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ED ने पूछताछ के लिए समन भेजा, अरविंद केजरीवाल ने जाने से मना क्यों कर दिया?

कथित शराब घोटाला मामले में जब CBI ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था, तो वो अपीयर हुए थे. लेकिन ED के सामने पेश होने से मुकर गए.

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ED को चिट्ठी लिखकर सीएम केजरीवाल ने पूछताछ में आने के लिए मना कर दिया.

दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल को 30 अक्टूबर को एक कागज मिला था. ये एक समन था. बुलावा. जिसे भेजा था प्रवर्तन निदेशालय ने. अरविन्द केजरीवाल से ED ने कहा था कि दिल्ली के शराब घोटाला केस में आपको पूछताछ के लिए आना है. इस पूछताछ के लिए दिन मुकर्रर हुआ 2 नवंबर सुबह साढ़े 11 बजे का.

दो दिनों तक आम आदमी पार्टी बनाम ED के तनाव का तापमान बहुत बढ़ा हुआ था. हो भी क्यों न? मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, संजय सिंह ... आप के बड़े नेता पहले ही ED के केस में जेल में हैं. उनकी जमानत याचिकाएं भी कोर्ट में अटकी पड़ी हैं. ऐसे में केजरीवाल को समन मिलना पार्टी और पार्टी के समर्थकों के लिए चिंता भरा विषय था.

लेकिन जैसे ही कैलेंडर में 2 नवंबर की तारीख लगी. चीजें एकदम पलट गईं. केजरीवाल ने साफ कह दिया कि वो ED के दफ्तर नहीं जाएंगे. न पूछताछ में शामिल होंगे. केजरीवाल ने एक चिट्ठी भी लिखी. ये चिट्ठी लिखी गई थी ED के अससिस्टेंट डायरेक्टर जोगेंदर के नाम. इस चिट्ठी में उन्होंने क्या लिखा, बिन्दुवार जानिए  -

1- समन से ये बात साफ नहीं होती है कि मुझे किस लिहाज से बुलाया गया है. गवाह के तौर पर? या संदिग्ध के तौर पर.

2- समन से ये बात भी साफ नहीं होती है कि मुझे एक व्यक्ति के तौर पर बुलाया जा रहा है या दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर या आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर. ये बात थोड़ी संदिग्ध लगती है.

3- जिस दिन ये समन आया, उस दिन दोपहर से ही भाजपा के नेता ये बोलने लगे थे कि मुझे समन भेजा जाएगा और मुझे अरेस्ट कर लिया जाएगा. उसके बाद ये शाम को समन जारी हुआ. इससे ये बात साफ होती है कि ये समन पहले भाजपा नेताओं को लीक किया गया, ताकि मेरी छवि खराब हो. ऐसा केंद्र में सत्ता पर बैठी पार्टी के इशारे पर किया गया.

4 - मैं दिल्ली का मौजूदा मुख्यमंत्री हूं. पंजाब और दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सत्ता सम्हाल रही पार्टी AAP का राष्ट्रीय संयोजक हूं. नवंबर में ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं. 3 दिसंबर को चुनाव के नतीजे आने हैं. और राष्ट्रीय संयोजक और स्टार प्रचारक होने के नाते मुझे यात्रा करनी है.

5 - मुख्यमंत्री के तौर पर मेरे जिम्मे बहुत सारे आधिकारिक काम हैं. और नवंबर के दूसरे हफ्ते में दिवाली भी आने वाली है. तो अपनी जिम्मेदारियों के लिए मेरी उपस्थिति जरूरी है.

6 - मैंने आपको सारी बातें बता दीं. कृपया अपना समन वापिस ले लीजिए. वैसे भी ये समय प्रेरित लग रहा है और जैसा मुझे बताया गया है कि ये कानूनी रूप से टिकाऊ भी नहीं है.

चिट्ठी के बाद केजरीवाल दिल्ली छोड़कर मध्य प्रदेश के सिंगरौली चले गए. वहां उन्होंने भगवंत मान के साथ चुनावी सभा में भाषण दिया. इधर केजरीवाल मध्य प्रदेश में एक्टिव थे, और दिल्ली में भाजपा के नेता उन पर हमले कर रहे थे.

लेकिन आप पूछेंगे कि इतना सब बवाल हो गया, लेकिन इसकी जड़ कहां है? वो केस क्या है, जिसमें केजरीवाल को समन जारी किया गया. तो केस वही है - दिल्ली शराब घोटाला केस. पहले भी हमने कई बार बताया है, एक बार फिर से संक्षिप्त में बता देते हैं. ये पूरा मामला है दिल्ली में शराब किस नीति से बेचा जाएगा. पुरानी नीति बनाम नई नीति का केस है.

17 नवंबर 2021. ये वो दिन था, जब दिल्ली में नई शराब नीति को लागू किया गया. इसके पहले शराब कैसे बेची जाती थी? सरकार के पास ठेकों का लाइसेंस होता था. सरकार द्वारा निर्धारित मूल्यों पर ही शराब व्यवसायी शराब बेच सकते थे.

फिर नई पॉलिसी आई तो लोगों ने गौर किया कि दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के काम से खुद को अलग कर लिया है. और तय हो गया कि दिल्ली में शराब बस प्राइवेट वेंडर ही बेचेंगे. इसके पीछे सोच थी कि शराब की खरीदारी को और ज्यादा आकर्षक बनाया जाएगा. और सरकार के पास ज्यादा से ज्यादा राजस्व आएगा.

इस पॉलिसी को लागू करने के लिए क्या किया गया?

दिल्ली सरकार ने शराब की लगभग 600 सरकारी दुकानों को बंद कर दिया

850 शराब की दुकानों को शराब बेचने का रिटेल लाइसेंस दिया

266 शराब के ठेकों को प्राइवेट कर दिया गया

होटल, क्लब, रेस्तरां और बार को रात 3 बजे तक खोलने की इजाजत मिली

कुछ लाइसेंस धारकों को 24 घंटे तक शराब बेचने की अनुमति मिली

कुछ क्लबों और रेस्तरां को शर्तों के साथ बालकनी और छत पर शराब बेचने की अनुमति मिली

बैंक्वेट हॉल, फार्म हाउस, मोटेल, वेडिंग/पार्टी/इवेंट वेन्यू के लिए एक नया लाइसेंस- एल-38 पेश किया गया, जिसमें सालाना फीस पर परिसर में आयोजित सभी पार्टियों में भारतीय और विदेशी शराब सर्व करने की अनुमति दी गई

जब ये नियम सामने आया तो शराब बेचने वाले प्रतिस्पर्धा वाले मॉडल पर आ गए. पहले सरकार दाम रेगुलेट करती थी. अब व्यवसायी इस कवायद में उतर गए कि सस्ती से सस्ती और ज्यादा से ज्यादा शराब बेची कैसे जाए. दुकानों पर ऑफर निकाले जाने लगे. कई शराब के ब्रैंड्स पर एमआरपी में छूट दी, कई ब्रैंड्स में एक यूनिट के साथ एक या उससे अधिक यूनिट फ्री दिए जाने लगे. मसलन एक बोतल पर एक या दो बोतल मुफ़्त. शराब के दुकानदार ऐसी स्कीम चलाने लगे तो दुकानों पर भीड़ दिखने लगी.

एकबानगी ये सबकुछ देखने में ग्राहक और दुकानदार दोनों के लिए फायदे का सौदा लगता रहा. फिर आरोप लगने शुरू हुए. कैसे आरोप? दिल्ली सरकार ने शराब की दुकानों को 32 जोन में बाँट दिया था और केवल 16 कंपनियों को ही शराब के डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार दिया था. सरकार पर आरोप लगे कि इससे काम्पिटिशन खत्म होने की संभावना बढ़ गई थी. इसके अलावा ये भी खबर आई कि बड़ी कंपनियों ने अपनी दुकानों पर तगड़ा डिकाउंट देना शुरू किया, छोटे व्यापारियों को नुकसान शुरू हुआ, लिहाज वो अपना लाइसेंस सरेंडर करने लगे.

फिर मामले में जांच तब शुरू हुई जब दिल्ली के मुख्य सचिव ने जुलाई 2022 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट भेजी. कहा कि इस शराब पॉलिसी में अनियमितता है. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि इस नीति की आड़ में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया है.

एलजी ने रिपोर्ट मिलते ही CBI जांच की सिफारिश की. CBI ने जुलाई के ही महीने में केस दर्ज किया. फिर अगले महीने यानी अगस्त 2022 में ED ने मनी लॉन्डरिंग का केस दर्ज कर लिया. दोनों एजेंसियों ने जांच शुरू की और पूछताछ हुई. इसके बाद मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे पार्टी के दिग्गज नेता अरेस्ट हुए. ED और CBI ने कोर्ट के सामने एक ही बात दुहराई - नई शराब नीति की वजह से चंद व्यापारियों को फायदा पहुंचा, और पार्टी नेताओं के कहने पर इन व्यापारियों ने पार्टी के फंड में पैसा जमा कराया.

अब आपको एक बात बताते हैं. इसी केस में जब CBI ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था, तो वो अपीयर हुए थे. लेकिन ED के सामने पेश होने से मुकर गए. लेकिन केजरीवाल ही एक नेता नहीं हैं जो ED के रडार पर हैं. 2 नवंबर को जब केजरीवाल बनाम ED की बहस चल रही थी, उस वक्त एक और न्यूज़ ब्रेक हुई थी. दिल्ली सरकार में मंत्री राज कुमार आनंद के सिविल लाइंस वाले घर पर भी ED ने रेड मारी है. फिर पता चला कि रेड सिर्फ राजकुमार आनंद के घर पर ही नहीं बल्कि उनके 12 ठिकानों पर छापेमारी हुई है. आज तक के नेशनल ब्यूरो के एडिटर हिमांशु चंद्र पांडेय की रिपोर्ट बताती है कि राजकुमार आनंद के खिलाफ ED की ये कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत हुई है. आनंद के खिलाफ 7 करोड़ से ज्यादा की सीमा शुल्क चोरी और हवाला के जरिए लेन देन का आरोप है.  DRI यानी डॉयरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस की शिकायत पर राजकुमार आनंद के खिलाफ जांच शुरू हुई.

अब आपको बताते हैं राज कुमार आनंद हैं कौन? दिल्ली सरकार में उनकी प्रोफाइल क्या है?

- दिल्ली की पटेल नगर सीट से विधायक हैं

- उनकी पत्नी वीना आनंद भी इसी सीट से जीत चुकी हैं

- मौजूदा दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री हैं

- दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम की जगह राजकुमार आनंद कैबिनेट में शामिल हुए थे

ED की AAP नेताओं के खिलाफ जांच दिल्ली से बाहर भी गई है. पंजाब तक. टारगेट पर हैं पंजाब की मोहाली सीट से विधायक कुलवंत सिंह. पंजाब के सबसे अमीर राजनेताओं में से एक हैं. 31 अक्टूबर के दिन ED ने कुलवंत सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की. कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि ED की ये छापेमारी दिल्ली शराब घोटाले के संबंध में हुई है. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल  पुरोहित ने सीएम भगवंत मान को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी के विधायक यहां रियल एस्टेट के कारोबार की आड़ में नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. कुलवंत सिंह रियल एस्टेट कारोबारी भी हैं.

लेकिन ED के लिए सुर्खियां बटोरने का मौका बस दिल्ली से ही नहीं आया. राजस्थान से भी आया, जहां ED के दो कथित अधिकारी घूस लेते अरेस्ट हो गए. किसने अरेस्ट किया? राजस्थान पुलिस के एंटी-करप्शन ब्रांच (ACB) ने. ये बात इसलिए भी जरूरी है कि अक्टूबर 2023 के आखिरी हफ्ते में ED ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के यहां छापा मारा था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के बेटे को समन जारी किया था.

मौजूदा केस पर आते हैं. जो ED के दो अफसर अरेस्ट हुए हैं, उनके नाम हैं  - नवल किशोर मीणा और बाबू लाल. आरोप है कि ये दोनों अधिकारी एक चिट फंड केस को बंद करने के लिए के व्यक्ति से लाखों की घूस मांग रहे थे. इनके अरेस्ट की फ़ोटो-वीडियो आए. इनके पास नोटों के बंडल थे. ACB ने इस अरेस्ट पर बयान भी जारी किया. बयान का मजमून जानिए  -

- नवल किशोर मीणा प्रवर्तन अधिकारी हैं, जो इंफाल में ED के ज़ोनल कार्यालय में काम करते हैं. बाबूलाल नवल किशोर के सहयोगी हैं.

- दोनों जिला खैरथल तिजारा के एक व्यक्ति से केस बंद करने के लिए 17 लाख की घूस मांग रहे थे. व्यक्ति से ये कह रहे थे कि वो पैसा दे देता है तो उसके खिलाफ चल रहा है एक चिट फंड का केस बंद कर दिया जाएगा. साथ ही उसे अरेस्ट भी नहीं किया जाएगा और संपत्ति भी कुर्क नहीं होगी.

- मामला ACB के रडार पर आया.  छापा मारा. दोनों को 15 लाख रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथों अरेस्ट किया गया.  

भ्रष्टाचार कहीं भी हो, उस पर नकेल जरूरी है. उसकी सही स्केल पर शिनाख्त भी की जानी चाहिए. सच सबके सामने आना चाहिए.