दिसंबर 2024 में खबर आई कि मेघालय से लगी बांग्लादेश की सीमा के पास कुछ ड्रोन्स देखे गए हैं. बांग्लादेश में उस समय नई सत्ता आई थी. इसलिए इस कदम को उनके शक्ति प्रदर्शन से जोड़कर देखा गया. लेकिन कुछ ही महीनों के भीतर खबर आई कि ये सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि घटनाओं की पूरी कड़ी है. फरवरी-मार्च 2025 तक कई बार ड्रोन्स को भारत-बांग्लादेश (Drones on Indo-Bangladesh Border) सीमा के पास देखा गया. हालांकि ये ड्रोन अपने यानी बांग्लादेश के ही एयरस्पेस में उड़ रहे थे. कई हलकों में बांग्लादेश के आर्मी चीफ के तख्तापलट की सुगबुगाहट और इन ड्रोन्स की सीमा पर तैनाती की वजह से भारत ने अत्यधिक सतर्कता बरतनी शुरू कर दी. और ये वही ड्रोन्स हैं जिन्हें कुछ समय पहले से प्यारे पड़ोसी पाकिस्तान ने भी कई ठिकानों पर तैनात कर रखा है. नाम है बायरख्तार (Bayraktar) TB2 ड्रोन.
सरहद पर भारत की टेंशन बढ़ा रहे हैं पाकिस्तान-बांग्लादेश के ये हथियारबंद ड्रोन
Bayraktar TB2 Drone: फरवरी-मार्च 2025 तक कई बार इन ड्रोन्स को Indo-Bangladesh Border के पास देखा गया. ये TB2 Drone बांग्लादेश के एयरस्पेस में उड़ रहे थे. Pakistan भी इन ड्रोन्स का इस्तेमाल करता है.


भारत को दो पड़ोसी देश इस ड्रोन के साथ ऑपरेट कर रहे हैं. अब उनके बेड़े में एक और जंगी, मानव रहित विमान शामिल हो सकता है. रक्षा मामलों पर नजर रखने वाली वेबसाइट एयरफोर्स टेक्नोलॉजी पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक तुर्किए की मिलिट्री इक्विपमेंट्स बनाने वाली कंपनी Baykar ने एक 'मानव रहित लड़ाकू विमान' का फ्लाइट टेस्ट पूरा कर लिया है. सबकुछ ट्रैक पर रहा तो जल्द ही ये विमान तुर्किए के मित्र देशों के बेड़े में दिखेगा. इस विमान को Baykar ने Bayraktar Kızılelma नाम दिया है.
यहां गौर करने वाली बात है कि किज़ीलेमा (Kizilelma) है तो एक मानव रहित विमान पर इसे 'ड्रोन' नहीं बल्कि 'लड़ाकू विमान' की संज्ञा दी गई है. Baykar की वेबसाइट पर जाएं तो दिखता है कि इस कंपनी ने किज़ीलेमा को एक Fighter UAV बताया है. अगर ये विमान पाकिस्तान और बांग्लादेश के पास आता है तो भारत के लिए ये चिंता का विषय हो सकता है. पहले से ही पाकिस्तान Baykar के बनाए हुए Akinci और TB2 ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि अपने पड़ोसी देशों की ड्रोन और मानव रहित लड़ाकू विमानों की क्षमता के मुकाबले भारत कहां खड़ा दिखता है? लेकिन उससे पहले जानते हैं तुर्किए के ड्रोन TB2 के बारे में जो भारत की सीमा के पास स्पॉट किया जा रहा है. साथ ही जानते हैं Baykar के नए मानव रहित लड़ाकू विमान के बारे में.
बायरख्तार तुर्किए की टर्किश भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है झंडाबरदार. बायरख्तार TB2 एक हथियारों से लैस ड्रोन है जिसे तुर्किए की कंपनी Baykar ने बनाया है. इस ड्रोन के पूरे सिस्टम को देखें तो इसमें ड्रोन यानी उड़ने वाले विमान के अलावा ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, ग्राउंड डेटा टर्मिनल , रिमोट डिस्प्ले सिस्टम, ट्रेलर मॉड्यूल और एडवांस्ड बेस के साथ जेनरेटर भी आते हैं . यानी कुल मिलाकर ये एक काफी भारी-भरकम सिस्टम है. ये एक MALE माने मीडियम (M) एल्टीट्यूड(A) लॉन्ग(L) एंड्योरेंस(E) कैटेगरी का ड्रोन है. यानी ये ड्रोन मध्यम ऊंचाई पर, देरी तक उड़ान भर सकता है.

इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि इस ड्रोन ने करीब 25 हजार फीट की ऊंचाई पर लगातार 27 घंटे , 3 मिनट तक उड़ान भरी है. कंपनी ये भी दावा करती है कि 2014 में डेवलप होने के बाद से अब तक ये ड्रोन ने कुल 10 लाख घंटों की उड़ान भर चुका है. इस ड्रोेन के कुछ फीचर्स पर नजर डालें तो-
- ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल , 3 ऑटोपायलट्स
- ऑटोमैटिक टेक-ऑफ और लैंडिंग
- बिना जीपीएस पर निर्भर रहे इंटर्नल नेवीगेशन सिस्टम
- ऑपरेशनल ऊंचाई: 16 हजार फीट
- मल्टीपरपज AESA रडार
- विंगस्पैन: 12 मीटर
- ऊंचाई: 2.2 मीटर
- लंबाई: 6.5 मीटर
- मैक्सिमम टेक-ऑफ वेट: 700 किलोग्राम
- पेलोड क्षमता: 150 किलोग्राम
- हथियार: 4 लेज़र गाइडेड हथियार
इस ड्रोन की तारीफ तुर्किए और उसके मित्र देश करते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन ने इसका इस्तेमाल किया गया और उसे कुछ सफलताएं भी मिलीं. लेकिन ये उन दिनों की बात है जब ये युद्ध अपने शुरुआती दौर में था. कुछ ही महीनों में रूस ने इसकी काट खोज ली. दरअसल इस ड्रोन के साथ एक समस्या है कि अगर इसे युद्ध में भेजना है तो ऑपरेटर को 250-300 किलोमीटर की रेंज में रहना होगा. और युद्धग्रस्त क्षेत्रों में ये दूरी तय करते वायुसेना के फाइटर जेट्स को समय नहीं लगता. लिहाजा इसके ऑपरेटर्स और बाकी ग्राउंड सिस्टम्स हमेशा खतरे में रहते हैं. अब समझते हैं बायरख्तार के नए नवेले विमान किज़ीलेमा के बारे में जिसे ड्रोन नहीं बल्कि मानव रहित लड़ाकू विमान की संज्ञा दी गई है.
एयर वॉरफेयर का भविष्य कुछ ऐसा है जिसमें मानव रहित लड़ाकू विमान या लॉयल विंगमैन जैसी तकनीक की भूमिका अहम होगी. इसी भविष्य को ध्यान में रख कर तुर्किए ने बायरख्तार किज़ीलेमा (Bayraktar Kizilelma) बनाया है. कंपनी का दावा है कि ये विमान ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉनसेंस) जैसे मिशंस के अलावा अटैक ऑपरेशंस को भी अंजाम दे सकता है. इसे इस तरह से बनाया गया है कि ये छोटे रनवे पर टेक-ऑफ और लैंड करने की क्षमता रखता है. Baykar ने इसमें हथियारों के लिए 'इंटर्नल बे' लगाया है जो इसे रडार से बचने में मदद करता है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इस विमान में कुछ विशेष फीचर्स हैं जो इसे एक बेहतरीन मानव रहित लड़ाकू विमान बनाते हैं. जैसे-
- AESA रडार
- मैक्सिमम टेक-ऑफ वेट: 8.5 टन
- पेलोड क्षमता: 1.5 टन
- स्पीड: 0.9 मैक
- सर्विस सीलिंग(अधिकतम ऊंचाई): 45 हजार फुट
- ऑटोमैटिक टेक-ऑफ एवं लैंडिंग
- हथियार: लेज़र गाइडेड हथियार, लॉन्ग रेंज क्रूज़ मिसाइल्स
- विंगस्पैन: 10 मीटर
- लंबाई: 14.5 मीटर
- ऊंचाई: 3.5 मीटर
- उड़ान क्षमता: 3 घंटे से ज्यादा

अब इस विमान को देख कर सवाल उठता है कि भारत के पड़ोसी देशों के पास जब ऐसे हथियार हैं, तो उसके जवाब में भारत के पास क्या है? तो इस सवाल का जवाब उतना सीधा भी नहीं हैं. क्योंकि भारत इस तरह के 2 प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है. पहला है लॉयल विंगमैन के कॉन्सेप्ट पर आधारित HAL द्वारा बनाया जा रहा CATS Warrior. और दूसरा ऐसा प्रोजेक्ट ऐसा है, जिसे अगर भारत का सबसे सीक्रेट प्रोजेक्ट कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इस प्रोजेक्ट का नाम है फ्यूचरिस्टिक अनमैन्ड फाइटर एयरक्राफ्ट (Futuristic Unmanned Fighter Aircraft), शॉर्ट में कहें तो FUFA. तो एक-एक कर के समझते हैं इन दोनों प्रोजेक्ट्स के बारे में.
HAL CATS Warriorसाल 2019, मौका था इंडियन एयरफोर्स के एयर शो 'Aero India' का. भारत की शान कहे जाने वाले हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भी इसमें सहभागिता की. यूं तो फाइटर जेट्स, ड्रोन ने हमेशा की तरह लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. लेकिन इस साल एक अलग तरह के कॉन्सेप्ट ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. ये था हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का लॉयल विंगमैन प्रोग्राम (Loyal Wingman Program) जिसे HAL के कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम (CAT'S) के नाम से जाना जाता है.

लॉयल विंगमैन, जैसा कि नाम से जाहिर है एक वफादार विंगमैन यानी पायलट. एविएशन की भाषा में विंगमैन शब्द विमान उड़ाने वाले के लिए इस्तेमाल किया जाता है. पर यहां विमान को कोई मानव पायलट नहीं बल्कि AI आदि से लैस मशीनें उड़ाएंगी. इन विमानों के पास अपना खुद का दिमाग होगा. एकदम टोनी स्टार्क के जार्विस की तरह. इस कॉन्सेप्ट के अनुसार एक पूरा जंगी जहाजों का बेड़ा जिसे स्क्वाड्रन कहते हैं उसमें सिर्फ एक ही जहाज ऐसा होगा जिसे कोई इंसान उड़ाएगा. इस जहाज को मदरशिप नाम दिया जाएगा.
स्क्वाड्रन के बाकी जहाज मानव रहित होंगे जो मदर शिप के आदेशानुसार काम करेंगे. जैसे आपके फोन में किसी ब्लूटूथ डिवाइस को पेयर किया जाता है, ठीक वैसे ही ये मानव रहित विमान मदर शिप से पेयर्ड रहेंगे. मकसद ये है कि मदरशिप एक निश्चित जगह जाकर रुक जाएंगे. अगर ऑपरेशन किसी ऐसे क्षेत्र में हो जहां पायलट को भेजने पर पकड़े जाने का डर हो, ऐसे में ये कॉन्सेप्ट काम आता.
DRDO - FUFAइस प्रोजेक्ट को भारत का एरिया-51 कह दें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ये भारत के सबसे सीक्रेट प्रोजेक्ट्स में से एक है. जिस दिन भारत इसे अपने बेड़े में शामिल करेगा, निश्चित तौर से उस दिन चीन और पाकिस्तान के सैनिक महकमे में टेंशन बढ़ेगी. इस विमान को इस तर्ज़ पर डेवलप किया जा रहा है कि ये भविष्य के एयर वॉरफेयर की कुंजी है. भविष्य में सारा खेल स्टेल्थ और मानव रहित विमानों जैसी तकनीक के पाले में होगा. ऐसे में ये विमान भारत के तरकश का सबसे शक्तिशाली तीर साबित हो सकता है. इसके बारे में यूं तो ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है. पर खबरें हैं कि ये HAL CATS Warrior का ही और उन्नत वर्जन होगा.
हालांकि DRDO या उससे जुड़े लोग कभी इसका नाम तक नहीं लेते. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितना सीक्रेट प्रोजेक्ट है. आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार ये विमान 5.5 टन का हो सकता है. साइज में छोटा होने और स्टेल्थ तकनीक की वजह से किसी भी रडार के लिए इसे पकड़ना काफी मुश्किल होगा. ये विमान स्ट्रेटेजिक ऑफेंसिव मिशन, क्लोज़ एयर सपोर्ट मिशन, मिसाइल ऑफेंसिव और एयर डिफेंस तबाह करने जैसे मिशंस को अंजाम दे सकेगा.

इस प्लान को लेकर कोई आधिकारिक सूचना तो नहीं है, लेकिन इतना तय है कि ये HAL CATS Warrior का और उन्नत वर्जन होगा. दुनियाभर में इस तरह के जितने विमान बन रहे हैं, ये उन्हीं का स्वदेशी स्वरूप हो सकता है. इसके अलावा कुछ ही समय पहले भारत ने अमेरिका से 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन्स की डील भी की है. साथ ही भारत ने स्वदेशी ड्रोन खड्ग (Suicide Kamikaze Drone Kharga) भी बनाया है जो सुसाइड ड्रोन है.
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