The Lallantop

आतिशी के दिल्ली CM बनने की इनसाइड स्टोरी ये रही, केजरीवाल का गेमप्लान बहुत तगड़ा है!

इस साल जब Arvind Kejriwal जेल गए थे, जब Atishi और Saurabh Bharadwaj को दिल्ली सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली थी. आतिशी पहले से ही पार्टी के लिए एक्टिव थीं, इन जिम्मेदारियों के मिलते ही वो और अधिक सक्रिय हो गईं.

post-main-image
Arvind Kejriwal ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के तौर पर Atishi के नाम का एलान किया. (फोटो: PTI)

दिल्ली सरकार में कई विभागों का कार्यभार संभाल रहीं आतिशी अब केंद्र-शासित प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी की नई मुख्यमंत्री (Atishi Delhi CM) होंगी. यह जानकारी तब सामने आई है जब दो दिन पहले दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा था कि वो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. इसी सिलसिले में 17 सितंबर को आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में केजरीवाल ने आतिशी के नाम का एलान किया. उनके नाम को पार्टी के सभी विधायकों ने स्वीकार लिया.

आतिशी दिल्ली की कालका जी विधानसभा से विधायक हैं. पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फिलहाल के लिए दिल्ली में कोई उप-मुख्यमंत्री नहीं होगा और आतिशी 26-27 सितंबर को विधानसभा के एक विशेष सत्र के दौरान मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.

दो दिन पहले जब अरविंद केजरीवाल ने अपने इस्तीफे का एलान किया था, तब से ही दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के तौर पर कई नामों की चर्चा हो रही था. मसलन, आतिशी, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत, सुनीता केजरीवाल, कुलदीप कुमार, राखी बिड़ला इत्यादि. इन सबके बीच आखिर में आतिशी को तरजीह दी गई. इसके पीछे आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की सोची समझी रणनीति है.

वक्त की जरूरत आतिशी

पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में महिलाओं का प्रतिनिधित्व ना के बराबर है. आम आदमी पार्टी को 'बॉयज क्लब' के नाम से जाना जाता रहा है. वहीं जब पिछले साल पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हुई थी तब अरविंद केजरीवाल ने महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ाने पर जोर दिया था. खासकर, मध्य प्रदेश चुनाव में लाडली बहना जैसी योजनाओं की सफलता को देखते हुए.

ये भी पढ़ें- AAP नेता आतिशी ने बीजेपी को लेकर किया बड़ा दावा, बोलीं- "मुझे ऑफर..."

इस पहल के तहत आम आदमी पार्टी ने अपनी पुरानी और विश्वस्त सदस्य स्वाति मालीवाल को राज्यसभा भेजा था. हालांकि, बाद में पार्टी और उनके संबंधों में दरार आ गई. ऐसे में पार्टी को एक बड़ा महिला चेहरा आगे रखने की जरूरत महसूस हुई. इस खांचे में आतिशी पूरी तरह से फिट पाई गईं. एक नाम दलित समुदाय से आने वालीं राखी बिड़ला का भी चल रहा था. लेकिन बिड़ला उतना सक्रिय नजर नहीं आईं.

कथित शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल इस साल मार्च में जेल गए थे. मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पहले ही जेल जा चुके थे. ऐसे में सौरभ भारद्वाज और आतिशी को दिल्ली कैबिनेट मंत्रियों की शपथ दिलाई गई थी. जहां भारद्वाज को स्वास्थ्य, शहरी विकास, जल और उद्योगों से जुड़े पोर्टफोलियो दिए गए, वहीं आतिशी को 14 विभागों की जिम्मेदारी मिली थी. इनमें शिक्षा, वित्त, शहरी नियोजन, लोकनिर्माण, पावर और जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विभाग शामिल थे.

आतिशी पहले से ही अपनी पार्टी के लिए एक्टिव थीं, इन विभागों की जिम्मेदारी मिलते ही वो और सक्रिय हो गईं. उन्होंने सौरभ भारद्वाज के साथ मिलकर मोर्चा संभाला. लोकसभा चुनाव के दौरान जमकर प्रचार किया. टेलीविजन स्क्रीन्स से लेकर सड़कों तक, आतिशी ही आतिशी नजर आने लगीं. इन गर्मियों में जब दिल्ली में जल संकट हुआ तो आतिशी हरियाणा सरकार के खिलाफ ये कहकर धरने पर बैठ गईं कि यमुना से दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. इस दौरान उनकी तबीयत भी खराब हुई और उन्हें अस्पताल भी ले जाना पड़ा. इस तरह से आतिशी पार्टी की एक केंद्रीय नेता बनकर उभरीं.

दिल्ली में झारखंड मॉडल नहीं!

आम आदमी पार्टी अपनी कई योजनाओं और नीतियों पर बहुत इतराती है. मसलन, शिक्षा, मोहल्ला क्लीनिक, महिलाओं के लिए फ्री बस यात्राएं और बिजली एवं पानी की दरों में कटौती. आतिशी ने दिल्ली की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर काम किया है. पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी के जीत के बाद आतिशी को दिल्ली की संभावित शिक्षा मंत्री के तौर पर देखा जा रहा था. आतिशी रोड्स स्कॉलर रही हैं, ऑक्सफोर्ड से पढ़ी हैं, आम आदमी पार्टी के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नेताओं में उनका नाम शामिल है. CM पद की दौड़ में उनका ये बैकग्राउंड भी उनके खूब काम आया.

इन सब पहलुओं के अलावा, एक जो और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आतिशी को पार्टी और अरविंद केजरीवाल का वफादार माना जाता है. केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान जब कई नेताओं ने बयानबाजी से दूरी बना ली तब आतिशी लगातार फ्रंट फुट पर खेलती रहीं. आतिशी शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी से जुड़ी रही हैं. पार्टी की नीतियों को आकार देने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इधर, केजरीवाल भी चाहते थे कि दिल्ली में झारखंड की तरह की स्थिति ना बने. उनकी पार्टी में कोई चम्पाई सोरेन ना बन जाए. ऐसे में उन्होंने आतिशी का नाम आगे बढ़ाया.

वीडियो: इन 3 कारणों से आतिशी को बनाया गया दिल्ली का मुख्यमंत्री?