चलो एक पल के लिए फिर से Avatar की उस जादुई दुनिया में लौट चलते हैं. जहां नीली चमड़ी वाले नावी जंगलों में उड़ते हैं, पेड़ सांस लेते हैं, और पूरा ग्रह एक जीता-जागता, किसी 'पेंडोरा' वासी की चोटी की तरह एक दूसरे से गुंथा इको सिस्टम बन जाता है. वो दुनिया किसी सपने जैसी लगती थी, है ना? लेकिन अगर हम ये कहें कि कोई रहस्यमयी, जीवन से भरपूर दुनिया, हमारे अपने सौरमंडल में छुपी है. वो भी, बर्फ के नीचे और चांद के भीतर!
वैज्ञानिकों को इस चांद पर जिंदगी के सुराग मिले हैं, ब्रह्मांड में बसा है 'Avatar' फिल्म वाला 'पेंडोरा', जहां रहता है 'जादू'!
हॉलीवुड फिल्म Avatar जैसी काल्पनिक दुनिया अब हकीकत बन सकती है! वैज्ञानिक हमारे सौरमंडल के बर्फीले चंद्रमाओं (icy moons) जैसे यूरोपा, एन्सेलाडस और टाइटन में छुपे जीवन (alien life) की तलाश में हैं. जानिए कैसे मिशन जैसे Europa Clipper और Dragonfly इस रहस्य को सुलझा सकते हैं.


अब आप कहेंगे काहे को फेंक रहे हो यार. हमारा चंद्रयान गया तो था चांद पर. उसे तो वहां कोई बरफ-वरफ नहीं मिली. ना ही मिला कोई समंदर. तो भइया ऐसा है कि The Sky at Night Magazine में छपे लेख “सौरमंडल के बर्फीले चंद्रमाओं पर एलियन जीवन” (Alien life on the Solar System's icy moons ) के मुताबिक जिस चांद की हम बात कर रहे हैं, वो हमारे वाले चंदा मामा नहीं बल्कि उनके दूर, बहुत दूर के रिश्तेदार हैं. जिन्हें आप अभी तक नहीं जानते थे, मगर अब जान जाएंगे. कैसे? अरे भाई हम जो बताने जा रहे हैं.
बर्फ के नीचे छिपी परियों की दुनिया?विकिपीडिया के लेख “महासागरीय दुनियाओं के खोजी कार्यक्रम” (Ocean Worlds Exploration Program) के मुताबिक शनि और बृहस्पति के कुछ चंद्रमा जैसे यूरोपा, एन्सेलाडस, और टाइटन—सिर्फ बर्फ के गोले नहीं हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इनकी बर्फीली सतह के नीचे छिपे हैं विशाल, पानी (या फिर पानी जैसे ही किसी लिक्विड) से भरे महासागर. और जहां पानी, वहां जीवन. ऐसा हम नहीं ये वैज्ञानिक लोग कहते हैं.
बर्फ और पानी की इस लुका छिपी को एक कवि शायद कुछ यूं बयां करता,
"कहीं बर्फ की चुप्पियों में, कोई धीमी-सी धड़कन हो सकती है,
जो कह रही हो-‘मैं हूं, मगर अब तक छुपी थी.”
अब तक हमने सोचा था कि ज़िंदगी बस पृथ्वी पर है, लेकिन अब कहानी बदल रही है. बोले तो स्टोरी में ट्विस्ट है भीड़ू…
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मिशन एलियन: अब सिर्फ फिल्म नहीं, हकीकत हैधरती से दूर ज़िंदगी की तलाश करने की खातिर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने कई मिशन लॉन्च किए हैं. कौन-कौन से हैं वो मिशन? चलिए पहले वही जान लेते हैं.
1. यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper)
The Sky at Night Magazine के मुताबिक 2024 में नासा एक खास मिशन लॉन्च हुआ. जिसने यूरोपा की सतह और उसके नीचे छिपे महासागर की जांच की. वहां की दरारों, पानी के बहाव और रसायनों (Chemicals) की गहराई से पड़ताल भी हुई. रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई. जब होगी तो मुमकिन है कि हमें ज़िंदगी की "पहली परछाईं" वहीं मिले!
2. ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly)
Space.com के लेख “गैनिमीड और टाइटन पर जीवन के संकेत” (Signs of life on Ganymede, Titan ) के मुताबिक ये एक ड्रोन मिशन है जो टाइटन की सतह पर उतरेगा. एक ऐसा चंद्रमा जहां मीथेन की झीलें हैं और बादलों में अजीब सी रासायनिक हलचल. वहां की दुनिया, वहां का जीवन शायद हमारी सोच से बिलकुल अलग हो.
3. एन्सेलाडस के प्लूम्स (बर्फ के फव्वारे)
Live Science के लेख “एनसेलाडस पर नासा का अध्ययन” (NASA study on Enceladus) के मुताबिक शनि का छोटा-सा चंद्रमा है. साइज में छोटा है, लेकिन सस्पेंस से भरपूर है. वो हिंदी साहित्य के 'कवि बिहारी' के दोहों की तरह- 'देखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर' टाइप. वहां से निकलते बर्फ के फव्वारों में जैविक अणु मिले हैं. NASA का कहना है कि अगर हम इन कणों को पकड़ सकें, तो हो सकता है हमारी किसी "एलियन बैक्टीरिया" से मुलाकात हो जाए.
नहीं, ये वो हरे रंग के कार्टून वाले प्राणी नहीं होंगे जिनकी आंखें बड़ी और सिर गोल होता है. असल में, एलियन जीवन का मतलब हो सकता है, छोटे-छोटे बैक्टीरिया. जो टाइटन की झीलों में तैर रहे हों, या एन्सेलाडस की बर्फ के नीचे धीरे-धीरे सांस ले रहे हों. ये दिखने में कुछ खास न हों, लेकिन इनके होने से ब्रह्मांड की पूरी परिभाषा बदल सकती है.

क्योंकि ये सिर्फ “क्या हम अकेले हैं?” का जवाब भर नहीं है. ये उस खगोलीय सवाल का जवाब है, जिसमें पूछा जाता है कि “क्या जीवन ब्रह्मांड का नियम है, या अपवाद?” Royal Museums Greenwich के रिसर्च पेपर Exploring icy moons of the Solar System for signs of life के मुताबिक ये महज पृथ्वी से दूर किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश भर नहीं है. ये सवाल इंसानियत के विस्तार का.
अगर इन चंद्रमाओं पर जीवन है, तो शायद ब्रह्मांड में हर दिशा में हज़ारों दुनियाएं हैं. जिनमें किसी जंगल में कोई नावी ना सही, किसी बर्फ के दरार में छिपी कोई धीमी धड़कन तो ज़रूर है.
कल्पना से हकीकत तक का सफ़रआज से कुछ साल पहले तक ये सब "साइंस फिक्शन" था. लेकिन अब ये मिशन तैयार हैं. रॉकेट्स बन चुके हैं, और वैज्ञानिक इंतजार में हैं, किसी संकेत के.
हम अब उस दौर में हैं जब कल्पना और विज्ञान के बीच की लकीर धुंधली हो रही है. और क्या पता, अगली बार जब किसी नन्हें बच्चे से पूछा जाए—“एलियन होते हैं क्या?”
तो जवाब हो—“हां, शायद एन्सेलाडस पर रहते हों!”

जिस दिन पहली बार हम किसी एलियन जीवन से संपर्क करेंगे. फिर चाहे वो बैक्टीरिया ही क्यों न हो, तो कहीं न कहीं हमें फिर से 'कोई मिल गया' के जादू की याद आएगी.
“दीदी, जादू बोल सकता है… जादू सुन सकता है… जादू दोस्त है.”
शायद हम सबका पहला "अंतरिक्ष वाला दोस्त" कोई जादू ही निकले.
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