क्या हुआ था 11 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में? वक़्फ़ संशोधन कानून के ख़िलाफ़ शुरू हुआ एक प्रदर्शन जब हिंसक हो गया, तो कई घरों में आग लगा दी गई और तीन लोगों की जान चली गई—जिनमें एक पिता और बेटा भी शामिल थे. ये ग्राउंड से आई रिपोर्ट आपको सीधे ले जाती है परलालपुर हाई स्कूल के उस राहत कैंप में, जहां अब सैकड़ों परिवार शरण लिए हुए हैं. इन्हीं में एक हैं 24 साल की सप्तमी मंडल, जो अपनी 8 दिन की बच्ची को लेकर जान बचाकर भागीं थीं. आज सप्तमी कहती हैं— “हम अपने ही देश में रेफ्यूजी बन गए हैं”. आख़िर ज़िम्मेदार कौन है? इस हिंसा की सच्चाई क्या है? और ये लोग कबतक बेघर रहेंगे? पूरी कहानी जानने के लिए अभी पूरा वीडियो देखें!