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आनंदपाल एनकाउंटर: आईपीएस मोनिका ने बताया कि उस दिन सांवराद में क्या हुआ था

यह एक बेकाबू भीड़ थी. वो लोग हमारे अफसरों पर मिट्टी का तेल छिड़क रहे थे. उत्तेजक भाषण दे रहे थे.

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आईपीएस मोनिका सैन

12 जुलाई को राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की उनके गांव सांवराद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई थी. यह सभा राजपूत समाज ने बुलाई थी. आनंदपाल की 24 जून को पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. राजपूत समाज इस एनकाउंटर को फर्जी बताकर, इसके सीबीआई जांच की मांग कर रहा था.

इस श्रद्धांजलि सभा में करीब एक लाख लोग आए थे. दोपहर 12 बजे से शाम छह बजे तक राजपूत समाज के लोगों और सरकार में बातचीत चलती रही. जब इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला तो श्रद्धंजलि सभा में आई भीड़ हिंसक हो गई. इस हिंसा की शुरुआत सांवराद रेलवे स्टेशन की पटरियों को उखाड़ने से शुरू हुई. अपनी पिछली स्टोरी में हमने बताया था कि किस तरह फ़ोर्स की कमी से जूझ रही पुलिस के लिए इस भीड़ को काबू करना मुश्किल हो गया था. उस बीच ट्रेनी आईपीएस मोनिका सैन अगवा होने की अफवाह भी सामने आई थी. हालांकि बाद में वो सुरक्षित लौट आई थीं. सहयोगी वेबसाइट इंडिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में मोनिका ने उस हिंसक भीड़ का आंखो देखा हाल बयान किया है. हम उसे आपके सामने रख रहे हैं-

"शुरुआत में हमें सूचना मिली कि हजारों लोग सांवराद रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ रहे हैं. वो रेलवे ट्रेक को उखाड़ कर हंगामा खड़ा करना चाहते हैं. हमारे हिसाब से कुछ पुलिस अफसर स्थिति से निपटने के लिए वहां पर पहले से मौजूद थे. अचानक से हमें सूचना मिली कि 7-8 पुलिस कांस्टेबल एक जगह घेर लिए गए हैं. उन्हें भीड़ ने बंदी बना लिया है. उनमें से तीन पर मिट्टी का तेल छिड़का जा चुका है और जिंदा जलाने की तैयारी चल रही है. हम तेजी से उस जगह के निकल गए. राजपूत समाज की तरफ से नियुक्त वार्ता कमिटी के लोग भी दूसरी गाड़ी में हमारे साथ थे. हमने सोचा था कि कमिटी के सदस्य लोगों को शांत करने में हमारी मदद करेंगे. जब हम रेलवे स्टेशन पहुंचे तो हमने देखा कि भीड़ गांव की तरफ लौट रही थी. वो लोग हजारों में थे. हम लोग स्टेशन की तरफ बढ़ रहे थे कि हमारे पीछे से पत्थर आने शुरू हो गए. हम लोगों ने वहां से हटने की कोशिश की. भीड़ बहुत ज्यादा थी. हमारी गाड़ी भीड़ में फंस गई.


मोनिका सैन (फेसबुक)
मोनिका सैन (फेसबुक)

कमिटी के सदस्य हमारे पीछे अलग कार में थे. वो भी इस भीड़ में फंस गए. मौके की नजाकत समझते हुए एसपी साहब अपनी कार से उतरे ताकि कमिटी के सदस्यों को मदद के लिए बुलाया जा सके और लोगों को कानून हाथ में ना लेने के लिए समझाया जा सके. लेकिन भीड़ ने उनके ऊपर हमला कर दिया. उन्हें काफी चोट आई. हमारी गाड़ी की सभी खिडकियों पर हमला किया जाने लगा. एसपी साहब के उतरने के बाद हम पांच लोग गाड़ी में रह गए थे. मैं, मेरा गनमैन, एसपी साहब का गनमैन, ड्राइवर और एक अन्य आदमी. सबसे पहले एसपी साहब के गार्ड महावीर और ड्राइवर मंसाराम को कार से खींच कर बाहर लाया गया और उन्हें पीटा जाने लगा.

मैंने अपनी आंखो के सामने गार्ड को पिटते हुए देखा. एसपी साहब के गार्ड और दूसरे कांस्टेबलों को बुरी तरह से पीटा जाने लगा. उनसे उनके हथियार छीन लिए गए, जिनमें एक AK-47 और 2 पिस्तौल शमिल थीं. हमारे सामने एसपी के गार्ड महावीर पर मिट्टी का तेल छिड़का जा रहा था. हम डर गए थे कि कहीं ये लोग गाड़ी को भी आग के हवाले ना कर दें. इसलिए हम गाड़ी से नीचे उतर गए. भीड़ बुरी तरह से पगलाई हुई थी. हमारे सामने सरकारी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. मेरा विश्वास है कि एक पिस्तौल गाड़ी के साथ ही जल कर खाक हो गई.

मुझ पर भी भीड़ ने हमला किया. उन लोगों ने मुझे अपनी तरफ खींचना शुरू किया. मैंने सुरक्षा के लिहाज से हेलमेट पहन रखा था. इस खींचतान में मेरा हेलमेट उन लोगों के हाथ में आ गया. तभी उन्हें अहसास हुआ कि वो एक महिला पर हमला कर रहे हैं. उस भीड़ में कुछ अच्छे आदमी थे. उन लोगों ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की और कामयाब रहे.

इस बीच मैं किसी तरह से वहां से बच निकलने में कामयाब रही. मैंने पास ही के घर में जाकर शरण ली और अपने ऊपर के अधिकारियों को बताया कि क्या हुआ है. जिस घर में मैंने शरण ली थी उन लोगों ने मेरी सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले ली. उस घर की महिलाओं ने मुझे राजपूती परिधान पहनने को कहा ताकि मुझे पहचाना ना जा सके. मैंने उनके कहने पर अपनी वर्दी के ऊपर राजपूती ड्रेस डाल ली. मैंने उनसे कहा कि वो पुलिस अधिकारियों को इस बाबत सूचना दे दें ताकि वो मुझे यहां से ले जा सके. मुझे काफी चोटें आई थीं. हालांकि कोई भी अंदरूनी चोट मुझे नहीं लगी थी. मेरी गर्दन और कन्धों में दर्द हो रहा था लेकिन मैंने किसी तरह से उसे सहन किया."

29 साल की मोनिका सैन 2014 बैच की आईपीएस हैं. वो फिलहाल एएसपी के पद पर हैं और ट्रेनी के तौर पर काम कर रही हैं. वो भीड़ की इस बदमिजाजी के लिए नेताओं को जिम्मेदार मानती हैं. वो कहती हैं, "वो सब लोग इस गैरकानूनी जुटान के लिए जिम्मेदार हैं. यह एक बेकाबू भीड़ थी. वो लोग हमारे अफसरों पर मिट्टी का तेल छिड़क रहे थे. मंच से नेता जिस किस्म का उत्तेजक भाषण दे रहे थे, उन्हें अच्छे से पता था कि भीड़ बेकाबू हो सकती है. इस किस्म के ज्यादा से ज्यादा पर मुकदमें कायम होने चाहिए."


मोनिका सैन (फेसबुक)
मोनिका सैन (फेसबुक)

पुलिस ने इस उपद्रव के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं. पुलिस ने कुल 22 धाराओं में 12,000 लोगों पर मुकदमें कायम किए हैं. हालांकि पुलिस की तरफ से साफ़ किया गया है कि मुकदमा 12 हजार लोगों के खिलाफ नहीं है. उस समय वहां पर करीब 12 हजार लोग थे. उनमे से अपराधियों को चिन्हित किया जाना बाकी है. इधर रेलवे पुलिस ने भी 5000 हजार लोगों के खिलाफ सरकारी सम्पति को नुक्सान पहुंचाने और शांति भंग करने सहित कई धाराओं में मुकदमें कायम किए हैं. अब पुलिस की इस कार्रवाही का भी राजनीतिकरण हो रहा है.




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