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चीन के लोगों को जहाज़ में भरकर वापस भेज रहा अमेरिका

अमरीका ने 116 चीनी नागरिकों को अपने यहां से निकाल दिया है. ये लोग अवैध तरीक़े से अमरीका गए थे. उनको चार्टर प्लेन में बिठाकर चीन वापस भेजा गया है. 2018 के बाद पहली बार इतने लोगों को एक साथ चीन भेजा गया है.

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अमेरिका चीनी नागरिकों को वापस भेज रहा (फोटो- एपी)

अमरीका ने 116 चीनी नागरिकों को अपने यहां से निकाल दिया है. ये लोग अवैध तरीक़े से अमरीका गए थे. उनको चार्टर प्लेन में बिठाकर चीन वापस भेजा गया है. 2018 के बाद पहली बार इतने लोगों को एक साथ चीन भेजा गया है. तो समझते हैं-

- अमरीका, चीनी नागरिकों को क्यों भगा रहा है?

दरअसल,  ये समस्या इससे कई गुणा बड़ी है. अकेले 2023 में 37 हज़ार से अधिक अवैध चीनी प्रवासियों को बॉर्डर पर गिरफ़्तार किया गया था. 2022 में ये संख्या चार हज़ार के आसपास थी. ये मुद्दा 27 जून को हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट में भी उठा था. तब डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया था कि अवैध आप्रवासी अमरीकी लोगों की नौकरियां चुरा रहे हैं. इसपर फिर कभी विस्तार से बात करेंगे. अभी फ़ोकस चीन पर रखते हैं.
 

इतिहास

1849 में सबसे पहले चीनी नागरिकों ने अमेरिका का रुख किया. वो भी दूसरे प्रवासियों की तरह बेहतर जीवन की तलाश में पहुंचे थे. मगर उन्होंने चीन क्यों छोड़ा? दरअसल, 1830 और 40 का दशक चीन के सबसे बुरे दौर में गिना जाता है. 1839 में ब्रिटिश व्यापारी अफीम का व्यापार कर रहे थे. चीन ने इसको रोकने की कोशिश की. अंग्रेज़ व्यपारियों को ये रास नहीं आया. उनका मुनाफ़ा खत्म हो रहा था. इसी के चलते चीन और ब्रिटेन के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा. बाद में फ्रांस भी इसमें शामिल हुआ. इस युद्ध को इतिहास में अफीम की जंग के नाम से जाना जाता है. अंग्रेज़ी में ये टर्म ओपियम वॉर नाम से ज़्यादा प्रचलित है. ये लड़ाई जैसे-तैसे खत्म हुई तो चीन में ताइपिंग और चिंग राजवंश के बीच लड़ाई हुई. ये लड़ाई गृहयुद्ध में तब्दील हो गई. युद्ध की विभीषिका ने चीनी नागरिकों को दूसरे देश में पलायन करने को मजबूर किया. इसी क्रम में 1849 में चीनी नागरिकों के कई जत्थे अमेरिका पहुंचे. चीनी लोगों को अमरीका में मुख्यतौर पर तीन काम मिले.
1. सोने की खदानों में. उस समय कैलिफ़ोर्निया में सोने की खोज ज़ोर-शोर से चल रही थी. चीनी नागरिकों ने यहां मज़दूरी की. और धीरे-धीरे सेटल होते गए. इतिहास में सोने की इस खोज को कैलिफ़ोर्निया गोल्ड रश नाम से जाना जाता है.

2. कपड़ा उद्योग में. चीनी प्रवासी रेशम से कपड़ा बनाना जानते थे. इसलिए, उन्हें प्राथमिकता के साथ ये काम दिया गया.

3. खेती का काम. हालांकि, ज़्यादातर चीनी लोग खेतिहर मज़दूर बनकर रहने लगे.

कालांतर में कुछ चीनी प्रवासियों ने ठीकठाक पैसा कमाया. फिर अपना बिजनेस शुरू किया. उनका रुतबा भी बढ़ने लगा. देखादेखी और लोग अमरीका पहुंचे. 1880 के अंत तक अमेरिका में चीनी मूल के लोगों की संख्या लगभग 1 लाख 10 हज़ार पहुंच चुकी थी. इसी दौर में चीनियों के बारे में कई भ्रांतियां फैलाई जाने लगीं. जैसे चाइनाटाउन में वेश्याएं रहती हैं. वहां जुआ खेला जाता है और अफ़ीम की सप्लाई होती है.

फिर 1882 में अमरीका सरकार Chinese Exclusion Act लेकर आई. इसके तहत अगले 10 बरसों तक चीनी मजदूरों की एंट्री अमेरिका में बैन कर दी गई. उस समय अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की सरकार थी. चेस्टर ए. आर्थर राष्ट्रपति थे. इनके दौर में चीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ माहौल पनपा. उन्हें अपने घेटोज़ में रहने को मजबूर किया जाता. मगर चीनी मज़दूर वापस नहीं जा सकते थे. क्योंकि इनमें से ज़्यादातर लोग कर्ज़ा लेकर अमेरिका आए थे. उन्हें कर्ज़ा चुकाना था. वे अपने परिवार को भी पैसे भेजा करते थे. ये चीनी नागरिकों की अमरीका में एंट्री का पहला चरण था. जिसमें शुरुआत संघर्ष से हुई और उन्हें बंदिशों से भरा जीवन जीना पड़ा.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति चेस्टर ए. आर्थर (फोटो- वाइट  हाउस)

दूसरे चरण में चीन से अमीर व्यापारी, डिप्लोमेट्स, यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अमेरिका गए. मगर वहां चीनी नागरिकों के अधिकार सीमित कर दिए गए थे. उनको चाइनाटाउंस तक ही सीमित रहना पड़ रहा था. फिर आया दूसरा विश्वयुद्ध. दूसरे विश्वयुद्ध ने पूरा समीकरण बदल दिया. अमरीका को सेना के लिए लोगों की ज़रूरत महसूस हुई. उसने चीनी इमिग्रेशन पर लगे सभी प्रतिबंध हटा लिए. चीनी नागरिकों के अमरीका जाने का तीसरा दौर 1960 के दशक में शुरू हुआ. दूसरे विश्व युद्ध के बाद नया वर्ल्ड ऑर्डर वजूद में आया. चीन में भी क्रांति हो चुकी थी. माओ ज़ेदोंग चीन के सर्वेसर्वा बन चुके थे.

 चीन के सर्वेसर्वा माओ ज़ेदोंग (फोटो- विकीमीडिया कॉमंस)

1960 के दशक में अमरीका में कई सिविल राइट्स मूवमेंट शुरू हुए. पूरी दुनिया में मानवाधिकारों पर बात हो रही थी. इसी के तहत 1965 में अमेरिका में इमिग्रेशन एंड नेशनैलिटी एक्ट पास हुआ. ये एक्ट तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन लेकर आए थे. वो डेमोक्रटिक पार्टी से आते थे. इस एक्ट ने प्रवासियों के लिए अमेरिकी नागरिकता को आसान बना दिया. जॉनसन ने प्रवासियों के साथ भेदभाव खत्म करने के भी प्रयास किए. 1965 में अमेरिकी सरकार ने आप्रवासियों के लिए क़ोटा सेट किया. हर साल 20 हज़ार चीनी नागरिकों को अमेरिका आने की इजाज़त मिली.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन (फोटो- विकीपीडिया)

ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, अमेरिका में 54 लाख चीनी मूल के नागरिक रहते हैं.
अमरीका में चीनी लोग क्या-क्या करते हैं?
- वे सिनेमा, संगीत, व्यापार, राजनीति जैसे क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं  
- इस समय 5 हज़ार से ज़्यादा चीनी कंपनियां अमेरिका में काम कर रहीं है.
- 2019 में चीनी नागरिकों के बिज़नेस से अमेरिका में 30 लाख लोगों को नौकरी मिली.
- 2019 में ही चीनी मूल के नागरिकों ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 25 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का योगदान दिया.
- 2016 में अमेरिका में चीनी रेस्तरां की संख्या 45 हज़ार से ज़्यादा थी. ये मैकडॉनल्ड्स, KFC, पिज़्ज़ा हट, टैको बेल और वेंडी के कुल आउटलेट्स की कुल संख्या से भी ज़्यादा है.

अब अवैध चीनी प्रवासियों का मसला समझते हैं. चीनी नागरिक अवैध तरीके से कैसे अमरीका पहुंचते हैं? मैप देखिए. मेनलैंड अमरीका की ज़मीनी सीमा केवल दो देशों से लगती है. कनाडा और मैक्सिको. इसलिए अवैध रूप से अमेरिका में एंट्री इन्हीं दो देशों से संभव है. इसके लिए सबसे आसान रास्ता मैक्सिको है. 

अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर (फोटो- गूगल मैप्स)
कैसे होती है एंट्री?

या तो चीनी नागरिक सीधे मेक्सिको उतरें और वहां एजेंट के ज़रिये सीमा पार कर अमेरिका पहुंच जाएं. मगर सीधे मेक्सिको जाना मुश्किल है. वहां के नियम-क़ायदे भी सख्त हैं. इसलिए, ऐसे लोग पहले मैक्सिको के किसी पड़ोसी देश जाते हैं. यहां तक का किराया सस्ता होता है. वहां का वीजा मिलना भी आसान होता है. फिर उन्हें किसी तरह मेक्सिको तक पहुंचाया जाता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई अवैध प्रवासी इक्वाडोर से अमरीका जाना चाहता है तो उसको डेरियन गैप पार करके पनामा और इसी तरह अलग-अलग बॉर्डर पार कर मैक्सिको पहुंचना पड़ता है. 

डेरियन गैप क्या है?

ये गैप दक्षिणी और उत्तरी अमेरिका को जोड़ता है. इसे एक तरह का पैसेज भी मान सकते हैं. ये नॉर्थ कोलंबिया और साउथ पनामा के बीच बेहद घना जंगल है. करीब सौ किलोमीटर में फैला ये इलाका वर्षावन है यानी यहां काफी बारिश होती है. ये पार करके लोग पनामा पहुंचते हैं. फिर वहां से आगे का रास्ता तय करते हैं. मगर डेरियन गैप पार करते समय ही कई लोगों की मौत हो जाती है. पनामा सरकार के मुताबिक, 2023 में 5 लाख से अधिक प्रवासियों ने इस डेरियन को पार किया है. इनमें से 25 हज़ार से ज़्यादा चीनी थे.इन सभी देशों में एजेंट्स बैठे होते हैं. इनका अपना नेटवर्क होता है. ये एजेंट्स अमेरिका जाने वाले लोगों को एक देश से दूसरे देश में अवैध रूप से एंट्री करवाते हैं. ये एजेंट्स चीनी नागरिकों के लिए अलग से इंतज़ाम करते हैं. उनके लिए बस काउंटर पर मेंडरिन भाषा लिखी होती है. खाने के लिए चीनी रेस्तरां होते हैं. रहने के लिए हॉस्टल्स की व्यवस्था की जाती है. पूरा नेक्सस बिछा हुआ है.

डेरियन गैप (फोटो- गूगल मैप्स)

अब ये समझते हैं कि चीनी नागरिक अमेरिका क्यों जा रहे हैं? दो बड़ी वजहें हैं,
1. रोज़गार की तलाश
मई 2024 में चीन में नौजवानों की बेरोज़गारी दर 14 फीसद से ज़्यादा थी. गांवों में लोगों के पास खेती किसानी के अलावा ज़्यादा विकल्प नहीं हैं. कोविड 19 के बाद कई व्यापार ठप पड़ गए हैं. रियल एस्टेट सेक्टर भी घाटे में चल रहा है. इसकी वजह से परेशान लोगों को अमरीका में रोज़गार के बेहतर ऑप्शन दिखते हैं और चीन की तुलना में ज़्यादा पैसे भी मिलते हैं.

2. फ्रीडम.
चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना (CCP) का सिक्का चलता है. शी जिनपिंग राष्ट्रपति हैं. CCP ने गूगल, फ़ेसबुक. इन्स्टाग्राम, X जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर बैन लगाया है. CCP के ख़िलाफ़ बोलने पर परेशान किया जाता है. चाहें आप नेता हों या बड़े बिज़नेसमैन. चीन में धार्मिक स्वतंत्रता भी कम हुई है. CCP ने नए नियम बनाए हैं. जिनके मुताबिक़, आपको सावर्जनिक रूप से कोई धार्मिक गतिविधि करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. चीनी लोग आज़ाद समाज की तलाश में अमरीका का रास्ता खोजते हैं. मगर अमरीका भी उन्हें अपने यहां लेने के लिए तैयार नहीं है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको बॉर्डर पर दीवार बनाने की बात कही है. नवंबर 2024 में होने वाले चुनाव में उनकी वापसी की संभावना दिख रही है. यूं तो बाइडन सरकार ने ही अवैध चीनी प्रवासियों को वापस भेजना शुरू कर दिया है. ट्रंप के आने के बाद अवैध प्रवासियों पर और कठोर कार्रवाई हो सकती है.

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