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शपथग्रहण में शामिल होने दिल्ली पहुंची शेख हसीना, बांग्लादेश से भारत के अटूट रिश्तों की पूरी कहानी

भारत ने दिसंबर 1971 में बांग्लादेश की स्थापना में मदद की. बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देने वाला भारत पहला देश था. 2009 से बांग्लादेश में शेख़ हसीना और 2014 से भारत में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं. उनके कार्यकाल में दोनों देशों के आपसी रिश्ते मज़बूत हुए हैं.

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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दिल्ली पहुंच गई हैं.

9 जून को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. इस समारोह के लिए विदेशी नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. इस लिस्ट में पहला नाम बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का है. वह 8 जून को दिल्ली पहुंच गईं.  शपथ ग्रहण समारोह से पहले हम आपका परिचय आमंत्रित देशों से करा देते हैं. यहां हम बात करेंगे एक समय भारत का हिस्सा रहे बांग्लादेश की. जिसके बनने में भारत की अहम भूमिका रही है.

नक्शेबाजी 

बांग्लादेश एशिया महाद्वीप में बसा है. दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है. पूरब और पश्चिम में भारत है. दोनों देशों के बीच 4 हजार किलोमीटर से लंबी सीमा है. भारत के पांच राज्यों का बॉर्डर बांग्लादेश से लगा है - पश्चिम बंगाल, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम और असम. भारत के अलावा सिर्फ एक देश से बांग्लादेश की सीमा लगती है. म्यांमार से. 

 

 

Political Map of Bangladesh
नेशंस ऑनलाइन प्रोजेक्ट

बांग्लादेश की कुल आबादी लगभग 17 करोड़ है. 90 फीसदी से अधिक लोग इस्लाम को मानते हैं. लगभग 8 फीसदी हिंदू हैं. इस्लाम को राजकीय धर्म का दर्जा है. हालांकि संविधान ने सभी धर्मों को बराबरी का अधिकार दिया है. यहां की करेंसी का नाम टका है. और प्रति व्यक्ति आय भारत के बराबर है. लगभग 2 लाख 15 हज़ार रुपये. राजधानी ढाका है. और यही सबसे बड़ा शहर है. दूसरे प्रमुख शहर हैं - चट्टगांव, सिलहट, खुलना, कॉक्स बाज़ार, मेमनसिंह, नारायणगंज आदि.

बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते
भारत ने दिसंबर 1971 में बांग्लादेश की स्थापना में मदद की. बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देने वाला भारत पहला देश था. आवामी लीग की शेख हसीना 2008 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं. जनवरी 2024 में उन्होंने लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री का चुनाव जीता. जीत के बाद भारत को सबसे सच्चा और अच्छा दोस्त बताया. पीएम मोदी उनको बधाई देने वाले पहले वैश्विक नेताओं में थे. शेख़ हसीना और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के आपसी रिश्ते मज़बूत हुए हैं.  

- अप्रैल 2017 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास और ट्रेनिंग को लेकर समझौता हुआ. भारत ने सैन्य साजो-सामान खरीदने के लिए बांग्लादेश को 4 हज़ार करोड़ रुपये दिए.
- 2018 में भारत-बांग्लादेश तेल पाइपलाइन का काम शुरू हुआ. उसी बरस बांग्लादेश ने चट्टगांव और मोंगला पोर्ट के इस्तेमाल की इजाज़त भारत को दी.
- 2019 में आतंकवाद और स्मगलर्स के ख़िलाफ़ इंटेलीजेंस शेयर करने पर सहमति बनी.
- 2021 में कोविड के दौरान भारत ने वैक्सीन की मदद भेजी थी. सेकेंड वेव के दौरान बांग्लादेश ने दवाइयों के ज़रिए भारत की सहायता की थी.
- सितंबर 2022 में कुशियारा नदी का पानी बांटने पर समझौता हुआ. पीएम मोदी ने इसको डिप्लोमेसी का सुनहरा अध्याय बताया था. 
- नवंबर 2023 में मोदी और हसीना ने अखौरा-अगरतला रेल लिंक का उद्घाटन किया. ये बांग्लादेश को भारत के त्रिपुरा से जोड़ेगी.

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शेख हसीना का परिचय
28 सितंबर 1947 को तब के पूर्वी बंगाल के टुंगीपारा में शेख हसीना का जन्म हुआ. उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक थे. जन्म के बाद परिवार ढाका आ गया. जहां छात्र राजनीति से उनके सियासी करिअर की शुरुआत हुई. फिर पिता की पार्टी आवामी लीग के स्टूडेंट विंग की जिम्मेदारी मिली.

1975 का साल उनके परिवार के लिए त्रासदी भरा रहा. 15 अगस्त 1975 को सेना के एक धड़े ने विद्रोह कर दिया. और शेख मुजीब और उनके परिवार के अधिकतर सदस्यों की हत्या कर दी. हत्यारे पूरे परिवार को मिटाने आए थे. लेकिन मुजीब की दोनों बेटियां शेख हसीना और शेख रेहाना बच गईं. क्योंकि दोनों उस समय विदेश में थीं.

माता पिता और भाई की हत्या के बाद शेख हसीना कुछ समय जर्मनी में रहीं. उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनको भारत में शरण दिया. वे अपनी बहन के साथ दिल्ली आ गईं. और यहां करीब 6 साल तक रहीं.1981 में शेख हसीना भारत लौटी. और आवामी लीग की कमान संभाली. उसके बाद 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. 2008 में दूसरी बार सत्ता मिली. और तभी से कुर्सी पर बनी हुई हैं.

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