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'298 रुपये की डकैती' का मुकदमा झेल रहे अमानतुल्लाह खान की ये कहानियां आपको पता नहीं होंगी!

Amanatullah Khan: अमानतुल्लाह खान आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता हैं. BJP की लहर के बीच भी इस बार उन्होंने ओखला सीट अपने पास बनाए रखी. लेकिन चुनाव जीतते ही वो एक और विवाद में फंस गए. विवाद, जो खान का पीछा ही नहीं छोड़ते.

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AAP विधायक Amanatullah Khan पर कई मामले चल रहे हैं. (फाइल फोटो)

अगर विवाद कोई चलता-फिरता व्यक्ति होता तो अमानतुल्लाह खान शायद उसके सबसे पसंदीदा व्यक्तियों में से एक होते. दिल्ली की ओखला सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान (Amanatullah Khan) एक बार फिर से विवादों में हैं. खान के खिलाफ 12 फरवरी को एक नई FIR दर्ज की गई. आरोप हैं कि AAP विधायक ने दिल्ली पुलिस के काम में बाधा पहुंचाई, हत्या के एक आरोपी और कोर्ट की तरफ से भगौड़ा घोषित किए जा चुके शावेज खान को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला किया और आरोपी को भागने में मदद की.

अमानतुल्लाह खान इस मामले में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक पत्र लिख चुके हैं. खान का कहना है कि दिल्ली पुलिस उन्हें फर्जी केस में फंसा रही है. खान ने राउज एवेन्यू कोर्ट में एक अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल की है.

अमानतुल्लाह खान के इलेक्शन एफिडेविट के मुताबिक, उनके खिलाफ 26 आपराधिक मामले चल रहे हैं. 50 रुपये के प्रॉपर्टी डैमेज से लेकर दिल्ली वक्फ बोर्ड में करोड़ों के हेरफेर के आरोप अमानतुल्लाह खान पर हैं. हालांकि, ज्यादातर मामले सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के हैं. आप विधायक के खिलाफ लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने और सांप्रद्रायिक आधार पर उनके बीच दुश्मनी फैलाने के भी आरोप हैं. दूसरी तरफ, खान खुद को एक ऐसा प्रतिबद्ध नेता बताते हैं, जिसका वास्ता सिर्फ और सिर्फ लोगों की भलाई से है. 

Amanatullah Khan की कहानी

अमानतुल्लाह खान की कहानी कोई सामान्य कहानी नहीं है. इसमें उतार-चढ़ाव हैं. हर कदम पर इसमें एक नया मोड़ है. कभी पार्टी से निकाले जाने की कगार पर पहुंच गए नेता के उस पार्टी में कद्दावर बन जाने तक का सफर है. संगठित आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप हैं और AAP के लिए पर्दे के पीछे से दिल्ली के मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करने की कवायद भी इस कहानी का हिस्सा है. सीधे कहानी पर ही चलते हैं.

अमानतुल्लाह खान की कहानी शुरू होती है पश्चिमी यूपी के मेरठ से. अमानतुल्लाह यहां के सटला इलाके में पड़ने वाले अफगानपुर के रहने वाले हैं. 1974 में जन्मे अमानतुल्लाह खान ने कक्षा 12 तक की पढ़ाई मेरठ में ही की. फिर पूरे परिवार के साथ दिल्ली आ गए. यहां आगे की पढ़ाई का ख्वाब बुना. बिजनेस भी चालू किया. धीरे-धीरे पैर नेतागिरी में जमने लगे. ग्रेजुएशन पूरी नहीं की. अमानतुल्लाह खान कहते हैं कि वो ग्रेजुएशन इसलिए पूरी नहीं कर पाए क्योंकि कामकाज के चक्कर में एक आखिरी पेपर छूट गया था. बकौल खान, वो अब डिस्टेंस कोर्स से ग्रेजुएशन कर रहे हैं. उनका एक ही सेमेस्टर बचा हुआ है.

अमानतुल्लाह खान ने खुद को राजनीति में खपा दिया था. उनका नाम होने लगा था. साल 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी का टिकट लिया, ओखला विधानसभा से पर्चा भर दिया. वही हुआ, जिसका उन्हें भी अंदाजा था. चुनाव हार गए. यही क्रम साल 2013 में भी रहा. लोजपा के टिकट पर एक और हार अमानतुल्लाह के खाते में आ चुकी थी.

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Amanatullah Khan को अपने शुरुआती चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. (फाइल फोटो)

लेकिन साल 2013 आते-आते दिल्ली में एक बड़ा बदलाव हो रहा था. आम आदमी पार्टी जैसी नई नवेली पार्टी अस्तित्व में आ चुकी थी. जिस चुनाव में अमानतुल्लाह हार गए थे, AAP ने उसी चुनाव में 28 सीटें निकाल ली थीं. भाजपा को 32 सीटें और कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं. किसी के पास बहुमत नहीं था. फिर कांग्रेस के समर्थन से AAP के नेतृत्व वाली सरकार दिल्ली में बनी. अरविंद केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने.

अचानक से खुला दरवाजा

लेकिन अभी तक केजरीवाल और अमानतुल्लाह की मुलाकात नहीं हो सकी थी. इस मुलाकात का मौका दिया ओखला से आने वाले कांग्रेस विधायक आसिफ मोहम्मद खान ने. कैसे? जनवरी 2014 में चलते हैं. नए-नए सीएम बने केजरीवाल दिल्ली सचिवालय में कुछ पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. अचानक से कमरे का दरवाजा खुला. सफेद बालों वाला एक नेता हल्ला करते हुए कमरे में घुसा. ये थे ओखला से विधायक आसिफ. उन्होंने अरविंद केजरीवाल को कहना शुरू किया कि वो साल 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर की जांच कराएं. आसिफ ने आरोप लगाया कि आप ने अपने चुनावी घोषणाओं में बाटला हाउस एनकाउंटर की जांच कराने की बात कही थी, लिहाजा उन्हें करानी चाहिए. बाद में AAP ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई चुनावी वादा नहीं किया था.

बहरहाल, पत्रकारों के सामने इस तरह का राजनीतिक हमला देखकर केजरीवाल थोड़ा सकुचाए. उन्हें समझ में आ गया कि अगर ओखला की राजनीति करनी है तो आसिफ मोहम्मद खान के बराबर एक नेता खड़ा करना होगा. इलाके के कुछ नेता बताते हैं कि इस काम में केजरीवाल की मदद की कुछ स्थानीय पत्रकारों और कुछ दोस्तों ने. कुछेक दिन की रेकी के बाद केजरीवाल के सामने अमानतुल्लाह खान का नाम रख दिया गया. आम आदमी पार्टी को आसिफ मोहम्मद खान की काट मिल चुकी थी.

लेकिन अभी अमानतुल्लाह को अपनी काबिलियत साबित करनी थी. और इसका मौका मिला उन्हें जुलाई 2014 में. इस साल एक विवाद हुआ. ओखला के इलाके में पोस्टर लगाए गए- कांग्रेस के तीन मुस्लिम विधायकों मतीन अहमद, आसिफ मोहम्मद खान और हसन अहमद के खिलाफ. इन पोस्टरों में आरोप लगाए गए थे कि कांग्रेस के ये तीन विधायक पैसा खाकर भाजपा के लिए काम कर रहे हैं. कांग्रेस ने पुलिस में केस दर्ज कराया. इस मामले के जानकार बताते हैं कि ये पोस्टर तो AAP के इशारे पर लगाए गए थे. लेकिन पार्टी के जिस नेता ने ये पोस्टर लगवाने की जिम्मेदारी निभाई थी, उसने पुलिस केस की बात सुनते ही अपना फोन ऑफ कर लिया.

दिल्ली पुलिस ने इधर आम आदमी पार्टी के तीन नेताओं दिलीप पांडे, राम कुमार झा और जावेद अहमद को अरेस्ट कर लिया था. AAP को डैमेज कंट्रोल करना था. लिहाजा भोर में साढ़े 5 बजे अमानतुल्लाह खान के पास एक फोन आया. उनसे पूछा गया कि क्या वो पोस्टर लगवाने की जिम्मेदारी अपने सिर पर लेंगे? अमानतुल्लाह ने हामी भरी. पुलिस के पास गए, कह दिया कि ये सारे पोस्टर उन्होंने ही लगाए हैं. पुलिस ने सबूत मांग लिया. अमानतुल्लाह के पास वो था नहीं, लिहाजा उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया.

लेकिन इस घटना ने उनके नंबर बढ़ा दिए. पार्टी में वो अब एक प्रभावशाली नेता की तरह देखे जाने लगे. केजरीवाल के इस्तीफे के बाद साल 2015 में जब फिर से विधानसभा चुनाव हुए, तो आम आदमी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया. अमानतुल्लाह जीत गए. उन्होंने बीजेपी के ब्रह्म सिंह को 64 हजार 532 वोटों से हराया. ओखला में जीत की खबरें चलीं तो मेरठ में उनके घर पर भी जश्न मनाया गया. लोग बताते हैं कि मेरठ से जश्न में लबरेज कुछ और युवा ओखला चले आए. सटला के ही रहने वाले थे. ये युवा कब्जा करने, पैसे उगाहने और मारपीट जैसे छिटपुट अपराध करते थे. दिल्ली के लोग इन्हें सटला गैंग कहते हैं. सटला गैंग के लोग ओखला के इलाके में एक्टिव हो गए, और विधायक अमानतुल्लाह खान के नाम का इस्तेमाल करने लगे. अमानतुल्लाह खान के हिस्से न चाहते हुए भी बदनामी आने लगी. यहीं से परेशानी भी शुरू हुई. और शुरू हुआ मुकदमों का सिलसिला.

केस पर केस

जुलाई 2016- अमानतुल्लाह पर एक महिला ने अंजाम भुगतने की घमकी देने का आरोप लगाया. मामले में अमानतुल्लाह पर IPC की धाराओं 506 (धमकी देना) और 509 (महिला की गरिमा को नुकसान पहुंचाना) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. अमानतुल्लाह को पकड़कर हवालात में डाल दिया गया. हालांकि, बाद में उन्हें मामले में जमानत मिल गई.

सितंबर 2016- अमानतुल्लाह पर उनके साले की पत्नी ने यौन शोषण का आरोप लगाया. पुलिस केस दर्ज हुआ. अमानतुल्लाह खान अरेस्ट हो गए. ये केस सामने आने के बाद अमानतुल्लाह ने इस्तीफे की पेशकश की. कहा कि वो सफाई देते-देते थक गए हैं. लेकिन पार्टी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. कहा कि ये मामला परिवार से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस्तीफा नामंजूर किया जाता है. अमानतुल्लाह अरेस्ट हुए. और इस केस में भी वो जमानत पर बाहर आ गए.

अप्रैल 2017- नगर निगम चुनाव से पहले कांग्रेस-आप कार्यकर्ताओं के बीच जामिया नगर इलाके में भिड़ंत हो गई थी. अमानतुल्लाह पर हिंसा करने के आरोप लगे थे, लेकिन अमानतुल्लाह ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन पर गोली चलाई है. कांग्रेस ने उनके ऊपर FIR भी करवा दी.

मई 2017- अमानतुल्लाह ने कहा कि कुमार विश्वास भाजपा के एजेंट हैं. ये बात कहते ही पार्टी में हल्ला मचा, और कुछ ही दिनों बाद उन्हें पार्टी की पीएसी से निकाल दिया गया.

फरवरी 2018- दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया कि उन्हें अमानतुल्लाह खान और पार्टी के एक और विधायक प्रकाश जारवाल ने पीट दिया. और ये पिटाई अरविंद केजरीवाल के घर पर उनके सामने हुई. आप ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ. पुलिस केस हुआ. मेडिकल जांच हुई. मारपीट की पुष्टि हो गई. अमानतुल्लाह खान अरेस्ट हो गए. और हमेशा की तरह जमानत पर बाहर आ गए.

Shaheen Bagh CAA NRC
दिल्ली के शाहीन बाग में CAA-NRC विरोधी आंदोलन हुआ था. (फाइल फोटो)

फिर साल आया 2020.दिल्ली में फिर से विधानसभा चुनाव हुए. तमाम शिकायतों के बावजूद पार्टी ने अमानतुल्लाह का टिकट रिपीट किया. खान फिर से जीत गए.

फरवरी का महीना लगा, तो अमानतुल्लाह पर एक और केस दर्ज हो गया. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने डासना मंदिर के विवादित पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती को धमकी दी है. ये केस भी बाकी मामलों की तरह लटका हुआ है.

इसी साल दिल्ली में दंगे भी हुए थे. आप के नेता और पार्षद ताहिर हुसैन को दंगे की साजिश रचने के आरोप के तहत अरेस्ट किया गया. अमानतुल्लाह खान ने जुबान खोलकर ताहिर हुसैन का साथ दिया. दो ट्वीट किए, जो उस समय बहुत वायरल हुए थे. 

बुलडोजर के सामने खड़े हो गए

अमानतुल्लाह खान पर इस स्टैंड के लिए हमले हुए, आलोचना हुई. मामला कुछ दिनों बाद शांत पड़ गया. दो साल तक लगभग शांति. लेकिन मई 2022 के महीने में अमानतुल्लाह फिर से चर्चा में आए. इस महीने दिल्ली नगर निगम ने अलग-अलग इलाकों में अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया था. जब MCD का बुलडोजर शाहीन बाग के इलाके में पहुंचा, तो वहां सामने अमानतुल्लाह खान खड़े थे. उन्होंने विरोध किया. उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का. और साथ ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें बैड कैरेक्टर घोषित कर दिया. हिरासत में ले लिए गए, लेकिन हमेशा की तरह जमानत भी मिल गई. और मार्च 2023 में राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें इस केस में बरी भी कर दिया.

इसी साल एंटी करप्शन ब्यूरो, सीबीआई और ईडी ने खान के खिलाफ दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े एक मामले में जांच शुरू की. आरोप लगे कि दिल्ली वक्फ बोर्ड का चेयरपर्सन होने के नाते खान ने अपने मन मुताबिक भर्तियां कीं और पैसे लिए. इन पैसों से अपने सहयोगियों के नाम पर अलग-अलग प्रॉपर्टीज खरीदीं. यही नहीं, वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टीज को गलत तरीके से किराए पर चढ़ा दिया. इस मामले की शिकायत 2016 में दर्ज कराई गई थी. बाद में इसी मामले में खान जेल भेजे गए. हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई.

पिछले साल मई में नोएडा पुलिस ने अमानतुल्लाह खान और उनके बेटे के खिलाफ केस दर्ज किया था. उनके ऊपर नोएडा सेक्टर 95 के एक पेट्रोल पंप पर जानबूझकर नुकसान पहुंचाने, शांति भंग करने, मारपीट और आपराधिक धमकी के आरोप लगाए गए. इस केस को लेकर खान कहते हैं कि ये पूरी तरह से फर्जी है. वो कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने उनके ऊपर 298 रुपये की डकैती का आरोप लगाया है.

इस बार के चुनाव में बीजेपी की लहर होने के बाद भी अमानतुल्लाह खान अपनी सीट बचाए रहे. खान के सामने चुनौती सिर्फ बीजेपी की नहीं थी. कांग्रेस और AIMIM ने भी मजबूत उम्मीदवार उतारे थे. यही वजह रही कि जीत के बाद भी खान के मत प्रतिशत में कमी आई. हालांकि, जीत बताती है कि वो अपनी विधानसभा में अभी भी पॉपुलर बने हुए हैं.

जानकार कहते हैं कि अपनी विधानसभा में खान इतने पॉपुलर इसलिए हैं क्योंकि वो मुखर हैं. खासकर बात जब मुस्लिम समुदाय और इसके मुद्दों की आती है. साल 2019 के आखिर और 2020 की शुरुआत में जब शाहीन बाग में CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा था, तब अमानतुल्लाह खान का कद बहुत तेजी से ऊपर उठा था. शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन को उन्होंने खुला समर्थन दे दिया था.

आम आदमी पार्टी उस समय इन मुद्दों पर ढुलमुल रवैया अपना रही थी, लेकिन उसके विधायक अमानतुल्लाह खान मुखर थे. ऐसा कहा जाता है कि मुस्लिम वोट को अपने साथ बनाए रखने के लिए AAP ने पर्दे के पीछे से अमानतुल्लाह खान को फ्री हैंड दे रखा था. पार्टी के शीर्ष नेता इन मुद्दों पर बात करने से बच रहे थे, वहीं अमानतुल्लाह खान के जरिए यह संदेश भी देने की कोशिश हो रही थी कि पार्टी मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को गंभीरता से ले रही है.

वीडियो: दिल्ली पुलिस को भेजी गई चिट्ठी में अमानतुल्लाह खान ने क्या लिखा है?