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बेरोजगारों की ये तस्वीरें परेशान कर रही हैं तो बेरोजगारी की असली 'तस्वीर' तो डरा ही देगी!

Air India और गुजरात की एक केमिकल कंपनी की भर्ती की तस्वीरें आने के बाद से देश की चिरकालिक चिंता फिर से हरी हो गई. देश की इकॉनमी पॉइंट्स टेबल में पायदान-दर-पायदान ऊपर जा रही है, मगर बेरोज़गारी एक बड़ा चैलेंज बना हुआ है.

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एयर इंडिया की भर्ती के लिए आई भीड़ और गुजरात केमिकल कंपनी के लिए आई भीड़.

एयर इंडिया ने 2,216 वेकेंसी निकालीं. फ़्लाइट से सामान उतारने, बैगेज बेल्ट और रैम्प ट्रैक्टर चलाने वाले लोडर की नौकरी के लिए. 22,000 रुपये की नौकरी के आवेदन के लिए 25,000 लोग जुट गए. भीड़ इतनी थी कि भगदड़ का जोख़िम हो गया. कुछ दिनों पहले गुजरात से भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें आई थीं. एक केमिकल कंपनी ने मात्र 10 भर्तियों का ज्ञापन दिया था, लेकिन सैकड़ों की भीड़ जुट गई. दरवाज़े से अंदर जाने में धक्का-मुक्की इतनी थी कि सीढ़ी की बग़ल में लगी स्टील की रेलिंग टूट गई. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ. लोगों ने ‘गुजरात मॉडल’ की बखिया उधेड़ी और देश के रोज़गार संकट पर चिंता जताई.

इन तस्वीरों के आने के बाद से देश की चिरकालिक चिंता फिर से हरी हो गई. देश की इकॉनमी पॉइंट्स टेबल में पायदान-दर-पायदान ऊपर जा रही है, मगर बेरोज़गारी एक बड़ा चैलेंज बना हुआ है. आए दिन विरोध प्रदर्शन होते हैं. कभी विपक्ष ये मुद्दा उठाता है, कभी छात्र सड़कों पर उतरते हैं. इसीलिए आज समझेंगे…

देश में बेरोज़गारी की स्थिति क्या है?

पहला सवाल: बेरोज़गार किसे कहा जाएगा? उन वर्कर्स को, जो काम करने में सक्षम हैं और इच्छुक हैं, मगर उनके पास काम नहीं है. सक्षम हैं कि नहीं? इसकी पैमाइश ऐसी होती है कि अमुक काम के लिए जो क्वॉलिफ़िकेशन चाहिए, वो है या नहीं. मसलन, इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, डिग्री है, तो सक्षम हैं. सक्षम होने के बावजूद काम नहीं है, माने बेरोज़गार हैं.

किसी राज्य या देश में बेरोज़गारी मापने के लिए होती है, बेरोज़गारी दर. अंग्रेज़ी में, unemployment rate. कुल लेबर फ़ोर्स में बेरोज़गार कितने हैं, इसका माप है. दर ज़्यादा = बेरोज़गार ज़्यादा.

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पहले सरकार बेरोज़गारी के आंकड़े जारी करती थी. अब नहीं करती. इसीलिए ग़ैर-सरकारी संस्थाओं के आंकड़ों का सहारा लेना पड़ता है. इसीलिए हाल में आई हुई तीन-चार रिपोर्ट्स के बकौल देखते-समझते हैं कि देश में बेरोज़गारी की स्थिति क्या है.

- फोर्ब्स की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़, जून 2024 तक भारत की बेरोज़गारी दर 9.2 पर्सेंट है. ठीक एक महीने पहले - मई, 2024 में - यही दर 7 पर्सेंट थी. इस बढ़त से मौजूदा आर्थिक चुनौतियों और लेबर मार्केट की स्थिति का पता चलता है. इसमें भी ग्रामीण बेरोज़गारी दर में मात्र एक महीने में 6.3 पर्सेंट से बढ़कर 9.3 पर्सेंट हो गई. वहीं, शहरी बेरोज़गारी दर 8.6 पर्सेंट थी. थोड़ी बढ़कर 8.9 पर्सेंट हो गई.

जेंडर-बेस्ड बेरोज़गारी दर में ग़ैर-बराबरी साफ़ दिखती है. जून, 2024 में महिला बेरोज़गारी 18.5 पर्सेंट तक पहुंच गई, जो राष्ट्रीय औसत से काफ़ी ज़्यादा है. वहीं, पुरुष बेरोज़गारी मामूली बढ़त के साथ 7.8 पर्सेंट दर्ज की गई. हालांकि, ऐसी स्थिति के बावजूद लेबर मार्केट में कुछ सकारात्मक बदलाव हुए हैं. 

सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी या CMIE. आर्थिक मामलों पर रिपोर्ट्स और आंकड़े पब्लिश करने वाली एक संस्था. इसके अनुसार भारत में वर्किंग एज ग्रुप, जनसंख्या का 79 फ़ीसदी है. माने अगर देश की जनसंख्या 140 करोड़ है, तो देश की वर्किंग एज ग्रुप की संख्या क़रीब 111 करोड़ होगी. जून, 2023 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, 111 करोड़ की संख्या में 92.2 पर्सेंट महिलाएं और 33.6 फीसदी पुरुष, न कोई रोज़गार कर रहे हैं और न ही रोज़गार ढूंढ रहे हैं.

इसके हिसाब से 2023 के अक्टूबर से दिसंबर के बीच 20-24 की आयु वर्ग में 44.3 पर्सेंट युवा बेरोज़गार थे. और, 25-29 एज ग्रुप में बेरोज़गारी दर 14 पर्सेंट से ज़्यादा थी.

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- इसी साल के मार्च में संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन (ILO) और इंस्टीट्यूट फ़ॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) ने एक रिपोर्ट जारी की. नाम, इंडियन एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024. इसके मुताबिक़, देश के कुल बेरोज़गारों में 83 पर्सेंट युवा हैं. 

ILO की रिपोर्ट में बताया गया है कि बेरोज़गार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है. 2000 में देश की कुल बेरोज़गार लोगों में 54.2 फीसदी शिक्षित थे. साल 2022 में ये संख्या बढ़कर 65.7 फ़ीसदी हो गई. 

- अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने भी अपने तईं एक रिपोर्ट जारी की है. दुनिया के कुछ नामी अर्थशास्त्रियों ने भारत की अर्थव्यवस्था पर अपनी टीप दी. उनमें से ज़्यादातर का यही मत था कि मौजूदा चुनाव के बाद सरकार के लिए सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती है, बेरोज़गारी. सबसे तेज़ गति से बढ़ने के बावजूद अर्थव्यवस्था अपनी बड़ी और बढ़ती युवा आबादी के लिए पर्याप्त रोज़गार पैदा करने में विफल रही है.

- CMIE और अन्य संगठनों के अलावा भारत सरकार भी बेरोज़गारी और लेबर फ़ोर्स का एक सर्वे करवाती है. भारत सरकार का सांख्यिकी मंत्रालय पीरियोडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे जारी करता है. सालाना किए जाने वाला इस सर्वे के हिसाब से देखें, तो दूसरी तस्वीर दिखाई देती है. जो लेबर फ़ोर्स पार्टिसिपेशन रेट 2019-20 में 53.5 फीसदी था, वो 2022-23 में बढ़कर 57.9  पर्सेंट हो गया है. 

इन आंकड़ों में फ़र्क़ इसीलिए है कि डेटा जुटाने के तरीक़े अलग हैं. सरकार विस्तृत डेटा जारी नहीं करती. क्यों? सरकार ने कभी बताया नहीं.

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