अपना मुंह बंद रखना. चीखे तो गोली मार देंगे.पत्रकार का नाम- असद अली तूर. इस घटना के वक्त तक तूर, ‘जस्ट अनदर जर्नलिस्ट’, ‘जस्ट अनदर यूट्यूबर’ थे. लेकिन ‘जस्ट अनदर जर्नलिस्ट’ को ‘दी जर्नलिस्ट’ बनाया उसके तेवरों ने. असद, पाकिस्तानी स्टैबलिशमेंट- खासतौर पर आर्मी और ISI के निर्मम आलोचक थे, आज भी हैं. पाकिस्तान आर्मी कैसे छद्म सरकार चलाती है, उसकी पोल खोलते हैं.
बहरहाल, हमले के 2 दिन बाद 28 मई, 2021 को पाकिस्तान के नैशनल प्रेस क्लब में पत्रकारों का बड़ा जुटान हुआ. असद तूर के समर्थन में. इन पत्रकारों में से एक थे पाकिस्तान के नामी न्यूज़ ऐंकर- हामिद मीर.
प्रदर्शन के दिन अपनी बात रखते हामिद मीर (उंगली उठाए हुए). हामिद को ट्विटर पर 66 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. (वीडियो स्क्रीनशॉट)
मीर खुद भी स्टैबलिशमेंट की तशद्दुद (अटैक) का शिकार रहे हैं. प्रेस क्लब में हामिद ने असद तूर के खिलाफ चल रहे फर्ज़ी प्रोपेगेंडा पर कहा-
तुम्हें (हमलावर) लगता है कि तुम नामालूम हो. नहीं, तुम नामालूम नहीं हो, हमें पता है तुम कौन हो. असद तूर के बारे में झूठा प्रोपेगेंडा किया जा रहा है कि इसे (किसी) लड़की के भाई ने मारा है.......मीर बोल ही रहे थे कि किसी ने बीच में टोक दिया. लड़की के भाई के बारे में पूछा. हामिद मीर ने गुस्से में ऐसा जवाब दिया कि उन्हें अपनी नौकरी तक गंवानी पड़ी. मीर ने कहा-
मुझे लड़की के भाई का नहीं पता, पर लड़की की मां का पता है. उसका नाम है जनरल रानी, जिसका डायरेक्ट ताल्लुक होता है चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ से.हामिद का ये तंज़ किस ओर इशारा करता था. कौन थी जनरल रानी, कौन है उसकी बेटी और पंजाब की सियासत में क्यों नाम आ रहा है, सब जानिए- #जनरल रानी और बेटी जनरल रानी को जनरल रानी नाम दिया पाकिस्तानी स्टैबलिशमेंट(इंतज़ामिया) के लोगों ने. इनका असली नाम, अक़लीम अख़्तर.
जनरल रानी- अक़लीम अख़्तर.
पाकिस्तान के गुजरात इलाके की पैदाइश अक़लीम का 1960-70 के दशक में खूब नाम हुआ. वो अक्सर फौजी शासक जनरल याह्या खान के अंग-संग ही हुआ करती थीं.
चुहलबाज़ी में लोग कहा करते थे कि याह्या खान ने जितना ध्यान जनरल रानी पर दिया, उतना 1971 की जंग पर दिया होता तो शायद पाकिस्तान के दो हिस्से ना होते.
इंडिया टुडे मैग्ज़ीन के 30 नवंबर, 1977 के अंक में छपी जानकारी से जनरल रानी की पहुंच का अंदाज़ा आपको होगा. 1977 में जनरल रानी ने पाकिस्तानी पंजाब के लाहौर में एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि-
पूर्व प्रधानमंत्री भुट्टो सियासी विरोधियों को निपाटने के लिए उनसे मदद चाह रहे थे. फौजी शासक याह्या खान और पंजाब के गवर्नर ग़ुलाम मुस्तफ़ा खार के खिलाफ बयान देने को कह रहे थे. बदले में पंजाब का गवर्नर बनाने का वादा किया था.याह्या 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के नेता थे और गु़लाम मुस्तफ़ा खार की क्रूरता के क़िस्से उनकी पत्नी रहीं तहमीना दुर्रानी ने अपनी किताब "My Feudal Lord" में दर्ज किया है.
तहमीना दुर्रानी की चर्चित किताब.
जनरल रानी की ज़िंदगी का ग्राफ़ देखें तो जवानी में एक आम पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी रही एक महिला कुछ दशकों में मुल्क के सबसे ऊंचे पायदान की सियासी बाज़ियों का हिस्सा बन गई थीं. अक़लीम अख़्तर उर्फ जनरल रानी के बच्चों को सियासत और संबंधों के शुरुआती पाठ यहीं मिल गए थे. और आज इन्हीं जनरल रानी की बच्ची अरूसा आलम हिंदुस्तान में सियासी हलचल की केंद्र बनी हुई हैं.
अरूसा आलम का परिवार इस्लामाबाद और दुबई में रहता है.
इस हलचल में अरूसा आलम के साथ दूसरा नाम है पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का. कैप्टन कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके हैं. कांग्रेस में उनके साथ काम कर चुके नेता, कैप्टन और अरूसा के निजी संबंधों पर निशाना साध रहे हैं. सवाल उठा रहे हैं कि कैप्टन के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान अरूसा आलम किस हैसियत से साढ़े चार साल तक कैप्टन के घर में रहीं? कांग्रेस नेताओं ने अरूसा को ISI का एजेंट करार दिया है.
अरूसा को ISI का एजेंट क्यों कहा जा रहा? इस आरोप के 3 बड़े कारण हैं- 1. जनरल रानी की औलाद होना. 2. निजी हैसियत में रक्षा पत्रकार रही हैं, उस बीट के लोगों के बीच उठना-बैठना रहा है. 3. इन सब के अलावा अरूसा के संबंधों का एक कथित सिरा ISI प्रमुख रहे लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद से जुड़ता है.
हामिद मीर जैसे कई पत्रकार इशारों-इशारों में कह चुके हैं कि पाकिस्तानी आर्मी के एक टॉप जनरल कुछ महीने पहले एक ओपन फायरिंग में घायल हो गए थे. पाक फौज ने जनरल का इलाज विदेश में कराया. दावा है कि ये फायरिंग उस फौजी अफ़सर की बीवी ने की थी. अफ़सर की ही सर्विस रिवॉल्वर से. क्योंकि उसने अपने फौजी शौहर को जनरल रानी की बेटी के साथ कथित तौर पर आपत्तिजनक स्थिति में पाया था.
ध्यान रहे ये सब दावे हैं, लिखती रूप से पाकिस्तानी मीडिया में कहीं मौजूद नहीं. लेकिन इशारे बार-बार इसी कहानी की ओर ले जाते हैं.
फैज़ हमीद, जो चंद दिन पहले तक पाकिस्तान की ताक़तवर एजेंसी ISI के प्रमुख थे.
इन विवादों के बाद अचानक ख़बर आई कि फै़ज़ हमीद को ISI प्रमुख पद से हटाकर 11वीं कोर का कमांडर बनाया गया है. पाकिस्तानी सरकार और फौज के बीच खींचतान चली और आखिरकार 26 अक्टूबर 2021 को नदीम अंजुम के ISI चीफ बनते ही फौज के फैसले पर मुहर लग गई. # पंजाब के नेताओं के आरोप? कैप्टन अमरिंदर ने मुख्यमंत्री पद छोड़ते वक्त कहा था कि वो "हर्ट" हुए हैं. लेकिन उन्हें "हर्ट" करने का सिलसिला अभी थमा नहीं है.
कभी कैप्टन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन जुटाने वाले और मौजूदा वक्त में पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने एक ट्वीट में कैप्टन से सवाल किया,
"आप अरूसा और ISI संबंधों की जांच पर इतना व्याकुल क्यों हो जाते हैं?"
- पूर्व विधायक और नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने तो यहां तक दावा किया कि अरूसा का ट्रांसफर-पोस्टिंग में दखल होता था. अपना काम करवाने के लिए लोग अरूसा को महंगे डायमंड सेट और पैसा गिफ़्ट करते थे. नवजोत कौर का दावा है कि अरूसा ने पंजाब से बहुत पैसा कमाकर अपने बेटे के लिए दुबई में कारोबार और लंदन में फार्महाउस ख़रीदा है.
- किसी वक्त कैप्टन के बेहद क़रीबी और पंजाब के DGP रहे- मोहम्मद मुस्तफा ने अरूसा की कथित वॉट्सऐप प्रोफाइल का स्क्रीनशॉट ट्वीट कर दिया, जिसमें अरूसा के साथ कैप्टन के कार्यकाल में मुख्य सचिव रहीं विनी महाजन और DGP रहे दिनकर गुप्ता अरूसा के साथ बड़ी घनिष्ठता से बैठे दिख रहे हैं. विनी महाजन और दिनकर गुप्ता दंपति हैं और कैप्टन राज में इन्हें पंजाब में बतौर पावर कपल जाना जाता था.
इस तस्वीर के सहारे कैप्टन के विरोधियों ने दावा किया कि राज्य के आला अधिकारी अरूसा आलम के प्रभाव में थे. अरूसा पर ट्रांसफर-पोस्टिंग, माइनिंग और शराब माफिया से पैसा मिलने के आरोप भी लगाए गए हैं. #अरूसा-कैप्टन आरोपों पर क्या बोले? अरूसा ने पंजाब के नेताओं पर पलटवार किया है. 'द इंडियन एक्सप्रेस" से बातचीत में अरूसा ने कहा,
“मैं यकीन नहीं कर सकती कि वो इतने नीचे गिर सकते हैं. सुखजिंदर रंधावा, नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू लकड़बग्घों का झुंड हैं. वो मेरा इस्तेमाल कैप्टन को शर्मिंदा करने के लिए करना चाहते हैं. कांग्रेस पंजाब में अपना रास्ता भटक गई है. कौन अपने सेनापति को बीच युद्ध में बदलता है?”ISI से संबंधों पर अरूसा ने जवाब देते हुए उल्टा सवाल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर दाग दिया. कहा,
“मैं तकरीबन 20 साल से भारत आ रही हूं. जिसमें से 16 साल से कैप्टन के न्योते पर, और उससे पहले एक पत्रकार और प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के तौर पर. क्या अब वो अचानक मेरे लिंक के बारे में जागे हैं? जब भी कोई भारत से पाकिस्तान आता-जाता है तो उसे जांच के कठिन प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. किसी भी प्रोसेस को बाईपास नहीं किया गया. सभी तरह की जांच हुई. रॉ, आईबी, होम मिनिस्ट्री, विदेश मंत्री सभी से क्लेयरेंस मिला. क्या UPA और NDA की सरकारें इतनी अक्षम थीं कि वो ISI एजेंट को ऐसे ही वीजा देते रहे?”इंडिया टुडे से बातचीत में अरूसा ने कहा-
"मैं कैप्टन साहब के साथ 13 सालों से हूं, जब वो विपक्ष में थे. जब वो इतने सालों तक सत्ता में नहीं थे तो मैं कैसे SP, SSP या DSP को जान सकती हूं? मैं कैसे पोस्टिंग और ट्रांसफर मैनेज कर सकती हूं? मुझे तो ये भी नहीं पता कि किस मंत्री के पास कौन सा विभाग था? जब वो सीएम बने तो राजनीति पर चर्चा करने पर वो मुझसे चिढ़ते थे. वो हमेशा कहते थे मजे करो, मेलजोल बढ़ाओ, दोस्तों से मिलो. राजनीति से दूर रहो.'
कैप्टन अमरिंदर सिंह और अरूसा आलम.
कैप्टन के जवाब भी अरूसा के बयानों से मेल खाते हैं. कैप्टन ने कहा,
"मैं ही अरूसा को भारत में निमंत्रण देता था, और अगर वीज़ा प्रोसेस खुला होता तो अब तक दोबारा बुला चुका होता. इतने सालों में हर बार पूरी बैकग्राउंड जांच के बाद ही वीज़ा इशू किया गया है."उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा को जवाब देते हुए कैप्टन ने कहा-
“इससे ज्यादा क्या सुखजिंदर रंधावा? 2007 में वीज़ा जारी करने से पहले एक विस्तृत जांच हुई थी तत्कालीन UPA के प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार के आदेश पर. मैं उस वक्त पंजाब का मुख्यमंत्री भी नहीं था. क्या अब भी पंजाब के संसाधन व्यर्थ करना चाहते हो?”दून स्कूल में राजीव गांधी के सीनियर रहे कैप्टन अमरिंदर, गांधी परिवार के दशकों से क़रीबी रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कैप्टन-अरूसा मामले में सोनिया गांधी को लाने से नहीं कतराए. कैप्टन ने सोनिया गांधी, सुषमा स्वराज, मुलायम सिंह, यशवंत सिन्हा समेत तमाम नामचीन हस्तियों के साथ अरूसा की तस्वीरें साझा कीं. और कटाक्ष किया,
मुझे लगता है इन सब के ISI लिंक हैं.# कैप्टन-अरूसा का रिश्ता कैप्टन और अरूसा की पहली मुलाकात पाकिस्तान में हुई थी. साल था 2004. कैप्टन पंजाब के मुख्यमंत्री थे और अरूसा उस वक्त पाकिस्तान में पत्रकार थीं. रिवायत के मुताबिक, भारत से आए राजनेता के लिए लाहौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी. यहीं दोनों पहली बार मिले.
2007 चुनावी साल था. कांग्रेस को हार मिली. तब कैप्टन-अरूसा के रिश्ते पर सवाल उठने शुरू हुए. पंजाब में पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से ख़बरें उठीं कि भारत के एक राजनेता ने अरूसा से निकाह कर लिया है. इशारा कैप्टन की ओर था. हालांकि, अरूसा ने इस सब बातों को खारिज किया और कहा
"वी आर जस्ट फ्रेंड्स" यानी "हम सिर्फ दोस्त हैं"2007 में चंडीगढ़ प्रेस क्लब के कार्यक्रम- "Meet the person" में बतौर गेस्ट अरूसा शामिल हुई थीं. उन्होंने सवाल के जवाब में सवाल दागते हुए पूछा था-
आपके हिंदुस्तान में मर्द और औरत के बीच की दोस्ती को गुनाह की नज़र से क्यों देखते हैं? पाकिस्तान में ये हो तो समझ आता है, पर हिंदुस्तान में ऐसा क्यों हो रहा है?आज 14 साल बाद भी अरूसा यही दोहरा रही हैं कि वो कैप्टन की प्रेमिका नहीं, सोलमेट (हमसफ़र) हैं. इंडिया टुडे से अरूसा ने कहा-
'हम साथी रहे हैं. जब हम पहली बार मिले थे तब मैं 56 साल की थी और कैप्टन 66 के थे. इतनी उम्र में हम लवर की तलाश में नहीं रहते. हम अच्छे दोस्त हैं, साथी हैं, सोलमेट हैं.'अरूसा से संबंधों पर कैप्टन ने मीडिया में कम ही बात की है. निकाह के दावों पर एक बार ज़रूर उनसे सवाल किया गया था. साल 2007 की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह भुल्लर बताते हैं-
“कैप्टन को आमतौर पर उनकी बेबाकी के लिए जाना जाता है. उस दिन जब एक वरिष्ठ पत्रकार ने कैप्टन से पूछा कि क्या उनका अरूसा आलम से निकाह हो गया है? तो कैप्टन ने इस सवाल को खारिज नहीं किया, अधिकार जताने के अंदाज़ में टाल दिया. पर इस दिन तक इनकार भी नहीं किया है.”भुल्लर बताते हैं कि जब 2007 और 2012 में लगातार कांग्रेस की हार हुई, तब चुनावों के दौरान ऐसे भी दिन रहे, जब कैप्टन अरूसा के साथ घूमने चले जाते थे. कांग्रेसी मानते हैं कि इन दो चुनावों में कैप्टन अगर गांवों में प्रचार करते तो कांग्रेस पार्टी जीत सकती थी.
कैप्टन की आधिकारिक बायोग्राफी(जीवनी)- "द पीपल्स महाराजा" में भी कैप्टन और अरूसा के संबंधों पर लिखा गया है, जहां इस रिश्ते को खूबसूरत बताया गया है.
कैप्टन की आधिकारिक बायोग्राफी- The Peoples Maharaja
साल 2017 में कैप्टन की ऑथोराइज़्ड बायोग्राफी के लॉन्च पर अरूसा मौजूद थीं. बिल्कुल वैसे ही, जैसे कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में VVIP कुर्सी पर पहली क़तार में बैठी थीं.
कैप्टन की बायोग्राफी लॉन्च के मौके पर पहली क़तार में बैठीं अरूसा आलम.
एक लंबा सार्वजनिक जीवन जीने वाले के लिए बायोग्राफी लॉन्च (जीवनी का लोकार्पण) आमतौर पर एक अहम दिन होता है. पर कैप्टन की पत्नी और कांग्रेस नेता प्रणीत कौर पहली क़तार में नहीं थीं. ये घटनाएं कैप्टन और कैप्टन के परिवार के बीच संबंधों की झलक देती हैं. ज़रूरी नहीं कि जो दिखता है, वही सच हो. पर नामौजूदगी काफी है कि कुछ सवाल उठाए जा सकें. #कैप्टन weds प्रणीत कैप्टन और प्रणीत कौर. 57 साल से एक-दूसरे के साथी हैं. इस साथ की शुरुआत हुई थी साल 1964 में, जब शिमला में पली-बढ़ी एक सिख ICS अफ़सर की बेटी प्रणीत ब्याह कर पटियाला राजघराने में आईं.
अपने पिता के साथ प्रणीत कौर. (साभार- प्रणीत कौर)
अमरिंदर और प्रणीत के दो बच्चे हैं. बेटी जय इंदर कौर और बेटा रणइंदर सिंह. जानकार बताते हैं कि कैप्टन राजनैतिक मामलों में अपनी बेटी से मश्विरा करते हैं.
बेटे रणइंदर का राजनीति में ज्यादा रुझान नहीं है. 2012 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद सियासत में उनकी शमूलियत माता-पिता के चुनावों तक सीमित हो गई है. कैप्टन के 2017 से 2021 तक के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ऐसा नहीं दिखा कि रणइंदर खुद को बतौर राजनैतिक उत्तराधिकारी दिखा रहे हों.
कैप्टन अमरिंदर, जय इंदर कौर और रणइंदर सिंह. (साभार- FB-जयइंदर कौर)
18 सितंबर को जब कैप्टन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कयास लगाए जा रहे थे, तो रणइंदर ने इस्तीफे से कुछ घंटे पहले ट्विटर पर एक रिप्लाई में जानकारी दे दी थी. कहा था कि कैप्टन अब परिवार के मुखिया के तौर पर नई शुरुआत में हम सब का नेतृत्व करेंगे.
रणइंदर राइफल शूटिंग में रुझान रखते हैं और हाल ही में भारत के राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन के दोबारा अध्यक्ष चुने गए हैं. पिता के इस्तीफे पर रणइंदर के बयान संसदीय राजनीति के प्रति उनकी उदासीनता की ओर इशारा करते हैं. # पंजाब की सियासत में कैप्टन और अरूसा कैप्टन अमरिंदर साल 1964 से 66 के बीच भारतीय सेना में अफसर रहे हैं. पारिवारिक कारणों से फौज छोड़ी और 1974 में पटियाला के महाराजा की पारिवारिक गद्दी उन्हें मिली. कैप्टन ने 1980 में संसदीय राजनीति का रुख किया.
राजनीति में कैप्टन की शुरुआती दिन. (साभार- Capt. Amarinder Family)
तब से कैप्टन अमरिंदर को जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार बलजीत बल्ली से हमने बात की. कैप्टन पर अरूसा के प्रभाव और वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति जैसे मामलों में दखल देने पर बल्ली का मानना है,
“कैप्टन की राजनीति में उनके परिवार का दखल नहीं है. परिवार पटियाला रहता है, कैप्टन चंडीगढ़. अरूसा कभी पटियाला नहीं जातीं क्योंकि कैप्टन का परिवार इस पर ऐतराज़ जताता है. कैप्टन के कार्यकाल में वरिष्ठ अफसरों की अरूसा के साथ तस्वीरें दिखाती हैं कि उनका प्रभाव तो था. इसकी भी संभावना है कि अरूसा आलम से सिफारिश करके उनके संबंधों के आधार पर लोग अपना काम करवाते रहे हों. हालांकि, ट्रांसफर-पोस्टिंग का रैकेट चलाने जैसे दावे बड़े मज़बूत नहीं है. ऐसा ज़रूर हो सकता है कि उनके नाम पर निचले स्तर पर लोग पैसा बनाते रहे हों.”पंजाब में अरूसा सिर्फ कैप्टन तक महदूद नहीं थीं. अरूसा का बड़ा दायरा उनकी फितरत का कमाल था. बल्ली बताते हैं-
"अरूसा लोगों से मिलना-जुलना और उन्हें दोस्त बनाना पसंद करती हैं. पूर्व मुख्य सचिव और पूर्व DGP की तस्वीरें सामने आईं, लेकिन राणा गुरमीत सोढ़ी, केवल ढिल्लों, रजिया सुल्ताना जैसे कई विधायक, या एडवोकेट जनरल रहे अतुल नंदा और उनके परिवारों के साथ भी अरूसा के क़रीबी रिश्ते थे. कैप्टन उन्हें भारत में स्पॉन्सर ज़रूर करते थे, लेकिन अरूसा के कई रिश्ते उनके खुद के बनाए हुए थे. वो अफसरों और नेताओं की पत्नियों के वीमेन क्लब्स में रेगुलर थीं"अपनी किताब प्रेस रूम में जगतार सिंह भुल्लर ने कैप्टन-अरूसा के संबंधों पर लिखा है. भुल्लर पंजाब की राजनीति में अरूसा का नाम आने पर कहते हैं-
"जब कोई मुख्य सचिव और DGP के साथ अपनी तस्वीर को पब्लिक करता है तो ये करीबी दिखाता है. ये सवाल और बड़े हो जाते हैं जब आपका पारिवारिक इतिहास पाकिस्तानी फौज और ISI से जुड़ा रहा हो. आज राजनैतिक फायदा लेने के लिए ज़रूर अरूसा आलम का नाम इस्तेमाल पार्टियां कर रही हैं, पर वरिष्ठ अधिकारियों को सीधे फोन करने के आरोप बेदम नहीं हैं."जगतार कहते हैं कि पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य के DGP की अरूसा के साथ नज़दीकी कई सवाल खड़े करती है. खासतौर पर ऐसा DGP, जिसने करतारपुर कोरिडोर के ज़रिये आतंकी ट्रेनिंग मिलने की संभावना जताकर सिखों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की हो-
"कैप्टन के घर 5-7 लोगों का सीधा एक्सेस था. अगर उनमें से एक DGP गुप्ता ने कहा था कि करतारपुर साहिब कोरिडोर के ज़रिये जाकर कोई 6 घंटे में फायरिंग सीख सकता है, IED बनाना सीख सकता है और अब अरूसा आलम, जिनके पाकिस्तानी फौज और ISI के रिलेशन सभी जानते हैं, उनके साथ DGP और चीफ सेक्रेटरी की क़रीबी दिखाती फोटो होगी तो सवाल तो उठेंगे ही. यही हाल एडवोकेट जनरल अतुल नंदा के परिवार का रहा है. कई क़रीबी विधायकों और उनकी पत्नियों का लगातार अरूसा के साथ उठना-बैठना रहा है. ये सवाल पंजाब की सियासत पर नज़र रखने वाले हर शख़्स के हैं."DGP दिनकर गुप्ता ने बाद में अपने इस बयान पर माफी मांग ली थी. उस वक्त कैप्टन ने DGP का बचाव किया था. कहा था- "किसी से भी ग़लती हो सकती है."
# चीकू और सीताफल
जगतार भुल्लर के सवालों को बल मिलता है खुद कैप्टन की करनी से. कैप्टन ने बीते 4 सालों में सरकार सचिवालय की बजाय सिसवां फार्महाउस से चलाई है. इसी फार्महाउस में अरूसा कैप्टन की गेस्ट थीं. इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में अरूसा ने कहा,
“मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि कैप्टन साहिब ने मुझे चुना. मुझे कैप्टन साहिब की कुकिंग और गार्डनिंग स्किल पसंद हैं. जैसे उन्हें मेरी लिखतें”गार्डनिंग का ज़िक्र डिप्टी CM और गृह मंत्री सुखजिंदर रंधावा के ट्वीट में भी आया था. रंधावा ने लिखा-
“मैं सच्चा राष्ट्रवादी हूं और आप जानते हैं कैप्टन अमरिंदर कि हमारे बीच फासले किस पॉइंट से शुरु हुए. बाकी आप कानून व्यवस्था की चिंता ना करें, हमने पंजाब सरकार "किसी" को आउटसोर्स नहीं की है. अब पुलिस लोगों की रक्षा कर रही है. चीकू और सीताफलों की नहीं.”पंजाब के गृहमंत्री के इस निर्मम कटाक्ष का केंद्र अरूसा ही थीं. दरअसल कुछ समय पहले
था, जिसमें अरूसा कैप्टन से फोन पर बात करते हुए चीकू और सीताफलों की गिनती और हिफ़ाज़त के लिए वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी को आदेश देने की बात कहती हैं.
ऐसे कई वीडियोज़ हैं जिनपर पंजाब में गाने तक बन चुके हैं. साल 2018 में पंजाब के संगीतप्रेमी बुज़ुर्ग का गाया गीत तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. बोल थे-
असीं तां बंदे दिल दे सच्चे, वोट पंजे नू पावांगे, जे कैप्टन नू रूसा लै गी, कित्थे भाअ्लन जावांगे, जे कैप्टन नू......||ये दिखाते हैं कि पंजाबियों ने कैप्टन-अरूसा के रिश्ते को स्वीकारा है. मज़ाकिया लहजे में कई बातें कही गई होंगी, पर अरूसा के खिलाफ कोई दुष्प्रचार चलाया गया हो, ऐसा नहीं दिखता. # अब आगे क्या? कैप्टन ने पंजाब में अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस छोड़ते वक्त कैप्टन ने कहा था कि वो सिद्धू को किसी हाल में जीतने नहीं देंगे. गठबंधन के लिए उन्होंने अपनी पसंद भारतीय जनता पार्टी को बताया था.
इसका हिंदी तर्जुमा है-
हम तो बंदे हैं दिल के सच्चे, वोट हाथ को डालेंगे, अगर कैप्टन को अरूसा ले गई, कहां ढूंढने जाएंगे....
कांग्रेस कैप्टन पर पंजाब के हित के उलट काम करने के आरोप लगा रही है. कांग्रेसी कह रहे हैं कि अरूसा बहुत सारा पैसा पंजाब से लेकर चली गई हैं. अब कैप्टन को ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों का डर है इसलिए वो BJP के साथ गठबंधन कर रहे हैं.
कैप्टन ने नई पार्टी का ऐलान करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरूसा आलम मामले पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि बीते 16 साल से अरूसा भारत आ रही हैं. तब तो किसी ने कुछ नहीं बोला. अब चुनाव पास आ रहे हैं तो बोलने लगे हैं?
कैप्टन से जब पूछा गया कि क्या प्रणीत कौर उनका साथ देंगी नई पार्टी में? तो कैप्टन का जवाब था-
"Don't ask me these foolish questions"वैसे अरूसा ने अपने हालिया बयानों में कहा है कि कैप्टन की पत्नी और पूर्व विदेश राज्य मंत्री प्रणीत कौर "महारानी साहिबा" से उनकी मुलाकात नहीं होती. बाकी पूरे परिवार से उनका मेल-जोल है.
अरूसा अभी इस्लामाबाद में हैं और कह रही हैं कि उनके दोनों बेटे और पूरा परिवार उनके नाम पर हो रही सियासत से दुखी है. अरूसा ने ये भी कहा कि "मैं अब दोबारा भारत नहीं आऊंगी".
दूसरी ओर कैप्टन कह रहे हैं कि अगर वीज़ा सेक्शन खुले तो वो फिर अरूसा को बुलाएंगे. कांग्रेसी कैप्टन को सलाह देने में जुटे हैं कि वो अरूसा को कथित तौर पर लंदन में दिलवाए फार्महाउस में जाकर इकट्ठे रहें.
वरिष्ठ पत्रकार बलजीत बल्ली कहते हैं,
"अरूसा चर्चित नाम हैं, आसान टार्गेट है. इस बारे में चर्चा करने पर कैप्टन के अलावा किसी को नुकसान नहीं है. इस बारे में बात करके असली मुद्दों पर जवाबदेही से बचा जा सकता है. अरूसा पर उठते सवाल भले जायज़ हों, पर चुनाव की दहलीज़ पर खड़े पंजाब में इकलौता जायज़ मुद्दा नहीं है."ये कैप्टन का इम्तिहान है कि वो कैसे इस मामले से ध्यान हटाकर किसी अन्य मुद्दे को विमर्श का केंद्र बना पाते हैं. यही राजनीति में फिर एक बार उनकी आमद के निशान होंगे. पाकिस्तान में ISI पद से हटाए गए फै़ज़ हमीद अगले सेना प्रमुख की रेस में हैं. हालांकि, तब तक के लिए वो ISI चीफ की ताक़तवर कुर्सी से दूर पेशावर में रहेंगे. पाकिस्तान में दबी ज़ुबान में जनरल रानी की बेटी के बारे में कही गई बातें बोतल का जिन्न है, जिस दिन बाहर आएगा, नया तमाशा खड़ा होगा. --------------------------------------------------- देखें वीडियो- अरूसा आलम और कैप्टन अमरिंदर सिंह के संबंधों पर सियासत क्यों हो रही है?