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मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, बेंच की टिप्पणी में किसकी ओर इशारा?

Intruding On Executive: Supreme Court में सोमवार, 21 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हिंसा से जुड़ी की याचिका का मुद्दा उठा था. याचिका में केंद्र सरकार (Union Government) को बंगाल में बाहरी दखल और आंतरिक अशांति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी. कोर्ट ने कहा, आप चाहते हैं कि हम केंद्र को निर्देश देने के लिए आदेश जारी करें?

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सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव इन दिनों चरम पर है. दरअसल बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने विधेयक रोके जाने को लेकर आदेश जारी किया था. इसे लेकर ही उपराष्ट्रपति धनखड़ और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान सामने आए. दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कड़ी आलोचना की थी. इस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेंट किया है. कोर्ट ने कहा कि हम कार्यकारी (Executive) के काम में दखल देने के आरोपों का सामना कर रहे हैं. 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 21 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हिंसा से जुड़ी की एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी. मामले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने था. 

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याचिका में केंद्र सरकार को बंगाल में बाहरी दखल और आंतरिक अशांति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. राज्य में केंद्रीय बलों को तैनात करने की ज़रूरत बताई गई थी. इसके लिए आर्टिकल 355 का हवाला दिया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, वकील ने इस मामले में एक एप्लिकेशन दायर करने की इजाज़त मांगी. वह कुछ अन्य बाहरी तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाना चाहते थे. याचिकाकर्ता को एप्लिकेशन दायर करने की इजाज़त देते हुए जस्टिस गवई ने कहा, 

कोर्ट पहले से ही विधायी और कार्यकारी डोमेन में घुसपैठ के आरोपों का सामना कर रहा है. आप चाहते हैं कि हम केंद्र को निर्देश देने के लिए आदेश जारी करें? वैसे भी, हम पर संसदीय और कार्यकारी कामों में दखल देने का आरोप है.

दरअसल, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था कि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों को लंबे वक्त तक रोक नहीं सकते. बिल भेजने का फैसला तय समय के अंदर लेना होगा.

इस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते, जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें. वहीं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि अगर सारे फैसले सुप्रीम कोर्ट लेगा तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए. हालांकि पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया था.

बंगाल हिंसा में जांच की मांग ठुकराई

सुप्रीम कोर्ट ने मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं (PILs) पर विचार करने से इनकार कर दिया है. लेकिन अदालत ने याचिकाकर्ताओं को संशोधित याचिका दायर करने की इजाज़ दी है. इसके बाद दोनों याचिकाकर्ताओं ने याचिका वापस ले ली. 

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कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील एडवोकेट शशांक शेखर झा को याचिका दायर करने के तरीके के लिए फटकार भी लगाई. कोर्ट ने उनकी याचिका में दिए गए कथनों पर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि कथन पहली नज़र में अपमानजनक हैं. ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं जो अदालत के सामने नहीं हैं. 

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