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कहानी एम के अर्जुनन मास्टर की, जिन्होंने दुनिया को म्यूज़िक का कोहिनूर ए आर रहमान दिया

ए आर रहमान इमोशनल हो गए अपने उस्ताद के दुनिया छोड़कर जाने पर.

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ए.आर.रहमान; अर्जुनन मास्टर
जॉन कीट्स ने कहा था. "ए थिंग ऑफ़ ब्यूटी इज़ ए जॉय फॉरएवर". यानि कोई सुंदर चीज़ हमेशा के लिए लोगों को सुख प्रदान करती रहती है. सुंदर चीज़, जैसे कि म्यूज़िक कंपोज़र एम.के.अर्जुनन के गाने. दो दिन पहले अर्जुनन मास्टर दुनिया से चले गए. धरती पर 84 साल रहने के बाद. लेकिन मलयालम फिल्मों और रंगमंच के लिए उनके बनाए हुए गाने वहां की हवा में महकते रहेंगे.
म्यूज़िक कंपोज़र ए.आर.रहमान ने उनके साथ अपनी एक बहुत पुरानी फोटो ट्वीट की. शोक जताते हुए लिखा -
"एक मेहरबानी का करम ज़िंदगी भर बना रहता है. कभी नहीं भूल पाऊंगा वो प्यार और प्रोत्साहन, जो आपने मुझे बचपन में दिया. आपके असंख्य मधुर गाने आपकी अमर विरासत हैं. भगवान आपकी आत्मा को शांति दे, एम.के.अर्जुनन मास्टर. आपके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के लिए मेरी संवेदना."

रहमान को दिया सहारा
बचपन में रहमान का नाम था दिलीप शेखर कुमार. उनके पिता आर.के.शेखर म्यूज़िक कंपोज़र थे. रहमान नौ साल के थे, जब पिताजी की मृत्यु हो गई.
उनके पिताजी के करीबी दोस्त अर्जुनन मास्टर ने उनकी मदद की. रहमान को अपने ऑर्केस्ट्रा में शामिल कर लिया. उनको पियानो और दूसरे इंस्ट्रूमेंट बजाना सिखाया. बाद में रहमान को एक फिल्म में काम भी दिया. कीबोर्ड बजाने का.
Rahman With Arjunan
अर्जुनन मास्टर के साथ ए.आर.रहमान

म्यूज़िक से पहली मुलाक़ात
खुद अर्जुनन मास्टर पर भी किसी की ऐसी ही मेहरबानी हुई थी. अपने घर पर 14 बच्चों में सबसे छोटे थे. जब केवल छह महीने के थे, अपने पिताजी को खो दिया. परिवार गरीबी में डूब गया. उनकी मां पार्वती अकेले सब बच्चों की देखभाल करती. जब अर्जुनन दूसरी क्लास में थे, उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा. मां की मदद करने के लिए. वे खाने का सामान बनाती, और अर्जुनन उसे बेचकर आते.
फिर भी परिवार संभालना मुश्किल हुआ. तो मां ने अर्जुनन और उनके भाई प्रभाकरन को दूर भेज दिया. पलानी कस्बे के जीवकरुण्यानन्द आश्रम में. पहली बार म्यूज़िक से वास्ता पड़ा. हर रोज़ शाम को भजन गाने में. सभी बच्चों के साथ मिलकर. आश्रम के प्रमुख थे नारायण स्वामी. उन्होंने देखा कि इस बच्चे की आवाज़ में कुछ अलग बात है. उन्होंने अर्जुनन के लिए एक म्यूज़िक टीचर लगवा दिया. जिनसे अर्जुनन ने 7 साल म्यूज़िक सीखा.
आश्रम में बच्चों की संख्या बढ़ गई थी. तो दोनों भाई वापस अपने शहर फोर्ट कोच्ची चले आए. मज़दूरी करने लगे. साथ में गाने बजाने के प्रोग्राम. कुछ पैसा आने लगा.
चलो, नाटक करते हैं
किसी रंगमंच वाले ने उनको नोटिस किया. कहा कि मेरा म्यूज़िक कंपोज़र कहीं चला गया है. तुम मेरे नाटक के लिए म्यूज़िक बना दो. नाटक का नाम था 'पल्लीकुट्टम'. अर्जुनन ने म्यूज़िक तैयार किया. गाने बनाए. लोगों को पसंद आए.
धीरे-धीरे वे ऐसी छोटी रंगमंच मंडलियों की पहली पसंद बन गए. साथ में अपने म्यूज़िक को तराशा. विजयराजन मास्टर और कुमरैया पिल्लई से म्यूज़िक सीखकर.
उनके लिए प्रोफेशनल थिएटर सर्कल के दरवाज़े खुले. बहुत से बड़े-बड़े थिएटर ग्रुप के साथ काम करने लगे. चांगानासेरी गीधा, पीपल्स थिएटर, कालिदास कलाकेंद्रम, एलेपी थिएटर्स, देशाभिमानी थिएटर्स. बाद में फिल्मों के लिए म्यूज़िक बनाने लगे. लेकिन थिएटर के लिए काम करना कभी नहीं छोड़ा. उन्होंने 300 नाटकों के लिए 800 गाने बनाए. ड्रामा कैटेगरी में 15 बार 'बेस्ट म्यूज़िक डायरेक्टर' का अवॉर्ड भी जीता.
ड्रामा में काम करते हुए ही वे देवराजन मास्टर के संपर्क में आए. जो फिल्मों में टॉप के म्यूज़िक कंपोज़र थे. अर्जुनन उनके फ़िल्मी गानों में हारमोनियम बजाने लगे. इस बीच उनकी शादी हो गई भारती से.
Arjunan Master With Wife Bharti
अर्जुनन मास्टर अपनी पत्नी भारती के साथ.

फ़िल्मी सफर
1968 में वे 32 साल के हो चुके थे. जब पहली बार किसी फिल्म के लिए म्यूज़िक बनाने का मौका मिला. फिल्म का नाम 'करूथा पूर्णामी'. फिल्म में सात गाने थे. चार गाने गाए थे येसुदास ने. जो उस समय तक फेमस नहीं हुए थे. एक गाना 'मुनाथिन मुत्थु' बढ़िया चला. इस तरह उनके फ़िल्मी सफर की शुरुआत हुई.
मलयालम म्यूज़िक में उस समय अपने लिए जगह बनाना आसान नहीं था. इंडस्ट्री में देवराजन मास्टर, राघवन, दक्षिणामूर्ति, बाबूराज जैसे फेमस म्यूज़िक कंपोज़र्स का बोलबाला था. फिर भी अर्जुनन ने अपना अलग म्यूज़िक स्टाइल बनाया. ऐसे गाने बनाए कि लोगों को उन पर यक़ीन नहीं आया. कहा कि कोई नया म्यूज़िक डायरेक्टर इतने मधुर गाने कैसे बना सकता है. लोग कहने लगे कि ये गाने देवराजन ने ही बनाए होंगे. और ऐसे ही अपने असिस्टेंट के नाम से निकाल रहे हैं.
लेकिन अर्जुनन एक के बाद एक कमाल गाने बनाने लगे. गीतकार श्रीकुमारन थंपी के साथ उनकी जोड़ी फेमस थी. दोनों ने इकट्ठे 50 से ज़्यादा गानों पर काम किया.
Arjunan Master Yesudas Thampy
अर्जुनन मास्टर श्रीकुमारन थंपी और येसुदास के साथ

'प्रवाहम', 'मधुर स्वपनम', 'न्यायविधि', 'भयानकम' कुछ फिल्में हैं. जिनमें अर्जुनन मास्टर ने म्यूज़िक दिया है. उनकी आखिरी फिल्म थी 'वेल्लाराम कुन्नीले वेल्लिमीनुका'. जो पिछले साल रिलीज़ हुई थी. 50 साल में उन्होंने 200 फिल्मों में म्यूज़िक दिया. 600 से ज़्यादा गाना बनाए.
अलविदा अर्जुनन
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने उनकी मृत्यु पर खेद जताया. कहा कि इन महान म्यूज़िशियन का चले जाना केवल म्यूज़िक इंडस्ट्री के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए दुःख की बात है. सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. हालांकि कोरोना लॉकडाउन के चलते उनके दस से ज़्यादा परिजनों को शामिल होने से रोका गया.
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एम.के.अर्जुनन मास्टर का अंतिम संस्कार

उनके सबसे फेमस गानों में से कुछ हैं - 'नीला निशिधिनी', 'कस्तूरी मन्नाकुनैलो', 'समबडी नोबडी लवज़', 'आ राविल'. मलयालम नहीं समझते हैं, तब भी म्यूज़िक को महसूस कर सकते हैं. सुनिए उनका एक गाना -



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