लल्लनटॉप के न्यूज़रूम में आए अवध ओझा. इंटरनेट की भाषा में कहें तो ओझा सर - हिस्ट्री वाले, बकैती वाले. अवध ओझा (Ojha Sir), डिजिटल दौर के 'माटसाबों' में ‘बिग थिंग’ हैं. हमने उनसे लंबी बात की. उनके बड़े होने की कहानी से लेकर इतिहास के डाउट्स तक. इसी सिलसिले में बात आई उनके वायरल वीडियोज़ की.
अवध ओझा ने ओसामा बिन लादेन को थैंक्यू क्यों बोला?
ओझा सर पर आतंकी ओसामा बिन लादेन के महिमामंडन के आरोप क्यों लगते हैं?
दरअसल, आलोचकों ने अवध ओझा पर ख़ूब इल्ज़ाम लगाए हैं. एक ऐसा ही इल्ज़ाम है: कुख्यात आतंकी ओसामा बिन लादेन के महिमामंडन का. इस पर हमने उनसे उनका पक्ष पूछा, तो उन्होंने कहा,
"1969 में USSR ने अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्जा कर लिया. अमेरिका को बड़ा दर्द हुआ. अमेरिका सीधे अफ़ग़ानिस्तान में घुसना नहीं चाहता था क्योंकि 1970 में वो वियतनाम में बहुत बुरी तरह हारे थे. अब दोबारा बेज्जती नहीं कराना चाहते थे. पर अमेरिका को चिंता ये थी कि अगर USSR अफ़ग़ानिस्तान पर बैठेगा, तो सेंट्रल एशिया के तेल के कुओं पर उसका कब्जा होगा. आप देखिए, 1980 के आसपास ही भारत में, पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत होती है. तो अमेरिका ने क्या किया? अमेरिका ने 1980 में कर ली शादी. दूल्हा बना CIA, दुल्हन बनी ISI और काज़ी बना RSI (रॉयल सऊदी इंटेलिजेंस). काज़ी ने शादी कराई. दूल्हे ने कहा, 'हम गोला-बारूद देंगे'. दुल्हन ने कहा, 'हम आदमी देंगे'. काज़ी ने कहा, 'हमारे पास पैसा बहुत है. हम पैसा दे देंगे.'
असल में अमेरिका ये चाहता था कि USSR अफ़गानिस्तान से बाहर निकले. सऊदी वाले अमेरिका की कोई बात ही नहीं सकते थे. पाकिस्तान का मक़सद था कि हथियार देगा अमेरिका, पैसा देगा सऊदी, तो हम उसका 60% खर्चा करेंगे अफ़गानिस्तान और 40% खर्चा करेंगे भारत में. पंजाब और कश्मीर में. इस संघ से एक बच्चा पैदा हुआ -मुजाहिद्दीन. इस बच्चे ने दो फ्रंट पर लड़ाई शुरू की. एक अफ़गानिस्तान में, एक भारत में. इसके बदले हमने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हल्ला मचाना शुरू किया की हम आतंकवाद से ग्रसित हैं. तो उस समय अमेरिका के प्रेसिडेंट होते थे जॉर्ज बुश. उन्होंने कहा, 'नहीं-नहीं, ये आतंकवाद नहीं, हक़ की आवाज़ है.'
फिर जब ट्विन टावर पर हमला हुआ, तब जॉर्ज बुश जूनियर ने कहा, 'पूरी दुनिया आतंकवाद से ग्रसित है'. जो काम हम नहीं कर पाए, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ़ आवाज नहीं उठा पाए, वो लादेन ने हमारे लिए किया. हमें उसे थैंक यू बोलना चाहिए. कभी-कभी दुश्मन भी आपके काम आता है."
हालांकि बाद में उन्होंने साफ़ किया कि ये एक अलग कॉन्टेक्स्ट में था. लोगों ने बात का बतंगड़ बना दिया. उन्होंने कहा कि लोगों को बस ये दिखा कि अवध ओझा ने लादेन की तारीफ़ की. असल में वो कटाक्ष था, अमेरिका की हिपॉक्रिसी पर.
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