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अमेरिका को बहुत प्यारे पांडा चीन ने छीने, क्या इसके पीछे 'पांडा डिप्लोमेसी' है?

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी के ज़ू में तीन पांडा हैं. मगर अब ये पांडा वापस जा रहे हैं. और, शायद हमेशा के लिए.

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पांडा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडन (फोटो - AP/सोशल मीडिया)

सोशल मीडिया की विवादों से भरी दुनिया में अगर कुछेक चीज़ों पर सहमति है, तो उनमें से एक है पांडा. सफ़ेद और काले रंग के इन आलसी जीवों को देश-दुनिया में एकमत से 'क्यूटत्व' का प्रतीक क़रार दिया गया है. बैग, घड़ी, टी-शर्ट, मग… जहां देखो पांडा. लेकिन आज यही क्यूट पांडा चीन और अमेरिका के तनाव के बीच आ गया है.

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी के ज़ू में तीन पांडा हैं. शहरियों और सैलानियों में इन तीनों का भारी क्रेज़ है. चौबीसों घंटे एक कैमरा इन तीनों की हरक़तें रिकॉर्ड करता रहता है. यहां तक कि पैसे ट्रांसफ़र करने के लिए जो स्कैनर है, वो भी पांडा के आकार का है. मगर अब ये पांडा वापस जा रहे हैं. और, शायद हमेशा के लिए.

पूरी दुनिया के पांडा चीन के

कहां जा रहे हैं? चीन. वहीं से आए हैं. चीन 'जायंट पांडा' का इकलौता प्राकृतिक घर है और दुनिया भर के सारे पांडा और उनके बच्चे पांडा चीन की संपत्ति हैं. चीन तो इन जीवों के ज़रिए कूटनीति भी करता है. इसे कहते हैं, पांडा डिप्लोमेसी. चीन ने बहुत सारे देशों को पांडा तोहफ़े में दिए हैं. 1957 में चीन ने पहला पांडा, जिसका नाम ‘पिंग पिंग’ था, सोवियत संघ (USSR) को तोहफ़े में दिया था. USSR के बाद उत्तर कोरिया (1965), अमेरिका (1972), जापान (1972, 1980, 1982), फ्रांस (1973), ब्रिटेन और जर्मनी (1974) और मेक्सिको (1975) को चीन से पांडा मिले. हालांकि, 1984 में नीति में बदलाव किया गया. अब पांडा को तोहफ़े के बजाय पट्टे पर दिया जाता है. उनके साथ 'शर्तें लागू' और ढेर सारे पैसे का लेन-देन नत्थी हो कर आता है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक़, इसीलिए वॉशिंगटन के तीन पांडा वापस जा रहे हैं. क्योंकि चीन की वाइल्ड-लाइफ़ एजेंसी के साथ उनका क़रार ख़त्म हो गया है. और केवल राजधानी ही नहीं, बाक़ी तीन चिड़ियाघरों, अटलांटा, सैन डिएगो और मेम्फिस, ने भी अपने पांडा वापस कर दिए हैं या अगले साल के अंत तक वापस कर देंगे. 50 सालों में ये पहली बार होगा कि अमेरिका पांडा-रहित होगा. 

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वैसे तो दोनों ही पक्षों ने किसी भी तरह की राजनीति से इनकार किया है. लेकिन हमने बताया ही: चीन लंबे समय से 'पांडा डिप्लोमेसी' कर रहा है. एहसान जताने के लिए, दोस्ती बढ़ाने के लिए और रंज दिखाने के लिए. चीन की तरफ़ से अमेरिका को पहला पांडा पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के दौर में मिला था. 1972 में. तब संबंध हंकी-डोरी थे. आज की तारीख़ में, दुनिया जानती ही है, अमेरिका और चीन के संबंध सबसे बदतर हैं. इसीलिए इसमें राजनीति टोही जा रही है. कहा जा रहा है कि पांडा वापस अमेरिका आएं -- इसकी संभावना बहुतै कम है.

हालांकि, कुछ ग़ैर-राजनीतिक वजहें भी हो सकती हैं. पहली, अमेरिकी चिड़ियाघरों को छोड़ने वाले जो पांडा हैं, उनकी उम्र हो गई है. फिर कुछ पांडाओं का क़रार ख़त्म हो गया था और कोविड महामारी की वजह से देरी हुई.

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