ज़ीशान सिद्दीक़ी ने दी लल्लनटॉप के साथ ख़ास बातचीत में बताया है कि राहुल गांधी के क्लोज़ सर्कल ने उन्हें उनके क़रीब नहीं आने दिया. कांग्रेस छोड़ने के वक़्त भी उन्होंने इस तरह के आरोप लगाए थे. इंटरव्यू में उन्होंने यह भी बताया है कि उनके पिता के कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्हें साइडलाइन किया जाने लगा.
'राहुल गांधी के करीब आने नहीं दिया', जीशान सिद्दीक़ी ने किस पर लगाया आरोप?
इंटरव्यू में उन्होंने यह भी बताया है कि उनके पिता बाबा सिद्दीक़ी के कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्हें साइडलाइन किया जाने लगा.
पॉलिटिकल रिपोर्टर्स की जानिब से एक बात चलती है की कांग्रेस आलाकमान अपने युवा विधायको और सांसदों के साथ क़रीबी बनाए रखता है. ख़ासकर राहुल गांधी. ज़ीशान से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा:
मुझे कभी राहुल जी से क़रीब आने का अवसर नहीं दिया गया और ऐसा उनके आसपास के लोग की वजह से है. वह ऐसा नहीं चाहते.
जब उनसे पूछा गया कि यह कौन लोग हैं, तो उन्होंने सीधे नाम नहीं बताए. फिर उनसे कुछ नामों पर प्रतिक्रिया मांगी. के सी वेणुगोपाल के बारे में पूछे जाने पर पर उन्होंने कहा कि वह राहुल के क्लोज़ तीन-चार सर्कल में नहीं है. अलंकार सवाई के नाम पर ज़ीशान ने मना नहीं किया. ICICI बैंक के एक पूर्व अधिकारी अलंकार सवाई राहुल गांधी के निजी स्टाफ़ के सदस्य हैं.
फ़रवरी, 2024 में बाबा सिद्दीक़ी ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था. शिवसेना (उद्धव गुट) ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन में बांद्रा ईस्ट से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया. लेकिन ज़ीशान से सलाह नहीं ली गई. यही कहते हुए उन्होंने कांग्रेस छोड़ी और NCP जाने का फ़ैसला किया.
इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके पिता के कांग्रेस छोड़ने के बाद साइडलाइन किया जाने लगा. उन्हें मुंबई युवा कांग्रेस से निकाल दिया गया. सभी वॉट्सऐप ग्रुप्स से हटा दिया गया. मीटिंग्स से बुलाने में परहेज़ किया जाने लगा. ज़ीशान कहते हैं,
न मुझे कारण-बताओ नोटिस भेजा गया, न मुझसे पूछा गया कि क्या मैं पार्टी छोड़ रहा हूं.. मैंने पूछता हूं कि आपको दिक़्क़त क्या है. एके ऐंथनी के बेटे अनिल ऐंथनी ने भाजपा जॉइन की. कर्नाटक में एक गौड़ा जी हैं. उनके बेटे कांग्रेस से विधायक हैं, पिता भाजपा से सांसद. दिग्विजय सिंह के भाई लक्षमण सिंह ने भी पार्टी छोड़ी थी. तो जब बाबा सिद्दीक़ी के पार्टी छोड़ी, तो मेरे साथ ऐसा बर्ताव क्यों? क्योंकि मैं मुसलमान हूं?
मुसलमानों के साथ पार्टी के भीतरी भेदभाव के आरोप ज़ीशान ने पहले भी लगाए हैं. उनसे इस बारे में इंटरव्यू में भी पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मुहब्बत की दुकान लगाने का मतलब बस सीट जीतना नहीं, दिल में भी मुहब्बत होनी चाहिए.
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