यशवंत वर्मा मामले (Yashwant Varma Case) के बाद जज साहब लोगों ने तय किया कि वे अपनी संपत्तियों का खुलासा (Judge Declare Assets) सार्वजनिक तौर पर करेंगे। कवायद शुरू भी हुई, लेकिन आंकड़े देखकर लगता है कि ज़्यादातर न्यायाधीशों को इसमें खास दिलचस्पी नहीं है। यही वजह है कि देश के 25 हाई कोर्ट के 769 जजों में से केवल 95 लोगों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की है। प्रतिशत में यह आंकड़ा करीब 12 के आसपास बैठता है। बता दें कि दिल्ली में जज यशवंत वर्मा के घर आग लगने के बाद अधजली नोटों की गड्डियां बरामद हुई थीं। इसने न्यायपालिका की साख पर सवाल खड़े कर दिए थे।
हाई कोर्ट के सिर्फ 12 फीसदी जजों ने सार्वजनिक किया प्रॉपर्टी का ब्यौरा, केरल सबसे आगे, छत्तीसगढ़ फिसड्डी
यशवंत वर्मा केस के बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों ने तय किया था कि वे अपनी संपत्ति सार्वजनिक करेंगे. सर्वोच्च अदालत के 33 में से 30 जजों ने आधिकारिक वेबसाइट पर संपत्तियों का खुलासा कर दिया है. हाई कोर्ट्स के जज इस मामले में काफी पीछे हैं.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सभी 33 जजों ने मिलकर फुल कोर्ट में यह फैसला किया कि वे अपनी संपत्ति सार्वजनिक करेंगे। 'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के 33 में से 30 जजों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर दी है। इनमें भारत के मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल भी शामिल हैं। हालांकि, हाई कोर्ट इस मामले में काफी पीछे हैं। देश के 25 हाई कोर्ट में कार्यरत 769 न्यायाधीशों में से केवल 95 यानी सिर्फ 12.35% ने आधिकारिक वेबसाइटों पर अपनी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा किया है। देशभर में सिर्फ 6 हाई कोर्ट के जजों ने इस कवायद में हिस्सा लिया है।
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केरल इसमें सबसे आगे है। यहां 44 में से 41 यानी 93% जजों ने अपनी संपत्ति का खुलासा वेबसाइट पर किया है। नंबर दो पर हिमाचल प्रदेश है, जहां 12 में से 11 यानी 91% जजों ने यह काम किया है। छत्तीसगढ़ इस मामले में सबसे पीछे है—यहां 16 में से सिर्फ 1 जज ने संपत्ति सार्वजनिक करने के फैसले पर अमल किया है। मद्रास हाई कोर्ट के 65 में से केवल 5 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित की है। वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट के 38 में से सिर्फ 7 जजों ने अपनी संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा की है, जबकि 2018 में 35 में से 29 जजों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक की थी।
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यशवंत वर्मा के घर मिला कैशबता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ी हालिया घटना ने भारत की न्यायपालिका में पारदर्शिता को लेकर बहस छेड़ दी है। 14 मार्च को दिल्ली स्थित वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लग गई थी। आग बुझाने के दौरान बचावकर्मियों को मलबे के बीच अधजले नोट मिले। इसके बाद न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। भरोसा बहाल करने की कोशिश के तहत 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के सभी 33 जजों ने यह निर्णय लिया कि वे अपनी संपत्ति सार्वजनिक करेंगे।
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