सुखबीर बादल (Sukhbir Badal) को तनखैया घोषित किया गया. तनखैया, सिख समाज की सबसे बड़ी संस्था श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से दी गई ‘धार्मिक सजा’ होती है. इसके तहत बादल को श्री दरबार साहिब, अमृतसर के परिसर के बाहर पहरेदारी करने की सजा दी गई. इसके अलावा, सजा के तौर पर उनको कई और काम भी करने हैं. इस बीच चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर बादल को किन मामलों में सजा सुनाई गई है.
राम रहीम, गुरु गोविंद सिंह, अमृत छकान... सुखबीर सिंह बादल की सजा के पीछे की कहानी पता है?
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री Sukhbir Badal अपनी सजा के दूसरे दिन पहरेदारी कर रहे थे तभी उन पर जानलेवा हमला हुआ. पुलिस ने हमलावर नारायण सिंह चौड़ा को पकड़ लिया है. लेकिन सुखबीर को तनखैया घोषित किया क्यों गया है? एक-एक बात जान लीजिए.
इस पूरे मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का नाम बार-बार लिया जा रहा है. राम रहीम वर्तमान में रेप और मर्डर के लिए 20 साल की सजा काट रहा है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान राम रहीम 20 दिनों के परोल पर बाहर आया था. उस पर सिखों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का भी मामला चला था. इसको लेकर अकाल तख्त ने सुखबीर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने राम रहीम को इस मामले में माफी दी थी.
श्री अकाल तख्त की ओर से सुखबीर बादल से जो सवाल पूछे गए या आरोप लगाए गए, वो इस प्रकार हैं-
- क्या सुखबीर बादल ने शहीदों के बलिदानों की अनदेखी की?
- क्या उन्होंने सिखों की हत्या के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को बढ़ावा दिया? उनके परिवार के सदस्यों को टिकट दिया?
- क्या उन्होंने गुरमीत राम रहीम के खिलाफ चल रहे मामलों को रद्द किया? उसकी मांग के बिना ही उसे माफी दी गई?
- उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा नहीं दिलवाई.
- राम रहीम को दी गई माफी को सही ठहराने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) को अखबारों में विज्ञापन देने का निर्देश दिया.
ये सब आरोप थे. सुखबीर सिंह बादल को इनका दोषी पाया गया. इसी साल 30 अगस्त को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया गया था. इसके बाद राम रहीम वाले मामले की सबसे अधिक बात हुई.
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Ram Rahim ने ‘बेअदबी’ की!पंजाब में 2007-17 तक अकाली दल और भाजपा की सरकार थी. इस दौरान कैबिनेट मंत्री रहे अकाली दल के सभी नेताओं को तख्त साहिब ने पेश होने को कहा था. साथ ही पार्टी की कोर कमेटी और 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की आंतरिक कमेटी को तलब किया था. ये सारे आरोप इसी अवधि से जुड़े हैं.
साल 2007 में अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम के खिलाफ आदेश दिया था. इस आदेश के अनुसार, कोई भी सिख, डेरा सच्चा सौदा से कोई संबंध नहीं रख सकता. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस आदेश के बावजूद सुखबीर सिंह की अध्यक्षता में अकाली दल को डेरा से राजनीतिक समर्थन मिला.
आरोप के अनुसार, इसके बाद राम रहीम ने श्री गुरु गोविंद सिंह जी की तरह कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था. इसे ‘बेअदबी’ माना गया था. उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ. इस घटना के कारण सिख बहुल राज्य के कुछ हिस्सों में सिखों और डेरा अनुयायियों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गईं.
अकाल तख्त ने आरोप लगाया कि सुखबीर बादल ने इस मामले में राम रहीम का पक्ष लिया और साल 2015 में उसे माफी दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उस वक्त सुखबीर के पिता प्रकाश सिंह बादल पंजाब के मुख्यमंत्री थे, और सुखबीर उपमुख्यमंत्री. अकाल तख्त का मानना है कि बादल सरकार ने राम रहीम के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, उस मामले को ही वापस ले लिया.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके राम रहीम को माफी दिलवा दी. हालांकि, बाद में श्री अकाल तख्त ने इस माफी को रद्द कर दिया. सुखबीर ने अकाल तख्त के सामने इस आरोप को स्वीकार किया. उन्होेंने माना कि उन्होंने जत्थेदार साहिबों को अपने आवास पर बुलाया था. सुखबीर ने उन पर राम रहीम को माफी देने के लिए दबाव बनाया था. इसमें सुखबीर के पिता प्रकाश सिंह भी शामिल थे. उनके निधन के बाद उनके खिलाफ भी सजा सुनाई गई है. अकाल तख्त ने उनको मिली ‘फख्र-ए-कौम’ (समुदाय का गौरव) की उपाधि वापस ले ली है. वहीं पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह अब धार्मिक समागम को संबोधित नहीं कर सकते हैं.
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विज्ञापन का क्या मामला है?आरोप है कि इसके बाद सुखबीर ने राम रहीम को मिली माफी को सही ठहराने की कोशिश की. इसके लिए उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) को अखबारों में विज्ञापन छपवाने का निर्देश दिया. इसके लिए भी सुखबीर को सजा दी गई है. आरोप है कि इसमें 90 लाख रुपये खर्च किए गए. SGPC ने इसके लिए अपने पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ और पूर्व मुख्य सचिव हरचरण सिंह को जिम्मेदार ठहराया था. मक्कड़ का निधन हो चुका है.
2018 में, मक्कड़ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि सुखबीर बादल ने उनको 24 सितंबर, 2015 को अकाल तख्त से राम रहीम को माफी दिलाने की योजना के बारे में बताया था. बादल ने उनको अपने आवास पर बुलाया था. मक्कड़ ने दावा किया कि उन्होंने बादल को ऐसा नहीं करने की सलाह दी थी.
इस मामले में सुखबीर के साथ-साथ बलविंदर सिंह भूदंड, दलजीत सिंह चीमा, हीरा सिंह गाबड़िया को सजा दी गई है. सजा के तौर पर ये लोग विज्ञापन पर खर्च हुए पैसे को ब्याज के साथ SGPC को लौटाएंगे.
एक आरोप आईपीएस अधिकारी सुमेध सिंह सैनी को लेकर भी है. सैनी पर पंजाब में उग्रवाद के दौर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप है. इसके बावजूद उनको राज्य पुलिस प्रमुख के रूप में नियुक्ति किया गया.
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सुखबीर बादल अपनी सजा के दूसरे दिन पहरेदारी कर रहे थे, तभी उनपर जानलेवा हमला हुआ. हमलावर का नाम नारायण सिंह चौड़ा है. वो एक खालिस्तानी है. उस पर कई मामले दर्ज हैं और वो पहले भी जेल जा चुका है.
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