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सिर्फ 'बेदाग' टीचर्स की बहाल होगी नौकरी, राहत देकर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को चेतावनी भी दी है

बंगाल में शिक्षकों को बर्खास्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने बेदाग टीचर्स को नौकरी पर वापस जाने की इजाजत दे दी है. साथ ही सरकार को आदेश दिया गया है कि वह 31 मई तक नई भर्ती का विज्ञापन निकाले और 31 दिसंबर तक परीक्षा संपन्न कराए.

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'बेदाग' टीचर्स की बहाली कर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को बड़ी राहत दी है

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार (Mamata Banerjee Government) को बड़ी राहत मिली है. शिक्षक भर्ती घोटाले (Begal Teacher Recruitment) में बर्खास्त ‘बेदाग’ टीचर्स की नौकरी फिलहाल जारी रखने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए. ऐसे में 9 से 12 तक की कक्षाओं के टीचर्स की नौकरी को बहाल किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा है कि बर्खास्त गैर शिक्षण कर्मचारियों को किसी भी हाल में काम नहीं करने दिया जाए. चाहे वो दागी हों या नहीं. जिन टीचर्स को पढ़ाने की इजाजत मिली है, उन्हें भी नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक ही ये सुविधा मिलेगी.

कोर्ट ने  कहा कि उसे इस मामले में यह फैसला देने के लिए जो बात प्रेरित कर रही है, वो है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए. इंडिया टुडे ग्रुप की सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि हम केवल शिक्षकों को ही विस्तार देंगे. ग्रुप-डी यानी स्तर-4 के उम्मीदवारों को नहीं. सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने कहा कि राज्य में 2016 से कोई भर्ती ही नहीं हुई क्योंकि यह याचिका लंबित थी. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि भर्ती का विज्ञापन मई तक जारी हो जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो उसे वापस ले लिया जाएगा. साथ ही नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी करनी होगी. कोर्ट ने कहा,  

राज्य सरकार, बोर्ड और आयोग 31 मई तक हलफनामा दायर करेंगे. इसमें विज्ञापन की प्रति और पूरा शेड्यूल संलग्न होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भर्ती प्रक्रिया समय पर पूरी हो. अगर 31 मई तक विज्ञापन और हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो कोर्ट समुचित आदेश पारित करेगा. इसमें जुर्माना भी हो सकता है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जहां तक ग्रुप-सी और डी के कर्मचारियों का प्रश्न है, हम इस प्रार्थना को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं. क्योंकि, इनमें भ्रष्ट उम्मीदवारों की संख्या काफी अधिक है. सीजेआई ने कहा कि यह आदेश शिक्षकों को नई भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का विशेष अधिकार या लाभ नहीं प्रदान करेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को फौरी तौर पर थोड़ी राहत मिली है. बता दें कि साल 2016 की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थीं. कोर्ट ने इसके बाद अपने फैसले में 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था.

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