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'क्या मुस्लिम को हिंदू ट्रस्ट का हिस्सा बनाएंगे', वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में तगड़ी बहस

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की एक बात पर CJI संजीव खन्ना नाराज हो गए. उन्होंने कहा, "जब हम यहां निर्णय लेने के लिए बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं. हम एक बोर्ड के बारे में बात कर रहे हैं जो धार्मिक मामलों का प्रबंधन कर रहा है."

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16 अप्रैल को CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले पर सुनवाई की. (फोटो- X/PTI)

सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर की गई 70 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इन पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. हालांकि अदालत ने कानून के लागू होने पर रोक नहीं लगाई है. सुनवाई के आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में हो रही हिंसा पर चिंता भी व्यक्त की है.

CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले पर सुनवाई की. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी करने आए. वहीं कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह ने दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है.

नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर भी चर्चा हुई. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक बेंच को प्रावधान के बारे में बताते हुए तुषार मेहता ने एक टिप्पणी की जिससे बेंच नाराज हो गई. SG ने कहा,

"उनके (मुस्लिम पक्ष) तर्क के अनुसार, तो आप इस मामले की सुनवाई भी नहीं कर सकते."

इस पर CJI खन्ना ने सख्ती से कहा,

"जब हम यहां निर्णय लेने के लिए बैठते हैं, तो हम अपना धर्म खो देते हैं. हम एक बोर्ड के बारे में बात कर रहे हैं जो धार्मिक मामलों का प्रबंधन कर रहा है. मान लीजिए हिंदू मंदिर की राज्यपाल परिषद में सभी हिंदू हैं. आप जजों के साथ तुलना कैसे कर रहे हैं?"

इस पर SG ने जोर देकर कहा कि बोर्ड में अधिकांश सदस्य मुस्लिम होंगे और गैर-मुस्लिमों की संख्या दो से अधिक नहीं होगी. हालांकि, जस्टिस कुमार ने कहा कि प्रावधान में ये नहीं कहा गया है कि केवल दो सदस्य ही गैर-मुस्लिम होंगे. उन्होंने कहा कि SG का तर्क ‘कानून के विरुद्ध है’. जवाब देते हुए SG ने कहा कि वो एक हलफनामा दायर करेंगे. साथ ही ये भी कहा कि बोर्ड की वर्तमान संरचना उनके कार्यकाल के अंत तक जारी रहेगी.

सुनवाई में CJI ने धारा 2ए के प्रावधान के बारे में भी चिंता जताई. उन्होंने कहा,

""जहां सार्वजनिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया गया है, मान लीजिए 100 या 200 साल पहले, आप पलटकर कहते हैं कि ये वक्फ नहीं है... आप 100 साल पहले के अतीत को फिर से नहीं लिख सकते!"

वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने बोर्ड मेंबर्स में गैर मुस्लिम को शामिल करने को लेकर कहा,

“(पहले) केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे. अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे. ये अधिकारों का हनन है. आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे. यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं. अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है.”

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ये भी पूछा कि क्या वो मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है. हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है. बेंच ने आगे कहा कि वक्फ प्रॉपर्टी है या नहीं है, इसका फैसला अदालत को क्यों नहीं करने देते.

बहस के दौरान कपिल सिब्बल ने पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर कहा,

“ये इतना आसान नहीं है. वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है. अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे. यहां समस्या है.”

वहीं केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा,

“वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा. 1995 के कानून में भी ये जरूरी था. सिब्बल कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा. अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा.”

इस पर बेंच ने कहा,

'कई पुरानी मस्जिदें हैं. 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी.”

CJI ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे. उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? उन्होंने कहा कि वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी. 

सुप्रीम कोर्ट कल 17 अप्रैल को फिर मामले की सुनवाई करेगा.

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