राजधानी दिल्ली के आसपास एक बार फिर से किसानों (Farmer Protest) का आंदोलन शुरू हो गया है. इस बीच एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar Shivraj Singh Chouhan) ने किसानों के मुद्दों पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कुछ कठिन सवाल किए. धनखड़ ने चौहान से पूछा कि आखिर किसानों से जो लिखित वादे किए गए थे, उन्हें क्यों नहीं निभाया गया?
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उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankar ने किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि देश की कोई ताकत किसानों की आवाज को दबा नहीं सकती. यदि कोई देश किसान की सहनशीलता परखने की कोशिश करेगा, तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी.
उपराष्ट्रपति के भाषण का एक वीडियो क्लिप वायरल है. वायरल वीडियो में वो कह रहे हैं,
कृषि मंत्री जी, एक-एक पल भारी है. मेरा आपसे आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताएं, क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया, वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं?
ICAR-CIRCOT के शताब्दी समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा,
अपने लोगों से लड़ नहीं सकते…मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से बात क्यों नहीं हो रही है. हम किसान को इनाम देने के बजाय उसका सही हक भी क्यों नहीं दे रहे हैं. पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है. कालचक्र घूम रहा है. लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं. पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है. दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था. जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है.
आंदोलित किसानों का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा,
किसानों से बात होनी चाहिएहम अपने लोगों से लड़ नहीं सकते. हम उन्हें इस स्थिति में नहीं डाल सकते कि वे अकेले संघर्ष करें. हम यह विचारधारा नहीं रख सकते कि उनका संघर्ष सीमित रहेगा और अंतत: वे थक जाएंगे. हमें भारत की आत्मा को परेशान नहीं करना चाहिए. हमें उनके दिल को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए. क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा रेखा बना सकते हैं? जिनको गले लगाना चाहिए, उन्हें दूर नहीं किया जा सकता.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के सवाल पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज किसानों को केवल एक काम सौंप दिया गया है. खेतों में अनाज उगाना और फिर उसकी सही कीमत के बारे में सोचना. उन्होंने सवाल किया कि ऐसा फॉर्मूला क्यों नहीं बनाया जा रहा जिसमें अर्थशास्त्रियों और थिंक टैंक के साथ विचार-विमर्श करके किसानों को पुरस्कृत किया जा सके. उपराष्ट्रपति ने आगे कहा,
पुरस्कृत करना तो दूर की बात है, हम उन्हें उनका हक भी नहीं दे रहे. हमने जो वादा किया था. उसे देने में भी कंजूसी कर रहे हैं. और मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों से वार्ता क्यों नहीं हो रही है. हमारी मानसिकता सकारात्मक होनी चाहिए.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आखिर में कहा कि उनकी पीड़ा यह है कि किसान और उनके हितैषी आज चुप हैं. बोलने से कतराते हैं. देश की कोई ताकत किसानों की आवाज को दबा नहीं सकती. अगर कोई देश किसान की सहनशीलता परखने की कोशिश करेगा, तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी.
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