अमाला पॉल. साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम. कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं. उनकी लाइफ में सब कुछ बढ़िया ही चल रहा था. अमाला लगातार फिल्में साइन कर रही थीं. फिर पता चला उनका डिवोर्स हो रहा है. वो भी उनके करियर की वजह से.
अमाला ने डायरेक्टर एएल विजय से शादी की थी. बीते जून में दो साल पूरे हुए थे शादी को. विजय और अमाला ने 'दिवा थिरुमगल' के सेट पर डेट करना शुरू किया था. दोनों प्यार में पड़े. कुछ दिन रिलेशनशिप में रहने के बाद शादी का फैसला किया.
शादी और डिवोर्स, दोनों ही किसी का निजी मामला होता है. जब लगा कि साथ रहना है, तो शादी कर ली. जब लगा कि रिश्ता नहीं चल पा रहा है, तो खत्म करने का फैसला ले लिया. ये एक नॉर्मल सी बात है. किसी भी कपल के जीवन में ऐसा वक्त आ सकता है. लेकिन ये सेलेब्रिटी हैं, इनको कैमरे खोजते रहते हैं. अमाला और विजय का डिवोर्स इंडस्ट्री में बड़ी चीज बन गया. एक तमिल चैनल ने अमाला के ससुर यानी विजय के पापा का इंटरव्यू किया. जिसमें ये सामने आया कि अमाला का डिवोर्स उनकी बढ़ती हुई सक्सेस की वजह से हुआ.

एएल अझगप्पन खुद प्रोड्यूसर हैं. पढ़िए इन्होंने क्या कहा:
'शादी के बाद भी अमाला फिल्म के बाद फिल्म साइन करे जा रही थी. विजय को यह सब पसंद नहीं आ रहा था. और इस वजह से दोनों के बीच झगड़े होने लगे. झगड़े खत्म करने के लिए अमाला नें कमिटमेंट दिया था कि वह और फिल्में नहीं करेगी. बावजूद इसके अमाला नहीं मानी. अब उसने सुरिया की 'पसंगा टू' और धनुष की 'अम्मा कनाक्कू' साइन कर ली. हम ये सब होते हुए और नहीं देख सकते. हमने अमाला के मां-पापा से भी बात की. पर अमाला हैं की बात सुनने को तैयार ही नहीं है. हमें अपने लड़के की खुशी चाहिए. अगर हमारे लड़के की खुशी तलाक लेने में है तो फिर तलाक ही सही.'
सुनने में अजीब लगता है. डायरेक्टर साहब काम कर रही हीरोइन के प्यार में पड़ जाते हैं. वही 'काम' जिसके चलते वो उस औरत से मिले, जिससे उन्हें प्यार हुआ. लेकिन शादी तभी करते हैं जब वो ये काम छोड़ने को राजी होती हैं. हीरोइन का ये 'काम' उनकी सारी दिक्कतों की जड़ बन जाता है. इस बात से बहुत कुछ याद आता है. सबसे पहले तो अभी कुछ दिनों पहले ही हुआ. सानिया मिर्जा का इंटरव्यू याद आया. जिसमें सानिया से पूछा गया था कि वो बच्चे पैदा कर सेटल कब होने वाली हैं. जवाब में सानिया ने एक बहुत ज़रूरी बात कही थी कि औरतों से ही इस तरह के सवाल क्यों पूछे जाते हैं. फिल्म 'की एंड का' का एक सीन भी याद आ रहा है. जिसमें जया बच्चन अमिताभ से कहती हैं कि शादी के बाद उन्होंने घर की इतनी जिम्मेदारियां उठा लीं, कि कभी अपने करियर की ओर वापस नहीं जा पाईं. चाहे जया हों, काजोल, रानी मुखर्जी या और कई एक्ट्रेस, सबकी शादी को उनके करियर का अंत माना जाता है. और फिर कैमरे हर जगह उनका 'बेबी बंप' खोजते रहते हैं.
औरतों को शादी के बाद ग्लैमर की दुनिया में काम करने से रोकना दो तरह की मानसिकताओं की तरफ संकेत करता है. पहला, शादी के बाद औरत किसी पुरुष, किसी खानदान की इज्जत बन गई है. इसलिए वो फिल्मों में और काम नहीं करेगी. क्योंकि रोल की डिमांड किसी भी तरह के कपड़े पहनने की हो सकती है. किसी एक्टर के साथ किसी भी तरह का सीन करने की हो सकती है. और एक शादीशुदा औरत वो करे, तो परिवार की इज्जत को ठेस पहुंचती है. दूसरा, शादी के साथ जवानी खत्म हो जाती है. उम्र ढलने लगती है. तो औरत अगर फिल्म करे भी तो कोई मैच्योर किरदार निभाए. वर्ना न करे. क्योंकि किसी का 'लव ऑब्जेक्ट' बनने की उसकी उम्र निकल चुकी है.
ये एक्ट्रेस वही हैं जो हर मुश्किल से लड़कर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाती हैं. लेकिन इंडस्ट्री के अंदर चल रहे पुरुषवादी सिस्टम इन्हें तोड़ देते हैं. बहुत कम एक्ट्रेस हैं जो इस सिस्टम को तोड़कर जी पाती हैं. अमाला ने ऐसा ही कर के दिखाया. पति की फैमिली के लिए अपना करियर नहीं गंवाया. हमने बचपन से कोई अगर सबसे प्रोग्रेसिव स्पेस देखी है, तो वो हमारी फिल्में रही हैं. हमारी फिल्मों में किरदारों ने खुलकर प्रेम किया है. घरवालों से, दुनिया से अपने हक के लिए बगावत की है. धर्म, जाति की अनदेखी की है. फिर रियल लाइफ में औरतों की स्थिति इतनी बुरी क्यों हो जाती है. क्या प्रोग्रेसिव दिखने वाली ये फिल्म इंडस्ट्रीज सच में कभी प्रोग्रेसिव बन पाएंगी? जहां एक औरत को शादी से पहले कोई डील साइन ना करनी पड़े.