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गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के आरोप क्यों लगे? एक-एक बात जान लें

US indictment के मुताबिक, साल 2020 में गौतम अडानी, सागर अडानी, विनीत जैन और रंजीत गुप्ता ने मिलकर एक प्लान बनाया. इसके तहत भारत सरकार के अधिकारियों को घूस खिलाना था.

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गौतम अडानी (फाइल फोटो)

अमेरिका में न्यूयॉर्क शहर के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अक्टूबर 2024 में एक मुकदमे की सुनवाई हो रही थी. जिरह कर रहे थे अमेरिकी सरकार के वकील, और अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के फ्रॉड सेक्शन के चीफ. इस सुनवाई में भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी समेत आठ लोगों पर आरोप तय किए जा रहे थे. आरोप तय करने की इस प्रैक्टिस को अंग्रेजी में कहते हैं Indictment. अगर किसी व्यक्ति का indictment किया गया, तो आरोपों के तहत उस पर मुकदमा चलेगा. 

अमेरिकी न्याय विभाग पर अपलोड किए गए कागजों के हवाले से आरोपों को समझें, उससे पहले जिन पर आरोप लगे, उनको जानते हैं.

गौतम अडानी- इन्हें कागजों में भारतीय नागरिक, भारतीय एनर्जी कंपनी का संस्थापक और इसी कंपनी के बोर्ड का चेयरमैन और नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बताया गया है.

सागर अडानी- भारतीय नागरिक, गौतम अडानी के भतीजे और भारतीय एनर्जी कंपनी के बोर्ड के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन.

विनीत जैन - भारतीय नागरिक, भारतीय एनर्जी कंपनी के सीईओ और बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर.

रंजीत गुप्ता- भारतीय नागरिक, और एक अमेरिका की Issuer कंपनी के सीईओ. Issuer उन कंपनियों को कहा जाता है, जो किसी कंपनी से पैसा लेकर उनके बदले बॉन्ड या शेयर जारी करती हैं.

सिरिल कबानेस- इनके पास ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस की नागरिकता बताई जा रही है. कबानेस अमेरिकी Issuer के नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और कनाडियन निवेश फर्म के कर्मचारी रह चुके हैं.

सौरभ अग्रवाल - भारतीय नागरिक, सिरिल कबानेस के जूनियर और कनाडियन निवेश फर्म के कर्मचारी.

दीपक मल्होत्रा- भारतीय नागरिक, कनाडियन निवेश फर्म से जुड़ी एक अन्य कंपनी के कर्मचारी, और अमेरिकी Issuer के नॉन-एग्जिक्यूटिव निदेशक.

रूपेश अग्रवाल- भारतीय नागरिक, अमेरिकी Issuer और उससे जुड़ी अन्य कंपनियों के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी.

आठ आरोपियों में से गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन सीधे-सीधे अडानी ग्रुप से जुड़े हुए हैं. जिस भारतीय एनर्जी कंपनी की बात हो रही है, खबरों में उसे ‘अडानी ग्रीन एनर्जी’ कहा जा रहा है.

बाकी बचे हुए 5 लोग अमेरिकी Issuer कंपनी और कनाडा की निवेश फर्म से जुड़े हुए हैं. अदालती कागजों में issuer और कनाडियन निवेश फर्म का नाम नहीं लिखा गया है. लेकिन खबरों में US Issuer की पहचान Azure Power और कनाडा की निवेश फर्म की पहचान CDPQ बताई गई है. सारी कहानी भारत की अडानी ग्रीन एनर्जी, अमेरिका की Azure Power और कनाडा की निवेश फर्म CDPQ के बीच की आपसदारी से शुरू होती है.

इल्जाम हैं कि अडानी ग्रीन एनर्जी और Azure Power को कुछ सालों पहले एक कॉन्ट्रैक्ट  मिला. इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत दोनों कंपनियों को भारत सरकार के अधीन आने वाली Solar Energy Corporation of India (SECI) को 12 गीगावाट की सोलर पावर सप्लाई करनी थी. अडानी और Azure से मिली इतनी सारी बिजली को SECI आगे ग्राहकों में बांट देता. लेकिन यहां पर एक मुसीबत आ गई. SECI को इस खरीदी हुई बिजली के ग्राहक नहीं मिल रहे थे. ग्राहक थीं राज्यों की बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां. राज्यों की कोई भी कंपनी SECI के साथ करार करने को राजी नहीं थी. ऐसे में SECI अडानी और Azure से बिजली खरीद नहीं पाती. और इन दोनों कंपनियों को घाटा होता.

US indictment के मुताबिक, साल 2020 में गौतम अडानी, सागर अडानी, विनीत जैन और रंजीत गुप्ता ने मिलकर एक ‘प्लान’ बनाया. इसके तहत भारत सरकार के अधिकारियों को ‘घूस’ खिलाना था. बदले में इन कंपनियों को क्या मिलता? घूस खाए अधिकारी राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर दबाव बनाते कि वो SECI के साथ करार करें. ताकि SECI, अडानी और Azure से मिली कंपनियों से खरीदी बिजली को राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को बेच सके.

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ध्यान दें कि आरोपों में कहा गया था कि घूस खिलाने की योजना बनाई गई, और घूस का ऑफर दिया गया. घूस दी गई हो, इस आशय की बात आरोपपत्र में नहीं लिखी है. आरोपपत्र के मुताबिक, घूस की रकम का आकलन किया गया. अमाउंट आया 2029 करोड़ रुपये. इन इल्ज़ामों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश राज्य बिजली वितरण निगम के एक सीनियर अधिकारी से उद्योगपति गौतम अडानी ने खुद मुलाकात की. साल 2021 के अगस्त और नवंबर के बीच गौतम अडानी तीन बार इस अधिकारी से मिले, ताकि आंध्र प्रदेश राज्य बिजली वितरण निगम, SECI के साथ समझौता कर ले. और इसके लिए उन्हें कथित तौर पर 1750 करोड़ रुपये घूस की पेशकश की गई.

आरोपों में और क्या कहा गया?

जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश के बिजली वितरण निगमों ने घूस का ऑफर मिलने के बाद SECI के साथ पॉवर सेल अग्रीमेंट (PSA) साइन किया. इस PSA के तहत राज्यों के वितरण निगम, SECI से बिजली खरीद सकते थे.

जब कुछ राज्यों ने बिजली खरीदने का समझौता साइन कर लिया, तो फरवरी 2022 तक Azure Power और Adani Green ने भी SECI को बिजली बेचने का फाइनल अग्रीमेंट PPA साइन कर लिया. Adani Green ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की, जिसमें उन्होंने कहा था कि SECI के साथ दुनिया का सबसे बड़ा PPA साइन किया गया. और कुछ ही दिनों में पॉवर सप्लाई शुरू भी कर दी.

लेकिन इन सब में गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी का क्या रोल था? आरोपों के मुताबिक, सागर अडानी ने अपने फोन में "ब्राइब नोट्स" लिखे हुए थे. इन में किस अधिकारी को कितने पैसे ऑफर हुए, और पैसों के बदले इन अधिकारियों की जिम्मेदारी वाले राज्य कितनी बिजली खरीदेंगे, इसके डीटेल इन नोट्स में लिखे हुए थे.

इसके अलावा गौतम अडानी को सारी मीटिंग्स और बातचीत में कुछ कोडनेम दिए गए थे. जैसे SAG, Mr A, Numero Uno, The Big Man.

अमेरिका की एंट्री

अब इस पूरे गेम में अमेरिका की एंट्री होनी थी. अधिकारियों को कथित तौर पर घूस का वादा करके SECI के साथ अग्रीमेंट साइन करवा लिया गया था. अब वादा निभाने का मौका था. यानी घूस का पैसा देने का. आरोप हैं कि 25 अप्रैल, 2022 को Azure Power के रंजीत गुप्ता की गौतम अडानी और विनीत जैन की मीटिंग होनी थी. इस मीटिंग में अडानी ग्रुप के लोग Azure Power को उनके घूस का हिस्सा बताते. जो 638 करोड़ रुपये के आसपास बैठ रहा था. लेकिन 25 अप्रैल, 2022 को ही Azure के अमेरिका में बैठे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने रंजीत गुप्ता और दीपक मल्होत्रा को इस्तीफा देने को कहा. ये दोनों वही कर्मचारी थे, जिनसे गौतम अडानी और विनीत जैन की कथित मीटिंग होनी थी. रंजीत और दीपक ने इस्तीफा दिया और मीटिंग सस्पेंड हो गई.

अब अगली मीटिंग हुई 29 अप्रैल, 2022 को. इस मीटिंग में रूपेश अग्रवाल थे, साथ ही थे गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन. इस मीटिंग में रूपेश अग्रवाल को कथित तौर पर घूस के पैसे का शेयर बताया गया. और पैसे के लेनदेन को लेकर कई मीटिंग्स हुईं. इस मीटिंग के ब्यौरे सिरिल कबानेस को पहुंचाए जाते रहे थे. साथ ही इस सबकी सूचना कनाडा की निवेश फर्म CDPQ तक भी पहुंचती रही, क्योंकि CDPQ ने Azure Power में भी पैसे लगाए थे.

लेकिन जब ये मीटिंग्स हो रही थीं, उस समय अमेरिका में Azure Power पर एक जांच बैठ गई. ये जांच बिठाई SEC यानी अमेरिका के सेक्योरिटीज़ एक्सचेंज कमीशन ने. SEC अमेरिका में शेयर बाज़ार और वित्तीय संस्थानों की निगरानी करने वाली मुख्य संस्था है. समझने के लिए जिस प्रकार भारत में शेयर बाज़ार पर नियंत्रण रखने का काम सेक्योरिटीज़ एंच एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या SEBI का है, उसी तरह अमेरिका में यह काम SEC का है.

SEC सुनिश्चित करता है कि कंपनियां अपने वित्तीय रिकॉर्ड और अन्य जानकारियां ईमानदारी से साझा करें, निवेशकों को सही जानकारी मिले ताकि वे समझदारी से निवेश से जुड़े फैसले ले सकें. साथ ही SEC की टीम संभावित धोखाधड़ी की घटनाओं की जांच करती है. यह संस्था बड़े पैमाने पर जुर्माने और कानूनी कार्रवाई कर सकती है.

मार्च 2022 में SEC ने Azure Power पर जांच बिठाई. कहा कि साल 2018 के बाद से जितनी भी कंपनियों के लिए Azure Power ने नीलामी में बोली लगाई है या नीलामी जीती है, उन सबकी जांच होगी. ज़ाहिर सी बात है कि इसमें अडानी ग्रीन के साथ हुआ बिजनेस भी सवालों के घेरे में आता. लिहाजा Azure Power से जुड़े लोगों ने एक समझौता किया कि अडानी समूह के साथ सोलर एनर्जी वाली डील को SEC और अमेरिकी सरकार की जांच के दायरे में न आने दिया जाए.

इसके बाद इल्जाम और संगीन हो जाते हैं. अब Azure Power के लोगों ने एक तरकीब लगाई. तरकीब ये कि उन्होंने एक अमेरिकी लॉ फर्म की मदद से अपनी ही कंपनी के भीतर एक जांच बिठाई. इस जांच में कुछ सूचनाएं जानबूझकर लीक कर दी गईं. और बहुत सारी सूचनाएं छिपा ली गईं. जैसे इस इंटर्नल जांच में जानबूझकर लीक किया गया कि इंडिया में मौजूद अडानी ग्रीन के गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन ने Azure Power से घूस के पैसे मांगे. ऐसा दिखाने की कोशिश की गई मानो घूस खिलाने के पूरे षड्यंत्र में सिर्फ अडानी समूह शामिल था, Azure power नहीं. Azure Power के लोगों ने कथित तौर पर अपना नाम छिपाने के लिए अडानी ग्रीन के लोगों के साथ कम्युनिकेशन के सारे सबूत मिटा डाले, जिससे जांच में ‘बाधा’ पहुंचे.

लेकिन इस पूरे प्रकरण की जांच कर रही SEC को अंदाज लग गया कि दाल में कुछ काला है. जब Azure Power के लोगों को अमेरिका की FBI और SEC ने पूछताछ के लिए बुलाया, तो सौरभ अग्रवाल, कबानेस, रूपेश ने साफ़तौर पर इनकार कर दिया कि वे किसी घूसखोरी की स्कीम में शामिल भी थे.

जब अमेरिका में ये सब हो रहा था, अडानी समूह भी तनाव में था. आरोपों के मुताबिक, घूसखोरी वाले पूरे वक़्फ़े में अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेश की ओर ताकना शुरू किया. जिन निवेशकों से पैसे दरकार थे, उनमें से कई अमेरिका में रहते या व्यवसाय कर रहे थे. आरोप है कि अडानी ग्रीन ने इन निवेशकों से पैसा पाने के लिए गलत जानकारियां दीं. साथ ही अपनी कंपनी की घूस-विरोधी नीतियों के बारे में कुछ भी साफ नहीं बताया.

आरोपों के मुताबिक, जिस समय गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन, अडानी ग्रीन के लिए अमेरिकी निवेश का इंतजाम कर रहे थे, उस समय अमेरिकी अखबारों में कथित घूसकांड को लेकर खबरें चलने लगीं. निवेशकों ने जब इस बाबत सवाल पूछा, तो अडानी ग्रीन के लोगों ने पब्लिक और प्राइवेट दोनों फोरम्स पर इस घूसकांड को लेकर गलत जानकारी दी, ऐसे इल्जाम लगाए गए हैं.

आरोप ये भी हैं कि हर साल जारी की जाने वाली अपनी सालाना रिपोर्ट में अडानी ग्रुप ने घूसरोधी पॉलिसी के बारे में भ्रामक जानकारियां शेयर की हैं. अदालत के कागजों में ये भी कहा गया है कि साल 2023 में एक बार सागर अडानी अमेरिका आए थे. तब FBI और SEC के अधिकारी उनसे मिले थे. उनके फोन और सारे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त कर लिए थे. और उन्हें अदालत में पेश होने का समन और सर्च वॉरन्ट जारी कर दिया था. पूछताछ में अडानी ग्रीन से जुड़े लोगों ने फिर से गलत जानकारी शेयर की, ये भी इल्जाम लगाए गए.

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