नम के लिए गाने लगीं. यहां उन्होंने बिद्दू के साथ अगले ही हफ्ते कॉन्ट्रैक्ट भी साइन कर लिया. बिद्दू ने कई सिंगर्स को लॉन्च किया है.

बड़े लेवल पर देखा जाए तो जॉनी जोकर उनकी पहली म्यूज़िक एल्बम थी. 1993 में आई ये एल्बम सुपरहिट रही और इसे एमटीवी बेस्ट एलबम का अवॉर्ड मिला. 1994 में रोजा का 'रुक्मिणी रुक्मिणी' आया. इसे टाइम मैगजीन ने ऑल टाइम 10 बेस्ट साउंड ट्रैक में रखा. रोजा और रंगीला में श्वेता को एआर रेहमान के साथ काम करने का मौका मिला. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि रहमान ने उन्हें काफ़ी आज़ादी दी थी. रंगीला के 'मंगता है क्या' गाने में श्वेता को अपनी फील के हिसाब से साउंड बदलने की भी इजाज़त मिली थी.

https://www.youtube.com/watch?v=-gcgB5UWMnI

उन्हें 2 बार बेस्ट फीमेल पॉप आर्टिस्ट का एमटीवी अवार्ड मिल चुका है. एक बार 'जॉनी जोकर' और दूसरी बार 'दीवाने तो दीवाने हैं' के लिए. श्वेता इंगलिश सिंगर सारा ब्राइटमैन के साथ हरम नाम की एल्बम में काम कर चुकी हैं. इस गाने के लिरिक्स हैं, 'अरे आ रे आ रे पिया..'

https://www.youtube.com/watch?v=pEEzGGNPYVQ

एक अखबार से बात करते हुए श्वेता ने एक बार लड़कियों के बैली बटन फ्लॉन्ट करने पर जवाब में कहा था, मैं उन लड़कियों से फिट और बेहतर हूं जो जी स्ट्रिंग पहन, शरीर की नुमाइश के दम पर अपने वीडियो बेचना चाहती हैं. जो असल में पुराने हिट्स के रीमेक होते हैं और कुछ नहीं. मेरे सभी कंपोजिशन ओरिजिनल हैं.

श्वेता आज के सिंगर्स से दुखी हैं. उनका कहना है कि आज हर कोई प्लेबैक सिंगर बनना चाहता है. इसके लिए वो रिएलिटी शोज़ में पार्टिसिपेट करते हैं. वो खुश हैं कि उनके वक्त में रिएलिटी शोज़ नहीं थे. उस समय जिंगल्स और थिएटर की बरसों ट्रेनिंग हुआ करती थी. जिससे एक बार फ्लॉप होने के बाद भी वापसी के दरवाज़े खुले रहते थे.


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