कई मौकों पर PM नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तारीफ करने वाले अवध ओझा (Avadh Ojha) अरविंद केजरीवाल के साथ हो गए हैं. उन्होंने आधिकारिक रूप से आम आदमी पार्टी (AAP) की सदस्यता ले ली है. उनके राजनीति में आने की चर्चा कई मौकों पर होती रही, लेकिन अधिकतर मौकों पर उन्होंने राजनीति में आने की संभावना से इनकार किया था. कुछ मौकों पर उन्होंने मजाकिया लहजे में इस सवाल का सामना किया. हालांकि, अब उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत हो चुकी है. 2 दिसंबर को अवध ओझा AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में AAP में शामिल हो गए.
अवध ओझा: UPSC पढ़ाने से लेकर 'राजा की अगली चाल' बताने तक का सफर
Avadh Ojha joins AAP: 2 दिसंबर को अवध ओझा AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में AAP में शामिल हो गए. टीचर और मोटिवेशनल स्पीकर के बाद राजनेता बने अवध ओझा के अब तक के सफर पर एक नज़र.
“तुम राजा हो. राजा जैसा एटीट्यूड रखो…” “राजा की अगली चाल क्या होगी ये राजा के सिवाय कोई नहीं जानता, ये कर सको तो समझो राजा हो…”
इंटरनेट पर अपनी क्लास में ‘राजा’ बनने की राह सुझाने वाले अवध ओझा के भीतर ऐसा व्यक्तित्व कैसे आया? वो जिस सीधे-सपाट और स्पष्ट जवाब के लिए जाने जाते हैं, उसकी नींव कैसे पड़ी? इसकी झलक के लिए उनके जीवन के कुछ हिस्सों पर गौर करना होगा. उनके बचपन से शुरू करते हैं.
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के ओझा पुरवा गांव में जन्मे अवध ओझा ने गोंडा से ही अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई की. पिता पोस्ट मास्टर थे और माता वकील थीं. अवध ओझा के पिता कहते थे कि ज्यादा पढ़ने से व्यक्ति क्लर्क बनता है. इस बात पर अवध की मां से उनकी लड़ाई भी होती थी. वो बताते हैं कि एक बार तो बात तलाक तक पहुंच गई थी.
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उनके पिता ने एक बार उनको सिगरेट पीते पकड़ लिया था. उन्होंने अवध से पूछा कि इस समय सिगरेट का कौन-सा ब्रांड चल रहा है? जवाब के आधार पर उसी ब्रांड के सिगरेट के दो पैकेट, एक एस्ट्रे और एक लाइटर लाए गए. पिता ने अवध को वो पैकेट दिए और कहा कि घर में बैठ कर पिया करो. चोरों की तरह दुकान के पीछे जाकर सिगरेट मत पिया करो. हालांकि, अवध बताते हैं कि इस घटना के बाद उन्होंने सिगरेट नहीं पी.
18 या 19 साल उम्र रही होगी. अवध ओझा पर इतने ही केस भी चल रहे थे. वो बताते हैं कि इनमें से कुछ केस फर्जी बनाए गए थे. हालांकि, वो एक ऐसी घटना का जिक्र करते हैं, जिसमें वो ऑनकैमरा गोली चलाने की बात को स्वीकारते हैं. साल 2022 में लल्लनटॉप के ‘गेस्ट इन द न्यूजरूम’ प्रोग्राम में उन्होंने बताया,
“मैं एक बार चरस फिल्म देखने सिनेमा हॉल गया था. वहां किसी ने मुझसे कहा कि तुम स्कूटर से चलते हो, बहुत रंगबाजी में रहते हो. और इसके बाद उसने मुझे थप्पड़ मार दिया. मैंने फिल्म छोड़ी और घर चला गया. एक दोस्त के पास गया और बोला कि इसको मारना है. इसके बाद गोली चला दी. एक महीने फरार रहा. फिर मां ने जमानत करा दी. जेल नहीं जाना पड़ा.”
अवध बताते हैं कि उनकी मां 1980 के दशक में गोंडा में प्रैक्टिस करती थीं. उस समय वो वहां की एकलौती महिला वकील थीं. एक दफा वो कोर्ट जा रही थीं तो किसी ने उन्हें रोक दिया. और कहा कि तुम तो महिला हो, ये क्या प्रैक्टिस कर रही हो? इस पर उनकी मां ने उस व्यक्ति की पिटाई कर दी. इसके बाद इलाके में उनकी मां की एक ‘दबंग वकील’ की पहचान बनी.
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UPSC की तैयारी करते-करते टीचर बन गएगोंडा के फातिमा इंटर कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद ओझा प्रयागराज पहुंचे. वहां उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद UPSC की तैयारी के लिए वो दिल्ली पहुंचे. परीक्षा भी दी. प्रीलिम्स तो निकल गया, लेकिन मेंस नहीं निकाल पाए. इसके बाद उन्होंने बच्चों को कोचिंग पढ़ाना शुरू किया. शुरुआत में अपने एक दोस्त के कोचिंग संस्थान में पढ़ाया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्चों ने उनके पढ़ाने के तरीके को बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया. इसके बाद उन्होंने अपने टीचिंग स्किल्स पर प्रयोग किए और इसका फायदा भी हुआ. साल 2005 में उन्होंने दिल्ली में अपने टीचिंग करियर की शुरुआत की. कई बड़े कोचिंग संस्थानों में पढ़ाया. जैसे कि चाणक्य आईएएस एकेडमी और बाजीराव एंड रवि आईएएस.
दिन में कोचिंग पढ़ाया, रात में बार में काम कियाअवध ओझा दिल्ली में अपने संघर्ष के बारे में बताते हैं कि वो दिन में कोचिंग पढ़ाते थे और रात में बार में काम करते थे. वो बताते हैं,
“ये 2006-07 की बात है. मैं 2005 में दिल्ली आ गया था. अपना संस्थान खोल दिया था- ऊष्मा कोचिंग सेंटर. घर से तो कोई पैसा मिला नहीं. थे भी नहीं पैसे घर में, कि वो हमें देते. तो हमें खुद ही से कोचिंग सेंटर का रेंट देना होता, घर का किराया, दिल्ली में रहना. तब मुखर्जीनगर का खर्चा होता था बीस हजार रुपये महीना. ये सारे खर्चे वहन करने थे. इसलिए रात में काम करना पड़ता था और सुबह क्लास लेते थे. वहां के तजुर्बे अच्छे थे. लोगों को तारीफ सुनने का बड़ा शौक़ होता है. तो अगर एक पढ़ा-लिखा वेटर, आदमी को कुछ अच्छी बात बोल दे, तो उसे अच्छा ही लगता है. और, वैसे भी शराब के नशे में ज्यादा ही सुनता है आदमी.”
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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे में अपना एक कोचिंग संस्थान शुरू किया. नाम रखा- IQRA Academy. यहां से UPSC की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के बीच उनकी पहचान बनने लगी.
साल 2020 में उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल लॉन्च किया. नाम रखा- Ray Avadh Ojha. यहां से उन्होंने इंटरनेट की एल्गोरिदम को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी. क्लास के बीच-बीच में अति उत्साह से भरे और कभी-कभी ‘पॉलिटिकली इनकरेक्ट’ बातों के लिए ट्रेंड करते रहें. हालांकि, वो बताते हैं कि जब वो बाजीराव में थे, तभी से बच्चे उनके वीडियो बना लेते थे. ऐसे ही एक बार उनका एक वीडियो वायरल हो गया था.
कोविड महामारी के वक्त जब सारे कोचिंग संस्थानों के ऑफलाइन क्लास बंद हो गए थे, तब ओझा को इंटरनेट का साथ मिला. उनकी बातों पर लोगों ने भर-भर के रिएक्शन दिए. कुछ ने ट्रोल भी किया और ओझा ने अपने अंदाज में उन्हें जवाब भी दिया. इसी प्रक्रिया में अवध ओझा के राजनीतिक बयान भी चर्चा में रहने लगे.
चुनाव नहीं लड़ने का बयान दिया थासमय के साथ अवध ओझा की राजनीतिक पसंद में बदलाव देखे गए हैं. मसलन कि एक वक्त पर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक रहे. और राहुल गांधी का मजाक उड़ाया. इन सबके बीच शुरुआत में उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वो कभी चुनाव भी लड़ेंगे. मसलन कि साल 2022 में लल्लनटॉप से बातचीत में उन्होंने कहा था,
“मुझसे कुछ लोग कह रहे हैं इलेक्शन लड़ लो. कैसे लड़ लूं? क्या वो लोग मुझे चुनाव लड़ने के लिए 500 करोड़ रुपए देंगे? मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा. कभी नहीं. हालांकि, अगर कोई राज्यसभा में ले जाकर बिठा देता है तो फिर वो बात अलग है.”
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इससे पहले लल्लनटॉप के 'गेस्ट इन द न्यूज रूम' कार्यक्रम में उन्होंने किसी भी दल से चुनाव लड़ने से इनकार किया था. उन्होंने कहा था,
Avadh Ojha के राजनीतिक बयान“मैं भाजपा या किसी भी पार्टी से कोई चुनाव नहीं लड़ने वाला हूं. मैं स्कूल खोलने जा रहा हूं. 2023 में. इलाहाबाद में. क्योंकि पढ़ाई-लिखाई ने मुझे नाम दिया, इज्जत दी, पैसा दिया. तो मैं तो उसी विधा को आगे बढ़ाऊंगा. हां, मेरे साथ जो लोग रहते हैं, वो राजनीति करेंगे. मैं ऐसे लोगों की टीम ही तैयार कर रहा हूं. पढ़े-लिखे लोग हैं: लॉयर हैं, डॉक्टर हैं, IPS हैं, IAS हैं.”
फिर लोकसभा चुनाव 2024 के पहले खबर ये भी उड़ी कि वो भाजपा से टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं. बाद में उन्होंने PM मोदी के रिटायरमेंट की बात की. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा,
“मोदी तो वैसे भी जा रहे हैं, अब कितना शासन करेंगे. अब तो मोदी को मैं चुनूं या न चुनूं, उन्हें तो तीन साल बाद रिटायरमेंट लेना ही पड़ेगा. क्योंकि ये नियम उन्होंने ही बनाया है कि 75 साल बाद संन्यास लेना है. तो उन्हें चुनने में, मैं तो बच गया. अगले चुनाव में मेरी चॉइस राहुल गांधी होंगे क्योेंकि उन्होंने अपने आप को काफी इवॉल्व किया है. मैंने कई बार उनका मजाक उड़ाया, लेकिन कांग्रेस के किसी भी लीडर ने मुझे कभी नहीं कहा कि ओझा आप बहुत गलत काम करते हैं. 2029 के चुनाव में वो कड़ी टक्कर देंगे.”
लोकसभा चुनाव में BJP से टिकट न मिलने पर अवध ओझा कहते है कि पार्टी ने अपना एक सांसद खो दिया. वो बताते हैं,
“अगर पार्टी मुझे टिकट दे देती तो उनके सांसद की लिस्ट में एक संख्या ज्यादा होती. लेकिन शायद भगवान को ये मंजूर नहीं था. तो जो बुलाएगा, उसकी तरफ जाएंगे. लेकिन राजनीति करनी थी, वो मेन टारगेट है.”
अक्टूबर 2024 में लल्लटॉप के ‘बिहार अड्डा’ कार्यक्रम में उनसे बिल्कुल ही सीधा सवाल पूछा गया. नरेंद्र मोदी अच्छे नेता हैं या राहुल गांधी? उनका जवाब था,
“नरेंद्र मोदी अच्छे नेता थे. अब राहुल गांधी अच्छे नेता हैं.”
समय-समय पर PM मोदी और राहुल गांधी की चर्चा करने वाले अवध ओझा ने आखिर में केजरीवाल का साथ चुना है. पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते समय उनके साथ अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया भी मौजूद रहे. तीनों ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने ये कदम उठाया है.
इसी साल 27 जुलाई को दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक अनहोनी हुई. Rau's IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भरने के कारण UPSC की तैयारी करने वाले 3 स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी. इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े किए. सवालों के घेरे में देश के सभी लोकप्रिय कोचिंग शिक्षक आए. अवध ओझा पर भी सवाल उठे. लोगों ने कहा कि कोचिंग व्यवसाय का हित साधने के लिए अवध ओझा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी. हालांकि, आलोचनाओं के बाद उन्होंने इस मामले पर अपना बयान दिया और कहा कि सरकार को ऐसे मामलों के लिए कानून बनाना चाहिए.
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साल 2022 के जनवरी महीने में कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर विवाद हुआ था. ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट के बाहर भी इस मामले पर खूब बहस हुई. इस मामले पर अवध ओझा ने कहा था कि स्कूल का काम अनुशासन सीखाना है. इसलिए अगर हिजाब और भगवा पहनना है, तो स्कूल छोड़ दें और मदरसों और मठों में जाकर पढ़ें.
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