11 फरवरी 1961. बिहार सूबे के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह का 12 दिन पहले निधन हो चुका था. शोक की बेला जब कुछ बीतने को आई तो राज्यपाल डॉक्टर जाकिर हुसैन की मौजूदगी में तिजोरी खोली गई. एक दशक से ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री रहे शख्स के ‘खजाने’ में महज़ चार लिफाफे निकले. और उन चार लिफाफों में थे 24 हजार 500 रुपये. इसमें से एक रुपया भी उनके परिवार को बतौर विरासत नहीं मिलने वाला था. पत्रकार संतोष सिंह की किताब “दी जननायक कर्पूरी ठाकुर” के मुताबिक पहले लिफाफे में रखे 20 हजार रुपये बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए थे. दूसरे लिफाफे में रखे तीन हजार रुपये पूर्व मंत्री उजियार हुसैन मुनीमी की बेटी के लिए थे. तीसरे लिफाफे में एक हजार रुपये थे जो पूर्व मंत्री महेश प्रसाद सिंह की सबसे छोटी बेटी के लिए थे. चौथे लिफाफे के 500 रुपये, विश्वस्त नौकर के लिए थे.
अरबपति मुख्यमंत्रियों की लिस्ट के बीच बिहार के इस मुख्यमंत्री के खजाने की ये कहानी चौंका देगी
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के मुख्यमंत्रियों की औसत आय देश के प्रति व्यक्ति आय से 7 गुना अधिक है. वहीं एक दशक से ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री रहे शख्स के ‘खजाने’ में महज़ चार लिफाफे निकले. और उन चार लिफाफों में थे 24 हजार 500 रुपये. इसमें से एक रुपया भी उनके परिवार को बतौर विरासत नहीं मिलने वाला था.


30 दिसंबर 2024. चुनावी प्रक्रियाओं का लेखा-जोखा रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी ADR ने इस दिन एक रिपोर्ट छापी. जिसमें देश के मुख्यमंत्रियों की संपत्तियों का ब्योरा छपा है. इसके मुताबिक भारत के मुख्यमंत्रियों की औसत आय देश के प्रति व्यक्ति आय से 7 गुना अधिक है. देश में चंद्रबाबू नायडू और पेमा खांडू दो अरबपति मुख्यमंत्री भी हैं. मुख्यमंत्रियों की औसतन संपत्ति कुल 52.59 करोड़ रुपये है. ADR के मुताबिक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू 931 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ टॉप पर हैं. उनके बाद 332 करोड़ रुपये के साथ अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू हैं. कर्नाटक के सिद्धारमैया की आय 51 करोड़ है और वे अमीर मुख्यमंत्रियों की सूची में तीसरे स्थान पर हैं. सूची में अगला नंबर है नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो का. उनकी संपत्ति 46 करोड़ रुपये है. इसके बाद दिसंबर 2023 से मध्य प्रदेश की सत्ता संभालने वाले मोहन यादव का नाम है, जिनकी कुल संपत्ति 42 करोड़ बताई गई है. वहीं, ममता बनर्जी 15 लाख की संपत्ति के साथ सबसे अंतिम पायदान पर हैं. उनसे ऊपर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का नाम है जिनकी संपत्ति 55 लाख रुपये है. इसके बाद केरल के पिनराई विजयन, दिल्ली की आतिशी और राजस्थान के भजन शर्मा का नाम है. तीनों की संपत्ति एक करोड़ से अधिक बताई गई है.

इतिहास सिर्फ तारीखों की रेहन पर नहीं ठहरता. आज जब इन आंकड़ों से ये मालूम हुआ कि मुल्क के मुख्यमंत्रियों की औसत आय देश के प्रति व्यक्ति आय से 7 गुना अधिक है तो छ: दशक पहले का ये किस्सा याद हो आया. श्रीकृष्ण सिंह के बारे में ये भी कहा जाता है कि श्रीबाबू ने कोई निजी संपत्ति नहीं खड़ी की. और परिवार को भी जीते जी सियासत से दूर रखा. दूसरे विधानसभा चुनाव में चंपारण के कांग्रेसी उनके बड़े बेटे शिवशंकर सिंह को चुनाव लड़ाने के लिए प्रस्ताव लेकर पहुंचे. श्री बाबू ने एक शर्त रख दी, अगर बेटा चुनाव लड़ेगा, तो पिता नहीं. बात वहीं खत्म हो गई.
हालांकि उनकी मृत्यु के दशकों बाद छोटे बेटे बंदीशंकर सिंह विधायक बने. चंद्रशेखर सिंह सरकार में मंत्री भी रहे. मगर ये परंपरा ज्यादा लंबी नहीं खिंची.
इतिहास मुख्यत: दो कारणों से लिखा जाता है. पहला ये कि आने वाली पीढ़ी को ये मालूम हो कि देश में वो कौन लोग थे जिन्होंने तिनका-तिनका जोड़ कर देश का निर्माण किया. वे कौन सी परिस्थितियां थीं जिनसे देश गुज़रा, क्या घटनाएं घटीं? कैसी-कैसी परेशानियों, चुनौतियों, उपलब्धियों, और खुशियों से गुजर कर देश यहां तक पहुंचा जहां आज है. दूसरा कारण है इतिहास का अपना व्यक्तित्व होता है जो या तो देश को प्रभावित करता है, या निराश करता है. दोनों ही सूरत में वो एक “सीख” देता है जो मौजूदा देश के पार्टी नेताओं को “राष्ट्रीय नेता” बनने में मददगार होता है.
वीडियो: श्रीकृष्ण सिंह: बिहार का वो मुख्यमंत्री, जिसकी कभी डॉ. राजेंद्र प्रसाद तो कभी नेहरू से ठनी