दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में अब तक की ये सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. इससे पहले दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह गिरफ्तार हो चुके हैं. दोनों अब भी न्यायिक हिरासत में हैं. बीती 15 मार्च को भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के. कविता को ईडी ने गिरफ्तार किया था. अब केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी फाइल की है और गिरफ्तारी रद्द करने की मांग की है. दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने बताया कि AAP की लीगल टीम सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के घर पहुंच रही है ताकि मामले में तत्काल सुनवाई हो सके.
दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल का नाम आया कैसे?
इस मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह पहले से जेल में बंद हैं.
देश में पहली बार पद पर बैठे किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई है. क्योंकि गिरफ्तारी से पहले केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया. ईडी की टीम 21 मार्च की शाम 7 बजे केजरीवाल के आवास पर पहुंची थी. करीब दो घंटे तक पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता केजरीवाल आवास के बाहर जमा हो गए और खूब नारेबाजी की. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 22 मार्च को ईडी अरविंद केजरीवाल को PMLA कोर्ट में पेश करेगी. उनसे पूछताछ के लिए हिरासत की मांग की जाएगी. लेकिन जिस मामले में केजरीवाल को ED ने 'साजिशकर्ता' बताया और उन्हें गिरफ्तार किया, इसकी आंच उन तक पहुंची कैसे? सब एक-एक कर बताते हैं.
कहां से शुरू हुआ मामला?ये पूरा मामला दिल्ली में नई शराब नीति में हुए कथित घोटाले से जुड़ा हुआ है. 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में नई शराब नीति लागू हुई थी. इसके तहत दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के काम से खुद को अलग कर लिया. और तय हुआ कि दिल्ली में शराब सिर्फ प्राइवेट वेंडर ही बेचेंगे. इसके पीछे सोच थी कि शराब की खरीदारी को और ज्यादा आकर्षक बनाया जाएगा. और सरकार के पास ज्यादा से ज्यादा राजस्व आएगा. इससे पहले पुरानी नीति में ठेकों का लाइसेंस सरकार के पास होता था. सरकार द्वारा निर्धारित मूल्यों पर ही शराब व्यवसायी शराब बेच सकते थे.
जब ये नियम सामने आया तो शराब बेचने वाले प्रतिस्पर्धा वाले मॉडल पर आ गए. पहले सरकार दाम रेगुलेट करती थी. फिर व्यवसायी इस कवायद में उतर गए कि सस्ती से सस्ती और ज्यादा से ज्यादा शराब बेची कैसे जाए. दुकानों पर ऑफर निकाले जाने लगे. कई शराब के ब्रैंड्स पर एमआरपी में छूट दी, कई ब्रैंड्स में एक यूनिट के साथ एक या उससे अधिक यूनिट फ्री दिए जाने लगे. यानी एक बोतल पर एक या दो बोतल मुफ्त.
दिल्ली सरकार पर आरोपजब ये शराब नीति लागू हुई, तब मनीष सिसोदिया एक्साइज विभाग संभाल रहे थे. लेकिन शराब नीति लागू होने के कुछ दिन बाद ही इसमें गड़बड़ी के आरोप लगने लगे. फिर दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने इस शराब नीति पर रिपोर्ट तलब की. 8 जुलाई, 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव ने रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी. रिपोर्ट में इस नई पॉलिसी को बनाने में नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया था. ये भी कहा गया कि इस नीति की आड़ में मनीष सिसोदिया ने शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया कि इस शराब नीति के कारण सरकारी खजाने को 580 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. ये भी आरोप लगा कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने शराब कारोबारियों से रिश्वत ली. कोविड महामारी के नाम पर शराब ठेकेदारों के करोड़ों रुपये माफ कर दिये गए. इसके अलावा लाइसेंस देने में कमीशन लेने का भी आरोप लगा.
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एलजी वीके सक्सेना ने रिपोर्ट मिलते ही CBI जांच की सिफारिश की थी. CBI ने जुलाई महीने में ही केस दर्ज किया था. फिर अगले महीने यानी अगस्त 2022 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया. दोनों एजेंसियों ने जांच शुरू की और पूछताछ शुरू हुई. जांच के बीच सितंबर 2022 में दिल्ली सरकार ने इस नई शराब नीति को खत्म कर दिया. वापस पुरानी नीति पर आ गए.
अगस्त 2022 में दिल्ली सरकार ने भी खुद माना कि भारी बिक्री के बावजूद रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ. कैबिनेट नोट में इसकी वजह बताते हुए कहा गया कि थोक और खुदरा कारोबारियों ने लाइसेंस लौटा दिए थे, जिसकी वजह से राजस्व का नुकसान हुआ. दिल्ली सरकार को वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 1485 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जो बजट अनुमान से 37.51 फीसदी कम था. अप्रैल 2022 के बाद हर महीने राजस्व में लगभग 194 करोड़ रुपये की कमी आई.
केजरीवाल का नाम कैसे आया?एलजी की सिफारिश के बाद CBI ने 17 अगस्त 2022 को एक केस दर्ज किया था. नई शराब नीति में धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी के आरोप में मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के कम्यूनिकेश इनचार्ज विजय नायर समेत 15 लोगों पर मामला दर्ज किया गया. दो दिन बाद ही, CBI ने 19 अगस्त को मनीष सिसोदिया के घर छापेमारी की थी. कई राउंड की पूछताछ के बाद 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था. सिसोदिया अपने खिलाफ आरोपों को नकारते रहे. हालांकि सीबीआई ने दावा किया था कि उनके खिलाफ कुछ दस्तावेज और डिजिटल सबूत थे. CBI ने सिसोदिया पर सबूतों को नष्ट करने का भी आरोप लगाया था. वहीं, ED ने चार्जशीट में कहा था कि जब गड़बड़ियां हुई थीं, तब सिसोदिया ने एक दर्जन फोन का इस्तेमाल किया था. ईडी ने भी उन पर सबूतों को नष्ट करने का आरोप लगाया. पिछले एक साल से सिसोदिया न्यायिक हिरासत में हैं. बाद में इसी मामले में पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी ईडी ने गिरफ्तार किया.
इस मामले में अरविंद केजरीवाल का नाम सबसे पहले पिछले साल अप्रैल में आया था. 14 अप्रैल 2023 को आम आदमी पार्टी ने बताया था कि उन्हें सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया. केजरीवाल CBI के सामने हाजिर भी हुए. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब जांच एजेंसियों ने कहा था कि केजरीवाल के खिलाफ भी सबूत मिले हैं. लेकिन कैसे सबूत?
रिपोर्ट बताती है कि ED ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि केजरीवाल ने 'फेसटाइम' ऐप पर शराब घोटाले के मुख्य आरोपी समीर महेन्द्रु से बात की थी. समीर महेन्द्रु शराब कारोबारी हैं. चार्जशीट के मुताबिक केजरीवाल ने समीर को कहा था कि वो AAP के कम्यूनिकेशन इनचार्ज विजय नायर पर भरोसा करें.
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ED के मुताबिक, 12 और 15 नवंबर, 2022 को पूछताछ के दौरान समीर महेन्द्रु ने अधिकारियों को बताया था कि विजय नायर ने अरविंद केजरीवाल के साथ उसकी मीटिंग फिक्स की थी. लेकिन ये मीटिंग नहीं हो पाई थी. इसके बाद विजय ने उसे फेसटाइम पर वीडियो कॉल के जरिये बातचीत करने को कहा था. ED का आरोप है,
"इसी कॉल में अरविंद केजरीवाल ने समीर से कहा था कि विजय नायर उनका अपना आदमी है, वे उन पर भरोसा कर सकते हैं."
शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों में विजय नायर का नाम भी शामिल है. ED के अनुसार, समीर महेंद्रु ने कई राजनेताओं और शराब कारोबारियों के साथ मीटिंग की थी. वे विजय नायर के साथ काफी करीब से काम कर रहे थे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने चार्जशीट में ये भी बताया है कि केजरीवाल ने दिल्ली में शराब बेचने को लेकर आंध्र प्रदेश के एक सांसद मगुंता श्रीनिवासालु रेड्डी से भी मुलाकात की थी. रेड्डी YSR कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सांसद हैं. केजरीवाल ने उन्हें नई शराब नीति के तहत दिल्ली में बिजनेस करने का ऑफर दिया था. ईडी ने आरोप लगाया कि AAP नेताओं ने 'साउथ ग्रुप' से इस मामले में 100 करोड़ रुपये लिए.
केजरीवाल को ED के समन की झड़ीइस मामले में ईडी ने अरविंद केजरीवाल को पहली बार 2 नंवबर को समन जारी किया था. उन्होंने कह दिया कि BJP के कहने पर ही ED ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है. ये भी कह दिया कि ED को तुरंत ये नोटिस वापस लेना चाहिए. उन्होंने साफ कर दिया कि वे ईडी के दफ्तर नहीं जाएंगे. पहले समन पर केजरीवाल ने ED के अससिस्टेंट डायरेक्टर को चिट्ठी लिख दी कि समन से ये बात साफ नहीं होती है कि उन्हें किस लिहाज से बुलाया गया है. गवाह के तौर पर? या संदिग्ध के तौर पर. समन वापस लेने की मांग करते हुए उन्होंने लिखा कि ये कानूनी रूप से टिकाऊ भी नहीं है.
इसके बाद उन्हें एक के बाद एक 9 समन भेजे गए. लेकिन केजरीवाल जांच एजेंसी के सामने हाजिर नहीं हुए. हर बार उन्होंने यही कहा कि नोटिस कानून की नजर में अवैध हैं. केजरीवाल का कहना था कि वे ईडी को लिख चुके हैं कि ये नोटिस अवैध क्यों हैं लेकिन जांच एजेंसी इसका जवाब नहीं दे रही हैं. उन्होंने कई बार यहां तक आरोप लगाया कि बीजेपी ईडी को चला रही है. ये उन्हें गिरफ्तार करने की एक राजनीतिक साजिश है ताकि उन्हें लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार से रोका जा सके.
के कविता की गिरफ्तारी और 'साजिशकर्ता' का ठप्पाकेजरीवाल से पूछताछ की कोशिशों के बीच 15 मार्च को ईडी ने BRS नेता के. कविता को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी से पहले उनके आवास पर कई घंटों की तलाशी ली गई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कविता पर एजेंसी ने ये एक्शन दो समन के बाद भी पूछताछ में शामिल होने के बाद लिया. पिछले साल इस मामले में के कविता से तीन बार पूछताछ हुई थी. लेकिन इस साल 16 जनवरी को इस मामले में नए दौर की पूछताछ में वो शामिल नहीं हुईं.
कविता की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने 17 मार्च को एक प्रेस रिलीज जारी किया. रिलीज के मुताबिक, के कविता ने कई लोगों के साथ मिलकर दिल्ली शराब नीति में लाभ पाने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया सहित AAP के शीर्ष नेताओं ने साजिश रची. इसके बदले वो (कविता) AAP नेताओं को 100 करोड़ रुपये देने में शामिल थीं.
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ED ने अपने बयान में ये भी कहा कि इस शराब नीति केस में अब तक दिल्ली, हैदराबाद सहित देश भर में 245 जगहों पर तलाशी ली जा चुकी है. अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जांच एजेंसी का दावा है कि अब तक इस अपराध से मिले पैसों में 128 करोड़ की संपत्तियों का पता लग चुका है.
इस बीच ईडी के 17 मार्च के समन के खिलाफ अरविंद केजरीवाल दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए. उन्हें ईडी ने 21 मार्च को पेश होने के लिए कहा था. लेकिन केजरीवाल ने हाई कोर्ट से मांग की कि वो ईडी को निर्देश दे कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो. याचिका में उन्होंने कहा था कि अगर वो जांच एजेंसी के सामने पेश होंगे तो उन्हें गिरफ्तार ना किया जाए. हालांकि 21 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी या दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.
हाई कोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद ही ईडी की टीम केजरीवाल के घर पहुंच गई. और दो घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
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