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बांग्लादेश की पीएम के भारत दौरे में क्या खास है?

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना दो दिनों की राजकीय यात्रा पर भारत पहुंच चुकी हैं. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत के राजकीय दौरे पर आने वाली पहली विदेशी मेहमान हैं.

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भारत पहुंचीं बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना (फोटो-इंडिया टुडे)

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना दो दिनों की राजकीय यात्रा पर भारत पहुंच चुकी हैं. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत के राजकीय दौरे पर आने वाली पहली विदेशी मेहमान हैं. शेख़ हसीना का दौरा 22 जून तक चलेगा. 22 जून को उनका पीएम मोदी से मिलने का कार्यक्रम है. इस दौरान दोनों देशों के बीच कुछ अहम समझौतों पर दस्तख़त हो सकते हैं.

तो समझते हैं-
- शेख हसीना का भारत दौरा कितना अहम है?
- भारत-बांग्लादेश संबंधों की अहमियत क्या है?
- और, दोनों देशों के रिश्तों का इतिहास क्या रहा है?

पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के बाद उनसे मुलाकात करतीं बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना (फोटो-इंडिया टुडे)


शेख़ हसीना 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं. जनवरी 2024 में चुनाव जीतकर पांचवां कार्यकाल शुरू किया है. उनके पिता शेख़ मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं. उन्हीं के नेतृत्व में बांग्लादेश की आज़ादी का आंदोलन अपने मुक़ाम तक पहुंचा. 1971 में बांग्लादेश, पाकिस्तान से अलग होकर नया देश बना. भारत उसको मान्यता देने वाला पहला देश था.

शेख़ मुजीब बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने. मगर चार बरस बाद अगस्त 1975 में सेना के एक धड़े ने विद्रोह कर दिया. शेख़ मुजीब और उनके परिवार के अधिकतर सदस्यों की हत्या कर दी. उस वक़्त शेख़ हसीना और उनकी एक बहन विदेश में थीं. वे बच गईं. अगले कई बरसों तक वे भारत में ही रहीं. 1981 में बांग्लादेश लौटने के बाद उन्होंने अपने पिता की पार्टी आवामी लीग की कमान संभाली. तब से वो पार्टी की मुखिया बनी हुईं है. अवामी लीग के ही टिकट पर शेख़ हसीना 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. 2001 के चुनाव में उन्हें सत्ता से बाहर जाना पड़ा. वापसी जनवरी 2009 में हुई. तब से प्रधानमंत्री की कुर्सी उन्हीं के पास है.

बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना का स्वागत करते विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह   (फोटो-इंडिया टुडे)

अब भारत-बांग्लादेश संबंध समझ लेते हैं. ब्रीफ़ में.
- बांग्लादेश, भारत की पूर्वी सीमा से सटा है.
- दोनों देशों के बीच 4 हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा लंबी सीमा है.
- भारत के 5 राज्यों का बॉर्डर बांग्लादेश से लगा है - पश्चिम बंगाल, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम और असम.

संबंधों का इतिहास

- बांग्लादेश की आज़ादी में सबसे ज़्यादा मदद भारत ने की थी. मुक्तिवाहिनी को ट्रेनिंग देने से लेकर पाकिस्तानी फ़ौज से जंग लड़ने तक, भारत साथ खड़ा रहा. 
- फ़रवरी 1972 में शेख़ मुजीब भारत के आधिकारिक दौरे पर आए. अगले ही महीने इंदिरा गांधी बांग्लादेश गईं.
- मार्च 1972 में दोनों देशों के बीच मैत्री और सहयोग की संधि हुई. तय हुआ कि दोनों देश एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करेंगे. इंटरनल मैटर में दखल नहीं देंगे. और, एक-दूसरे के ख़िलाफ़ किसी तीसरे देश का साथ नहीं देंगे.
- 1996 में शेख़ हसीना पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं. दिसंबर 1996 में वो भारत आईं. 
- जनवरी 1997 में भारत के तत्कालीन पीएम एच. डी. देवेगौड़ा बांग्लादेश गए. 
- 2000 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार बनी. BNP की ख़ालिदा ज़िया प्रधानमंत्री बनीं. उनकी एंटी-इंडिया पॉलिसी रिश्तों में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभरी. हालांकि, मार्च 2006 में वो भारत के दौरे पर आईं. इस दौरान दोनों देशों के बीच रेलवे लिंक बनाने और तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे पर चर्चा हुई. 
 

2008 में शेख़ हसीना फिर बांग्लादेश की पीएम बनीं. जनवरी 2010 में हसीना राजकीय दौरे पर भारत आईं. उनके साथ 123 सदस्यों का डेलीगेशन भी था. इस दौरान पांच बड़े समझौतों पर दस्तखत हुए.
> आपराधिक मामलों में क़ानूनी सहयोग.
> एक-दूसरे के यहां मौजूद दोषियों की अदला-बदली.
> आतंकवाद, संगठित अपराध और ड्रग्स की तस्करी पर नियंत्रण.
> बिजली के क्षेत्र में मदद.
> और, सांस्कृतिक आदान-प्रदान.

- सितंबर 2011 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने बांग्लादेश का दौरा किया. 
- मई 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. उनका पहला बांग्लादेश दौरा जून 2015 में हुआ. इस दौरे पर दोनों देशों के बीच लैंड बॉर्डर एग्रीमेंट पर दस्तखत हुए. 
- अप्रैल 2017 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास और ट्रेनिंग को लेकर समझौता हुआ. भारत ने सैन्य साजो-सामान खरीदने के लिए बांग्लादेश को 4 हज़ार करोड़ रुपये दिए.
- 2018 में भारत-बांग्लादेश तेल पाइपलाइन का काम शुरू हुआ. उसी बरस बांग्लादेश ने चट्टगांव और मोंगला पोर्ट के इस्तेमाल की इजाज़त भारत को दी.
- 2019 में आतंकवाद और स्मगलर्स के ख़िलाफ़ इंटेलीजेंस शेयर करने पर सहमति बनी.
- 2021 में कोविड के दौरान भारत ने वैक्सीन की मदद भेजी थी. सेकेंड वेव के दौरान बांग्लादेश ने दवाइयों के ज़रिए भारत की सहायता की थी.
- सितंबर 2022 में कुशियारा नदी का पानी बांटने पर समझौता हुआ.

किन क्षेत्रों में सहयोग

- बांग्लादेश, साउथ एशिया में भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. 2022-23 में दोनों देशों के बीच 1 लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ.
- भारत-बांग्लादेश के बीच तीन पैसेंजर ट्रेन्स चल रहीं है.
मैत्री एक्सप्रेस- कोलकाता से ढाका. 2008 में शुरुआत हुई.
बंधन एक्सप्रेस - कोलकाता से खुलना. 2017 में शुरू हुई.
मिताली एक्सप्रेस - न्यू जलपाईगुड़ी से ढाका. इसकी शुरुआत 2022 में हुई थी.

हालिया मुद्दा

 20 जून 2024 को भारत के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई. 
 

 विदेश मंत्रालय की  प्रेस विज्ञप्ति (फोटो-विदेश मंत्रालय वेबसाइट)

इसमें लिखा था,
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 21 और 22 जून 2024 को भारत की स्टेट विज़िट पर रहेंगी. 
- पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के अलावा, शेख़ हसीना, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात करेंगी.

इस दौरे में किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है?
> नंबर एक. सुरक्षा.
बांग्लादेश मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक़, सबसे ज़्यादा अहमियत सुरक्षा के मुद्दे को मिलेगी. इस समय म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है. वहां मिलिटरी हुंटा का शासन है. उनके ख़िलाफ़ विद्रोही गुटों की लड़ाई चल रही है. म्यांमार, भारत और बांग्लादेश दोनों से सीमा साझा करता है. ऐसे में वहां की अस्थिरता का असर दोनों देशों पर पड़ेगा. 
-इसके अलावा, रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भी चर्चा होने की संभावना है. भारत में लगभग 40 हज़ार रोहिंग्या रहते हैं. वहीं बांग्लादेश ने लगभग 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण दे रखी है. इन शरणार्थियों की वजह से भी देश में सुरक्षा का सवाल उठा है. 
-इस यात्रा में कुकी चिन का मुद्दा भी उठ सकता है. कुकी चिन नेशनल फ्रंट एक मिलिटेंट ऑर्गनाइज़ेशन है. इसे बांग्लादेश में प्रतिबंध कर दिया गया है. बांग्लादेश का आरोप है कि इसके सदस्य मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं. ये इलाका बांग्लादेश की सीमा से करीब है.     
-कुछ समय पहले शेख हसीना ने कहा था कि बाहरी ताक़त बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ इलाकों को मिलाकर एक ईसाई देश बनाना चाहती है. दौरे में इस मुद्दे पर भी बात हो सकती है.

> नंबर दो. साझा प्रोजेक्ट.
इस दौरे पर फेनी नदी पर बने मैत्री ब्रिज़ को शुरू करने पर बात हो सकती है. ये पुल 1.9 किलोमीटर लंबा पुल है. जो भारत के सबरूम से बांग्लादेश के रामगढ़ को जोड़ता है. मार्च 2021 में शेख हसीना और पीएम मोदी ने इसका ऑनलाइन उद्घाटन किया था. लेकिन ये पुल अभी आम लोगों के लिए शुरू नहीं हुआ है. ये पुल भारत सरकार के पैसों से बना है.
इसके अलावा, रामपाल पावर प्लांट की दूसरी इकाई शुरू करने पर चर्चा हो सकती है. ये भारत के सहयोग से बांग्लादेश में बन रहा सबसे बड़ा पावरप्लांट है. ये पावर प्लांट लगभग 18 सौ एकड़ में बना हुआ है.

दोनों देश एक-दूसरे के लिए क्यों अहम है?
-दोनों कई क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्य हैं. जैसे साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोपरेशन (SAARC), BIMSTEC (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation), और इंडियन ओसियन रिम एसोसिएशन (IORA). ये तीनों संगठन साउथ एशिया में विकास और शांति के लिए अहम हैं.
-बांग्लादेश, साउथ एशिया में भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. 2022-23 में दोनों देशों के बीच 01 लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ. इसमें से लगभग 16 हज़ार करोड़ रुपए का सामान बांग्लादेश ने भारत को बेचा था.
-जैसा हमने शुरू में बताया, भारत के 5 राज्यों की बॉर्डर बांग्लादेश से लगती है - पश्चिम बंगाल, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम और असम. ऐसे में ख़ुद-ब-ख़ुद दोनों देशों की उपयोगिता एक-दूसरे के लिए बढ़ जाती है. दोनों देशों को जोड़ने में भाषा और संस्कृति भी अहम फ़ैक्टर हैं.

-भारत, बांग्लादेश का सबसे बड़ा डेवलपमेंट पार्टनर भी है. भारत अपने लाइन ऑफ़ क्रेडिट माने ऋण सहायता का लगभग एक चौथाई हिस्सा बांग्लादेश को देता है. जिससे वहां कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स चलते हैं. साथ ही, भारत की एक्ट ईस्ट और नेवरहुड फ़र्स्ट पॉलिसी के लिए भी बांग्लादेश सबसे अहम देश है.

भारत की चिंता

नंबर एक. इंटरनल पॉलिटिक्स:
जनवरी 2024 में बांग्लादेश में चुनाव हुए. चुनाव से पहले हिंसा भी हुई. विपक्षी पार्टियों के हज़ारों कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया. जिसके बाद उन्होंने चुनाव का बायकॉट किया. इसलिए, अवामी लीग को एकतरफ़ा जीत मिली. शेख़ हसीना पांचवीं दफ़ा प्रधानमंत्री बनीं. भारत ने इसका स्वागत किया. मगर अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने शेख हसीना की आलोचना की. जांच करवाने की मांग भी की. तब भारत ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया. जानकार कहते हैं, बैक चैनल से वेस्ट को समझाया गया. तब जाकर उनका विरोध बंद हुआ. 
इसी वजह से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और दूसरी विपक्षी पार्टियां भारत से नाराज़ हैं. BNP ने से तो इंडिया आउट कैंपेन भी शुरू किया. BNP के साथ बांग्लादेश का एक कट्टरपंथी तबका भी जुड़ा है. वो भी भारत के विरोध में रहता है.

नंबर दो. चीन:
चीन इंडो-पैसिफ़िक रीजन में अपनी पैठ बढ़ा रहा है. ये भारत के लिए बड़ी चुनौती है. चीन ने श्रीलंका और मालदीव में वर्चस्व फैलाने की कोशिश की. भारत को वहां स्थिति कंट्रोल करने में बड़ी समस्या आई. हालांकि, स्थिति अब नियंत्रण में है. चीन, बांग्लादेश पर भी डोरे डाल रहा है. इसलिए, वहां भी भारत को संभलकर अपनी नीति तय करनी होगी.

ये था हमारा बड़ी ख़बर सेग्मेंट. अब एक अपडेट जान लेते हैं.
ये ख़बर साउथ चाइना सी से जुड़ी है.साउथ चाइना सी में चीन और फ़िलिपींस के सैनिकों के बीच झड़प की ख़बर है. ये झगड़ा 17 जून को उस समय हुआ, जब फ़िलिपींस के नौसैनिक अपने युद्धपोत पर सप्लाई पहुंचाने जा रहे थे. उसी दौरान चीन के कोस्ट गार्ड फिलीपींस की नेवल बोट्स पर चढ़ गए और उनपर चाकू, भाले और कुल्हाड़ी से हमला किया है. इसके जवाब में फ़िलीपींस के सैनिकों ने भी जवाबी हमला किया. चीनी सैनिकों ने फ़िलिपींस की नौसेना से आठ M4 राइफलें, नेविगेशन डिवाइस और दूसरे सामान जब्त किए हैं. फ़िलिपींस की फ़ौज ने 19 जून को घटना का वीडियो रिलीज़ किया. इसमें चीनी सैनिकों को हमला करते देखा जा सकता है.

चीन क्या बोला?

उसने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. कहा कि हमने संयम बरता है. 

विवाद की वजह

चीन लगभग पूरे साउथ चाइना सी पर संप्रभुता का दावा करता है. इसमें कई द्वीप और रेतीले टीलें शामिल हैं. कई इलाके ऐसे भी हैं जो चीन की ज़मीनी सीमा से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं. अंतराष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक़, वो चीन का इलाका नहीं है. जहां विवाद हुआ, उस इलाके में फ़िलीपींस ने अपने जहाज़ तैनात किए हुए हैं. चीन इसी बात से नाराज़ था.  

वीडियो: नितिन गडकरी के पास कहां से आ रहा एक्सप्रेसवे बनाने का पैसा?