एक जगह के चुनाव परिणाम आ चुके हैं, एक जगह चुनाव हो चुके हैं और एक जगह चुनाव होने वाले हैं. यानी कुल मिलकर देश में राजनीति 'ट्रेंड' कर रही है.वैसे भारत में राजनीति, कब अख़बारों के मुखपृष्ठ से और हमारे दिल से आउट हुई है? सेक्स, क्रिकेट और बॉलीवुड से भी ज़्यादा जिसकी पूछ बनी रहती है और हमेशा बनी रहती है वो राजनीति ही तो है. और, इन तीनों ही (सेक्स, क्रिकेट और बॉलीवुड) का 'सब सेट' राजनीति है और राजनीति के ये तीनों. खालिस राजनीति तो फिर अपने आप में अलग ही 'विशाल समंदर' ठहरा फिर. मतलब कहने का ये कि सौ में से अस्सी 'अड्डों' पर राजनीति की बातें होती हैं. और बाकी बचे बीस अड्डों में? वहां पर राजनीति 'होती' है. राजनीति से बहुत अलहदा एक ऐसी चीज़ है जिसकी टीआरपी हमेश डाउन रहती है - साहित्य. इतने डल सब्जेक्ट यानी 'साहित्य' में भी राजनीति अंदर खाने तक बसी हुई है. बहरहाल 'साहित्य' में 'राजनीति' तो बहुत देखी होगी आपने, लेकिन आज आपको 'राजनीति' के ऊपर एक उम्दा साहित्य की जानकारी देते हैं. वो भी सबसे प्यारी विधा - व्यंग! तो पुस्तक का नाम है - नेताजी कहिन. इस पर एक धारावाहिक भी दूरदर्शन में आ चुका है, ओम पुरी अभिनीत. बासु चटर्जी ने बनाया था. नाम था - कक्का जी कहिन. और जो पुस्तक है, वो लिखी है मनोहर श्याम जोशी जी ने. पुस्तक क्या पहले एक कॉलम लिखते थे इस नाम से. लोगों ने कहा संपादन बहुत हुआ इसे ही जारी रखो. तो अंततः ये किताब के रूप में आया. क्या कहा? आप मनोहर श्याम जोशी जी को नहीं चीन्हते? अरे 'हम लोग', 'बुनियाद' के लेखक. महेश भट्ट के बहुत अच्छे दोस्त थे. उनके लिए 'पापा कहते हैं' भी लिखी थी. और जो थोड़े बहुत साहित्य वाले लोग हैं उनके लिए तो खैर जोश्ज्यू (जोशी जी) बहुत ऊंची यानी 'पहुंचेली' चीज़ हैं. 'क्याप' के लिए साहित्य अकादमी पुरूस्कार मिला. 40 दिन में लिखी गई 'कसप' को 'मैला आंचल' की तरह ही भारत के सर्वोत्तम 'आंचलिक उपन्यासों' में से एक कहा जाता है. अज्ञेय का आशीर्वाद जिसको मिल जाए फिर उसकी बात ही क्या है.
खैर, मैं 'कैरिड अवे' हो जाऊं इससे पहले ही उनकी इस किताब यानी 'नेताजी कहिन' के तीस कोट्स आपको पढ़वा देता हूं. ज़्यादातर कोट्स बिहार की आंचलिक भाषा में थे इसलिए उनका हिंदी में अनुवाद किया है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुंच सके. वैसे तो अंततः ये है तो साहित्य ही, कितने लोगों तक पहुंच लेगा आखिर?
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आप कहेंगे 'ऐसा' करते हैं, तो अलां कहेंगे हमारे वेस्टेड-इंट्रेस्ट की ऐसी-तैसी हुई जा रही है.
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