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औरंगजेब का वो वंशज, जिसने संयुक्त राष्ट्र से लगाई मुगल बादशाह की कब्र बचाने की गुहार

हैदराबाद में रहने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी खुद को मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का वंशज बताते हैं. उन्होंने हाल ही में औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा को लेकर यूएन को चिट्ठी लिखी है.

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मुगलों के 'वंशज' ने यूएन तक पहुंचा दिया औरंगजेब की कब्र का मामला

आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) के वंशज होने का दावा करने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) को चिट्ठी लिखी है. यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (António Guterres) से उन्होंने औरंगजेब की कब्र (Aurangzeb Tomb) की सुरक्षा के लिए ASI को निर्देश देने की मांग की है. हाल ही में विकी कौशल (Vicky Kaushal) के अभिनय वाली छावा (Chhaava) फिल्म रिलीज हुई थी. इसमें छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच संघर्ष की कहानी है. फिल्म आने के बाद भड़की औरंगजेब विरोधी भावनाओं के कारण जमकर बवाल हुआ. खूब बयानबाजी हुई. विरोध हुआ. पुतले फूंके गए. कई लोगों ने कहा कि खुल्दाबाद में मौजूद मुगल बादशाह की कब्र को हटा देना चाहिए. विवाद इतना बढ़ गया कि नागपुर मेें इसे लेकर हिंसा भी भड़क उठी. 

बाद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सामने आकर कहना पड़ा कि ये हमारा दुर्भाग्य है लेकिन हमें कब्र की सुरक्षा करनी पड़ेगी. ऐसा करना ही होगा क्योंकि वह राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है और उसके कुछ नियम हैं. सीएम के आश्वासन के बावजूद मुगल बादशाह के एक कथित वंशज को मकबरे की सुरक्षा को लेकर डर सता रहा है. खुद को बहादुर शाह जफर की छठी पीढ़ी का बताने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी (Yakub Habeebuddin Tucy) ने मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचा दिया है.

'मकबरे पर सिक्योरिटी फोर्स लगाएं' 

एएनआई के अनुसार, तुसी ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि वह औरंगजेब के मकबरे के मुतवल्ली हैं. मकबरा 'राष्ट्रीय महत्व का स्मारक' घोषित है. यह प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल अधिनियम- 1958 के तहत संरक्षित है. ऐसे में संरक्षित स्मारक पर या उसके आस-पास कोई भी अनधिकृत निर्माण, बदलाव या खनन नहीं किया जा सकता. तुसी ने अंतरराष्ट्रीय कानून का हवाला देते हुए यूएन से कब्र की सुरक्षा में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की मांग की. 

उन्होंने कहा कि फिल्मों, मीडिया आउटलेट्स और सोशल प्लेटफॉर्म के जरिए ऐतिहासिक लोगों को गलत तरीके से पेश किया गया है. इस तरह से लोगों की भावनाओं के साथ छेड़छाड़ की गई है. नतीजा बेमतलब विरोध, नफरती अभियान और पुतले जलाने के रूप में सामने आया. 

याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने यूएन को याद दिलाया कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पास सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा का दायित्व है. दुनिया भर के धरोहरों के संरक्षण से संबंधित यूनेस्को कन्वेंशन-1972 पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं. ऐसे में औरंगजेब के मकबरे को नुकसान पहुंचाना अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन है. 

तुसी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कार्यालय से मामले को तुरंत संज्ञान लेकर एएसआई को निर्देश देने का आग्रह किया है कि औरंगजेब की कब्र को पूरी सुरक्षा और संरक्षण दिया जाए.

कौन हैं याकूब तुसी?

अब सवाल उठता है कि याकूब हबीबुद्दीन तुसी कौन हैं, जो इतने अधिकार से औरंगजेब के मकबरे की सुरक्षा पर चिंता जता रहे हैं. 

तुसी खुद को मुगलों का वंशज बताते हैं. उनका दावा है कि मुगलों से जुड़ी सारी संपत्तियों पर उनका अधिकार है. इसमें ताजमहल, लाल किला, अलीगढ़ की जामा मस्जिद तो शामिल है ही. राम मंदिर की जमीन पर भी वह दावा ठोक चुके हैं. उन्होंने कहा कि बाबर से संबंधित होने की वजह से इस संपत्ति पर उनका अधिकार है. तुसी कहते हैं कि वह बहादुर शाह जफर की 6ठी पीढ़ी में आते हैं. 

ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ मुगलों के वंशज होने का दावा भर करते हैं. वह अपनी जीवनशैली भी शाही तरीके से जीते हैं. लोग इसका मजाक उड़ाते हैं और उनके दावे को खारिज भी करते हैं. 

टीओआई की एक रिपोर्ट में बताया गया कि तुसी हैदराबाद में कंचनबाग के श्रीदत्तनगर में रहते हैं. घर पर उनके वंशवृक्ष का एक बड़ा पोस्टर लगा है. तुसी कहते हैं कि उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके. वह ऐसे परिवार से आते हैं जिसमें ऐसी राष्ट्रवादी भावना है.

तुसी की शाही साख पर संदेह करने वाले लोगों पर वह ध्यान नहीं देते. कहत हैं कि मैं न तो पैसे मांग रहा हूं और न ही सत्ता का दावा कर रहा हूं. मैं बस वहीं कहता हूं, जो हूं. जन्म प्रमाण पत्र हो या मैरिज सर्टिफिकेट. उनके सभी दस्तावेजों में उनके नाम के पहले 'प्रिंस' लगा रहता है. उन्होंने दावा किया कि उज्बेकिस्तान ने मुगल वंशज के रूप में उन्हें मान्यता दी है. डीएनए टेस्ट से पता चला है कि वह मुगल हैं. 

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